लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी-एनडीए को मिली विजय 2014 और 2019 से कहीं बड़ी है। इस बार लड़ाई कांग्रेस, सपा, टीएमसी और AAP से नहीं थी बल्कि इस बार लड़ाई वैश्विक शक्ति यानी ग्लोबल पावर्स से थी। आर्टिफीसियल असंतोष बढ़ाने के लिए, जातियों की खाई और चौड़ी करने के लिए विदेश में बैठकर सोशल मीडिया पर अभियान चलाए गए। हिंदुओं को बांटने की हर प्रकार से साजिश रची गई। संविधान और आरक्षण जैसे मुद्दे बेवजह उठाए गए। अमेरिका के एक अरबपति जार्ज सोरोस ने राष्ट्रवाद से लड़ने के लिए 1 अरब डॉलर देने की बात कही थी वहीं जर्मनी में बैठे यूट्यूबर ध्रुव राठी देश को तोड़ने के लिए हर तरह का प्रोपेगेंडा फैलाने में जुटा था। पीएम मोदी को सत्ता से हटाने, मजबूत होते भारत को कमजोर करने और देश को तोड़ने की तमाम साजिशें की गईं। निवेशकों का भरोसा तोड़ने के लिए भारतीय उद्योगपतियों को निशाना बनाया गया। लेकिन इन तमाम साजिशों के सामने सबसे बड़ा रोड़ा बनकर नरेंद्र मोदी स्वयं खड़े हो गए। पीएम मोदी को अहसास था और इसलिए उन्होंने चुनाव अभियान में खुद को झोंक दिया और देश के लिए ढाल बन गए। उन्होंने 200 से ज्यादा जनसभाएं की, 80 से ज्यादा इंटरव्यू दिए, कई रोड शो किए। अथक मेहनत से ही वे भारत को अंतर्राष्ट्रीय साजिशों के कुचक्र से बचाने में कामयाब रहे। अभी यह जंग खत्म नहीं हुई है। देश के दुश्मन झूठ, छल, षड्यंत्रों का जाल बुनेंगे लेकिन यह देश का सौभाग्य है कि नेतृत्व नरेंद्र मोदी के हाथों में है।
पीएम मोदी ने 200 से अधिक रैलियां कर पसीने से सींचा मैदान
महासमर के ‘महारथी’ प्रधानमंत्री मोदी ने 30 मई को पंजाब के होशियारपुर में रैली करने के साथ अपने लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान का समापन किया। 16 मार्च को निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के बाद से मोदी ने देशभर में 206 रैलियां और रोड शो किए। औसतन उन्होंने हर दिन चार से पांच रैलियां और रोड शो किए। नाव प्रचार अभियान के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने क्षेत्रीय व राष्ट्रीय मीडिया संस्थानों को कुल 80 साक्षात्कार भी दिए। इस तरह उन्होंने मैराथन प्रचार का रिकार्ड कायम किया। प्रधानमंत्री ने 2019 के आम चुनाव के दौरान करीब 145 रैलियां-रोड शो किए थे।
पीएम मोदी ने करीब 155 घंटे अपना संबोधन दिया
पीएम मोदी ने प्रत्येक चुनावी रैली में औसतन 45 मिनट का भाषण दिया। इस तरह उन्होंने करीब 155 घंटे अपना संबोधन दिया। यही नहीं उन्होंने साक्षात्कारों के दौरान भी करीब एक हजार से अधिक सवालों के जवाब दिए। जब निर्वाचन आयोग ने चुनाव की घोषणा की तो उस वक्त मोदी दक्षिण भारत के राजनीतिक दौरे पर थे। 15 से 17 मार्च के बीच इन तीन दिनों में उन्होंने सभी पांच राज्यों को कवर किया।
पीएम के धुआंधार प्रचार अभियान से मिली कामयाबी
इसे पीएम मोदी की रणनीति और धुआंधार प्रचार अभियान की कामयाबी ही कही जाएगी कि लगातार तीसरे कार्यकाल में बीजेपी को 240 सीटें मिलीं वहीं एनडीए को 293 सीटें हासिल हुई। यह देश में 1964 के बाद पहली बार हुआ है कोई दल या गठबंधन लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए चुना गया हो। देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बाद पीएम मोदी दूसरे व्यक्ति हैं जो लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे। 73 साल की उम्र में भी पीएम मोदी ने केवल रैलियों की संख्या बल्कि देशभर में तय की गई दूरी के मामले में भी प्रतिद्वंद्वी नेताओं को काफी पीछे छोड़ दिया। जहां पीएम मोदी ने एक दिन में चार-पांच चुनावी रैलियां और रोड शो किए वहीं उनके प्रतिद्वंद्वी सिर्फ दो-तीन चुनावी कार्यक्रम ही करते दिखे। मोदी अपनी पार्टी के स्टार प्रचारक रहे और मतदाताओं के बीच लोकप्रिय बने रहे।
पीएम मोदी दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता है। दुनियाभर में उनके नाम का डंका बज रहा है। प्रधानमंत्री मोदी सबसे अधिक लोकप्रिय और विश्वसनीय नेता की रेटिंग में एक बार फिर सबसे आगे हैं। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले उनकी अप्रूवल रेटिंग में जबरदस्त तेजी देखने को मिली है। फरवरी 2024 में उन्हें 75 प्रतिशत की अप्रूवल रेटिंग मिली है। अप्रूवल रेटिंग सर्वे करने वाली एजेंसी इप्सोस इंडियाबस के अनुसार यह पिछले साल सितंबर 2023 की 65 प्रतिशत की अप्रूवल रेटिंग से 10 प्रतिशत अधिक है।
भारत को आत्मनिर्भर नहीं होने देना चाहती अंतर्राष्ट्रीय लॉबी
आत्मनिर्भर होते भारत को तोड़ने के लिए अंतर्राष्ट्रीय डिफेंस और फार्मा लॉबी से लेकर तमाम एजेंसियां प्रधानमंत्री मोदी को हटाने में जुटी थी। प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में भारत ने आत्मनिर्भरता की ओर मजबूत कदम उठाया है। इससे इस बात से समझा जा सकता है कि रक्षा निर्यात 6 सालों में 10 गुना बढ़ा है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत ने 16 हजार करोड़ के स्वदेशी हथियार व पार्ट्स करीब 80 देशों को निर्यात किए। सरकार ने 2025 तक 1.75 लाख करोड़ रक्षा उत्पादन का लक्ष्य तय किया है। जबकि पांच साल में 35 हजार करोड़ के निर्यात की तैयारी चल रही है। इसी तरह भारत दुनिया की दवाखाना बनता जा रहा है। देश से दवाओं का निर्यात 2023-24 में सालाना आधार पर 9.67 फीसदी बढ़कर 27.9 अरब डॉलर पहुंच गया। इसी तरह अन्य उत्पादों में भारत आत्मनिर्भर होकर निर्यात भी करने लगा है जो कि वैश्विक शक्तियों को पसंद नहीं आ रहा है। वे मजबूत भारत नहीं चाहते। वे चाहते हैं भारत कमजोर बना रहे और उनसे सामान खरीदता रहे। यही वजह है कि वैश्विक शक्तियां पीएम मोदी हटाने के कमर कसी हुई थी लेकिन पीएम मोदी भारत की ढाल बनकर खड़े थे और वैश्विक शक्तियों को भारत को कमजोर करने से रोक दिया।
मोदी को हराने की सुपारी दी गई थी? ध्रुव राठी का पर्दाफाश
स्वामी योगेश्वरानंद गिरी ने पीएम मोदी का हराने के लिए किस तरह सुपारी दी गई उसका एक उदाहरण यूट्वूबर ध्रुव राठी का पर्दाफाश करके दिया। योगेश्वरानंद गिरी ने कहा कि मैं युवाओं से एक आग्रह करना चाहूंगा कि आप ध्रुव राठी के उन्हीं वीडियो को आप एक बार फिर से देखो और उसको गूगल से रिकन्फर्म कर लो। उसमें जितने भी डेटा दिए गए हैं वो विवादास्पद हैं। जितनी फिगर्स दी हुई हैं वो ब्रेनवाशिंग है। आप अगर उनके वीडियो को देखेंगे तो सिर्फ युवाओं के मनोबल को गिराने के सिवाय उसने कुछ भी नहीं किया।
मोदी को हराने की सुपारी दी गई थी? Dhruv Rathee Exposed? pic.twitter.com/xO81asn0z8
— सनातनी हिन्दू राकेश (मोदी का परिवार) (@Modified_Hindu9) June 4, 2024
जॉर्ज सोरोस ने राष्ट्रवाद से लड़ने के लिए 1 अरब डॉलर दिए
अमेरिकी अरबपति-परोपकारी जॉर्ज सोरोस पर आरोप लगाया जाता है कि वे राजनीति को आकार देने और सत्ता परिवर्तन के लिए अपने धन और प्रभाव का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने 2020 में राष्ट्रवाद के प्रसार से निपटने के लिए एक नए विश्वविद्यालय नेटवर्क को एक बिलियन डॉलर की आर्थिक मदद देने का एलान किया था। जॉर्ज सोरोस को बैंक ऑफ इंग्लैंड को बर्बाद करने वाले व्यक्ति के रूप में जाना जाता है। जिस तरह से भारत में रिजर्व बैंक (आरबीआई) काम करता है उसी तरह ब्रिटेन में बैंक ऑफ इंग्लैंड काम करता है। सोरोस पर आरोप लगते हैं कि हेज फंड मैनेजर ने एक समय पर ब्रिटिश मुद्रा (पाउंड) को शॉर्ट कर एक बिलियन डॉलर का मुनाफा कमाया था। यही नहीं जार्ज सोरोस ने यूरोप में प्रवासियों के लिए 500 बिलियन डॉलर देने की बात कही। इसके साथ ही अश्वेतों के नेतृत्व वाले ब्लैक लाइव्स मैटर जैसे आंदोलन के लिए उसने 220 बिलियन डॉलर देने की बात कही थी। कुल मिलाकर जार्ज सोरोस दुनिया के देशों में अस्थिरता पैदा कर अपना बिजनेस हित साधने में जुटा रहता है।
The most well-known example is the “Open Society Foundations,” founded by Jewish billionaire George Soros. Soros, among other things, has invested $500 million in migrants, $220 million in black-led “social justice groups,” and $1 billion to tackle the spread of nationalism. pic.twitter.com/UvHkBNxljO
— T. T. Timayenis (@Timayenis) January 25, 2024
सोरोस ने म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में उठाया था अडानी मुद्दा
सबसे बड़ा सवाल यह है कि सोरोस ने म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में अडानी मुद्दा क्यों उठाया? सोरोस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर क्रोनी कैपटलिज्म को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी और अडानी करीबी सहयोगी हैं। उनका भाग्य आपस में जुड़ा हुआ है। सोरोस ने यह टिप्पणी 16 फरवरी 2023 को जर्मनी में म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन से पहले टेक्निकल यूनिवर्सिटी आफ म्यूनिख में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए की। सोरोस ने कहा कि अडानी एंटरप्राइजेज ने शेयर बाजार में धन जुटाने की कोशिश की, लेकिन वह असफल रहा। सोरोस का यह बयान हिंडनबर्ग रिपोर्ट के करीब तीन हफ्ते बाद आया है। इससे आप समझ सकते हैं कि बीबीसी डॉक्यूमेंट्री और हिंडनबर्ग रिपोर्ट के पीछे कौन लोग हैं। ये वही लोग हैं जो भारत को कमजोर करना चाहते हैं।
Targeting Modi through Adani foreign propaganda has now another strong proof, George Soros himself cleared the picture. pic.twitter.com/gZpKx8tJmo
— Political Kida (@PoliticalKida) February 17, 2023
भारत में विकास की रफ्तार को रोकने का षडयंत्र हिंडनबर्ग रिपोर्ट
अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग ने 24 जनवरी को 2023 को रिपोर्ट जारी कर अडानी ग्रुप की कंपनियों को ओवरवैल्यूड बताया था और अकाउंट्स में हेरफेर का आरोप लगाया था। और अब देश में हो रहे जी-20 से पहले हिंडनबर्ग का दूसरा संस्करण 31 अगस्त 2023 को ‘ऑर्गेनाइजड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट’ (OCCRP) द्वारा लाया गया। इसके वर्तमान संपादक आनंद मंगनाले हैं जो चीनी प्रचार आउटलेट न्यूज़क्लिक से जुड़े रहे हैं। इससे इसकी साजिश को समझा जा सकता है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट केवल मोदी सरकार की छवि खराब करने के लिए नहीं लाई गई थी बल्कि भारत में विकास की रफ्तार को रोकने का एक षडयंत्र था। OCCRP की रिपोर्ट भी उसी षडयंत्र का एक हिस्सा है। वे भारत में उद्योगों को ध्वस्त करना चाहते हैं, वे देश के छोटे निवेशकों के विश्वास को तोड़ना चाहते हैं, वे विदेशी निवेशकों के भारत में विश्वास को डिगाना चाहते हैं।
देश को बदनाम करने के लिए जी-20 से पहले OCCRP रिपोर्ट
अडानी के खिलाफ OCCRP की रिपोर्ट देश में जी-20 की बैठक से करीब एक हफ्ते पहले 31 अगस्त 2023 को जारी की गई और मीडिया की सुर्खियां बनीं। ओसीसीआरपी की रिपोर्ट में दावा किया गया कि कि गौतम अडानी ग्रुप द्वारा शेयरों के साथ गड़बड़ी का मामला हुआ है। OCCRP की रिपोर्ट के मुताबिक, अडानी ग्रुप ने गुपचुप तरीकों से खुद अपने शेयर्स खरीद कर के स्टॉक एक्सचेंज में लाखों डॉलर का निवेश कर रखा है। OCCRP के वर्तमान संपादक आनंद मंगनाले हैं जो चीनी प्रचार आउटलेट न्यूज़क्लिक से जुड़े रहे हैं। OCCRP को जार्ज सोरोस के OSF और फोर्ड फाउंडेशन द्वारा वित्त पोषित किया जाता है। ऐसे आरोपों का अडानी ग्रुप द्वारा अपने मीडिया स्टेटमेंट में खंडन किया गया है।
जार्ज सोरोस की सहयोगी सुनीता विश्वनाथ से मिले थे राहुल गांधी
एक तरफ जार्ज सोरोस भारत में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार को हटाना चाहता है। सोरोस के इरादे हर भारतवासी को पता है लेकिन इसके बाद भी राहुल गांधी ने जार्ज सोरोस की प्रतिनिधि सुनीता विश्वनाथ के साथ बैठक की थी। राहुल गांधी 4 जून 2024 को अमेरिका दौरे पर गए थे और जमाते इस्लामी से संबंधित एक इस्लामी संगठन से मिले थे। इस दौरान सोरोस के संगठन ओपन सोसायटी के मेंबर सलिल सेठी भी राहुल गांधी के साथ दिखाई दिए थे। सलिल सेठी राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में भी दिखाई दिए थे। सवाल यह उठता है कि जो भारत की सरकार को गिराना चाहता है उसके साथ राहुल गांधी आखिर क्या कर रहे थे। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राहुल गांधी सत्ता पाने के लिए इस हद तक समझौता कर रहे हैं। अमेरिकी एक्टिविस्ट सुनीता विश्वनाथ वही हैं जिन्हें तीन साल पहले अयोध्या में एंट्री से रोक दिया गया था।
पीएम मोदी के सामने बेवश पश्चिमी देश और अमेरिका बौखलाया
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA और पश्चिमी देश अपना हित साधने के लिए सरकार भी खरीद लेती थी और तमाम तरह की साजिश रचने में सफल हो जाती थी। इसका सबसे बड़ा उदाहरण 90 के दशक में हुए इसरो जासूसी कांड है। उस वक्त भारतीय वैज्ञानिक नंबी नारायण के नेतृत्व में भारत लिक्विड प्रोपेलेंट इंजन बनाने में सफल होने के करीब पहुंच गया था लेकिन CIA ने कांग्रेस सरकार और नेताओं को खरीद कर नंबी नारायण को जेल में डलवा दिया और भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम 20-30 साल पीछे चला गया। इसरो जासूसी कांड में जब नंबी नारायण को गिरफ्तार किया गया था तो उस वक्त केरल में कांग्रेस की सरकार थी। सीबीआई की जांच में सामने आया है कि नंबी नारायण की अवैध गिरफ्तारी में केरल सरकार के तत्कालीन बड़े अधिकारी भी शामिल थे। हाईकोर्ट में सीबीआई ने कहा कि नंबी नारायण की गिरफ्तारी संदिग्ध अंतरराष्ट्रीय साजिश का हिस्सा थी।