लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अमेरिका और भारत के राजनयिक रिश्तों में तनातनी बढ़ती दिख रही है। अमेरिका एक बार फिर यूक्रेन वाली गलती दोहरा रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध के समय अमेरिका भारत को अपने पक्ष में करना चाहता था लेकिन उसकी एक नहीं चली। इसके बाद उसने भारत के रूस से तेल नहीं खरीदने का दबाव बनाया, लेकिन भारत ने उसकी एक नहीं सुनी और रूस से तेल खरीदता रहा। अमेरिका ने सीएए पर भी टिप्पणी की। सीएए के बाद अब अमेरिका ने केजरीवाल और कांग्रेस के फ्रीज हुए बैंक खातों का मुद्दा उठाया है। कुल मिलाकर अमेरिका खुद को दुनिया का चौधरी समझता है और विकासशील देशों को दबाकर रखना चाहता है। एक तरफ अमेरिका भारत से दोस्ती की बात करता है वहीं वह ये नहीं चाहता कि भारत एक मजबूत राष्ट्र बनकर उभरे। इस बढ़ी हुई तनातनी के बीच विशेषज्ञों ने अमेरिका को फटकार लगाई है और कहा है कि वह यूक्रेन युद्ध के समय दी गई धमकी वाली गलती को फिर से दोहरा रहा है।
ग्लोबल साउथ को नीचा दिखाने से बचे अमेरिकाः ब्रह्मा चेलानी
सामरिक मामलों के विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी ने ट्वीट करके कहा, ‘टीम बाइडन ने अभी तक नहीं सीखा है कि किस तरह से ग्लोबल साउथ के साथ आक्रामक नहीं होना है और उन्हें नीचा दिखाने से बचना है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के साथ चल रहा विवाद इसका केवल एक उदाहरण भर है। साल 2022 में अमेरिका ने बहुत भद्दे तरीके से भारत को धमकी दी थी कि अगर नई दिल्ली ने यूक्रेन युद्ध में उनका पक्ष नहीं लिया तो ‘कीमत और परिणाम’ चुकाने होंगे।’ यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद अमेरिका ने भारत पर दबाव बनाया था कि वह रूस के साथ रिश्ता तोड़ दे। हालांकि भारत ने अमेरिका की एक नहीं सुनी बल्कि तेल खरीद बढ़ाकर रिश्ते को और मजबूत कर लिए थे।
Team Biden has yet to learn how not to be offensive and condescending to the Global South. The latest spat with the world’s largest democracy is just one example. In 2022 it clumsily threatened India with “costs and consequences” if it did not pick a side in the Ukraine conflict. pic.twitter.com/xfeAsxvLiQ
— Brahma Chellaney (@Chellaney) March 27, 2024
ग्लोबल साउथ के 125 देशों को भारत पर विश्वास
ग्लोबल साउथ के नेतृत्व के सवाल पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि इस क्षेत्र के 125 देश भारत पर विश्वास करते हैं। जबकि चीन ने 2023 में उन दो बैठकों में शामिल होना उचित नहीं समझा जिन्हें भारत ने ग्लोबल साउथ के देशों के हित में आयोजित किया था। ग्लोबल साउथ दक्षिणी भाग में स्थित विकासशील और गरीब देशों का समूह है। इस समूह में ज्यादातर देश एशिया और अफ्रीका महाद्वीपों के हैं।
125 Countries participated in Voice of Global South Summit led by India.
Message by New India:
«If you can’t respect us by your standards, We will play by our Standards because You need us more than We need You. We have Better Options»VISHWAGURU BHARAT 🇮🇳 pic.twitter.com/sFBAOGNNn3
— Nationalist Mumbaikar 🇮🇳™ ( Modi Ka Parivar ) (@Ayush_Shah_25) January 13, 2023
पीएम मोदी के नेतृत्व में दो शक्तियों के बीच पावर बैलेंस
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत अमेरिका और रूस जैसी शक्तियों के बीच पावर बैलेंस बनाकर चल रहा है। लेकिन अमेरिका जब भी भारत को आंख दिखाने की कोशिश करता है तो उसे उसका माकूल जवाब दिया जाता है। न तो अमेरिका के लिए रूस को छोड़ा जा सकता है। और न ही रूस के लिए अमेरिका को। ये भारत की नीति है। यूक्रेन पर हमले के लिए भारत ने न तो सीधे-सीधे रूस का साथ दिया और न ही उसके खिलाफ रहा। संयुक्त राष्ट्र में जब रूस के खिलाफ कोई प्रस्ताव आया तो भारत ने इससे दूरी बना ली। लेकिन, भारत ने हमेशा से यूक्रेन में आम लोगों के मारे जाने की निंदा की। भारत के इस रवैये ने अमेरिका को नाराज भी किया। खुद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कई बार कहा कि रूस को लेकर भारत का रवैया ‘ढुलमुल’ रहा। लेकिन इसके बाद भी ने पीएम मोदी को स्टेट विजिट पर आमंत्रित किया।
*ये नया भारत है* pic.twitter.com/4XGbrVRWDM
— Manoj Srivastava (@ManojSr60583090) March 28, 2024
रूस से तेल खरीदता रहेगा भारत: एस जयशंकर
जर्मनी के म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस में फरवरी 2024 में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर ये साफ कर दिया कि भारत रूस से तेल खरीदता रहेगा और पश्चिमी देशों के दबाव में आकर कोई फैसला नहीं लेगा। उन्होंने कहा- भारत के पास तेल के कई स्रोत हैं और रूस उनमें से एक है। जयशंकर से सवाल पूछा गया था- रूस के साथ व्यापार जारी रखते हुए भारत अमेरिका के साथ अपने बढ़ते द्विपक्षीय संबंधों को कैसे संतुलित कर रहा है? इसके जवाब में उन्होंने कहा- क्या यह एक समस्या है, यह एक समस्या क्यों होनी चाहिए? हम स्मार्ट हैं, हमारे पास पास कई विकल्प हैं, आपको हमारी तारीफ करनी चाहिए। जयशंकर की हाजिर जवाबी सुनकर पास में बैठे अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन भी मुस्कुराते रहे।
सीएए नियमों की अधिसूचना पर अमेरिका ने की टिप्पणी
अमेरिका और भारत के बीच ताजा विवाद सीएए को लेकर शुरू हुआ। अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता संबंधी अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) लागू करने के लिए भारत सरकार द्वारा जारी नियमों की अधिसूचना पर चिंता व्यक्त की। आयोग ने कहा है कि धर्म या आस्था के आधार पर किसी को भी नागरिकता से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। आयोग के आयुक्त स्टीफन श्नेक ने एक बयान में कहा, “पड़ोसी देशों से भागकर भारत में शरण लेने के लिए आए लोगों के लिए सीएए में धार्मिक अनिवार्यता का प्रवधान है।” उन्होंने कहा कि सीएए हिंदुओं, पारसियों, सिखों, बौद्धों, जैनियों और ईसाइयों के लिए तो त्वरित नागरिकता का मार्ग प्रशस्त करता है, लेकिन मुसलमानों को स्पष्ट रूप से इस कानून के दायरे से बाहर रखा गया है।
भारत ने तलब किया राजनयिक, बौखलाया अमेरिका
अमेरिका ने केजरीवाल मामले में निष्पक्ष, पारदर्शी, समयबद्ध प्रक्रिया की मांग की। अमेरिका ने कहा कि वह केजरीवाल के मामले की करीबी निगरानी जारी रखेगा। इसके बाद भारत ने वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक को तलब किया और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर अमेरिकी विदेश विभाग की टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताई। लेकिन भारत से खरी-खरी सुनने के बाद भी अमेरिका का मन नहीं भरा है। अब बौखलाहट में उसने एक बार फिर दोहराया है कि वह इन कार्रवाइयों पर बारीकी से नजर रख रहा है और वह निष्पक्ष, पारदर्शी, समय पर कानूनी प्रक्रियाओं को प्रोत्साहित करता है।
The MEA in Delhi summoned the US’ Acting Deputy Chief of Mission Gloria Berbena, today over US state dept remarks on Arvind Kejriwal’s arrest.
The meeting lasted for approximately 40 minutes, the longest summoning of US diplomat in recent timespic.twitter.com/qkWAf7ev4O
— Megh Updates 🚨™ (@MeghUpdates) March 27, 2024
कांग्रेस के बैंक खातों को फ्रीज करने का मुद्दा उठाया
केजरीवाल मुद्दे पर खरी-खरी सुनने के बाद भी अमेरिका का मन नहीं भरा तो उसने कांग्रेस के फ्रीज हुए खाते के मुद्दे को उठा दिया। अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि हम कांग्रेस पार्टी के उन आरोपों से भी अवगत हैं कि कर अधिकारियों ने उनके कुछ बैंक खातों को इस तरह से फ्रीज कर दिया है कि आगामी चुनावों में प्रभावी ढंग से प्रचार करना चुनौतीपूर्ण हो जाएगा। हम इनमें से प्रत्येक मुद्दे के लिए निष्पक्ष, पारदर्शी और समय पर कानूनी प्रक्रियाओं को प्रोत्साहित करते हैं।
नरम पड़े जर्मनी के सुर, रिश्ते बेहतर करने की बात
अमेरिका से पहले जर्मनी ने अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर बयान जारी किया था। भारत ने इस पर एतराज जताया था। नई दिल्ली में जर्मन राजनयिक को तलब भी किया गया था। इससे दोनों देशों में एक तनाव दिखा था, इसे कम करने के लिए अब जर्मनी ने डैमेज कंट्रोल शुरू कर दिया है और भारत से बेहतर रिश्ते रखने की ख्वाहिश का इजहार किया है।
अमेरिका पहले अपना घर संभाले
अमेरिका भारत को निष्पक्ष न्याय प्रणाली, पारदर्शी कानूनी प्रक्रियाओं और मानवाधिकार से जुड़े मुद्दों पर पाठ पढ़ाना चाहता है जिसके हाथ ईराक से लेकर अफगानिस्तान तक, इंसानियत के खून से रंगे हुए हैं। अमेरिका में आए दिन गोलीबारी की घटनाएं होती रहती हैं। स्कूल हो या प्रार्थना स्थल या फिर चौक-चौराहा, अमेरिका में बेकसूर लोगों पर गोलियां चलाने की घटनाएं आम हैं। कितना हास्यास्पद है कि दुनिया को मानवाधिकार का पाठ पढ़ाने वाले अपने यहां बंदूकों की बिक्री सब्जी-भाजी की तरह करते हैं। अमेरिका में बड़े पैमाने पर युवा ड्रग ओवरडोज की वजह से जिंदगी से हाथ धो रहे हैं। बेहतर होगा कि अमेरिका पहले अपना घर संभाले। भारत के प्रति अमेरिका की चिंता थोथा चना, बाजे घना की कहावत को ही सार्थक करती है।
डीप स्टेट की चाहत, भारत की जनता गुलामी करे
डीप स्टेट के जरिए ही धनकुबेर पूरी दुनिया का व्यापार अपने कंट्रोल में रखना चाहते हैं चाहे इसके लिए हजारों लोगों की जान ही क्यों ना लेनी पड़े। इसी डीप स्टेट ने यूक्रेन, इराक, यमन, सीरिया, लीबिया को तबाह किया है। मनमाफिक सरकार नहीं है तो तख्ता पलट करने की साजिश रचते हैं। डीप स्टेट के कैपिटलिस्ट अमेरिका, यूरोप में सरकारें चलाते हैं। यही लोग अफ्रीकी देशों में उथल पुथल करते हैं। यही डीप स्टेट अमेरिकी सरकार की मदद से पाकिस्तान में सरकारें बनाते बिगाड़ते हैं। यही डीप स्टेट भारत में भी अपने पाले हुए गुलामों के जरिए उथल पुथल कर रहे हैं। ये चाहते हैं कि भारत की जनता उनके लिए गुलामी करे, उनके सामान खरीदे। डीप स्टेट ईस्ट इंडिया कंपनी की मोडिफाइड वर्जन है जो किसी भी तरीके से भारतीयों का अपना आर्थिक गुलाम बनाना चाहती है।
डीप स्टेट में सबसे बड़ा गैंग अमेरिका की हथियार लॉबी
डीप स्टेट में सबसे बड़ा गैंग अमेरिका की हथियार लॉबी है जो वहा की सरकार को अपना कठपुतली बना कर रखती हैं। अमेरिका के अंदर हजारों लोग हर साल अंधाधुंध गोलियों के शिकार होते हैं। हर हत्याकांड, विशेषकर स्कूलों में हत्या के बाद हर सरकार लाइसेंस की बात करती है लेकिन हथियार लॉबी के दबाव में चुप हो जाती है। यही हथियार लॉबी दशकों से पूरी दुनिया में युद्ध करा रही है। वियतनाम में खत्म हुआ तो अफ्रीकन देशों में शुरु किया। इराक में खत्म हुआ तो सीरिया, यमन में शुरु हुआ। लीबिया के तानाशाह गद्दाफी को ख़त्म कर दिया। अफ़गानिस्तान में खत्म हुआ तो यूक्रेन में शुरु हो गया। यूक्रेन युद्ध का अंत तभी होगा जब हथियार लॉबी को नया युद्ध क्षेत्र मिल जायेगा।
पीएम मोदी अलग मिट्टी के बने हैं, दबाव में नहीं आते
हथियार लॉबी नहीं चाहता कि कोई और देश दुनिया के हथियार बाजार में प्रवेश करे। यूएस के हथियार लॉबी को यह बिल्कुल पसंद नहीं है कि भारत उनके अलावा किसी अन्य देश से हथियार आयात करे या निर्माण करे लेकिन पीएम मोदी अलग मिट्टी के बने हैं, इनके दबाव में नहीं आते। आयात भी रूस और फ्रांस से करते हैं और बहुत बड़े पैमाने पर निर्यात भी कर रहे हैं। हर दिन एक नए रॉकेट, मिसाइल, टैंक, हेवी गन का परीक्षण हो रहा है। हथियारों का निर्यात हो रहा है। अगले 5 साल में निर्यात में कई गुना बढ़ोत्तरी की योजना बनाई जा चुकी है।
भारत के विकास से डीप स्टेट बौखलाया
भारत का विकास देख डीप स्टेट का बौखला जाना स्वाभाविक है। वे अपने NGOs और हवाला के जरिए करोड़ो, अरबों रुपए भारत में भेज रहे हैं। देशद्रोही भारतीयों को क्या चाहिए, पैसा। वह भर भर कर मिल रहा है। हर दिन किसी ना किसी बहाने सड़के जाम करते हैं, रेल रोकते हैं जिससे देसी को हर रोज करोड़ों का नुकसान होता है। भारत विकास करेगा तो डीप स्टेट के व्यापार का नुकसान होगा। इन्ही NGOs के जरिए डीप स्टेट ने भारत में सिंचाई के लिए डैम बनाने में रोड़ा अटकाए, पर्यावरण के नाम पर सीमा पर सड़कों के निर्माण को रूकवाने के लिए SC में याचिकाएं दायर करते रहे। हाईवे और एक्सप्रेस वे बनाने में रोड़ा अटकाते हैं। जंगलों में सड़के और ट्रांसमिशन लाइन नहीं ले जाने देते। उनके ये सारे प्रयास आज विफल साबित हो रहे हैं और भारत आर्थिक प्रगति के पथ पर तेजी से बढ़ रहा है।