प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 09 जनवरी 2025 को जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट के शुभारंभ के अवसर पर जीनोम इंडिया डेटा का विमोचन किया। वीडियो संदेश के माध्यम से प्रोजेक्ट का शुभारंभ करते हुए उन्होंने कहा कि आज भारत ने अनुसंधान के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट को 5 वर्ष पहले मंजूरी दी गई थी और हमारे वैज्ञानिकों ने कोविड महामारी की चुनौतियों के बावजूद पूरी लगन से काम किया और प्रोजेक्ट को पूरा किया। उन्होंने कहा कि इस अनुसंधान में आईआईएससी, आईआईटी, सीएसआईआर और डीबीटी-ब्रिक जैसे 20 से अधिक प्रतिष्ठित अनुसंधान संस्थानों ने प्रमुख भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि 10,000 भारतीयों के जीनोम सिक्वेंस से युक्त डेटा अब भारतीय जैविक डेटा केंद्र में उपलब्ध है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट जैव प्रौद्योगिकी क्रांति में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट ने 10 हजार लोगों के जीनोम की सिक्वेंसिंग करके सफलतापूर्वक एक विविध आनुवंशिक संसाधन बनाया है। यह डेटा अब वैज्ञानिकों और अनुसंधानकर्ताओं के लिए उपलब्ध होगा। इससे उन्हें भारत के आनुवंशिक परिदृश्य को समझने में मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि रोगों की प्रकृति बहुत भिन्न होती है, जिससे प्रभावी उपचार निर्धारित करने के लिए जनसंख्या की आनुवंशिक पहचान को समझना जरूरी हो जाता है। उन्होंने कहा कि समस्या अलग-अलग क्षेत्रों में भिन्न हो सकती है और भारतीय आबादी के अद्वितीय जीनोमिक पैटर्न को समझने के लिए एक संपूर्ण आनुवंशिक अध्ययन आवश्यक है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह समझ विशेष समूहों के लिए विशिष्ट समाधान और कारगर दवाइयां विकसित करने में मदद करेगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि इसका दायरा बहुत व्यापक है और सिकल सेल एनीमिया सिर्फ एक उदाहरण है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 21वीं सदी में जैव प्रौद्योगिकी और बायोमास का संयोजन जैव अर्थव्यवस्था के रूप में विकसित भारत के लिए एक महत्वपूर्ण आधार बनाता है। उन्होंने कहा कि जैव अर्थव्यवस्था का लक्ष्य प्राकृतिक संसाधनों का मनोनुकूल इस्तेमाल, जैव-आधारित उत्पादों और सेवाओं को बढ़ावा देकर इस क्षेत्र में नए रोजगार के अवसरों का सृजन करना है। उन्होंने कहा कि जैव अर्थव्यवस्था सतत विकास और नवाचार को गति देती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले एक दशक में भारत की जैव अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ी है, जो वर्ष 2014 में 10 बिलियन डॉलर से बढ़कर आज 150 बिलियन डॉलर से अधिक हो गई है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले एक दशक में, भारत ने सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा में क्रांतिकारी कदम उठाए हैं, लाखों भारतीयों को मुफ्त इलाज उपलब्ध कराया है, जन औषधि केंद्रों के माध्यम से 80 प्रतिशत छूट पर दवाइयां उपलब्ध कराई हैं और आधुनिक चिकित्सा इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत के फार्मा इकोसिस्टम ने कोविड-19 महामारी के दौरान अपनी ताकत साबित की है। उन्होंने कहा कि भारत के भीतर दवा निर्माण के लिए एक मजबूत आपूर्ति और मूल्य श्रृंखला स्थापित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट इन प्रयासों को और भी अधिक तेज करेगी साथ ही ऊर्जा भी प्रदान करेगी।
अपने संदेश में उन्होंने कहा कि 10,000 से अधिक अटल टिंकरिंग लैब छात्रों को प्रतिदिन नए प्रयोग करने में सक्षम बना रही हैं। युवा इनोवेटर्स को सहायता देने के लिए देश भर में सैकड़ों अटल इनक्यूबेशन सेंटर स्थापित किए गए हैं। पीएचडी अध्ययन के दौरान शोध के क्रम में सहायता देने के लिए प्रधानमंत्री रिसर्च फेलोशिप योजना भी लागू की जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने सनराइज प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान और निवेश को बढ़ावा देने के लिए एक लाख करोड़ रुपये का कोष बनाने का भी निर्णय लिया है, जो जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र के विकास में सहायता करेगा और युवा वैज्ञानिकों को सहायता प्रदान करेगा।
वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस पहल से भारतीय छात्रों और अनुसंधानकर्ताओं को प्रतिष्ठित वैश्विक पत्रिकाओं तक आसान और मुफ्त पहुंच सुनिश्चित होगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के जन-हितैषी शासन और डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर ने दुनिया के लिए एक नया मॉडल स्थापित किया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट आनुवंशिक अनुसंधान के क्षेत्र में भारत की छवि को इसी तरह मजबूत करेगी।