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नई टेक्नॉलॉजी नॉर्थ और साउथ के बीच दूरियां बढ़ाने का नया स्रोत नहीं बनना चाहिए- प्रधानमंत्री मोदी

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प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा है कि वॉयस ऑफ़ ग्‍लोबल साउथ 21वीं सदी में बदलते विश्‍व का प्रतिनिधित्‍व करने वाला अनोखा मंच है। वॉयस ऑफ़ ग्‍लोबल साउथ शिखर सम्‍मेलन के शुरुआती सत्र को वर्चुअल माध्‍यम से संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भौगोलिक रूप से ग्‍लोबल साउथ तो हमेशा से रहा है। लेकिन उसे इस प्रकार से आवाज पहली बार मिल रही है। और ये हम सभी के साझा प्रयासों से संभव हुआ है। हम 100 से ज्यादा अलग-अलग देश हैं, लेकिन हमारे हित समान हैं, हमारी प्राथमिकताएं समान हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत मानता है कि नई टेक्नॉलॉजी, नॉर्थ और साउथ के बीच दूरियां बढ़ाने का नया स्रोत नहीं बनना चाहिए। आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, AI के युग में, टेक्नॉलॉजी को जिम्मेदार तरीके से उपयोग में लाने की बहुत जरूरत है। इसको आगे बढ़ाने के लिए, भारत में अगले महीने AI ग्लोबल पार्टनरशिप समिट आयोजित की जा रही है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पिछले वर्ष दिसंबर में, जब भारत ने जी-20 की अध्यक्षता संभाली, तोह हमने इस फोरम में ग्लोबल साउथ के देशों की आवाज को आगे बढ़ाना अपना दायित्व माना। हमारी प्राथमिकता थी कि जी-20 को ग्लोबल स्केल पर समावेशी और मानव केंद्रित बनाया जाए। हमारी कोशिश थी कि जी-20 का फोकस हो – development of the people, by the people and for the people. इसी उद्देश्य से हमने इस वर्ष जनवरी में, पहली बार वॉयस ऑफ़ ग्‍लोबल साउथ समिट का आयोजन किया। भारत के अलग-अलग राज्यों में हुई जी-20 की 200 से अधिक बैठकों में हमने ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं को प्रमुखता दी। इसका नतीजा रहा कि नई दिल्ली लीडर्स डिक्लेरेशन में ग्लोबल साउथ के विषयों पर हमें सबकी सहमति हासिल करने में कामयाबी मिली।

उन्‍होंने कहा कि ये समय है जब ग्लोबल साउथ के देश, ग्रेटर ग्लोबल गुड के लिए एक साथ आएं। वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर के लिए हम सब मिलकर 5C’s – कंसल्टेशन, कॉपरेशन, कम्यूनिकेशन, क्रिएटिविटी, और कैपेसिटी बिल्डिंग के साथ मिलकर आगे बढ़ें।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वैश्विक समृद्धि के लिए सबका साथ और सबका विकास जरूरी है। लेकिन हम सभी देख रहे हैं कि पश्चिम एशिया क्षेत्र की घटनाओं से नई चुनौतियां उभर रही हैं। भारत ने 7 अक्टूबर को, इजराइल में हुए जघन्य आतंकी हमले की निंदा की है। हमने संयम के साथ ही, डायलॉग और डिप्लोमेसी पर भी जोर दिया है। इजराइल और हमास के संघर्ष में, आम लोगों की मौत की हम कठोर निंदा करते हैं। राष्ट्रपति महमूद अब्बास जी से बात कर हमने फिलिस्तीन के लोगों के लिए मानवीय सहायता भी भेजी है।

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