भारत और कनाडा के बीच राजनयिक विवाद के बीच कनाडा खालिस्तान पर चर्चा से भाग खड़ा हुआ है। जी20 संसदीय अध्यक्ष शिखर सम्मेलन यानि पी20 की शुरुआत नई दिल्ली के यशोभूमि कनवेंशन सेंटर में हुई। कनाडा की सीनेट की स्पीकर रेमोंडे गैग्ने ने पूर्व में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला की अध्यक्षता में पी20 सम्मेलन में भाग लेने की पुष्टि की थी। इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष बिड़ला ने कहा था कि वह कनाडा की सीनेट की स्पीकर के साथ अपनी अनौपचारिक बातचीत में ‘‘कई मुद्दे’’ उठाएंगे। इसके बाद कनाडा को समझ में आ गया कि भारत खालिस्तान मुद्दे को छोड़ने वाला नहीं है। इस मुद्दे पर पहले ही कनाडा की बहुत छीछालेदर हो चुकी है। अब और तमाशा न बने इसीलिए उसने पी20 सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया। दरअसल एक समय था जब देश में कांग्रेस की सरकारें होती थी तब कनाडा सहित पश्चिमी देश भारत की हैसियत को कम करके आंकते थे। लेकिन आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में नया भारत है जो हर किसी से आंखों में आंख डालकर बात करता है। यही वजह है कि कनाडा ने इसमें हिस्सा नहीं लिया जिससे और बेइज्जती न हो।
खालिस्तान पर चर्चा से भागा कनाडा, पी20 में नहीं लिया हिस्सा
जी20 देशों की संसदों के पीठासीन अधिकारियों का शिखर सम्मेलन 12 अक्टूबर 2023 को शुरू हुआ और 13 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका उद्घाटन किया। पी20 शिखर सम्मेलन में कनाडा का प्रतिनिधित्व सीनेट की अध्यक्ष रेमोंडे गैग्ने करने वाली थी। कनाडा की ओर से इसकी पुष्टि भी की गई थी कि रेमोंडे गैग्ने हिस्सा लेंगी। लेकिन आखिरी समय में उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया। ऐसे में माना जा रहा है कि खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद हुई कनाडाई पीएम ट्रूडो की बयानबाजी के बाद भारत से रिश्तों में आई खटास के बाद इस मसले पर चर्चा करने से बचने के लिए कनाडा ने सम्मेलन में शामिल नहीं होने का फैसला किया है। इस फैसले के पीछे लोकसभा अध्यक्ष बिड़ला का वह बयान भी हो सकता है जिसमें उन्होंने कहा था कि वह कनाडा की सीनेट की स्पीकर के साथ अपनी अनौपचारिक बातचीत में ‘‘कई मुद्दे’’ उठाएंगे। जस्टिन ट्रूडो के बयान के बाद भारत ने कनाडा के खिलाफ एक के बाद एक कई एक्शन लिए हैं। इसी के तहत भारत ने कनाडा के 41 राजनयिकों को 10 अक्टूबर तक देश छोड़ने को कहा था।
जून 2023 में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारतीय एजेंटों का हाथ होने का आरोप लगा दिया था। लेकिन उन्होंने इसे लेकर कोई सबूत पेश नहीं किया। इसके बाद ही भारत और कनाडा के संबंधों में खटास आई है। भारत ने इस आरोप को ‘‘बेतुका’’ बताते हुए खारिज कर दिया था। आज अगर भारत में कांग्रेस की सरकार होती तो कनाडा सहित पश्चिमी देश भारत को झुकने को मजबूर कर चुका होता और कनाडा पी20 सम्मेलन में भाग ले रहा होता। कांग्रेस पार्टी ने 60 साल के अपने शासनकाल में देश में नकारात्मकता, हीनभावना भरने का काम किया और वह खुद मुस्लिम तुष्टिकरण में लगी रही। लेकिन 2014 में देश को एक ऐसा नेता मिला जिसके नेतृत्व में देश नकारात्मकता, हीनभावना को पीछे छोड़कर समृद्धि की ओर अग्रसर है। वह दुनिया के ताकतवर देश के साथ भी आंख में आंख मिलाकर बात करता है। यही वजह है कि आज कनाडा को झुकना पड़ा है और न केवल झुकना पड़ा है बल्कि वह बातचीत से भाग रहा है।
Raymonde Gagné, speaker of the Senate of Canada, has agreed to participate in the two-day summit to be held in New Delhi starting Oct. 13, said Om Birla, speaker of the lower house of India’s parliament. The summit aims to forge parliamentary cooperation among G-20 nations. pic.twitter.com/HTbKlxAeJQ
— radha (@rebelexposed) October 8, 2023
पी20 में 350 से अधिक प्रतिनिधि ले रहे हैं हिस्सा
पी20 के तीन दिवसीय शिखर सम्मेलन में 350 से अधिक प्रतिनिधियों के भाग लेने की उम्मीद है जिसमें 50 संसद सदस्य, 14 महासचिव, 26 उपाध्यक्ष, अंतर्राष्ट्रीय संसदीय संघ के अध्यक्ष और पैन-अफ्रीकी संसद के अध्यक्ष की भागीदारी होगी। 9वें पी20 का मुख्य विषय ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य के लिए संसद’ प्रस्तावित है। पी20 प्रतिनिधियों को नए संसद भवन के दौरे पर भी ले जाया जाएगा, जिसके बाद एक सांस्कृतिक शाम और स्पीकर द्वारा रात्रिभोज का आयोजन किया जाएगा।
ये नया भारत है! कनाडा के लिए भारत में नो-एंट्री
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने बिना सबूत भारत पर आरोप लगाकर भारी पंगा मोल ले लिया। मोदी सरकार के सख्त रुख के बाद ट्रूडो की अक्ल 12 घंटे में ही ठिकाने आ गई और उन्हें बयान देना पड़ा कि हम भारत को उकसाना नहीं चाहते हैं। सनातन गौरव के रथ पर सवार यह नया भारत है। मोदी सरकार एक्शन मोड में आ गई और एक के बाद एक ताबड़तोड़ एक्शन लिए गए। भारत ने कनाडा के नागरिकों की नो एंट्री करते हुए वीजा पर रोक लगा दी। राष्ट्रीय जांच एजेंसी NIA ने कनाडा से जुड़े खालिस्तानी आतंकी और गैंगस्टरों की लिस्ट की जारी कर दी। पंजाब पुलिस ने 21 सितंबर को सुबह से खालिस्तानी आतंकवादियों या इनसे जुड़ों लोगों के खिलाफ बड़ा अभियान शुरू किया। पंजाब के सभी जिलों में ताबड़तोड़ छापेमारी की गई। खालिस्तानी आतंकवादियों की संपत्ति जब्त की गई। इसके बाद भारत ने कनाडा के 41 राजनयिकों को 10 अक्टूबर तक देश छोड़ने को कह दिया।
आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बना कनाडा
कनाडा पर एक के बाद एक एक्शन लेने के बाद भारत ने एक और प्रहार किया। भारत ने 21 सितंबर को कहा कि कनाडा आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बन गया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, “मुझे लगता है कि चरमपंथियों और संगठित अपराध के लिए आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह के रूप में कनाडा की प्रतिष्ठा बढ़ रही है। मुझे लगता है कि यही वह देश है जिसे अपनी अंतरराष्ट्रीय मान-सम्मान के बारे में चिंता करने की ज़रूरत है।”
#WATCH | हम निश्चित रूप से कानून के शासन का पालन करते हैं। हम उन भगोड़ों का विवरण साझा कर रहे हैं जो भाग गए हैं और भारत वापस आने और न्याय का सामना करने के लिए कनाडा और अन्य जगहों पर सुरक्षित आश्रय की तलाश कर रहे हैं: विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची @MEAIndia #India… pic.twitter.com/tLqm1OYGz4
— डीडी न्यूज़ (@DDNewsHindi) September 21, 2023
भारत की कूटनीति से FATF के शिकंजे में फंसेगा कनाडा
कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो के मुताबिक, हरदीप सिंह निज्जर एक कनाडाई नागरिक था। निज्जर भारत का मोस्ट वांटेड खालिस्तानी आतंकी था। इसी तरह अभी भी भारत के कई वांटेड खालिस्तानी आतंकी कनाडा की धरती से संचालित हो रहे हैं। अब इसे कूटनीति के जरिये भारत कनाडा को FATF तक ले जाना चाहता है और जिस तरह पाकिस्तान को बाकी दुनिया से अलग-थलग कर दिया उसी तरह कनाडा को भी करना चाहता था।
हरदीप सिंह निज्जर पर था 10 लाख रुपये का इनाम
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने खालिस्तान टाइगर फोर्स के प्रमुख हरदीप सिंह निज्जर, एक कनाडाई नागरिक, जिसे 18 जून को ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में गोली मार दी गई थी, को पकड़ने के लिए सूचना देने के लिए 10 लाख रुपये के इनाम की घोषणा की थी। खालिस्तान समर्थक गतिविधियों में शामिल होने के कारण उसे पहले भारत सरकार की तरफ से आतंकवादी के रूप में नामित किया गया था।
खालिस्तानी आतंकियों की पनाहगाह बनता जा रहा है कनाडा
कनाडा दरअसल, खालिस्तानियों आतंकियों का गढ़ बनता जा रहा है। गुरपतवंत सिंह पन्नू से लेकर पंजाबी सिंगर सिद्ध मूसेवाला की हत्या का आरोपी गोल्डी बराड़ तक फिलहाल कनाडा में ही पनाह लिए हैं। खासकर गुरपतवंत सिंह पन्नू पिछले दिनों खालिस्तानी गतिविधियों को लेकर खासा चर्चा में रहा है। इसके अलावा गोल्डी बराड़, लखबीर सिंह उर्फ लांडा, चरणजीत सिंह उर्फ रिंकू रंधावा, अर्शदीप सिंह गिल उर्फ अर्श डल्ला, रमनदीप सिंह उर्फ रमन जज, गुरपिंदर सिंह उर्फ बाबा डल्ला और सुखदुल सिंह उर्फ सुखा भी कनाडा में है। कनाडा के राजनेताओं में खालिस्तानियों के प्रति नरम रुख चिंताजनक रूप से बढ़ रहा है। मौजूदा कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो के पिता पियरे टूडो साल 1984 में कनाडा के पीएम थे और उस वक्त भी उन पर खालिस्तानियों को समर्थन देने का आरोप लगा था और दोनों देशों के संबंध बिगड़े थे।
कनाडा बन गया भारत के मोस्ट वॉन्टेड आतंकियों का ‘दूसरा पाकिस्तान’
मई 2022 में लोकप्रिय पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की नृशंस हत्या के बाद दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल सहित सुरक्षा एजेंसियों ने भारत में तमाम अपराधों में कनाडा के खालिस्तानी आतंकवादियों के शामिल होने को लेकर गंभीर चिंता जताई थी। उस वक्त यह भी कहा गया था कि कनाडा भारत के मोस्ट वॉन्टेड आतंकियों का ‘दूसरा पाकिस्तान’ बनता जा रहा है। मूसेवाला की हत्या के अलावा, 2022 में मोहाली में पंजाब पुलिस के खुफिया मुख्यालय पर दुस्साहसी आरपीजी हमले में कनाडा स्थित पंजाबी गैंगस्टरों का हाथ होने आशंका जताई गई थी। 2018 में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की अमृतसर यात्रा के दौरान पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कथित तौर पर इस बात पर चिंता जताई थी कि कैसे कनाडाई धरती का भारत के हितों के खिलाफ उपयोग किया जा रहा है। हालांकि, इन चिंताओं के जवाब में कनाडाई सरकार की तरफ से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
भारत ने कनाडा को सौंपे हैं कई दस्तावेज, अब तक कार्रवाई नहीं
भारत ने अलगाववादी संगठनों और आतंकवादी समूहों से जुड़े व्यक्तियों के निर्वासन की तत्काल मांग करते हुए कनाडाई अधिकारियों को कई दस्तावेज सौंपे हैं। अफसोस की बात है कि इन निर्वासन अनुरोधों पर ध्यान नहीं दिया गया और कनाडा आतंकी गतिविधियों से जुड़े कम से कम नौ अलगाववादी संगठनों का अड्डा बन गया है। इन पर पाकिस्तान की आईएसआई के साथ साजिश रचने का आरोप भी है।
भारत के सख्त रुख के बाद कनाडा की प्राइवेट बातचीत की गुहार
भारत के ताबड़तोड़ एक्शन के बाद कनाडा दिमाग ठिकाने लग गया। भारत के सख्त रुख के बाद कनाडा के तेवर ढीले पड़ने लगे। कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने कहा कि उनका देश खालिस्तान आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या पर “राजनयिक विवाद को सुलझाने के लिए भारत के साथ प्राइवेट बातचीत” चाहता है। कुछ मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि सितंबर 2023 में कनाडाई विदेश मंत्री मेलानी जॉली ने वॉशिंगटन में अपने भारतीय समकक्ष एस जयशंकर के साथ एक गोपनीय बैठक की थी। इसमें भारत का सख्त रुख ही रहा होगा। इसलिए भी हो सकता है कि कनाडा पी20 में हिस्सा लेने नहीं आया।
कनाडा के लोग जस्टिन ट्रूडो को कह रहे गद्दार
जी-20 सम्मेलन के दौरान जस्टिन ट्रूडो को कोई भाव नहीं मिला। करीब-करीब सभी विश्व नेताओं ने उनकी अनदेखी ही की। उसके बाद स्वदेश में भी जमकर किरकिरी हुई। कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो के सामने ही उनकी घोर बेइज्जती हुई। लोग ”फक ट्रूडो” बैनर लिए हुए थे और कनाडाई लोग “गद्दार” कह रहे थे। भीड़ में मौजूद लड़का सीधे उसके चेहरे पर उसे “Piece of SHIТ” यानि कचरा कह रहा था।
Canadians screaming “Traitor” at Canadian PM Justin Trudeau & Holding F*ck Trudeau signs. Guy in Crowd calls him a “Piece of SHIТ” Right on his face 👏 #JustinTrudeau #Canada#CanadianPappu pic.twitter.com/nk8DFbxi5r
— Rosy (@rose_k01) September 21, 2023
जस्टिन ट्रूडो दोहरा रहे अपने पिता की गलती
विश्व की ताकतों के इशारे पर खालिस्तानी आतंकवादी लंबे समय से कनाडा की भूमि का इस्तेमाल करते रहे हैं। भारतीय मूल के कनाडाई के वोट की लालच में जस्टिन ट्रूडो अपने पिता की ही तरह से खालिस्तानियों के प्रदर्शन को फ्रीडम ऑफ स्पीच करार देते हैं। इतना ही नहीं भारत से कनाडा जाने वाले खालिस्तानियों को तत्काल वहां की नागरिकता मिल जाती है, वहां ठहरने की व्यवस्था हो जाती है। इसे देखने से पता चलता है कि जस्टिन ट्रूडो खालिस्तानी आतंकवादियों के साथ खड़े हैं। खालिस्तान मुद्दे पर भारत के खिलाफ आवाज उठाने वाले जस्टिन ट्रूडो अकेले पीएम नहीं हैं। उनसे पहले उनके पिता पियर ट्रूडो भी ऐसा कर चुके हैं।
40 साल पहले जस्टिन ट्रूडो के पिता ने की थी गलती
करीब 40 साल पहले जस्टिन ट्रूडो के पिता सीनियर ट्रूडो ने भी अपने कार्यकाल के दौरान भारत की मांग न मानकर बहुत बड़ी गलती की थी। भारत आज खालिस्तानी आतंकवादी पन्नू और उसके गुर्गों को भारत को सौंपने की मांग कर रहा है, ठीक वैसी ही मांग भारत ने 1982 में कनाडा से की थी। अपनी मांग में भारत ने तब खालिस्तानी आतंकवादी तलविंदर परमार के प्रत्यर्पण की गुजारिश की थी। लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के पिता पियरे ट्रूडो ने बहाना बनाते हुए तलविंदर का प्रत्यर्पण करने से इनकार कर दिया था। जबकि तलविंदर सिंह परमार भारत में एक वांटेड आतंकवादी था। उस दौर में कनाडा की पियरे ट्रूडो सरकार ने तलविंदर परमार को प्रत्यर्पित करने के भारतीय अनुरोध को इस आधार पर अस्वीकार कर दिया था कि राष्ट्रमंडल देशों के बीच प्रत्यर्पण प्रोटोकॉल लागू नहीं होंगे।
खालिस्तानी आतंकवादी ने किया था कनिष्क विमान विस्फोट, 329 लोग मारे गए
भारत ने 1982 में कनाडा से तलविंदर सिंह परमार के प्रत्यर्पण की मांग की थी। कनाडा ने जिस आतंकी तलविंदर सिंह का प्रत्यर्पण करने से इनकार किया था। उसी ने 1985 में एयर इंडिया के कनिष्क विमान को टाइम बम से उड़ा दिया था। 23 जून, 1985 को एयर इंडिया के बोइंग विमान कनिष्क में आसमान में विस्फोट हो गया था, इस घटना में क्रू मैंबरों सहित सभी 329 लोगों की मौत हो गई थी। इस विमान में 268 कनाडा, 27 इंगलैंड, 10 अमरीका और 2 भारत के नागरिक थे, साथ ही जहाज की क्रू में शामिल सभी 22 भारतीय भी मारे गए थे। कनाडा की सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश और उसके बाद की सार्वजनिक जांच से पता चला था कि बम विस्फोट खालिस्तानी संगठन बब्बर खालसा द्वारा किए गए थे।
40 साल में कनाडा में खूब फले फूले खालिस्तानी
जस्टिन ट्रूडो के पिता के समर्थन से बीते 40 सालों में कनाडा में खालिस्तानी खूब फले-फूले हैं। कनाडा ने खालिस्तान को खुलेआम कानूनी और राजनीतिक रूप से ऐसा अनुकूल माहौल प्रदान किया है कि खालिस्तानी आज वहां बड़ा वोट बैंक और पावरफुल लॉबी बन गए हैं। यही वजह है कि कई दशकों से खालिस्तानियों को लेकर कनाडा का नर्म रुख हमेशा से भारतीय नेताओं के निशाने पर रहा है।
कनाडा पर कार्रवाई कर भारत ने दूसरे देशों को भी दिया सख्त संदेश
भारत ने अपनी इस कार्रवाई से कनाडा के साथ ही दुनिया को संदेश दिया है कि सिर्फ आरोप लगाने से भारत दबाव में आने वाला नहीं है। जो भी भारत पर आरोप लगाएगा उसे भारत की तरफ से पलटवार के लिए तैयार रहना होगा। भारत ने बार-बार कहा है कि अगर कनाडा के पास कोई सबूत है तो वो साझा करें। बिना सबूतों के बात नहीं हो सकती है। कनाडा-भारत विवाद शुरू होने पर अमेरिका भी सावधानी से कदम आगे बढ़ा रहा था। अमेरिका ने ट्रूडो के बयान को नकारते हुए कहा था कि जांच पूरा होने तक आरोप लगाना सही नहीं। लेकिन अब कनाडा से करीबी दिखाते हुए अमेरिका ने भारत से कहा है कि वह कनाडा के साथ निज्जर हत्याकांड की जांच में सहयोग करें। इसको देखते हुए भारत ने भी सख्त संदेश दे दिया है कि वह किसी भी कीमत पर किसी के दबाव में आने वाला नहीं है।
कनाडा के चक्कर में भारत के साथ अमेरिका के रिश्ते हो सकते खराब
सुरक्षा और विदेश नीति को कवर करने वाली अमेरिका की न्यूज वेबसाइट Politico ने एक खबर प्रकाशित की है- Why Biden’s mum on the India-Canada spat (भारत-कनाडा विवाद पर बाइडन क्यों चुप हैं?)। पोलिटिको की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने बाइडन प्रशासन को चेतावनी दी है कि कनाडा के चक्कर में भारत के साथ अमेरिका के रिश्ते रसातल में जा सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस चेतावनी के बाद अब अमेरिका सतर्क हो गया है। वहीं विदेश मंत्रालय ने गार्सेटी के इस बयान पर चुप्पी साध ली है।
“U.S. Ambassador to India Eric garcetti has told his in-country team that, because of the diplomatic spat with Canada, relations between India and the U.S. could get worse for a time”. State department keeps mum. Politico Report:https://t.co/kPU9WrzeL6
— Sidhant Sibal (@sidhant) October 5, 2023
पीएम मोदी की कूटनीति से अमेरिका बैकफुट पर
आज पीएम मोदी की कूटनीति से दुनिया जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा मानती है। पीएम मोदी की कूटनीति से पाकिस्तान दुनिया भर में अलग-थलग पड़ गया। यहां तक पाकिस्तान के प्रति चीन के रुख में भी बदलाव आया है। कनाडा से रिश्तों में तनाव के बीच भारत के ताबड़तोड़ एक्शन के बाद अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने बाइडन प्रशासन को भारत से रिश्ते खराब होने के प्रति आगाह किया उससे साफ है पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत का कद किस तरह बढ़ रहा है। यह पीएम मोदी की कूटनीति ही है कि आज अमेरिका जैसा ताकतवर देश भारत के सामने बैकफुट पर है और अपने नाटो गठबंधन के देश कनाडा का पक्ष नहीं ले पा रहा है
भारत और कनाडा के बीच रिश्ते बिगड़ने से व्यापारिक रूप से कनाडा को ही नुकसान होने वाला है। इस पर एक नजर-
बिगड़े रिश्ते से कनाडा को होगा भारी नुकसान
दोनों देशों के बीच तल्खी बढ़ गई और अब व्यापार भी प्रभावित होने के आसार बढ़ गए हैं। भारत और कनाडा के बीच करीब 9 अरब डॉलर का व्यापार होता है। साल 2022-23 में भारत ने कनाडा को 4.10 अरब डॉलर का सामान एक्सपोर्ट किया था। इससे पहले 2021-22 में 3.76 अरब डॉलर की चीजें एक्सपोर्ट की थीं। दूसरी ओर, कनाडा ने भारत को 2022-23 में 4.05 अरब डॉलर का सामान एक्सपोर्ट किया था। वहीं, 2021-22 में 3.13 अरब डॉलर की चीजें एक्सपोर्ट हुई थीं। भारत कनाडा से मूल रूप से दाल, कृषि के समान, लकड़ी, पेपर और खनन उत्पाद आयात करता है, लेकिन भारत के पास इसके लिए दूसरे विकल्प भी खुले हैं। वहीं रिश्ते बिगड़ने और व्यापार बंद होने से कनाडा को भारी नुकसान उठाना होगा। भारत के करीब ढाई लाख छात्र कनाडा में पढ़ते हैं जिनसे कनाडा को सालाना करीब 10 अरब डॉलर की कमाई होती है। कई छात्र पढ़ाई के बाद कनाडा की कंपनियों में काम करते हैं, इससे कनाडा को भारत के युवा टैलेंट मिलते हैं। इसके अलावा कनाडा की करीब 600 कंपनियां भारत में हैं, इनके व्यापार पर भी असर पड़ सकता है।
भारत दालों के अलावा कई तरह के तेल का आयात कनाडा से करता है। ऐसे में अगर कनाडा से व्यापारिक संबंध बिगड़ते हैं तो कनाडा को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा क्योंकि उसे एक बड़े बाजार से हाथ धोना पड़ेगा। भारत, कनाडा के लिए बहुत बड़ा उपभोक्ता है जहां से पाम ऑयल, सोयाबीन ऑयल, सूरजमुखी तेल, बादाम आदि मंगाता है। भारत कृषि-खाद्य आयात, सूखी और छिलके वाली दाल के आयात में कनाडा का नौवां सबसे बड़ा साझीदार है। रिश्ते अगर बिगड़ते हैं तो कनाडा को यह भी सोचना पड़ेगा कि दाल अन्य उत्पाद किन देशों को बेचेगा।
मसूर दाल की खरीद भी पड़ सकती है खटाई में
भारत कृषि उपजों से जुड़े आयात में कनाडा का नौवां सबसे बड़ा पार्टनर है। इसमें सबसे अधिक मात्रा में मसूर का आयात होता है, उसके बाद ड्राई फ्रूट का स्थान है। ऐसे में इन उपजों का आयात रुकने से कनाडा को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। भारत ने अभी हाल में कनाडा से मसूर दाल खरीदने की योजना बनाई थी क्योंकि यहां दालों की पैदावार घटी है। ऐसे में मसूर दाल की खरीद भी खटाई में पड़ सकती है।
2022 में भारत ने कनाडा से सबसे ज्यादा कच्चा तेल और इससे जुड़े उत्पाद खरीदे हैं। इस दौरान भारत ने कनाडा से करीब 10 हजार करोड़ रुपये कीमत का तेल खरीदा। इसके बाद दूसरे सामानों की बात करें तो भारत ने कनाडा से सबसे ज्यादा फर्टिलाइजर, वुड पल्प और प्लांट फाइबर की खरीदारी की। भारत कनाडा से न्यूजप्रिंट, कोयला, फर्टिलाइजर, दालें, पोटाश, लकड़ी, माइनिंग प्रोडक्ट और एल्युमीनियम जैसे सामान इंपोर्ट करता है। भारत कनाडा से सबसे ज्यादा दाल की खरीदारी करता है। रिश्ते बिगड़ने पर इस खरीद पर असर पड़ेगा।
कनाडा से पाम तेल खरीद पर रोक लगा सकता है भारत
2021 में कनाडा ने भारत के आयातित सूखे और छिलके वाली दाल का 77.4 परसेंट की सप्लाई की। 2021 में भारत ने 28.6 अरब अमेरिकी डॉलर के प्रोसेस्ड फूड और पेय पदार्थों का आयात किया। भारत से प्रोसेडस्ड खाद्य पदार्थों का आयात ज्यादातर अलग-अग तेलों के रूप में होता है, जैसे सूरजमुखी तेल और पाम तेल। ऐसे में भारत अगर इन चीजों के आयात पर रोक लगाता है तो कनाडा को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
कनाडा भारत को दालें, न्यूजप्रिंट, वुड पल्प, एस्बेस्टस, पोटाश, आयरन स्क्रैप, खनिज और इंडस्ट्रियल केमिकल बेचता है। दोनों देशों के बीच व्यापार लगभग बराबर है. हालांकि, दलहन को लेकर कनाडा के लिए भारत एक बड़ा बाजार है। जानकारों की मानें तो भारत इन सामानों को दूसरे मित्र राष्ट्रों के भी इंपोर्ट कर सकता है। इन सब सामान के लिए भारत को कनाडा की खास जरुरत नहीं है।
भारतीय छात्रों से ही करीब 10 अरब डॉलर की कमाई
कैनेडियन ब्यूरो फॉर इंटरनेशनल एजुकेशन के अनुसार, भारतीय छात्रों ने 2021 में कनाडाई अर्थव्यवस्था में 4.9 अरब डॉलर का योगदान दिया। यानि करीब 5 अरब डॉलर का योगदान दिया। यह आंकड़ा भी वीजा फी, कॉलेज फीस आदि का ही है। स्टूडेंट जो कनाडा में रहकर पढ़ाई करते हैं तो वहां रहने-खाने से लेकर कपड़े आदि अन्य खर्च भी होते हैं। इस तरह कनाडा को केवल भारतीय छात्रों से ही करीब 10 अरब डॉलर की कमाई होती है। जबकि यह आंकड़ा 2021 का है तब से छात्रों की संख्या काफी बढ़ी है इस तरह कनाडा की कमाई भी बढ़ चुकी होगी। भारतीय छात्र कनाडा में सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय छात्र समूह हैं, जो 2021 में सभी अंतरराष्ट्रीय छात्रों का 20 प्रतिशत थे। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के अनुसार, 319,000 से अधिक भारतीय छात्र कनाडाई संस्थानों में नामांकित हैं, जो उन्हें कनाडा में सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय छात्र समूह बनाता है।
वर्ष 2021 में कनाडाई पर्यटकों ने भारत में 93 मिलियन डॉलर (लगभग 771 करोड़ रुपए) खर्च किए, जबकि इसी दौरान कनाडा पहुंचे भारतीयों ने 3.4 बिलियन डॉलर (28,175 करोड़ रुपए) खर्च किए। यह रकम किसी भी पर्यटक समूह का सर्वाधिक रकम है। पर्यटन मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021 में 80,437 कनाडाई नागरिक भारत आए। भारत में आने वाले पर्यटकों की संख्या में कनाडा चौथे स्थान पर है। इनमें से अधिकांश ऐसे थे, जो कि भारत में अपने रिश्तेदारों या दोस्तों से मिलने आए। कनाडा से भारत आने वाले पर्यटकों की संख्या में बड़ा हिस्सा भारतीय मूल के लोगों का है, जिन्हें अप्रवासी भारतीय (NRI) कहा जाता है।
कनाडा के पेंशन फंड का भारत में 55 अरब डॉलर का निवेश
भारत आज उभरती हुई अर्थव्यवस्ता है और यहां विकास दर दुनिया में सबसे ज्यादा है। कनाडा में चूंकि इंटरेस्ट रेट कम है इसीलिए कनाडा के पेंशन फंड ने भारत में करीबन 55 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश कर रखा है। अकेले ओंटारियो टीचर्स पेंशन फंड ने 3 बिलियन डॉलर का निवेश किया है। ये पैसे हाईवेज इंफ्रा ट्रस्ट, महिंद्रा सस्टेन और सहयाद्री हॉस्पिटल्स जैसे ग्रुप में लगाए गए हैं।
भारत में कम से कम 600 कनाडाई कंपनियां
भारत में फिलहाल कम से कम 600 कनाडाई कंपनियां काम कर रही हैं, जबकि 1000 और कंपनियां भारत में पैर पसारने के लिए लाइन में हैं। वहीं भारतीय आईटी कंपनियों का कनाडा में बड़ा कारोबार है। इसके अलावा सॉफ्टवेयर, नेचुरल रिसोर्सेज और बैंकिंग सेक्टर में भारतीय कंपनियां सक्रिय हैं।
भारत में कुल FDI का 0.56 प्रतिशत कनाडा से
भारत में कुल FDI का 0.56 प्रतिशत कनाडा से आता है जो कि बहुत मामूली है। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) के अनुसार, अप्रैल 2000 से जून 2023 के बीच भारत में कुल FDI फ्लो 645,386.0884 मिलियन डॉलर था। इसमें से 0.5644 प्रतिशत यानी 3,642.5243 मिलियन डॉलर कनाडा से आया था।
भारतीय मूल के 3 फीसदी लोग कनाडा में
कनाडा और भारत के रिश्ते पुराने हैं। कनाडा, उन देशों में से एक है जहां काफी भारतीय रहते हैं। कनाडा की कुल आबादी में लगभग तीन फीसदी हिस्सा भारतीय मूल के लोगों का है। कनाडा में भारतीय मूल के तकरीबन 16 लाख से अधिक लोग हैं, जिसमें 7 लाख के आसपास एनआरआई हैं। वहीं कनाडा की साल 2021 की जनगणना पर नजर डालें, तो वहां 770,000 के आसपास सिख हैं। साल 2015 में जब जस्टिन ट्रूडो प्रधानमंत्री बने तो उनकी कैबिनेट में 3 सिखों को जगह मिली थी। अब ट्रूडो द्वारा खालिस्तानी आतंकवादी निज्जर की मौत में भारतीय एजेंसियों पर आरोप लगाए जाने के बाद दोनों देशों के रिश्ते तनावपूर्ण हो गए हैं।