महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं की हत्या के बाद मीडिया के कुछ लिबरल-सेकुलर पक्षकार कांग्रेस-एनसीपी समर्थित उद्धव ठाकरे सरकार की बचाव में आगे आ गए हैं। साधुओं की हत्या को चोरी और लूटपाट की सामान्य घटना बता फेक नैरेटिव गढ़ने की कोशिश हो रही है। कुछ कथित पक्षकार पूरे मामले की लीपापोती करने में लगे हुए हैं। महाराष्ट्र पुलिस दो साधुओं को एक खास समुदाय के भीड़ के हवाले कर देती है। पुलिस के सामने भीड़ वृद्ध साधुओं को पीट-पीटकर मार डालती है, लेकिन ये जानकर कि पालघर के इस आदिवासी बहुल इलाके में साधुओं पर हमला करने वाले खास समुदाय के थे, कांग्रेस और एनसीपी के समर्थन से चलने वाली उद्धव सरकार से कोई सवाल नहीं पूछा जाता है। तबरेज अंसारी की चोरी के कारण मॉब लिंचिंग में हिंदू एंगेल देखने वाले पक्षकार कह रहे हैं कि पालघर की घटना में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर किसके इशारे पर काम करते हैं ये पक्षकार…
मुस्लिम के नाम पर हो- हल्ला मचा देने वाले लिबरल गैंग के महानुभाव लोग पालघर पर मौन धारण किए हुए हैं। ये वही लोग हैं जो हिंदुओं की हत्या करने वालों के खिलाफ कुछ नहीं कहता। ये वही जमात है जो साधुओं की हत्या पर खामोश रहता है। ये वही कुनबा है जो असम, बंगाल में हिंदू महिलाओं पर हो रहे अत्याचार-बलात्कार पर कुछ नहीं बोलता। ये वही लोग हैं जिन्होंने कश्मीर में हजारों हिंदू महिलाओं की अस्मत तार-तार करने वालों पर कभी कुछ नहीं कहता। ये सिलेक्टिव हैं और अपनी सहूलियत के हिसाब से ही मुद्दे उठाते हैं और उसे भुनाते हैं। इन पक्षकारों का नैरेटिव हिंदू और मुस्लिम पर किस तरह से बदल जाता है खुद देख लीजिए…