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केजरीवाल सरकार को केंद्र सरकार का अल्टीमेटम, 30 जून तक राशन दुकानों पर नहीं लगी ePoS मशीनें तो होगी कार्रवाई

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दिल्ली की केजरीवाल सरकार प्रोपेगैंडा करने और विज्ञापन के जरिए चेहरा चमकाने में नंबर वन है। जमीन पर काम हो या न हो लेकिन विज्ञापनों में काम जरूर दिखता है। जनता को गुमराह करने और दूसरे के काम का क्रेडिट लेने के लिए फोट खींचवाकर ट्वीट करने में केजरीवाल और उनके नेताओं का कोई मुकाबला नहीं है। लेकिन केंद्र सरकार ने अब उनकी नकेल कसनी शुरू कर दी है। केंद्र सरकार ने 17 जून, 2021 को केजरीवाल सरकार को अल्टीमेटम दिया है कि अगर 30 जून तक सभी राशन दुकानों पर ePoS मशीनें नहीं लगी तो कार्रवाई होगी।

दरअसल केंद्र सरकार ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर अपनी राशन की दुकानों पर इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट ऑफ़ सेल (ePoS) उपकरणों को नहीं लगाने और ‘वन नेशन-वन राशन कार्ड’ योजना को लागू करने में विफल रहने पर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। हालांकि केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने कार्रवाई का अल्टिमेटम दिया है, लेकिन क्या कार्रवाई की जाएगी यह नहीं बताया है। 

केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने बीते 3 वर्षों में केजरीवाल सरकार को 12 पत्र लिखे हैं। इनमें कहा गया है, “उचित मूल्य की दुकानों पर ईपीओएस उपकरणों का संचालन नहीं करना GNCTD अधिनियम की धारा-12 का उल्लंघन है। पारदर्शिता और सही लक्ष्यीकरण को बढ़ावा देने के लिए अधिनियम के अनुसार TPDS के तहत सुधार अनिवार्य हैं।”

इसमें आगे कहा गया है, “दिल्ली में खाद्यान्न का वितरण अभी भी पुराने तरीके से ही किया जा रहा है। एनएफएसए का पालन नहीं होने से राष्ट्रीय राजधानी में कई प्रवासी लाभार्थियों को ‘वन नेशन वन राशन कार्ड’ (ONORC) की सुविधा भी नहीं मिल पा रही है।” उचित मूल्य की दुकानों पर ईपीओएस सिस्टम लगाने में देरी की वजह से राशन की दुकानों में पारदर्शिता लाने का इसका मूलभूत उद्देश्य नहीं पूरा हो पा रहा है। यह एनएफएसए एक्ट 2013 का उल्लंघन भी है।

गौरतलब है कि घर-घर राशन पहुंचाने की दिल्ली सरकार की योजना रोकने के आरोप पर केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पलटवार करते हुए अरविंद केजरीवाल से पूछा था कि अगर हकीकत में अपने लोगों की चिंता है तो उन्होंने दिल्ली में केंद्र की ‘एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड’ योजना को लागू क्यों नहीं किया। उन्होंने केजरीवाल सरकार पर ‘राशन माफिया’ के नियंत्रण में होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा था कि लोगों के घरों तक सब्सिडी वाला राशन पहुंचाने का प्रस्ताव एक प्रचार स्टंट से ज्यादा कुछ नहीं है। बता दें कि दिल्ली को एनएफएसए के तहत लाभार्थियों को बांटने के लिए हर महीने 36,000 टन चावल और गेहूं मिलता है।

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