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ईसाई मिशनरियों ने कई राज्यों में आदिवासी और गरीब-दलितों को जाल में फंसाया, अब छत्तीसगढ़ सरकार की भी धर्मांतरण पर आंखें बंद, आदिवासियों में कांग्रेस सरकारों के खिलाफ उबाल, चुनाव में लेंगे बदला

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छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार द्वारा आंखें पूरी तरह से बंद कर लिए जाने के कारण प्रदेश में धर्मांतरण का खेल ईसाई मिशनरियां खुलेआम खेल रही हैं। धर्म परिवर्तन कराने वालों के खिलाफ 1968 का कानून होने के बावजूद सरकार ने जान-बूझकर अपने हाथ बांध रखे हैं। मिशनरियों की मंडलियां भोले-भाले आदिवासियों को कई तरह के प्रलोभन देकर, तो कभी बीमारी ठीक करने और शराब छुड़ाने के नाम पर धर्म परिवर्तन करा रही हैं। धर्मांतरण की करतूतों के खिलाफ कोई कार्रवाई न होने का ही दुष्परिणाम है कि मिशनरियों के हौसले इतने बुलंद हो गए हैं। छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में तो ईसाई मिशनरी और आदिवासियों के बीच नौबत टकराव तक जा पहुंची है। कांग्रेस सरकार द्वारा कोई कार्रवाई न करने से आक्रोशित आदिवासियों ने ही मिशनरियों और सिस्टम के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। आदिवासियों में इतना गुस्सा है कि महिलाएं ने ही नारायणपुर पुलिस के एसआई को पीट दिया। पुलिस मिशनरियों पर कार्रवाई करने के बजाए आदिवासियों पर टूट पड़ी तो बबाल और बढ़ गया। ईसाई मिशनरी के धर्मांतरण से नाराज भीड़ ने पहले चर्च में तोड़फोड़ की। इसके बाद यह टकराव हिंसा में तब्दील हुआ। भीड़ ने पुलिस पार्टी पर हमला किया, जिसमें पुलिस अधीक्षक का सिर फूट गया। छत्तीसगढ़ समेत गैर भाजपा शासित प्रदेशों में गरीबों-दलितों से लेकर आदिवासियों तक ये मिशनरी ऐसे ही अपना जाल फैला रही हैं।मिशनरियों का गैर भाजपा शासित राज्यों में खुलेआम चल रहा है धर्मांतरण का खेल
ईसाई मिशनरियों की बदमाशी दरअसल गैर भाजपाई राज्यों में ज्यादा चल रही है। इन राज्यों में सरकार द्वारा धर्मांतरण पर अंकुश लगाने के बजाए इस ओर के आंखे मूंदकर इन्हें समर्थन ही दिया जा रहा है। ईसाई मिशनरियां द्वारा धर्मांतरण इसलिए भी बढ़ रहा है, क्योंकि देश के सिर्फ पांच राज्यों में ही डरा-धमकाकर, जबरन या लालच देकर धर्म परिवर्तन कराना कानूनन अपराध है। यही वजह है कि गैर भाजपा शासित राज्यों में यह धड़ल्ले से चल रहा है। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि जबरन धर्म परिवर्तन बेहद गंभीर समस्या है और इससे देश की सुरक्षा तक प्रभावित हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की थी। याचिका में मांग की है कि प्रलोभन देकर, दबाव बनाकर या फिर धमकी देकर धर्म परिवर्तन कराए जाने को संविधान के खिलाफ बताते हुए सख्त कदम उठाए जाएं। लॉ कमीशन को कहा जाए कि धर्म परिवर्तन को कंट्रोल करने के लिए रिपोर्ट पेश करे ताकि जबरन और धमकी और बहला फुसलाकर धर्म परिवर्तन मामले में अन्य पांच राज्यों की तरह जल्द कानून लाया जाए।आदिवासियों का प्रलोभन से धर्मांतरण, कानून होने पर भी पुलिस मूक बनी तो गुस्सा फूटा
ईसाई मिशनरियों के चलते छत्तीसगढ़ के नारायणपुर से नए साल की शुरुआत में आदिवासियों के गुस्से की खबर आई। लोभ-लालच और प्रलोभन देकर आदिवासियों का धर्मांतरण कराने को लेकर उनमें मिशनरियों के खिलाफ रोष था, लेकिन पुलिस इसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही थी। इसके बाद दो जनवरी को एक वीडियो सामने आया, जिसमें महिलाएं नारायणपुर पुलिस के एसआई को पीटती नजर आईं। आदिवासी महिलाओं के गुस्से के सामने पुलिस टिक नहीं पाई और भागती नजर आई। दरअसल, यह पूरा मामला ईसाई मिशनरी द्वारा कराए जा रहे धर्मांतरण को लेकर है। छत्तीसगढ़ पुलिस ने जब शिकायत के बावजूद आदिवासियों की एक न सुनी तो नाराज भीड़ ने पहले चर्च में तोड़फोड़ की। इसके बाद यह टकराव हिंसा में तब्दील हुआ। भीड़ ने पुलिस पार्टी पर हमला किया, जिसमें एसपी का सिर फूट गया।धर्मांतरण के खिलाफ छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में कई दिनों से तनावपूर्ण माहौल
धर्मांतरण को लेकर छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में पिछले कई दिनों से माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। इस दौरान हमले और झड़प भी हुई हैं। नारायणपुर जिला मुख्यालय में शांति नगर स्थित है। इस इलाके में ज्यादातर ईसाई समुदाय के लोग रहते हैं। यहां से ईसाई मिशनरियों की धर्मांतरण की मुहिम चलती है। यहीं के लोगों ने पिछले माह भी कुछ आदिवासियों को लालच-प्रलोभन देकर उनका धर्मांतरण करा दिया था। इसके विरोध में 18 दिसंबर को ईसाई धर्म अपनाने वाले आदिवासियों को उनके गांवों से निकाल दिया गया था, जिसके बाद से तनाव बना हुआ है। अब आदिवासी ग्रामीणों की भीड़ इसी शांतिनगर इलाके में घुसी। इसके लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों द्वारा कोंडागांव से अतिरिक्त पुलिस बल को भी बुलाया गया।आदिवासियों की नाराजगी एक तिहाई सीटों पर कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी बनेगी!
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा इस मामले में कोई भी एक्शन न लेने के पीछे एक कारण वोटों का लालच भी है। दरअसल, इस साल के आखिर में छत्तीसगढ़ विधानसभा के चुनाव होने हैं। राज्य की कुल 90 विधानसभा सीटों में से 29 आदिवासियों (ST) के लिए रिजर्व हैं। इसके अलावा कांग्रेस ईसाई समुदाय और मिशनरियों के भी सारे वोट हासिल करना चाहती है। यही वजह है कि कांग्रेस सरकार हिंसा, उबाल और बबाल के बावजूद चुप्पी साधे बैठी है। हालांकि दोनों को साधने का उसका पैंतरा दो नावों में सवार की कहावत को चरितार्थ कर रहा है और ईसाई मिशनरियों पर कार्रवाई न होने के कारण आदिवासी समुदाय कांग्रेस सरकार के खिलाफ आक्रोशित है। आदिवासी समुदाय की नाराजगी राज्य की एक तिहाई सीटों पर कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी बजा सकती है।

धर्मांतरण कांग्रेस के इशारों पर हो रहा, इसलिए बैठी है चुप- भाजपा प्रदेश अध्यक्ष
नारायणपुर जिले में धर्मांतरण के मामले में बवाल बढ़ गया। इस मामले पर अब भाजपा ने कांग्रेस पर बड़ा आरोप लगाया है। बस्तर संभाग के नारायणपुर में हुए आदिवासियों पर हमले को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने कहा- धर्मांतरण करने वालों के हौसले कांग्रेस के संरक्षण की वजह से इतने बुलंद हैं कि अब वो हिंसक हो चले हैं अब प्रदेश में धारदार हथियारों से हमला करके आदिवासियों को ईसाई मिशनरी द्वारा धर्मांतरण के लिए विवश कर रहे हैं। साव ने कहा भाजपा लगातार इस बात को कहती आई है कि कांग्रेस के संरक्षण में ही धर्मांतरण के कार्य चल रहे हैं। नारायणपुर में आदिवासियों पर हुआ हमला इस बात को फिर से प्रमाणित कर रहा है उनके साथ बर्बरता की जा रही है। कांग्रेस धर्मांतरण करने वालों की रक्षक बनकर हमारे आदिवासी भाई बहनों को पीटते हुए देखकर मौन बैठी है।

छत्तीसगढ़, राजस्थान, पंजाब, तमिलनाडु समेत कई राज्यों में ईसाई मिशनरी  जबरन धर्म परिवर्तन कराने के खेल में शामिल हैं। लेकिन यहां की सरकारें, समाज और कानून इस पर मौन है। आइए, पहले यह जान लेते हैं कि देश में कितने राज्यों में धर्मांतरण को लेकर क्या कानून हैं…?

जानिए, जबरन या लालच देकर धर्मांतरण को रोकने के लिए किस राज्य में क्या है कानून?
1.ओडिशाः पहला राज्य है जहां जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए कानून आया था। यहां 1967 से इसे लेकर कानून है. जबरन धर्मांतरण पर एक साल की कैद और 5 हजार रुपये की सजा हो सकती है। वहीं, एससी-एसटी के मामले में 2 साल तक की कैद और 10 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है।
2.मध्य प्रदेशः यहां 1968 में कानून लाया गया था. 2021 में इसमें संशोधन किया गया। इसके बाद लालच देकर, धमकाकर, धोखे से या जबरन धर्मांतरण कराया जाता है तो 1 से 10 साल तक की कैद और 1 लाख तक के जुर्माने की सजा का प्रावधान है।
3.अरुणाचल प्रदेशः ओडिशा और एमपी की तर्ज पर यहां 1978 में कानून लाया गया था कानून के तहत जबरन धर्मांतरण कराने पर 2 साल तक की कैद और 10 हजार रुपये तक के जुर्माने की सजा हो सकती है।
4.छत्तीसगढ़ः 2000 में मध्य प्रदेश से अलग होने के बाद यहां 1968 वाला कानून लागू हुआ. बाद में इसमें संशोधन किया गया। जबरन धर्मांतरण कराने पर 3 साल की कैद और 20 हजार रुपये जुर्माना, जबकि नाबालिग या एससी-एसटी के मामले में 4 साल की कैद और 40 हजार रुपये जुर्माने की सजा का प्रावधान है।
5.गुजरातः यहां 2003 से कानून है। 2021 में इसमें संशोधन किया गया था. बहला-फुसलाकर या धमकाकर जबरन धर्मांतरण कराने पर 5 साल की कैद और 2 लाख रुपये जुर्माना, जबकि एससी-एसटी और नाबालिग के मामले में 7 साल की कैद और 3 लाख रुपये के जुर्माने की सजा है।

सर्वोच्च अदालत में धर्म परिवर्तन रोकने के लिए अलग से कानून बनाने को याचिका
अब बात करते हैं पिछले साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट में धर्मांतरण को रोकने के लिए दायर एक अहम याचिका की। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमआर शाह और हिमा कोहली की बेंच ने जबरन धर्मांतरण के खिलाफ याचिका की सुनवाई करते हुए मौखिक टिप्पणी में इसे गंभीर मामला बताया। कोर्ट ने कहा कि जबरन धर्मांतरण न सिर्फ धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के खिलाफ बल्कि देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा हो सकता है। याचिका में धर्म परिवर्तनों के ऐसे मामलों को रोकने के लिए अलग से कानून बनाए जाने की मांग की गई है। या फिर इस अपराध को भारतीय दंड संहिता (IPC) में शामिल करने की अपील की गई है।

धर्मांतरण रोकने के लिए सख्त कानून लाने के लिए सरकार को निर्देश दिए जाएं
सुप्रीम कोर्ट ने जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी करते हुए केंद्र सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब 22 नवंबर तक हलफनामा देने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दाखिल की थी। याचिका में यह भी कहा गया है कि यह मुद्दा किसी एक जगह से जुड़ा नहीं है, बल्कि पूरे देश की समस्या है जिस पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से जबरन और धोखा देकर धर्म परिवर्तन रोकने के लिए सख्त कानूनी प्रावधान लाने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश दिए जाने की मांग की है। तमिलनाडु की लड़की के मामले का हवाला, धर्मांतरण के बाद कर ली थी आत्महत्या
याचिकाकर्ता ने कहा कि पिछले साल जनवरी में तामिलनाडु में 17 साल की लड़की ने आत्महत्या कर ली। याची ने कहा कि लड़की ने मरने से पहले लिखे नोट में कहा है कि धर्म परिवर्तन करने के लिए उस पर बेहद दबाव बनाया गया। उपाध्याय ने याचिका में मांग की है कि प्रलोभन देकर, दबाव बनाकर या फिर धमकी देकर धर्म परिवर्तन कराए जाने को संविधान के खिलाफ बताते हुए सख्त कदम उठाए जाएं। लॉ कमीशन को कहा जाए कि धर्म परिवर्तन को कंट्रोल करने के लिए रिपोर्ट पेश करे ताकि जबरन और धमकी और बहला फुसलाकर धर्म परिवर्तन मामले में कानून लाया जाए।प्रलोभन या जबरन धर्म परिवर्तन एक गंभीर विषय है।धर्म परिवर्तन गंभीर विषय है और इससे देश की सुरक्षा प्रभावित हो सकती है
सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान कहा कि जो मुद्दे उठाए गए हैं और जबरन धर्म परिवर्तन के जो आरोप लगाए गए हैं, अगर वो सही हैं और उनमें सच्चाई है तो फिर यह गंभीर विषय है और इससे आखिरकार देश की सुरक्षा प्रभावित हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इससे देश की जनता के ‘धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार’ प्रभावित होते हैं। ऐसे में केंद्र सरकार को इस मामले में स्टैंड क्लियर करना चाहिए। इसलिए केंद्र सरकार हलफनामा देकर बताए कि वह कथित जबरन धर्म परिवर्तन रोकने के लिए क्या कदम उठा रहा है। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि कई राज्य सरकारों ने इसे रोकने के लिए कानून बनाए हैं। उन्होने यह भी कहा कि कई उदाहरण हैं जहां चावल और गेंहू देकर धर्म परिवर्तन कराए जा रहे हैं। तब बेंच ने कहा कि आप बताएं कि आप क्या कदम उठा रहे है?

राजस्थान की कांग्रेस सरकार के राज में धर्मांतरण का खेल खुलेआम खेला जा रहा है
धर्मांतरण का खेल राजस्थान की कांग्रेस सरकार के राज में तो खुलेआम ही खेला जा रहा है। प्रदेश की गहलोत सरकार मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए तो हमेशा सुर्खियों में रही है। मिशनरियों पर भी अपनी खूब कृपा दृष्टि दिखा रही है। यही वजह है कि अलवर से लेकर बारां तक ही नहीं, बल्कि सरकार की नाक के नीचे राजधानी में भी गरीबों-दलितों से लेकर आदिवासियों तक ये मिशनरी अपना जाल फैला रहे हैं। धर्मांतरण की करतूतों के खिलाफ कोई कार्रवाई न होने का ही दुष्परिणाम है कि मिशनरियों के हौसले इतने बुलंद हो गए हैं कि अब तो राजधानी में गहलोत सरकार की नाक के नीचे धर्मांतरण का बड़ा खेल चल रहा है। लेकिन सरकार सिर्फ खुली आंख से तमाशा देखने में लगी है।

करीब 2000 लोगों के सामूहिक धर्मांतरण की थी प्लानिंग,  विरोध से हुई विफल
राजस्थान के बारां और अलवर आदि के बाद अब राजधानी जयपुर में भी धर्म परिवर्तन कराने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। जयपुर के वाटिका में करीब 250 लोगों को जबरन हिंदू धर्म से ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर करने का खुलासा हुआ है। हिंदू जागरण मंच का आरोप है कि 28 अक्टूबर को वाटिका में करीब 2000 लोगों के सामूहिक धर्मांतरण का कार्यक्रम था, लेकिन जब इसका भारी विरोध किया गया तो इसे दबाव के चलते रद्द करना पड़ा। पुलिस ने अभी तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की है। गहलोत सरकार की तरफ से कोई आदेश-निर्देश न होने के कारण पुलिस ने भी फिलहाल इस मामले में चुप्पी साध रखी है।

मूर्ति पूजा और हिंदू देवी-देवताओं को न मानने के साथ ही महिलाओं को व्रत से दूरी का संदेश
जयपुर से 22 किमी दूर वाटिका की ढाणी बैरावाला इसका केंद्र है। 400 परिवारों वाली इस ढाणी और आसपास के गांव में हिंदुओं के धर्मांतरण के प्रयास किये जा रहे हैं। गरीब व एससी ग्रामीणों को लालच और डर दिखाकर ईसाई में कन्वर्ट करने का प्रयास किया जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि खुद को मिशनरी की मंडली बताने वाले लोग मूर्ति पूजा को खत्म कराने, हिंदू देवी-देवताओं को नहीं मानने और महिलाओं को व्रत से दूरी जैसे संदेश दे रहे हैं। ये यीशु की शरण में आने पर बीमारी से लेकर हर समस्या दूर होने का दावा कर रहे हैं। आरोप है कि धर्मांतरण का यह खेल बीमारी ठीक होने, शराब छूटने और आर्थिक स्थिति सुधारने के नाम पर खेला जा रहा था। इसके लिए हिन्दुओं से हिन्दू देवताओं की पूजा बंद करवाकर मूर्तियों का विसर्जन करवा दिया गया। धर्मांतरण के शिकार लोगों ने बताया कि उन्हें तरह-तरह के प्रलोभन देकर बहकाया गया और डराया गया।

बारां: बैथली नदी में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां और तस्वीरें प्रवाहित कर दीं
राजधानी से पहले राजस्थान के बारां जिले में धर्म परिवर्तन का एक बड़ा मामला सामने आया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गाँव में मां दुर्गा आरती का आयोजन कराने वाले दलित युवकों से मारपीट की गई। पूरे घटनाक्रम से गुस्साए दलितों ने सामूहिक रूप से धर्म परिवर्तन कर लिया। बताया जा रहा है कि 250 दलितों ने बौद्ध धर्म अपनाने से सनसनी फैल गई। वहीं, पुलिस अधिकारी पूजा नागर ने बताया कि बारां जिले के बापचा थाना क्षेत्र के भुलोन गांव बौद्ध धर्म ग्रहण किया गया है। हालाँकि पुलिस ने धर्म परिवर्तन करने वालों की संख्या काफी कम बताई है। गाँव में दलितों ने जुलूस निकालते हुए धर्मांतरण की शपथ ली और गांव की बैथली नदी में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां और तस्वीरें प्रवाहित कर दीं।

अलवर: ईसाई धर्म अपनाने के लिए दवाब, हिंदू देवी-देवताओं के पोस्टर्स फाड़े
कांग्रेस सरकार जब राजधानी में ही धर्मांतरण को नहीं रोक पा रही है, तो जिलों में ऐसे मामलों में उससे कार्रवाई की क्या ही उम्मीद करें। जयपुर और बारां की तरह अलवर में भी धर्मांतरण का मामला पिछले माह ही आ चुका है। राजस्थान के अलवर जिले में माता-पिता पर अपने बेटे-बहू का धर्मांतरण कराने का आरोप लगा है। पीड़ित दंपति सोनू और उनकी पत्नी रजनी ने पिछले माह 19 अक्टूबर को इस मामले में शिकायत दर्ज कराई। इन दोनों ने शिकायत देते हुए पुलिस से कहा है कि सोनू के माता-पिता ने घर में रखी मूर्तियों को तोड़ दिया और हिंदू देवी-देवताओं के पोस्टर्स को फाड़ दिया है। वे लोग, इन पर ईसाई धर्म अपनाने के लिए लगातार दवाब बना रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पीड़ित दंपति ने राजस्थान के अलवर पुलिस स्टेशन में माता-पिता के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। यह भी कहा जा रहा है कि दंपति ने शिकायत दर्ज कराने के लिए बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के सदस्यों से मदद मांगी।

उत्तर प्रदेश: जिहाद की हिंसात्मक विचारधारा अलकायदा से प्रभावित और पोषित

उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में अवैध धर्मांतरण गिरोह चलाने वालों के तार पाकिस्तानी आतंकी संगठन अलकायदा से जुड़ रहे हैं। ये गिरोह पैसे का लालच देकर मूक-बधिर और मामूली दिव्यांग लोगों को अपना पहला टारगेट बनाता था। इस गिरोह के सदस्य प्रतिबंधित संगठन सिमी (Student’s Islamic movement of India) से तो पहले से ही जुड़े हुए थे। अब यूपी एटीएस के हत्थे चढ़े अवैध धर्मांतरण में संलिप्त आरोपियों के पास के ऐसे साक्ष्य मिले हैं, जिससे इनका कनेक्शन अलकायदा से भी जुड़ रहा है।यूपी में एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने दावा किया है कि इस मामले में पूर्व में महाराष्ट्र से गिरफ्तार एडम और कौसर आलम के पास से जो साक्ष्य मिले हैं, उससे पता चला है कि दोनों जिहाद की हिंसात्मक विचारधारा अलकायदा से प्रभावित और पोषित हैं। इसके अलावा कई ऐसे धार्मिक साहित्य जिनका संबंध अलकायदा जैसे आतंकी समूह से रहा है, उनसे भी दोनों का प्रभावित होना पाया गया है।अब्दुल्ला धर्मांतरण गिरोह के लिए फंडिंग जुटाने का काम करता था
उत्तर प्रदेश एंटी टेररिस्ट स्क्वाड (UP ATS) की टीम ने अवैध धर्मांतरण मामले में मुख्य आरोपी मोहम्मद उमर गौतम के बेटे अब्दुल्लाह को भी गौतम बुद्ध नगर से गिरफ्तार कर लिया। अब्दुल्ला पर धर्मांतरण गिरोह की फंडिंग करने का आरोप है। यूपी एटीएस के मुताबिक जहांगीर आलम और कौसर के सीधे संपर्क में रहकर अब्दुल्ला धर्मांतरण गिरोह के लिए फंडिंग जुटाने का काम करता था। अब्दुल्ला अपने पिता मौलाना उमर गौतम के अल फारुकी मदरसा व मस्जिद एवं इस्लामिक सेंटर का काम भी देख रहा था। एटीएस ने धर्मांतरण के बड़े सिंडिकेट का खुलासा किया था। मुख्य सरगना मौलाना उमर गौतम और कलीम सिद्दीकी समेत 16 आरोपियों को अलग अलग दिनों में अलग-अलग जगहों से गिरफ्तार किया जा चुका है। उमर का बेटा अब्दुल्ला इस सिंडिकेट में शामिल जहांगीर आलम, कौसर व फराज शाह से सीधे व सक्रिय रूप से संपर्क में रहा है।
मास्टरमाइंड के खातों में 79 करोड़ रुपये की फंडिंग, उमर-कलीम के ट्रस्ट को भारी विदेशी फंडिग
एडीजी ने बताया कि पूर्व में गिरफ्तार उमर गौतम और कलीम सिद्दीकी के खातों में 79 करोड़ रुपये की फंडिंग के साक्ष्य मिले हैं। इसमें उमर गौतम के खातों से 57 करोड़ और कलीम के खातों से 22 करोड़ रुपये मिले हैं। उमर और कलीम दोनों को ही लगभग एक जैसे संगठनों से ही फंडिंग हुई है। इनके और इनकी संस्थाओं के खातों में ब्रिटेन, अमेरिका व अन्य खाड़ी देशों से भी भारी मात्रा में हवाला व अन्य माध्यमों से पैसों के आने का प्रमाण मिला है। एटीएस के अनुसार जिन संगठनों ने उमर गौतम से संबंधित ट्रस्ट अल हसन एजुकेशनल एंड वेलफेयर फाउंडेशन को फंडिंग की थी, उन्हीं ने मौलाना कलीम सिद्दीकी के ट्रस्ट जामिया इमाम वालीउल्लाह ट्रस्ट को भी नियमित रूप से भारी मात्रा में फंडिंग की। उमर गौतम, कलीम सिद्दीकी और इनके साथियों के बैंक अकाउंट में यूके, अमेरिका व अन्य खाड़ी देशों से भारी मात्रा में हवाला व अन्य माध्यमों से पैसे आए। जांच एजेंसी के सामने आरोपी अपनी आय के स्त्रोतों का उल्लेख नहीं कर सके न ही ट्रस्ट को मिली फंडिंग के खर्चे का हिसाब दे सके। एटीएस आईजी ने बताया कि अभी तक की जांच में मौलाना कलीम सिद्दीकी के ट्रस्ट के खाते में लगभग 22 करोड़ रुपयों की कुल फंडिंग के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।

आप की दिल्ली: मदर टेरेसा और ईसाई मिशनरी के रास्ते पर चल रहे शिष्य केजरीवाल

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ईसाई संत मदर टेरेसा के शिष्य रहे हैं। इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि वो किस विचारधारा से प्रेरित है। आम तौर पर माना जाता है कि शिष्य पर गुरु के उपदेशों का असर होता है। केजरीवाल पर भी उनके गुरु के उपदेश का असर दिखाई दे रहा हैे। वो उन्हीं के बताये रास्ते पर चल रहे हैं। जिस तरह मदर टेरेसा ने गरीबों की मुफ्त सेवा के बहाने दलितों और आदिवासियो के बीच पैठ बनाई। उसके बाद ईसाई मिशनरियों ने चमत्कारिक मुफ्त इलाज, मुफ्त शिक्षा और पैसे का लालच देकर और ऊंच-नीच, जात-पात का एहसास दिलाकर गरीब दलितों और आदिवासियों का धर्मांतरण कराया। उसी तरह केजरीवाल भी मुफ्त रेवड़ी कल्चर के जरिए गरीब दलितों, आदिवासियों, सिखों में पैठ बनाकर उनके बौद्ध और ईसाई धर्म में धर्मांतरण को बढ़ावा दे रहे हैं। 

सेवा की आड़ में दलितों और आदिवासियों का धर्मांतरण

दरअसल मदर टरेसा ने गरीबों की सेवा की आड़ में ईसाई मिशनरियों के लिए भारत में एक मैदान तैयार किया, जिसमें वो धर्मांतरण का खेल बखूबी खेल सके। मदर टेरेसा ने तथाकथित नि:स्वार्थ सेवाभाव से भारतीय जनमानस में एक दीन-दुखियों के उद्धारक के रूप में अपनी छवि बनाई, उसका फायदा आगे चलकर ईसाई मिशनरियोंं ने भी उठाया। पश्चिमी शिक्षा से प्रभावित और खुद को प्रगतिशील बताने वाले वामपंथियों, सेक्युलर और लिबरल गैंग ने मदर टरेसा का खूब महिमामंडन किया। उन्होंने मदर टेरेसा को गरीबों का मसीहा बताकर जनता के सामने पेश किया। लेकिन मदर टेरेसा और ईसाई मिशनरियों का मकसद सेवा की आड़ में दलितों और आदिवासियों का धर्म परिवर्तन कराना था।पंजाब: क्रिसमस से पहले धर्मांतरण का खेल, मान सरकार की चुप्पी पर उठे सवाल
गुरु गोविंद सिंह ने धर्म की रक्षा करने के लिए अपने दो साहिबजादों को जिस धरती पर शहीद करवा दिया। वहां अब सिखों को ईसाई बनाने का खेल चल रहा है। पंजाब में गरीब हिंदुओं-सिखों को बड़े पैमाने पर ईसाई धर्म में बदला जा रहा है। इसके लिए ईसाई मिशनरी तरह-तरह के ढोंग रचते हैं। वो अपने अंदर ईसा मसीह की आत्मा आने का स्वांग भरते हुए गरीब और अशिक्षित लोगों को ईसाई बना रहे है। इधर ईसाई पर्व क्रिसमस से पहले धर्म परिवर्तन का खेल जोरों पर चल रहा है। 16 दिसंबर को भी चमकौर साहिब में एक ऐसी ही घटना घटी है। साल 2011 की जनगणना के अनुसार पंजाब में सिखों की संख्या जहां 57.69 प्रतिशत थी तो हिंदुओं की आबादी 38.49 प्रतिशत थी वहीं पंजाब में ईसाइयों की आबादी केवल 1.26 प्रतिशत थी। ऐसे में अपनी आबादी बढ़ाने के लिए ईसाइयों द्वारा गरीब सिखों और हिंदुओं को ईसाई धर्म में शामिल किया जा रहा है। पंजाब में धर्म परिवर्तन का असर यह है कि प्रदेश में ईसाइयों के चर्च की संख्या बढ़ती जा रही है।

केजरीवाल के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने राम-कृष्ण की पूजा नहीं करने की दिलाई थी शपथ
पाकिस्तान से सटे बॉर्डर इलाकों में यह चर्च बनाए जा रहे हैं। इसके साथ ही ईसाई धर्म को बढ़ावा देने के लिए दीवारों पर संदेश भी लिखे जा रहे हैं। पिछले दिनों धर्मांतरण के खिलाफ निहंग सिखों ने भी जोरदार विरोध प्रदर्शन किया था। लेकिन इन सब के बीच पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की चुप्पी पर सवाल उठ रहे हैं। इस अवैध धर्म परिवर्तन के खिलाफ सरकार कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है। अगर इसकी तह में जाएं तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सनातन धर्म से नफरत की बात सामने आती है। केजरीवाल ईसाई संत मदर टेरेसा के शिष्य रह चुके हैं और इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि वो किस विचारधारा से प्रेरित है। यहीं नहीं, ज्यादा दिन नहीं बीते जब केजरीवाल के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने लोगों को ब्रह्मा, विष्णु, महेश, राम और कृष्ण को ईश्वर ना मानने और इनकी कभी पूजा नहीं करने की शपथ दिलाई थी। इन वाकयों से साफ है कि अरविंद केजरीवाल अपने हिंदू विरोधी एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं। एक सवाल यह भी है कि क्या यह किसी अंतर्ऱाष्ट्रीय साजिश का हिस्सा है।

 

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