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कृषि विधेयक पर राज्यसभा में आज मतदान, कांग्रेस को नहीं मिल रहा किसी का साथ

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कृषि सुधार से संबंधित विधेयक लोकसभा से पारित होने के बाद मोदी सरकार ने आज यानि रविवार को राज्यसभा में तीनों विधेयक पेश किया। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने रविवार को राज्यसभा में कृषि विधेयक पेश करते हुए कहा कि इस बिल से किसानों का जीवन स्तर सुधरेगा। उन्होंने कहा कि  फसलों के लिए MSP जारी रहेगा। तोमर ने कहा, ‘किसान की भूमि के साथ कोई छेड़छाड़ न हो, इसका भी प्रावधान बिल में किया गया है। देश का किसान देश का सबसे बड़ा उत्पादनकर्ता है। इधर, विपक्षी दलों ने बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग की है। सरकार को अपने इन तीनों विधेयकों को पास करवाने के लिए 122 मतों की आवश्यकता है। कांग्रेस की पतली हालत को देखते हुए लगता है मोदी सरकार इसे आसानी से हांसिल कर लेगी। वहीं कांग्रेस को इस विधेयक को रोकने के लिए पर्याप्त साथी नहीं मिल रहा है। अकाली दल की नाराजगी और मुखर विरोध के बाद राज्यसभा में बहुमत का गणित मोदी सरकार के पक्ष में है। कृषि विधेयकों पर जमकर भ्रम फैला रहे विपक्षी दल विशेषकर कांग्रेस की कोशिश इसे राज्यसभा में रुकवाने की है। विपक्षी दल इन विधेयकों को किसान विरोधी होने का भ्रम फैला रही है। जबकि प्रधानमंत्री के साथ पूरी सरकार की कोशिश विधेयक को पास कराने और इसे किसानों का हितैषी बताने की है।

सरकार के पक्ष में बहुमत का आंकड़ा 

राज्यसभा में इस विधेयक पर मतदान से सरकार की ताकत और रणनीति का अंदाजा भी लगेगा। साथ इस विधेयक और किसानों के साथ कौन से दल खड़े हैं इसका खुलासा होगा। 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में भाजपा 86 सांसदों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है। इस समय 9 स्थान रिक्त हैं। तीनों विधेयकों को पास करवाने के लिए सरकार को कम से कम 122 वोट की जरूरत पड़ेगी। सरकार को इसके लिए एनडीए से बाहर कई दलों का साथ मिलने का भरोसा है। बीजेडी के 9, एआईएडीएमके के 9,  टीआरएस के 7 और वाईएसआर कांग्रेस के 6, टीडीपी के अलावा कई निर्दलीय सांसदों का साथ मिलने का भरोसा है। जबकि विपक्षी दलों की कुल संख्या सौ के पार जाती हुई नहीं दिखती है।

साथी की तलाश में कांग्रेस 

देश की कृषि व्यवस्था से जुड़े तीन विधेयकों पर रविवार को संसद की अंतिम मुहर लगने वाली है। लेकिन राजनीतिक विवाद में उलझे इस मुद्दे पर विपक्ष खासकर कांग्रेस इसे रोकने का भरसक प्रयास करेगी। अब सवाल उठता है कि इसी बहाने कांग्रेस अपने कितने साथियों को एकजुट कर पाती है। वैसे तो विपक्ष या फिर निरपेक्ष खेमे में खड़े दलों को कांग्रेस साधने की हर संभव कोशिश कर रही है लेकिन कोई उसे हाथ आते दिख नहीं रहा है। हालांकि राज्यसभा में कई बार कई छोटे छोटे दलों का रुख अहम होता है। यही कारण है कि लोकसभा में वोटिंग से पहले वाकआउट कर चुकी कांग्रेस राज्यसभा में आखिरी मौके तक जमीनी आकलन करेगी।

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