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ममता बनर्जी को एक और झटका! वन मंत्री गिरफ्तार, भ्रष्टाचार में अब तक दर्जनभर से ज्यादा टीएमसी के नेता-मंत्री गिरफ्तार

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पश्चिम बंगाल सरकार के वन मंत्री ज्योतिप्रिय मलिक को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार कर लिया है। ज्योतिप्रिय मलिक की गिरफ्तारी उनके खाद्य मंत्री रहने के दौरान राशन वितरण गड़बड़ी को लेकर हुई है। करीब एक साल के अंतर पर ये दूसरा मौका है जब पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार के किसी मंत्री को गिरफ्तार किया गया है। 2022 में पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री रहते पार्थ चटर्जी को भी ऐसे ही भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। शिक्षक भर्ती घोटाले में पार्थ चटर्जी की सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के पास से भारी मात्रा में कैश बरामद होने के बाद मंत्री को गिरफ्तार किया गया था। ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी भ्रष्टाचार के ‘काल’ में समा रही है। 2011 से अब तक दर्जन भर से ज्यादा टीएमसी के नेता-मंत्री गिरफ्तार हो चुके हैं। कितनी अजीब बात है कि ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल दोनों ही कट्टर ईमानदारी का दावा करते हैं लेकिन वे ऐसी सरकारों का नेतृत्व कर रहे हैं जिनके मंत्री भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं।

भ्रष्टाचार में तृणमूल के दर्जनभर विधायक, सांसद, मंत्री, नेता गिरफ्तार
पश्चिम बंगाल में एक के बाद एक घोटाला सामने आ रहा है। भ्रष्टाचार के मामलों में तृणमूल के एक दर्जन से अधिक नेता-मंत्री सलाखों के पीछे पहुंच गए हैं। साल 2011 के बाद से जब बंगाल में 34 साल के वाम मोर्चा शासन को समाप्त कर वर्तमान तृणमूल कांग्रेस शासन सत्ता में आई। लेकिन अब वह भ्रष्टाचार में नित नए रिकार्ड कायम कर रही है। राज्य में शिक्षक भर्ती घोटाला, कोयला तस्करी मामला, नगर पालिका नियुक्ति घोटाला में कई पूर्व मंत्री, विधायक गिरफ्तार हो चुके हैं। इस सिलसिले में नया नाम वर्तमान वन मंत्री व पूर्व खाद्य मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक का नाम जुड़ गया है।

ED ज्योतिप्रिय को बाकिबुर के सामने बैठाकर कर सकती है पूछताछ
ईडी ने ज्योतिप्रिय मल्लिक को कई करोड़ रुपये के कथित राशन वितरण घोटाला से संबंधित धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलएल) मामले में 18 घंटे से अधिक की पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया। ईडी ने इससे पहले मंत्री के एक विश्वासपात्र कारोबारी बाकिबुर रहमान को गिरफ्तार किया था। केंद्रीय एजेंसी मामले में घटनाक्रमों के बारे में दोनों का बयान जानने के लिए उन्हें आमने-सामने बैठाकर पूछताछ कर सकती है।

पश्चिम बंगाल में ममता सरकार भ्रष्टाचार के नए-नए रिकार्ड बना रही है। इन घोटालों में गिरफ्तारी पर एक नजर-

राशन वितरण घोटाला
वन मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक गिरफ्तार
ईडी ने 26 अक्टूबर को राशन वितरण में भ्रष्टाचार के मामले में टीएमसी नेता और राज्य के वन मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक को गिरफ्तार किया। 27 अक्टूबर को उन्हें 6 नवंबर तक ईडी की हिरासत में भेज दिया गया। यह गिरफ्तारी ईडी द्वारा कोलकाता के बाहरी इलाके साल्ट लेक में मल्लिक के आवास पर तलाशी लेने के एक दिन बाद हुई। मल्लिक वर्तमान में वन मामलों के राज्य मंत्री हैं और पहले उनके पास खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग का प्रभार था। ईडी ने इससे पहले मंत्री के एक विश्वासपात्र कारोबारी बाकिबुर रहमान को गिरफ्तार किया था।

शारदा चिटफंड घोटाला
मदन मित्रा, सृंजय बोस, कुणाल घोष गिरफ्तार
करोड़ों रुपये के शारदा चिटफंड घोटाले में तृणमूल के तत्कालीन राज्यसभा सदस्य सृंजय बोस और तृणमूल के विधायक और तत्कालीन परिवहन मंत्री मदन मित्रा को गिरफ्तार किया गया था। मित्रा और बोस दोनों को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। वहीं बंगाल पुलिस ने शारदा चिटफंड घोटाले में टीएमसी के प्रवक्ता और पार्टी के पूर्व राज्यसभा सदस्य कुणाल घोष को गिरफ्तार किया था।

रोजवैली चिटफंड घोटाला
सुदीप बंद्योपाध्याय, तापस पाल गिरफ्तार
रोजवैली चिटफंड घोटाले में सीबीआई अधिकारियों ने तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा सदस्य सुदीप बंद्योपाध्याय और अभिनेता से नेता बने दिवंगत तापस पाल को गिरफ्तार कर लिया। पाल की फरवरी 2020 में 61 वर्ष की आयु में हृदय गति रुकने से मृत्यु हो गई।

मनी लॉड्रिंग मामला
पूर्व राज्यसभा सदस्य केडी सिंह गिरफ्तार
साल 2021 में ईडी के अधिकारियों ने टीएमसी के पूर्व राज्यसभा सदस्य और अलकेमिस्ट ग्रुप के संस्थापक केडी सिंह को 2018 में केंद्रीय एजेंसी द्वारा शुरू किए गए मनी लॉड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया था।

नारद वीडियो टेप घोटाला
सुब्रत मुखर्जी, फिरहाद हकीम, मदन मित्रा, सोवन चट्टोपाध्याय गिरफ्तार
2021 में राज्य विधानसभा चुनावों के तुरंत बाद सीबीआई ने बंगाल कैबिनेट के दो सदस्यों दिवंगत सुब्रत मुखर्जी और फिरहाद हकीम, कोलकाता नगर निगम (केएमसी) के पूर्व मेयर सोवन चट्टोपाध्याय और पार्टी विधायक मदन मित्रा को नारद वीडियो टेप घोटाले में गिरफ्तार किया। इसमें पार्टी के कई दिग्गज नेताओं और एक पुलिस अधिकारी को लाभ पहुंचाने के वादे के बदले नकद स्वीकार करते देखा गया था।

शिक्षक भर्ती घोटाला
पार्थ चटर्जी, मानिक भट्टाचार्य, जीबनकृष्ण साहा गिरफ्तार
साल 2022 के बाद से जब केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों ने बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच शुरू की, तो बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी पहले व्यक्ति थे, जिन्हें पिछले साल जुलाई में गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में ईडी ने पार्टी विधायक और पश्चिम बंगाल बोर्ड ऑफ प्राइमरी एजुकेशन (डब्ल्यूबीबीपीई) के पूर्व अध्यक्ष मानिक भट्टाचार्य और पार्टी के एक अन्य विधायक जीबनकृष्ण साहा को गिरफ्तार किया।

मवेशी तस्करी मामला
अनुब्रत मंडल गिरफ्तार, 20 करोड़ रुपये संपत्ति कुर्क
मवेशी तस्करी मामले में अगस्त 2022 में तृणमूल के विधायक और बीरभूम जिला अध्यक्ष अनुब्रत मंडल को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 6 दिसंबर 2022 में तृणमूल कांग्रेस के नेता अनुब्रत मंडल के ‘करीबी विश्वस्त’ रहे एक व्यक्ति के पास से 1.58 करोड़ रुपये से अधिक की 32 संपत्तियां मवेशी तस्करी मामले से संबद्ध धन शोधन की जांच के सिलसिले में कुर्क कर ली गई। अभी तक इस मामले में दो आरोपपत्र दाखिल किए हैं और कुल 20.25 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की गयी है।

कोयला तस्करी मामला
कानून मंत्री मोलॉय घटक और ममता की बहू रुजिरा बनर्जी के खिलाफ जांच
पश्चिम बंगाल में कोयला तस्करी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच जारी है। इस मामले में पश्चिम बंगाल के कानून मंत्री मोलॉय घटक और ममता बनर्जी के भतीजे तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी की पत्नी रुजिरा बनर्जी के खिलाफ जांच जारी है।

नगर निकाय भर्ती घोटाला
फिरहाद हकीम और मदन मित्रा के आवास पर छापे
पश्चिम बंगाल में साल 2014 और 2018 के बीच साजिश के तहत विभिन्न नगर निकायों में ग्रुप सी और ग्रुप डी पदों पर भर्तियां हुईं और गैरकानूनी तरीके से अयोग्य उम्मीदवारों को नियुक्त किया गया। फिरहाद हकीम और मदन मित्रा के आवास पर सीबीआई ने रेड डाली है। फिरहाद हकीम को ममता बनर्जी का बेहद करीबी माना जाता है और पार्टी में भी उनका खास प्रभाव है। वह पश्चिम बंगाल सरकार में शहरी विकास और नगर निकाय मामलों के मंत्री हैं और कोलकाता के महापौर भी हैं। वहीं, मदन मित्रा उत्तर 24 परगना जिले के कामरहाटी से टीएमसी के विधायक हैं।

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार बनने के बाद भ्रष्टाचार का खुला खेल हुआ और बनर्जी परिवार सहित इनसे जुड़े लोगों की संपत्तियां काफी बढ़ गई। इसकी भी जांच हो रही है। इस पर एक नजर- 

एजेंसियां पता लगा रहीं कि सीएम ममता बनर्जी ने किन-किन पर अपनी ‘ममता’ लुटाई
सीएम ममता के करीबी मंत्री के बाद अब सीएम के भाइयों पर करोड़ों कमाने और आय से अधिक संपत्ति के आरोप लगे हैं। कोलकाता हाईकोर्ट में लगी पिटीशन में साफ-साफ कहा गया है कि तृणमूल कांग्रेस के 2011 में सत्ता में आने के बाद से बनर्जी परिवार की संपत्ति बेहिसाब बढ़ी। सीएम ममता बनर्जी के पांच भाइयों और एक भाभी पर आय से ज्यादा संपत्ति जमा करने के आरोप लगे हैं। हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों को एफिडेविट जमा करने के आदेश दिए थे। 

बनर्जी परिवार की संपत्ति में बेशुमार इजाफा
कोलकाता हाईकोर्ट में लगी एक नई पिटीशन में अब सीएम ममद बनर्जी का परिवार ही निशाने पर है। पिटीशन में ममता के भाइयों पर आरोप है कि तृणमूल कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद से बनर्जी परिवार की संपत्ति में बेशुमार इजाफा होकर यह कई गुना बढ़ी है। पिटीशन में कहा गया है कि कोलकाता की हरीश चटर्जी स्ट्रीट पर ज्यादातर प्रॉपर्टी बनर्जी परिवार की हैं। ममता की भाभी कजरी बनर्जी पर कई प्रॉपर्टी मार्केट रेट से कम कीमत में खरीदने का आरोप है। भतीजे अभिषेक बनर्जी कई कंपनियों में डायरेक्टर हैं।

ममता बनर्जी के मुख्यमंत्री बनने के बाद पश्चिम बंगाल में स्कैम की बाढ़ आई
पिटीशन में ममता और उनके परिवार पर लगे आरोप लगे हैं कि 2011 से ममता बनर्जी बंगाल की मुख्यमंत्री हैं। इस दौरान शारदा स्कैम, रोज वैली स्कैम, नारदा स्कैम, पोंजी स्कैम और रिक्रूटमेंट स्कैम हुए। एक भी रिक्रूटमेंट प्रोसेस भ्रष्टाचार के बिना पूरी नहीं हुआ। इन घोटालों में तृणमूल कांग्रेस के कई नेता अरेस्ट भी हुए। पॉलिटिकल लीडर्स और मीडिया ने ममता बनर्जी के फैमिली मेंबर्स की बेहिसाब संपत्ति पर खुलासे किए। गनाशक्ति नाम के बांग्ला अखबार ने दावा किया कि कोलकाता की हरीश चटर्जी स्ट्रीट पर ज्यादातर प्रॉपर्टी बनर्जी परिवार की हैं।

शारदा चिटफंड स्कैम में बनर्जी परिवार पर सवालिया निशान
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पिटीशन में आरोप है कि साल 2011 के बाद लीप्स एंड बाउंड्स इंफ्रा कंसल्टेंट प्राइवेट लिमिटेड, लीप्स एंड बाउंड प्राइवेट लिमिटेड, लीप्स एंड बाउंड मैनेजमेंट सर्विसेज LLP (लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप) बनीं। तीनों ही कंपनियां सीएम ममता बनर्जी के पारिवारिक सदस्य ही चलाते हैं। इसके बाद नवंबर 2013 में तृणमूल कांग्रेस के पूर्व सांसद और मौजूदा जनरल सेक्रेटरी कुणाल घोष शारदा स्कैम में अरेस्ट हुए थे। तब उन्होंने कहा था कि शारदा चिटफंड का पैसा ममता बनर्जी के पास है। कोर्ट ने 28 नवंबर को कुणाल घोष को भी आने के लिए नोटिस जारी किया है।

WBHB से 63.78 लाख रुपये की मार्केट वैल्यू की प्रॉपर्टी सिर्फ 19 लाख में खरीदी
हाईकोर्ट में दायर पिटीशन में कहा गया है कि त्रिनेत्र कंसल्टेंट प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक कंपनी 2019 के पहले बनी और गायब भी हो गई। कंपनी ने बैलेंस शीट फाइल नहीं की। कथित तौर पर इसके जरिए टीएमसी को 3 करोड़ रुपए का डोनेशन अलग-अलग समय में दिया गया। आरोप है कि ममता के भाई समीर बनर्जी की पत्नी कजरी बनर्जी ने 14 मई 2019 को सीएम के दबाव में वेस्ट बंगाल हाउसिंग बोर्ड (WBHB) से एक प्रॉपर्टी 19 लाख रुपए में खरीदी, लेकिन उसकी मार्केट वैल्यू 63.78 लाख रुपए थी।सीएम की भाभी कजरी बनर्जी ने चुनाव के एफिडेविट में भी कई जानकारियां छिपाईं
इतना ही नहीं सीएम बनर्जी की भाभी कजरी बनर्जी ने 2021 में वार्ड नंबर 73 से चुनाव लड़ा। उन्होंने एफिडेविट में खुद को सोशल वर्कर बताया। पति और खुद की प्रॉपर्टी 5 करोड़ रुपए बताई। सोशल वर्क करके 5 करोड़ कैसे कमाए जा सकते हैं। पिटीशन में आरोप है कि कजरी ने एफिडेविट में कई जानकारियां छिपाईं। बेटे को डिपेंडेंट बताते हुए उसके पैन नंबर का जिक्र नहीं किया, जबकि वे केए क्रिएटिव LLP की मालकिन हैं। केए क्रिएटिव के जरिए हरीश मुखर्जी रोड पर 1.30 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी खरीदी गई। इसकी सही कीमत 5.19 करोड़ रुपए थी।

कोलकाता पुलिस को नहीं, सीबीआई और ईडी को इसकी जांच सौंपी जानी चाहिए
पिटिशनर के वकील का कहना है कि हमने कोर्ट में ममता बनर्जी के फैमिली मेंबर्स के जो डॉक्युमेंट्स दिखाए हैं, उनसे पता चलता है कि उनकी संपत्ति काफी ज्यादा बढ़ी है। इलेक्शन एफिडेविट में सही संपत्ति का खुलासा नहीं किया गया। प्रॉपर्टी खास तौर से 2011 और 2013 के बाद बढ़ी। 2013 वह साल था, जब बंगाल में चिटफंड कंपनियों पर ताले लग रहे थे। पिटिशन में कहा गया है कि चूंकि ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल के होम डिपार्टमेंट और पुलिस की इंचार्ज हैं। ऐसे में कोलकाता पुलिस उनके फैमिली मेंबर्स के खिलाफ जांच करने की हिम्मत नहीं करेगी। इसलिए सीबीआई और ईडी इसकी जांच सौंपी जानी चाहिए।

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