INDI अलायंस में लगातार आ रही दरारों के बीच अब जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने तो इंडिया अलायंस खत्म करने की ही बात कह डाली है। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद इसकी कोई बैठक नहीं हुई है। यह गठबंधन लोकसभा चुनाव तक ही था तो इसे खत्म कर देना चाहिए। इसके पास न कोई एजेंडा है और न ही कोई लीडरशिप। इंडी अलायंस की आखिरी बैठक 1 जून 2024 को हुई थी। उसके बाद हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। सभी चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन दोयम दर्जे का रहा है। हरियाणा और महाराष्ट्र में तो उसके करारी हार झेलनी पड़ी। इसके साथ ही इंडी अलायंस में नेतृत्व परिवर्तन की मांग उठने लगी। ममता बनर्जी ने तो यहां तक कह दिया कि INDIA ब्लॉक मैंने बनाया, मौका मिला तो इसको लीड करूंगी। राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि इसका नेतृत्व करने वाले इसे ठीक से नहीं चला सकते, तो मुझे मौका दें। इसके बाद लालू यादव ने भी राहुल की बजाए इंडी गठबंधन का नेतृत्व ममता को देने की वकालत की थी। उनके बेटे तेजस्वी ने तो यह कहकर गठबंधन की कहानी ही खत्म कर दी कि इसको सिर्फ लोकसभा चुनाव तक के लिए ही बनाया गया था।चुनाव के बाद इंडी गठबंधन टूट कर बिखर जाएगा खटाखट-खटाखट
लोकसभा चुनाव के दौरान ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ 16 मई को एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए भविष्यवाणी की थी- “4 जून को इंडी गठबंधन तितर-बितर हो जाएगा और विपक्ष बलि का बकरा खोजेगा। चुनाव के बाद शहजादे चाहें दिल्ली वाले हों या लखनऊ वाले, ये लोग छुट्टियों पर विदेश चले जाएंगे। पराजय के जिम्मेदार बलि के बकरे को खोजा जाएगा खटाखट-खटाखट। 4 जून के बाद यह इंडी गठबंधन टूट कर बिखर जाएगा खटाखट-खटाखट।” पीएम मोदी के लगातार तीसरे कार्यकाल के कुछ महीनों बाद ही उनकी भविष्यवाणी अक्षरश: सच साबित हो रही है। इंडी अलायंस में शामिल पार्टियों के नेता आपस में ही टकरा रहे हैं। दलों ही नहीं, बल्कि उनके दिलों में दरारें बढ़ती जा रही हैं। लोकसभा चुनाव में उम्मीद से कुछ ज्यादा सीटों के अहंकार में डूबी कांग्रेस और उसके युवराज अकेले पड़ते जा रहे हैं। दिल्ली चुनाव से पहले बी ममता बनर्जी से लेकर लालू यादव तक ने राहुल गांधी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अब अखिलेश, तेजस्वी और केजरीवाल ने राहुल की खिलाफत का झंडा उठा लिया है। और राहुल गांधी, भविष्यवाणी के अनुरूप वे विदेश में मौज-मस्ती की छुट्टियां मना रहे हैं। वह भी तब, जबकि उनकी पार्टी अपने एक प्रधानमंत्री के निधन से मातम में डूबी है।
दिल्ली चुनाव से पहले अलग-थलग दिख रहीं इंडी ब्लॉक की पार्टियां
दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले ही I.N.D.I.A ब्लॉक की पार्टियां अलग-थलग नजर आ रही हैं। कांग्रेस के खिलाफ AAP के संयोजक अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव एकजुट हो गए हैं। कांग्रेस नेता अजय माकन ने केजरीवाल को देश के लिए खतरनाक और फ्रॉड किंग तक बता डाला है। इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने कहा है कि दिल्ली में AAP हमारी विरोधी पार्टी है। केजरीवाल जनता के बीच भ्रम फैला रहे हैं कि भाजपा और कांग्रेस का सीक्रेट गठबंधन हो गया है। केजरीवाल का यह दावा भी बेबुनियाद है कि दिल्ली में एक बार फिर उनकी पार्टी दोबारा चुनाव जीतेगी। गहलोत बोले- केजरीवाल कैसे कह सकते हैं भाजपा-कांग्रेस साथ हैं। केजरीवाल जब चुनाव में उतरते हैं तो उनके अपने पैंतरे और गणित होता है, लेकिन वह यह कैसे कह सकते हैं कि भाजपा और कांग्रेस साथ में चुनाव लड़ रहे हैं। वो जानते हैं कि ये असंभव है। काबिले जिक्र है कि दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर 5 फरवरी को वोटिंग होगी। 8 फरवरी को नतीजे आएंगे।
माकन ने अरविंद ‘फर्जीवाल’ से गठबंधन सबसे बड़ी गलती मानी
लोकसभा चुनाव के गलबहियां डालने वाली AAP और कांग्रेस दोनों ने ही ऐलान कर दिया है कि वे दिल्ली चुनाव में एक-दूसरे के खिलाफ लड़ेंगे। इसके साथ ही करीब एक महीने पहले दिल्ली चुनावों में AAP और कांग्रेस के गठबंधन की अटकलों पर विराम लग गया। अरविंद केजरीवाल ने एक्स पर पोस्ट में साफ कहा कि आम आदमी पार्टी अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। उसके कांग्रेस के साथ किसी भी तरह के गठबंधन की संभावना नहीं है। इसके कुछ दिन बाद 25 दिसंबर को कांग्रेस नेता अजय माकन ने दिल्ली कांग्रेस की तरफ से आम आदमी पार्टी के खिलाफ 12 पॉइंट का व्हाइट पेपर रिलीज किया था। तब उन्होंने कहा था कि लोकसभा चुनाव के लिए AAP के साथ गठबंधन में आना कांग्रेस की सबसे बड़ी भूल थी, जिसे अब सुधारा जाना चाहिए। इसके साथ ही अरविंद केजरीवाल को देश का फ्रॉड किंग यानी सबसे बड़ा धोखेबाज बताया था। माकन ने कहा कि अगर केजरीवाल को एक शब्द में परिभाषित करना हो, तो वो शब्द ‘फर्जीवाल’ होगा। मुझे लगता है कि आज दिल्ली की जो हालत है और कांग्रेस जो यहां कमजोर हुई, उसका एक ही कारण है कि हमने 2013 में 40 दिन के लिए AAP को सपोर्ट किया था।
इंडिया गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए था- तेजस्वी यादव
तेजस्वी यादव ने बक्सर में मीडिया से बातचीच में इंडिया गठबंधन को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि ‘ इंडिया गठबंधन सिर्फ 2024 के लोकसभा चुनाव तक के लिए बना था।’ पत्रकारों ने उनसे दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच बढ़ती तकरार को लेकर सवाल किया तो तेजस्वी यादव ने कहा, ‘यह अस्वाभाविक नहीं है कि कांग्रेस और आप जैसे दलों में मतभेद हों। गठबंधन का मुख्य उद्देश्य लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराना था, और यह गठबंधन उसी लक्ष्य तक सीमित था।’ विधानसभा चुनावों को लेकर इंडिया अलायंस के सभी दल स्वतंत्र हैं और वे अपने स्व-विवेक के अनुसार निर्णय ले रहे हैं।
चुनाव से पहले गठबंधन में फूट, एक-दूसरे के खिलाफ ही लड़ रहे
दरअसल, आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में विपक्षी ‘इंडी’ अलायंस के दो प्रमुख घटक दल ‘कांग्रेस’ और ‘आप’ एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं। वहीं, चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद गठबंधन के दो और अन्य महत्वपूर्ण घटक दल तृणमूल कांग्रेस पार्टी और समाजवादी पार्टी ने आम आदमी पार्टी (आप) को समर्थन दिया है। इस फैसले के बाद गठबंधन में शामिल दलों के बीच फूट पड़ने और कांग्रेस सांसद एवं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठने लगे हैं। इससे पहले भी लालू यादव मीडिया से बातचीत में राहुल गांधी पर सवाल उठा चुके हैं। ममता बनर्जी ने भी इंडी गठबंधन का नेतृत्व राहुल गांधी से लेकर उन्हें सौंपने की इच्छा जताई है।
राहुल गांधी के नेतृत्व पर सिर्फ सोनिया गांधी को विश्वास
विपक्षी ‘इंडी’ अलायंस में शामिल घटक दलों में बिखराव को लेकर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने जिक्र किया कि प्रधानमंत्री मोदी ने पहले ही ‘इंडी’ अलायंस में बिखराव के बारे में बता दिया था। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने प्रतिक्रिया देते हुए बताया, “इंडी गठबंधन एक असफल राजनीतिक गठबंधन है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2024 के लोकसभा चुनाव के समय ही भविष्यवाणी कर दी थी कि चुनाव खत्म होने के बाद यह गठबंधन टूट जाएगा।” भाजपा प्रवक्ता ने आगे कहा, “गठबंधन में बिखराव यह साबित करता है कि राहुल गांधी के नेतृत्व पर सिर्फ सोनिया गांधी के अलावा किसी को विश्वास नहीं है। ना कांग्रेस, ना समाजवादी पार्टी और ना अन्य घटक दल विश्वास करते हैं। विपक्ष सिर्फ आपस में लड़ने में विश्वास रखते हैं, उनको जनता ने 2014, 2019 एवं 2024 में विपक्ष में बैठाया और अब 2029 में भी विपक्ष में बैठाएगी।”
दिल्ली चुनाव से पहले विदेश में मौज-मस्ती की छुट्टियां मना रहे राहुल
ऐसा लगता है कि विपक्ष का सबसे बड़ा चेहरा होने के दम भरने वाले राहुल गांधी के दिन अब लदने वाले हैं? इंडिया गठबंधन में राहुल गांधी को लेकर खिलाफत दिन-ब-दिन तेज होती जा रही है और कांग्रेस के यह युवराज दिल्ली चुनाव से एकदम पहले विदेश में छुट्टियां मनाने चले गए हैं। अब शीशे की तरह साफ हो गया है कि इंडी ब्लॉक के अंदर राहुल गांधी को लेकर खटपट का समंदर लहरा रहा है। इंडिया गठबंधन के ज्यादातर खिलाड़ी कैप्टन बदलने के पक्ष में खड़े नजर आ रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस की मांग है कि ममता बनर्जी को इंडिया गठबंधन का कैप्टन बनाया जाए। ममता बनर्जी की दावेदारी के बाद इंडिया गठबंधन पूरी तरह खेमों में बंटा हुआ नजर आ रहा है। वैसे यदि दिमाग पर थोड़ा-सा जोर डालें तो याद आएगा कि पीएम मोदी ने तो लोकसभा चुनाव से पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी कि इंडी गठबंधन के दल सिर्फ चुनावी स्वार्थ के लिए जुड़े हैं। चुनाव होने के बाद गठबंधन के दल आपस में टकराने लग जाएंगे। वही अब हो रहा है। केजरीवाल ने दिल्ली में कांग्रेस से अलग राह पकड़ ली है। उधर पांच दलों के सीएम ममता बनर्जी के पक्ष में उठ खड़े होने से इसी संभावना को बल मिल रहा है और राहुल गांधी के पांव देश की सियासत में कमजोर होने लगे हैं।
अब इंडिया गठबंधन का ‘कप्तान’ बदलने का वक्त आ गया
दरअसल, हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद से ही नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी चौतरफा मुसीबतों में घिरे नजर आ रहे हैं। एक ओर राहुल गांधी पर अमेरिकी उद्योगपति जॊर्ज सोरोस के साथ कनेक्शन का बड़ा खुलासा हुआ है, तो दूसरी ओर इंडिया ब्लॊक के अंदर से ही राहुल गांधी के नेतृत्व को लेकर बगावत जैसे हालात पैदा हो गए हैं। राहुल गांधी की कथित ब्रिटिश नागरिकता को लेकर जांच पहले से ही चल रही है। इंडिया ब्लॊक की पांच प्रमुख पार्टियों ने गठबंधन की कमान बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सौंपने का समर्थन कर कांग्रेस खासकर, राहुल गांधी के लिए ऐसी मुसीबत खड़ी कर दी है, जिससे पार पाना मुश्किल होगा। ममता बनर्जी और उनकी पार्टी ने राहुल गांधी के खिलाफ खुल्लम-खुल्ला मोर्चा खोल दिया है। दावा यही है कि अब इंडिया गठबंधन का कप्तान बदलने का वक्त आ गया है। राहुल गांधी की कैप्टेंसी में इंडिया गठबंधन के लिए लगातार मजबूत हो रही भाजपा को हराना असंभव होगा।
पांच प्रमुख दलों ने राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर उठाए सवाल
लोकसभा चुनाव में टीम एनडीए का स्कोर कार्ड 293 रहा, जो स्पष्ट बहुमत से कहीं ज्यादा है। एनडीए के कप्तान नरेन्द्र मोदी ने अपनी टीम को शानदार जीत दिलाई। वहीं, टीम इंडिया गठबंधन का स्कोर 235 ही रहा। लगातार तीसरी हार के बाद अब विपक्षी टीम की कैप्टेंसी को लेकर नई जंग छिड़ गई है। टीएमसी की मांग है कि हरियाणा और महाराष्ट्र में कांग्रेस का स्कोर कार्ड ऐसा है कि अब टीम इंडिया का कप्तान बदलना होगा। मतलब टीम इंडिया में कैप्टन की कुर्सी को लेकर अंदरूनी झगड़ा शुरू हो गया है। हरियाणा और महाराष्ट्र में कांग्रेस की बुरी हार के बाद पांच प्रमुख दल राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठा चुके हैं। नवंबर में हरियाणा और दिसंबर में महाराष्ट्र के चुनाव में कांग्रेस की बुरी करारी हार होते ही ममता बनर्जी कैंप से राहुल गांधी के नेतृत्व को चुनौती देने में तनिक भी देरी नहीं की है।
चुनाव हार रहे राहुल गांधी इंडी गठबंधन को आगे कैसे ले जा सकते हैं
टीएमसी के सांसद कीर्ति आजाद ने पिछले सप्ताह ही यह बयान दिया था कि अब इंडिया ब्लॊक की कमान बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सौंप दी जानी चाहिए। क्योंकि राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस खुद बुरी तरह हार का सामना कर रही है। ऐसे में वह इंडिया गठबंधन को आगे लेकर कैसे जा सकती है। अपने सांसद के इस बयान पर पहली प्रतिक्रिया ममता बनर्जी ने ही दी। उन्होंने साफ तौर पर कह दिया कि सभी दल राजी हों तो वे ‘इंडिया’ की कमान संभालने को तैयार हैं। इसके बाद तो ममता बनर्जी को समर्थन की झड़ी सी लग गई। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव, एनसीपी चीफ शरद पवार, शिवसेना (उद्धव) और अब लालू यादव ने भी मांग कर दी कि इंडिया ब्लॊक की कमान ममता बनर्जी को सौंप दी जानी चाहिए।
दो राज्यों में करारी हार के बाद भी कांग्रेस का अहंकार नहीं टूटा
इंडिया गठबंधन में शामिल पार्टियां इसलिए कई कारणों से कांग्रेस और राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठा रही है और ममता का समर्थन कर रही है। इनका कहना है कि कांग्रेस आज सभी दलों को साथ लेकर चलने में सक्षम नहीं। दूसरा दो राज्यों में मिली करारी हार के बाद भी कांग्रेस और राहुल गांधी का अहंकार टूटा नहीं है। इसलिए वह जमीनी वास्तविकता से पूरी तरह अनजान हैं। ममता बनर्जी किसी भी तरह अपना गढ़ बचा पा रही हैं, इसलिए वह इंडिया गठबंधन का नेतृत्व करने में सक्षम हैं। हालांकि, यह अलग बात है कि भाजपा भले ही पश्चिम बंगाल में ना जीत पाई हो, लेकिन पिछले दस साल से देश पर राज कर रही है। ऐसे में सिर्फ एक राज्य की सत्ता संभालने वाली ममता बनर्जी, लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बने नरेन्द्र मोदी को कैसे चुनौती दे सकती हैं?अब गठबंधन के कई घटक दल राहुल को अपना नेता मानने को तैयार नहीं
इंडिया गठबंधन में चल रही उठापटक के बीच कांग्रेस और राहुल गांधी की ओर से चुप्पी साध ली गई है। राहुल गांधी और उनकी पार्टी संसद के सत्र में गौतम अडानी का अपना वही पुराना मुद्दा उठा रहे हैं। इस मुद्दे पर टीएमसी और समाजवादी पार्टी का उसे समर्थन ना मिलने से समझा जा सकता है कि इंडिया के कई प्रमुख घटक दल राहुल गांधी को अपना नेता मानने को तैयार नहीं हैं। इंडिया ब्लॊक के प्रमुख घटक दल राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने भी ममता बनर्जी को इंडिया का नेतृत्व सौंपने की मांग कर एक प्रकार से कांग्रेस का साथ छोड़ दिया है। पटना में पत्रकारों ने जब लालू यादव से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयान के संबंध में पूछा तो उन्होंने कहा, “इंडिया गठबंधन का नेतृत्व ममता बनर्जी को दे देना चाहिए, हम सहमत हैं।” कांग्रेस की आपत्ति से जुड़े सवाल पर लालू ने कहा, “कांग्रेस के आपत्ति जताने से कुछ नहीं होगा। ममता बनर्जी को नेतृत्व दे देना चाहिए।”ममता का नाम आगे करने के बयानों से सियासी पारा चढ़ा
भले ही कहने को कांग्रेस की ओर से इंडिया ब्लॊक की कमान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे संभाल रहे हैं, लेकिन सहयोगी दल मानते हैं कि इंडिया की कमान अप्रत्यक्ष रूप से राहुल गांधी के हाथों में ही है। मल्लिकार्जुन तो कठपुतली मात्र हैं। कांग्रेस की ओर से मुख्य चेहरा राहुल गांधी ही हैं। ऐसे में इंडी गठबंधन के सहयोगी दलों का निशाना सीधे-सीधे राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर ही है। सहयोगी दलों ने एक प्रकार से राहुल गांधी के प्रति बगावत कर उनके प्रति अविश्वास व्यक्त कर दिया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को विपक्षी दलों के गठबंधन का नेतृत्व देने के लेकर कई दलों के बयान के बाद सियासी पारा चढ़ गया है। अब सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष के नेता इस बयानबाजी में शामिल हो गए हैं। इंडी गठबंधन के नेतृत्व पर लालू-शरद-उद्धव आदि नेताओं का साथ मिलने ममता बनर्जी फूली नहीं समा रही हैं। लालू यादव, शरद पवार से लेकर संजय राउत ने भी ममता बनर्जी को प्रमुख भूमिका देने की बात कही है। इस बीच ममता बनर्जी ने इंडिया ब्लॉक के नेतृत्व में बदलाव की चर्चाओं पर अपनी पहली प्रतिक्रिया दी है, उन्होंने इस पद के लिए उनका समर्थन करने वाले विपक्षी नेताओं को धन्यवाद दिया है। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने भी ममता बनर्जी को गठबंधन का नेतृत्व करने के लिए सबसे बेहतर उम्मीदवार बताया।