हाल ही में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा लिखित आत्मकथा में उन्होंने विस्तार से चर्चा की है कि कैसे गाँधी नेहरू खानदान की इस घृणित मानसिकता वाली परम्परा को निभाते हुए सोनिया गाँधी भी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और खुद राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को भी अपना गुलाम मानती थीं। ऐसे हज़ारों अवसर पर सोनिया गांधी ने खुद को प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से ऊपर समझते हुए उनका अभिवादन करना तो दूर उनके अभिवादन की उपेक्षा की।
गांधी नेहरू खानदान इस पूरे देश को अंग्रेजों की तरह अपनी मिल्कियत और गुलाम समझता मानता रहा है ये बात अब किसी से भी छिपी नहीं है। कांग्रेस की सत्ता जाने के बाद विशेषकर नेहरू-गाँधी खानदान के सारे काले राज़ खुल कर सामने आ रहे हैं। सत्ता और सियासत के लिए नैतिकता की सारी हदें पार करने की कहानी बाहर आने के बाद अब लोगबाग खुद फैसला कर रहे हैं। और कांग्रेस अपनी उसी काले इतिहास का हिस्सा बन रही है।