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पालघर मॉब लिंचिंग पर चुप हैं ‘तथाकथित सेक्युलर’, संतों की हत्या के पीछे साजिश की आशंका?

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महाराष्ट्र के पालघर में दो संतों की हत्या बेहद शर्मनाक है। इस घटना की जितनी निंदा की जाए वो कम है। सवाल ये है कि महाराष्ट्र पुलिस की मौजूदगी में कैसे संतों की हत्या कर दी गई। जूना अखाड़े के दो साधुओं समेत तीन लोगों की पीट-पीटकर हत्या के मामले में 110 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार सभी लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया है।

लॉकडाउन में भीड़ कैसे इकट्ठा हुई ?

पूरे मामले पर सोशल मीडिया में कई सवाल पूछे जा रहे हैं कि आखिर लॉकडाउन में 300 लोगों की भीड़ कैसे इकट्ठा हुई ? पुलिस संतों के बचाने के बजाय क्यों भाग रही थी? पुलिस ने संतों को बचाने के लिए हवाई फायरिंग क्यों नहीं की? ये भी कहा जा रहा है कि आदिवासी कभी भी संत पर हमला नहीं करते हैं। सवाल ये भी है कि दोनों संतों को बचाने की किसी ने बीच बचाव करने की कोशिश क्यों नहीं की ?

 

महाराष्ट्र पुलिस की संदिग्ध भूमिका के अलावा इस पूरे मामले पर तथाकथित लिबरल और सेक्युलर लोगों की कोई प्रतिक्रिया न आना भी चौंकाने वाला है। मॉब लिंचिंग को लेकर जो तथाकथित सेक्युलर लोग जमीन आसमां एक देते हैं, वहीं लोग आज महाराष्ट्र पुलिस की मौजूदगी में दो संतों की हत्या पर चुप हैं। संतों की हत्या पर लिबरल और सेक्युलर लोगों के साथ साथ मीडिया की भी पोल खुल गई है। 

पूर्व में हुई मॉब लिचिंग की घटना पर जहां तथाकथित सेक्युलर लोगों ने जमीन आसमां एक दिया और संतों की हत्या पर चुप्पी साध कर बैठ गए हैं। इस दर्दनाक हादसे पर राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी, ओवैसी किसी भी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई, जबकि तबरेज अंसारी समेत दूसरी घटनाओं पर इन लोगों ने जमकर प्रतिक्रिया दीं।

इसके अलावा तथाकथित सेक्युलरों पत्रकारों ने भी इस पर चुप्पी साध ली है।  संतों की हत्या पर इनलोगों की तरफ से प्रतिक्रिया नहीं आई है। तबरेज मामले को लेकर ट्वीट करने वाले आखिर संतों की मॉब लिंचिंग पर चुप क्यों हैं। देखिए सेक्युलर लोगों की तबरेज अंसारी घटना पर ट्वीट्स…  

साभार- सोशल मीडिया

पालघर में दो संतों की हत्या पर मीडिया हाउस के दोहरे चरित्र की भी पोल खुल गई है। आइए,हम बताते हैं कि कैसे पालघर की घटना और दूसरे मॉब लीचिंग की घटना को लेकर मीडिया की क्या भूमिका रही है। एक तरफ जहां मुस्लिम समुदाय का नाम खुलकर लिखा गया जबकि पालघर मामले में न तो नाम और न ही पीड़ितों को संत बताया गया। 

टाइम्स ऑफ इंडिया

इंंडिनय एक्सप्रेस

 

हिन्दुस्तान टाइम्स

एनडीटीवी

साभार-सोशल मीडिया

इसके अलावा तथाकथित पत्रकारों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। कई पत्रकारों ने बगैर किसी जांच रिपोर्ट के ट्वीट किए हैं। आइए, देखते हैं किसने क्या ट्विट किया?

कांदम्बिनी शर्मा (NDTV)

https://twitter.com/SharmaKadambini/status/1251915933456625664?s=20    

जितेंद्र दीक्षित (ABP) 

उमाशंकर सिंह (NDTV) 

बड़ा सवाल ये है कि आखिर ये सभी तथाकथित सेक्युलर लोग आखिर कैसे किसी निष्कर्ष पर पहुंच गए, जबकि संतों की हत्या पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं जैसे लॉकडाउन में इतने लोग कैसे पहुंच गए और महाराष्ट्र पुलिस ने दोनों संतो को क्यों नहीं बचाया?

 

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