लखीमपुर हिंसा मामले में कांग्रेसियों की गिद्ध राजनीति जारी है। वे इस हिंसा को अपने लिए संजीवनी के रूप में देख रहे हैं। इसलिए सियासी फायदे और पब्लिसिटी के लिए हर हथकंडा अपना रहे हैं। लखीमपुर जाते समय राहुल गांधी हाथरस की तरह ड्रामा करते नजर आए। मीडिया का आकर्षण अपनी ओर बनाये रखने के लिए पंजाब और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों के साथ एयरपोर्ट पर धरने पर बैठ गए और सुरक्षाकर्मियों पर बाहर नहीं जाने देने का आरोप लगाने लगे।
राहुल गांधी लखीमपुर जाते समय कैमरा क्यों मांग रहे हैं यही हाल हाथरस में हुआ था
यह लखनऊ में ना हो पाएगा अब ???#कैमराजीवी pic.twitter.com/jJ2e5kaq55— Arvind Kumar BJP?? (@ArvindK83954066) October 6, 2021
बात बात पर पब्लिसिटी के लिए ड्रामा करना राहुल और प्रियंका की सियासत का हिस्सा बन गया है। लखीमपुर घटना का उपयोग पब्लिसिटी के लिए करना इनका असली मकसद है। दोनों नकारात्मक राजनीति करने के लिए जाने जाते हैं। इस लिए सोनभद्र, हाथरस और दिल्ली की तरह लखीमपुर खीरी में ड्रामा देखने को मिलेगा। राहुल गांधी पीड़ित परिवार से मिलकर एक सेल्फी लेंगे, जिस तरह से उन्होंने दिल्ली के एक रेप विक्टिम के घर जा कर किया था। उसके बाद कांग्रेस के नेता सोशल मीडिया पर पीड़ित परिवार के आंसू पोछते हुए दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
Pappu भैय्या
इस बार भी फर्जी में जमीन पर गिर जाना ,,,,,
पिंकी को ज्यादा मीडिया कवरेज मिल रही है,,,,
???? pic.twitter.com/PQgYdBtHoK— ??AshishKSingh (@ashishsinghm06) October 6, 2021
सोनभद्र, हाथरस, दिल्ली से लेकर लखीमपुर खीरी तक जब कोई वारदात होती है तब गांधी परिवार वहां जाना चाहता है। दरअसल पीड़ित परिवारों से मिलने का मुख्य मकसद मीडिया कवरेज और बीजेपी सरकारों के खिलाफ प्रोपेगैंडा करना है। उन्हें किसी पीड़ित परिवार के साथ सुख-दुःख बांटने का इरादा नहीं होता है। अगर नेक इरादा होता तो वे कांग्रेस शासित राज्यों में रोज हो रही इस तरह की घटनाओं के पीड़ितों से मिलने जाते। गांधी परिवार ने कभी सोचा नहीं है कि उनके आग में घी डालने की कोशिश से उन्हें मीडिया कवरेज तो मिल जाती है, क्या उन्हें इसका चुनाव में फायदा मिला है ?