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पीएम मोदी की कूटनीति में घिरे चीन को हो रहा गलती का अहसास!

विश्व के कई देशों के समर्थन ने भारत के रुख की पुष्टि की, रिपोर्ट

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डोकलाम में चीन की ओर से पहले तो गतिरोध खड़ा किया गया और फिर जब भारत ने इसका विरोध किया तो चीन ने भारत के दावे को सिर्फ सैन्य रूप से देखने की गलती की और उसी भाषा में बात करने लगा। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सशक्त भारत की बढ़ती कूटनीतिक ताकत को देखते हुए चीन को अपनी गलती का अहसास होने लगा है। वह ये बात जान गया है कि इस डोकलाम विवाद पर भारत को कई ताकतवर देशों का साथ मिलने लगा है।

रूस-भारत मिलिट्री डील से चिढ़ा चीन
भारत और रूस की तीनों सेनाएं 19 से 29 अक्टूबर तक रूस में ही आर्मी ड्रिल करेंगी। इसे ‘इन्द्र 2017’ नाम दिया गया है। भारत और रूस पहले भी ज्वॉइंट आर्मी ड्रिल करते रहे हैं, लेकिन ये पहली बार है कि भारत और रूस की तीनों सेनाएं एक साथ और एक ही जगह पर यह ड्रिल करेंगी। डोकलाम गतिरोध के बीच हो रहे इस मिलिट्री ड्रिल से चीन चिढ़ गया है। यहां तक कि चीनी मीडिया इसे अपने लिए खतरा बता रहा है। हालांकि रूसी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने चीन के विरुद्ध किसी गठजोड़ से इनकार किया है। फिर भी इतना तो स्पष्ट है कि इस मिलिट्री एक्सरसाइज से भारत और रूस के सैन्य रिश्ते नई ऊंचाइयों पर पहुंचेंगे। इसके साथ ही यह भी साफ है कि इससे चीन को खतरा हो अथवा नहीं, लेकिन भारत के रुख को रूस का नैतिक समर्थन तो इसे माना ही जा सकता है।

अमेरिका-ब्रिटेन का भारत के रुख को समर्थन
सिक्किम गतिरोध में अमेरिका ने भी अपनी तरफ से रुख साफ कर दिया है और कहा है कि चीन डोकलाम ट्राईजंक्शन की मौजूदा स्थिति को अपने तरीके से बदलने की कोशिश कर रहा है। इसी के चलते यह विवाद और बढ़ा है। दूसरी तरफ ब्रिटेन ने स्पष्ट रूप से कहा कि डोकलाम भारत और चीन का द्विपक्षीय मसला है और दोनों को इसे बातचीत के जरिए सुलझाना चाहिए। स्पष्ट है कि अमेरिका और ब्रिटेन दोनों देशों ने वही बातें कही हैं, जो विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में दिए अपने बयान में कही थीं। ऐसे में ये माना जा रहा है कि दोनों ही देश भारत के रुख के साथ खड़े हैं।

डोकलाम पर भारत के साथ है जापान
जापान ने डोकलाम में भारतीय सेना की तैनाती को सही ठहराया है। जापान ने कहा है कि इस मामले को बातचीत के जरिए सुलझाना चाहिए और विवादित क्षेत्र में पूर्वस्थिति को बदलने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए। भारत में जापान के राजदूत केंजी हिरामात्सु ने कहा है कि विवादित इलाकों में जो बात सबसे अहम होती है, वह यह है कि सभी सम्मलित पक्ष ना तो बल प्रयोग करें और ना ही पूर्वस्थिति में एकतरफा बदलाव की कोशिश करें। वे मामले का शांतिपूर्ण हल निकालने की कोशिश करें। राजदूत ने कहा कि भारत का भूटान के साथ एक द्विपक्षीय समझौता है, जिसकी वजह से भारतीय सैनिक वहां मौजूद है। बहरहाल जापान का समर्थन चीन के लिए एक सरप्राइज की तरह रहा और यही वजह है कि वह जापान को भारत का साथ देने से पहले फैक्ट चेक करने की सलाह दे रहा है।

ऑस्ट्रेलिया-वियतनाम भारत के साथ
ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री जूली बिशप हाल ही में भारत दौरे पर आई थीं। उन्होंने यहां पर कहा था कि चीन को डोकलाम विवाद पर संयम बरतना चाहिए और भारत से बात करनी चाहिए। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया दक्षिणी चीन सागर को लेकर चीन की दादागिरी पर उसे चेतावनी जारी कर चुका है। इस मुद्दे पर ऑस्ट्रेलिया ने चीन की सैन्य महत्वाकांक्षाओं का विरोध किया था। दूसरी तरफ वियतनाम के भी भारत के साथ खड़े होने की उम्मीद है। दरअसल पीएम मोदी ने 2016 में वियतनाम की यात्रा की थी। तभी से दोनों देशों के बीच संबंधों में मजबूती आई है। दरअसल दक्षिणी चीन सागर में विवाद को लेकर वियतनाम की चीन से हमेशा ही ठनी रही है। वहीं भारत ने इस विषय पर लगातार उसकी मदद की है।

दरअसल चीन ने डोकलाम को मुद्दा बनाकर दुनिया को तीसरे विश्व ​युद्ध के मुहाने पर ला खड़ा किया है। ऐसी संभावना है कि अगर चीन ने हमला किया तो भारत के अलावा उसके मित्र देश भी इसमें भाग लेंगे। अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, वियतनाम, फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन समेत कई देश भारत के साथ आ सकते हैं, जबकि चीन के साथ आने वाले देशों में केवल पाकिस्तान और उत्तर कोरिया ही हैं। यदि ऐसा हुआ तो चीन, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया में तबाही बरसेगी। यह भी माना जा रहा है कि यह दुनिया का अब तक का सबसे भयंकर युद्ध होगा, जिसमें अत्याधुनिक हथियारों का उपयोग किया जाएगा। 

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