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महाराष्ट्र को मद्य-राष्ट्र (शराब राज्य) बना रही उद्धव सरकार, विरोध पर संजय राउत बोले- वाइन नहीं शराब, वाइन की बिक्री से किसानों की आय होगी दोगुनी

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महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ने गुरुवार (27 जनवरी, 2022) को नई शराब नीति की घोषणा की। इसके तहत सुपर मार्केट और आसपास की दुकानों पर शराब की बिक्री की अनुमति दी गई है। उद्धव सरकार के इस फैसले का बीजेपी ने विरोध किया है। बीजेपी का कहना है कि उद्धव सरकार राज्य में शराब को बढ़ावा देने का काम कर रही है। पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि उद्धव सरकार महाराष्ट्र को ‘मद्य-राष्ट्र’ (शराब राज्य) बनाने पर तुली है। 

उद्धव सरकार के फैसले का बचाव करते हुए शिवसेना सांसद संजय राउत ने जो दलील दी, उसे सुनकर हर कोई हैरान है। उन्होंने कहा कि वाइन शराब नहीं है। अगर वाइन की बिक्री बढ़ती है तो किसानों को इसका लाभ मिलेगा। हमने किसानों की आय को दोगुना करने के लिए ऐसा किया है। 

गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार के नए फैसले के मुताबिक, सुपर मार्केट और आसपास की दुकानों में अलग स्टॉल आधारित व्यवस्था बनाई जाएगी, जिनका क्षेत्रफल 100 वर्ग मीटर या उससे ज्यादा होगा और जो महाराष्ट्र की दुकान और प्रतिष्ठान कानून के तहत पंजीकृत होंगे। जिन जिलों में शराबबंदी लागू है, वहां भी शराब की बिक्री की अनुमति नहीं होगी। शराब बेचने के लिए सुपर मार्केट को 5 हजार रुपये का शुल्क देना होगा।

संजय राउत के बयान के बाद सोशल मीडिया पर वाइन और शराब को लेकर बहस छिड़ गई है। कई लोगों ने अल्कोहल की मात्रा के आधार पर सवाल पूछा हैं कि क्या वाइन ग्लास में अल्कोहल नहीं होता है? एक ट्विटर यूजर ने लिखा कि जिस तरह वाइन शराब नहीं है, उसी तरह हरामखोर अपमानजनक शब्द नहीं है। एक दूसरे यूजर ने लिखा कि हरामखोर मतलब ‘नॉटी’ की अपार सफलता के बाद अब एक ऐसा बयान आया है, जिसमें वाइन को शराब से अलग बताया गया है।

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