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फिर विवादों में ट्विटर, अब कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन PFI को दिया ‘ब्लू टिक’

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सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर ने फिर विवादित कदम उठाया है। ट्विटर ने कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के ट्विटर हैंडल को सत्यापित करते हुए ब्लू टिक दे दिया है। भारतीय कानूनों की लड़ाई में फंसी ट्विटर इंक ने शनिवार को सोशल मीडिया पर एक बड़ी बहस को बढ़ाते हुए कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की कर्नाटक इकाई के ट्विटर हैंडल को ‘सत्यापित’ कर दिया। यानि 16 हजार से अधिक फॉलोवर वाले पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की कर्नाटक इकाई के हैंडल को अब ट्विटर द्वारा ‘ब्लू टिक’ दे दिया गया है।

गौरतलब है कि कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर भारत में आतंकवादी हमलों को अंजाम देने और देश के विभिन्न हिस्सों में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक दंगे भड़काने के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इसके बाद भी ट्विटर ने इस संगठन के ट्विटर हैंडल को ब्लू टिंक देने का काम किया है।

आपको बता दें कि कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पीएफआई के खिलाफ अभी कुछ दिन पहले ही मोदी सरकार ने कड़ी कार्रवाई की थी। डालते हैं एक नजर-

आयकर विभाग की बड़ी कार्रवाई, कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का 80जी पंजीकरण रद्द

मोदी सरकार ने कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पीएफआई पूर्व में हिंसा फैलाने और समाज में नफरत फैलाने में लिप्त रहा है। पीएफआई पर कार्रवाई करते हुए आयकर विभाग ने कहा कि यह इस्लामी संगठन समुदायों के बीच ‘सद्भावना’ और ‘भाईचारे’ को खत्म कर रहा है। आईटी विभाग ने आयकर नियमों के उल्लंघन का हवाला देते हुए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का 80G पंजीकरण रद्द कर दिया है। आयकर विभाग ने अपने आदेश में कहा गया है कि पीएफआई ने आईटी अधिनियम की धारा 13(1)(बी) और धारा 12एए(4)(ए) का उल्लंघन किया है। आयकर कानून का सेक्‍शन 80G कुछ निश्चित रिलीफ फंड्स और चैरिटेबल संस्थानों को डोनेशन या दान देकर टैक्स कटौती का लाभ पाने का विकल्प उपलब्ध कराता है।

आपको बता दें कि पिछले साल जनवरी में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सीएए विरोधी दंगों के दौरान पीएफआई सदस्यों द्वारा की गई हिंसा के कारण पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। इतना ही नहीं पीएफआई के सदस्यों को अक्सर आपराधिक गतिविधियों में लिप्त पाया गया है, जिसमें सांप्रदायिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए हत्या भी शामिल है।

इसी साल फरवरी में केरल के चेलारी में पीएफआई ने अपने स्थापना दिवस पर रैली निकाली थी। इस रैली का वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था। वीडियो में परेड में आरएसएस की वेशभूषा पहने कुछ युवकों को जंजीर से जकड़ा हुआ दिखाया गया था। इसके अलावा जुलून में जमकर मजहबी नारे लगाए गए थे।

पीएफआई का हिंसा करने का काफी पुराना इतिहास है। नागरिकता संशोधन अधिनियम के मद्देनजर हिंदू विरोधी दिल्ली दंगों और देश भर में हिंसा की जाँच के दौरान, पीएफआई की भूमिका संदिग्ध रही है और पीएफआई के कई सदस्यों को दंगों में शामिल होने के लिए गिरफ्तार किया गया था। इसके अलावा पिछले साल नवंबर में कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने देश के विभिन्न हिस्सों में दंगों और हिंसा के लिए उकसाने के आरोपित किसानों के विरोध को अपना समर्थन दिया और प्रदर्शनकारियों को संविधान के संरक्षण के लिए संघर्ष करने के लिए कहा था।

जाहिर है कि पीएफआई और सिमी जैसे कट्टरपंथी इस्लामी संगठन विभिन्न राष्ट्र विरोधी गतिविधियों की फंडिंग के लिए कुख्यात हैं। दिसंबर 2019 में CAA के विरोध प्रदर्शनों के दौरान गृह मंत्रालय के साथ शेयर की गई एक खुफिया रिपोर्ट में कुछ ‘राजनीतिक दलों’ की तरफ इशारा किया था और SIMI जैसे कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया था।

 

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