प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 दिसंबर को नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दूसरे वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा शिखर सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने इस मंच से दुनिया को साफ संदेश दिया कि अब इलाज सिर्फ दवाओं तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह परंपरा और प्रौद्योगिकी (Tradition and Technology) के अद्भुत संगम से वैश्विक स्वास्थ्य को नई दिशा देगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत बड़े ही आत्मीय अंदाज में की। उन्होंने WHO के डायरेक्टर जनरल डॉ. टेड्रोस को उनके भारतीय नाम ‘तुलसी भाई’ से पुकारते हुए वैश्विक प्रतिनिधियों का स्वागत किया। पीएम मोदी ने कहा कि पिछले तीन दिनों में भारत एक ऐसे मजबूत ग्लोबल प्लेटफॉर्म के रूप में उभरा है, जहां दुनिया भर के विशेषज्ञों ने पारंपरिक चिकित्सा पर सार्थक मंथन किया है।

पीएम मोदी ने गर्व के साथ जामनगर, गुजरात में स्थापित ‘WHO ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन’ का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि 2022 में जो जिम्मेदारी भारत को मिली थी, उसका असर अब जमीन पर दिखने लगा है। यह सेंटर अब सिर्फ भारत का नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए पारंपरिक ज्ञान का केंद्र बन गया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘Traditional Medicine Global Library’ की शुरुआत की घोषणा करते हुए कहा कि यह एक ऐसा डिजिटल खजाना होगा जहां ट्रेडिशनल मेडिसिन से जुड़े वैज्ञानिक डेटा और पॉलिसी डॉक्यूमेंट्स पूरी दुनिया के लिए एक क्लिक पर उपलब्ध होंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि जब हम एआई (AI) और आधुनिक रिसर्च को आयुर्वेद जैसी प्राचीन पद्धतियों से जोड़ते हैं, तो परिणाम चमत्कारी होते हैं।

अक्सर पारंपरिक दवाओं पर सवाल उठते हैं कि क्या इनका कोई वैज्ञानिक प्रमाण है? पीएम मोदी ने इसका करारा जवाब दिया। उन्होंने ‘अश्वगंधा’ का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत अब साक्ष्य-आधारित रिसर्च के जरिए इसे ग्लोबल पब्लिक हेल्थ का हिस्सा बना रहा है। साथ ही, उन्होंने एक बड़ी घोषणा की कि भारत में ‘Integrative Cancer Care’ को मजबूत करने के लिए आयुष मंत्रालय और WHO मिलकर काम कर रहे हैं। यानी अब कैंसर के इलाज में आधुनिक चिकित्सा के साथ पारंपरिक पद्धतियों का भी सहारा लिया जाएगा।
समिट की थीम ‘Restoring Balance’ पर बात करते हुए उन्होंने आज के दौर की सबसे बड़ी चुनौतियों डायबिटीज, हार्ट अटैक और डिप्रेशन पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि आज वर्क-लाइफ, डाइट और स्लीप का बैलेंस बिगड़ चुका है। आयुर्वेद में संतुलन ही स्वास्थ्य है। उन्होंने आगाह किया कि आने वाले समय में एआई और रोबोटिक्स के युग में जब शारीरिक श्रम और कम होगा, तब ट्रेडिशनल हेल्थकेयर की भूमिका और भी बढ़ जाएगी।

प्रधानमंत्री मोदी ने बिमस्टेक (BIMSTEC) देशों के लिए ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ और जापान के साथ नए सहयोग का ऐलान किया। साथ ही, दिल्ली में खुले WHO के नए साउथ-ईस्ट एशिया रीजनल ऑफिस को भारत की तरफ से एक विनम्र उपहार बताया। प्रधानमंत्री ने योग को वैश्विक स्तर पर पहुंचाने वाले समर्पित लोगों को ‘पीएम पुरस्कार’ से सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि योग सिर्फ व्यायाम नहीं, बल्कि जीवन जीने का संतुलन है जिसे आज 175 से ज्यादा देश अपना चुके हैं।
अपने संबोधन के अंत में प्रधानमंत्री ने एक कड़ा आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पारंपरिक चिकित्सा एक निर्णायक मोड़ पर है। अब समय आ गया है कि हम विज्ञान के माध्यम से दुनिया का भरोसा जीतें। यह किसी एक देश का काम नहीं, बल्कि पूरी मानवता के प्रति हमारा साझा उत्तरदायित्व है। उन्होंने कहा कि आइए, हम संकल्प लें कि पारंपरिक चिकित्सा को विश्वास, सम्मान और जिम्मेदारी के साथ मिलकर के आगे बढ़ाएंगे।









