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चीन का नापाक चेहरा फिर बेनकाब: भारत के गुनहगार और 26/11 हमले के मोस्टवांटेड साजिद मीर को भी वैश्विक आतंकवादी होने से बचाया, चीन VETO से पहले भी कर चुका है ऐसी साजिश

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आतंकवाद के समर्थक और पोषक के रूप में चीन का नापाक चेहरा एक बार फिर बेनकाब हो गया है। पाकिस्तान आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी साजिद मीर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के प्रस्ताव पर चीन ने वीटो कर रोक लगा दी है। यह जानते हुए भी की साजिद भारत का गुनहगार है और 2008 में मुंबई में हुए 26/11 हमले का मोस्टवॉन्डेट है। बीजिंग ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अल कायदा प्रतिबंध समिति के तहत ग्लोबल टेररिस्ट के रूप में मीर को ब्लैक लिस्ट में डालने और उसकी संपत्ति जब्त करने, यात्रा प्रतिबंध और हथियार प्रतिबंध लगाने के लिए अमेरिका द्वारा पेश किए गए और भारत द्वारा सह-नामित किए गए प्रस्ताव पर नापाक हरकत करते हुए वीटो लगाया है। चीन ने ऐसी शर्मनाक हरकत कोई पहली बार नहीं की है। आतंक और आतंकवादियों पर पहले भी उसका रुख समर्थक का रहा है, जिसके चलते वो आतंकियों को बचा चुका है।

मुंबई में 170 से ज्यादा लोगों का हत्यारा है लश्कर का आतंकवादी साजिद मीर
आतंकवादी साजिद मीर 26/11 के मुंबई हमलों में वांछित और भारत का गुनहगार है। पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) ने 2008 में आतंकियों को मुंबई भेजकर इन हमलों को अंजाम दिया था। इस दौरान आतंकियों ने होटल, अस्पताल, कैफे, रेलवे स्टेशन समेत कई जगहों को निशाना बनाया था, जिसमें 170 से ज्यादा लोग मारे गए थे। इन हमलों में छह अमेरिकी भी मारे गए थे। आतंकी मीर हमलों का मुख्य प्लानर था, उसने हमलों के दौरान आतंकियों को निर्देश दिए थे। इसके अलावा साजिद मीर ने 2008 और 2009 के बीच डेनमार्क में एक न्यूज पेपर के कर्मचारियों के खिलाफ आतंकवादी हमले की साजिश रची थी। अमेरिका ने आतंकी साजिद मीर पर 5 मिलियन डॉलर का इनाम रखा हुआ है। अप्रैल 2011 को मीर पर यूनाइटेड स्टेट्स डिस्ट्रिक्ट कोर्ट समेत कई कोर्ट ने चार्ज फ्रेम किए थे। उस पर विदेशी सरकार की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की साजिश रचने, आतंकवादियों को सहायता देने, अमेरिका के बाहर एक नागरिक की हत्या करना और सार्वजनिक स्थानों पर बमबारी का आरोप लगाया था। मीर के खिलाफ अमेरिका ने 22 अप्रैल, 2011 को अरेस्ट वारेंट जारी किया था।शाहिद महमूद और हाफिज तलहा: लश्कर आतंकी को ब्लैक लिस्ट होने से बचाया
यह पहली बार नहीं है कि चीन ने आतंकियों का समर्थन किया है। चीन ने इससे पहले पाकिस्तानी आतंकी को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ग्लोबल टेररिस्ट घोषित होने से बचा लिया है। चीन ने लश्कर आतंकी शाहिद महमूद को ब्लैक लिस्ट होने से बचाया। इसके बाद मुंबई के 26/11 आतंकी हमले के मास्टर माइंड हाफिज सईद के बेटे हाफिज तलहा सईद को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित होने से बचा लिया। इनके लिए भी चीन ने वीटो पावर का इस्तेमाल किया। तलहा पाकिस्तान का चौथा आतंकी है, जिसे चीन ने ब्लैक लिस्ट होने से बचाया है। चीन ने यह अड़ंगा तब लगाया था, जबकि यून सेक्रेटरी जनरल एंटोनियो गुटेरेस भारत में थे। इस दौरान उन्होंने मुंबई में 26/11 के हमले के पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी थी। मुंबई में यह हमला लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने ही किया था। भारत और अमेरिका ने 1267 अल कायदा सैंक्शन कमेटी के तहत शाहिद महमूद और हाफिज तलहा सईद को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने के लिए यह प्रस्ताव पेश किया था। तलहा पाकिस्तान में अलग-अलग शहरों में मौजूद लश्कर कैंपों का दौरा कर भारत, इजराइल, अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों में भारतीय हितों के खिलाफ जेहाद फैलाने की बात करता है।अब्दुल रहमान मक्की : कश्मीर में आतंकी हमलों का मास्टरमाइंड हाफिज सईद का साला
चीन ने यूएनएससी में वीटो के जरिए पाकिस्तान स्थित लश्कर आतंकी अब्दुल रहमान मक्की को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित होने से बचा लिया था। मक्की, भारत, खासकर जम्मू-कश्मीर में हिंसा और हमलों को अंजाम देने के लिए योजना बनाने, धन जुटाने, आतंकियों की भर्ती करने और युवकों का ब्रेनवॉश कर कट्ट्‌रपंथी बनाने के काम में शामिल रहा है। मक्की के खिलाफ भारत और अमेरिकी की ओर ज्वाइंट प्रपोजल लाया गया था। अमेरिका पहले ही अब्दुल रहमान मक्की को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित कर चुका है। भारत ने भी यूएपीए के तहत इसे आतंकी घोषित कर रखा है। मक्की लश्कर-ए-तैयबा के सरगना व 26/11 मुंबई हमलों के मुख्य साजिशकर्ता हाफिज सईद का साला है। मक्की लश्कर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है।अब्दुल रउफ अजहर: एयर इंडिया के प्लेन को हाईजैक करने की साजिश में शामिल
पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी अब्दुल रउफ अजहर को बचाने के लिए चीन यूएनएससी में आए प्रस्ताव पर अड़ंगा लगा चुका है। पाकिस्तान में जन्मे अजहर पर अमेरिका 2010 में प्रतिबंध लगा चुका है। अजहर 2007 में जैश एक्टिंग कमांडर के रूप में भारत में भी काम कर चुका है। भारत में वह जैश के इंटेलिजेंस कोऑर्डिनेटर के रूप में काम करता था। 2008 में अजहर को भारत में आत्मघाती हमले करने जिम्मेदारी मिली थी। वह जैश की राजनीतिक विंग से भी जुड़ा रहा है और उसने ट्रेनिंग कैंपों में शामिल जैश कमांडर के रूप में काम किया है। अजहर 1999 में एयर इंडिया के विमान को हाईजैक करने में शामिल रहा है। अमेरिका के ट्रेजरी डिपार्टमेंट के मुताबिक, अजर पाकिस्तानी लोगों से आतंकवादी एक्टिविटी में शामिल होने का आह्वान करता रहता है।साजिद मीर: 41 करोड़ के इनामी आतंकी को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित होने से बचाया
चीन ने पहले भी पाकिस्तान स्थित लश्कर आतंकी साजिद मीर को भी UNSC में ग्लोबल टेररिस्ट घोषित होने से बचाया है। लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी साजिद मीर मुंबई में 26/11 के आतंकवादी हमलों में शामिल रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के मुताबिक, मीर लश्कर के आतंकी ऑपरेशन का मैनेजर है। वह इन हमलों की योजना, तैयारी और अंजाम देने में प्रमुख भूमिका निभाता रहा है। मीर भारत के मोस्ट वांटेड आतंकवादियों में से एक है। मुंबई में 26/11 के आतंकी हमलों में उसकी भूमिका के लिए अमेरिका ने उस पर 5 मिलियन डॉलर यानी 41 करोड़ रुपए का इनाम रखा गया है।

मसूद अजहर: आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का सरगना को बचाया
इसके अलावा पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर को भी चीन ने फिर वैश्विक आतंकी घोषित होने से बचा लिया था। भारत के गुनहगार आतंकियों का चीन किस कदर समर्थन करता है, यह इसी से समझ में आ जाता है कि चीन ने भारत की कोशिश को चौथी बार अड़ंगा लगाया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के चार स्थायी सदस्यों अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और रूस ने उसे वैश्विक आतंकी घोषित करने की राह में भारत का समर्थन किया था। जबकि चीन हमेशा से ही इसका विरोध करता आया है।

क्या है वीटो पावर, जिसका इस्तेमाल आतंकियों को बचाने में कर रहा चीन
चीन ने जिस वीटो का इस्तेमाल करके आतंकी मसूद अजहर को बचाया है, चलिए जानते हैं उसकी ताकत। Veto लैटिन भाषा का शब्द है। इसका मतलब होता है ‘मैं अनुमति नहीं देता हूं’। प्राचीन रोम में कुछ निर्वाचित अधिकारियों के पास यह शक्ति होती थी। वे इस शक्ति का इस्तेमाल करके रोम सरकार की किसी कार्रवाई को रोक सकते थे। वर्तमान समय में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई सदस्यों के पास वीटो की शक्ति है। ये पांच देश चीन, फ्रांस, अमेरिका, रूस और ब्रिटेन हैं। इसके साथ ही हर दो साल के लिए 10 अस्थायी मेंबर्स को भी चुना जाता है। हालांकि वीटो पावर UNSC के सिर्फ 5 स्थायी सदस्यों को ही मिला है। वीटो पावर किसी भी फैसले में बेहद अहम भूमिका निभाता है। अगर इन सभी सदस्यों में से कोई एक सदस्य भी किसी फैसले पर रोक लगा दे तो उस फैसले को ही रोक दिया जाता है। यानी अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस किसी आतंकी को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने के लिए प्रस्ताव लाएं लेकिन चीन इसका विरोध कर दे तो वह आतंकी ग्लोबल टेररिस्ट घोषित नहीं हो पाएगा।

 

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