प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार में सड़क निर्माण के क्षेत्र में नए-नए कीर्तिमान स्थापित हो रहे हैं। जहां देशभर में एक्सप्रेसवे के निर्माण में तेजी आई है, वहींं बुनियादी ढांचे के विकास को लेकर अभूतपूर्व काम हुआ है। इसी क्राम में उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड के 7 जनपदों को जल्द ही बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे की सौगात मिलने वाली है। प्रधानमंत्री मोदी अगले महीने जुलाई माह में इसका उद्घाटन करने के लिए जालौन आ रहे है। चित्रकूट के गोंडा गांव के पास झांसी-मीराजपुर हाईवे से शुरू होकर इटावा के कुदरैल में लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे से जुड़ने वाला 296 किलोमीटर लंबा बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे लगभग बनकर तैयार है।
कम समय में बनने वाला पहला एक्सप्रेसवे
यूपीडा के इंजीनियर चंद्रभूषण ने बताया कि बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे की कार्ययोजना 27 माह की थी लेकिन यह 16 माह में ही बन जाएगा। यह इतने कम समय में बनने वाला पहला एक्सप्रेसवे है। वहीं एक्सप्रेसवे के उद्घाटन को लेकर तैयारियां जोरों से चल रही है। योगी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का पीएम नरेन्द्र मोदी के दौरे से पहले उच्च अधिकारियों ने निरीक्षण किया। झांसी मंडल के कमिश्नर अजय शंकर पांडेय, डीआईजी जोगिंदर सिंह ने जालौन की डीएम चांदनी सिंह और एसपी रवि कुमार के साथ मिलकर जालौन जनपद से निकले बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का निरीक्षण किया।
साकार हो रही नए बुंदेलखंड की परिकल्पना
नदियों पर बने पुल, जिलों की मुख्य सड़कों को जोड़ने वाले कट, लंबी-चौड़ी सड़क देखकर लगता है कि नए बुंदेलखंड की परिकल्पना साकार हो रही है। बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे छह लेन का होगा, लेकिन फिलहाल पक्की सड़क सिर्फ चार लेन की होगी। उसकी कुल लंबाई 110 मीटर है। दो लेन बाद में विस्तारित की जा सकती है। एक्सप्रेसवे का काम 20 जून तक 96 प्रतिशत पूरा हो चुका है।
विकास को गति और रोजगार के अवसर
बुंदलेखंड एक्सप्रेसवे का उद्घाटन होने से इसके आस-पास के इलाकों में विकास को गति मिलेगी। किसान अपने उत्पादों को कम समय में एक से दूसरी जगह आसानी से पहुंचा सकेंगे। भाविष्य में इस एक्सप्रेसवे के दोनों ओर विकसित होने वाले औद्योगिक कॉरिडोर, पर्यटकों की आवाजाही से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। दिल्ली समेत बड़े महानगरों से सड़क मार्ग से थोक माल लाने में रास्ते की समस्या कम होगी।
पीएम मोदी द्वारा शिलान्यास और उद्घटान
गौरतलब है कि 29 फरवरी, 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास किया था। यह एक्सप्रेस वे चित्रकूट से शुरू होकर बांदा, महोबा, हमीरपुर और जालौन होते हुए आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे से जोड़ते हुए दिल्ली पहुंचेगा। बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे के माध्यम से चित्रकूट से दिल्ली का सफर 7 घंटे में पूरा किया जा सकेगा। एक्सप्रेस वे पर लगी स्ट्रीट लाइटों में सिर्फ विधुत कार्य बाकी रह गया है और कुछ जगहों पर रंगाई पुताई का काम रह गया है जिसको तेजी के साथ कार्य पूरा किया जा रहा है।
पीएम मोदी की पहल पर केंद्र सरकार के आठ साल में किए गए इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण पर एक नजर –
कतर को पीछे छोड़ भारत ने सड़क निर्माण में बनाया विश्व रिकॉर्ड
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार देश के आधारभूत ढांचे के विकास पर विशेष ध्यान दे रही है। इसका परिणाम है कि इस क्षेत्र में रोज नए कीर्तिमान स्थापित हो रहे हैं। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग ने महाराष्ट्र में NH-53 पर अमरावती से अकोला के बीच 105 घंटे और 33 मिनट यानि 5 दिन से भी कम समय में 75 किमी लंबी सड़क बनाकर विश्व रिकॉर्ड बना दिया। इससे पहले सबसे तेज सड़क बनाने का रिकॉर्ड कतर के नाम था। कतर के दोहा में फरवरी 2019 में 25.275 किलोमीटर लंबी सड़क तैयार कर रिकॉर्ड बनाया गया था। इसे पूरा करने में 10 दिन का समय लगा था।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने ट्विटर पर एक वीडियो संदेश साझा किया जिसमें उन्होंने कहा, “भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा घोषित आजादी के अमृत महोत्सव के तहत भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग ने एक विश्व रिकॉर्ड बनाया है। जिसे गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने प्रमाणित किया है।” गडकरी ने इस उपलब्धि को लेकर राष्ट्रीय राजमार्ग के इस परिजोयना में शामिल राज पथ इंफ्राकॉन प्राइवेट लिमिटेड के सभी इंजीनियरों, ठेकेदारों, सलाहकारों, मजदूरों और श्रमिकों को बधाई दी है।
#ConnectingIndia with Prosperity!
Celebrating the rich legacy of our nation with #AzadiKaAmrutMahotsav, under the leadership of Prime Minister Shri @narendramodi Ji @NHAI_Official successfully completed a Guinness World Record (@GWR)… pic.twitter.com/DFGGzfp7Pk
— Nitin Gadkari (@nitin_gadkari) June 7, 2022
गौरतलब है कि हाईवे निर्माण का काम 3 जून की सुबह 7.27 बजे शुरू हुआ था। वहीं 7 जून की शाम 5 बजे एकल लेन बिटुमिनस कंक्रीट रोड का निर्माण खत्म हो गया। अगर दो लेन की पक्की रोड के हिसाब से देखें तो इसकी कुल लंबाई 37.5 किमी होती है। इसके निर्माण में 2,070 मीट्रिक टन बिटुमेन से युक्त 36,634 मीट्रिक टन के मिश्रण का उपयोग किया गया। इसे स्वतंत्र सलाहकारों की एक टीम सहित 720 श्रमिकों ने पूरा किया। इस रिकॉर्ड को बनाने के लिए इन सभी ने दिन-रात काम किया था।
Proud Moment For The Entire Nation!
Feel very happy to congratulate our exceptional Team @NHAI_Official, Consultants & Concessionaire, Rajpath Infracon Pvt Ltd & Jagdish Kadam, on achieving the Guinness World Record (@GWR) of laying 75 Km continuous Bituminous Concrete Road… pic.twitter.com/hP9SsgrQ57
— Nitin Gadkari (@nitin_gadkari) June 8, 2022
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री के मुताबिक अमरावती को एनएच 53 के हिस्से के रूप में अकोला खंड में जोड़ा गया है। यह एक महत्वपूर्ण पूर्व-पूर्व गलियारा है जो कोलकाता, रायपुर, नागपुर और सूरत जैसे प्रमुख शहरों को जोड़ता है। पूरा हो जाने के बाद यह इस मार्ग पर यातायात और माल की आवाजाही को आसान बनाने में प्रमुख भूमिका निभाएगा।
राष्ट्रीय राजमार्गों के प्रतिदिन विस्तार में तीन गुना बढ़ोतरी
केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद से पिछले आठ वर्षों में देश भर में राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण में काफी प्रगति हुई है। मोदी सरकार के पिछले आठ साल में राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण में डेढ़ गुना बढ़ोतरी हुई है। जहां राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई 2013-14 में 91,287 किलोमीटर थी, वो 2020-21 में बढ़कर 1,41,345 किलोमीटर हो गई। राष्ट्रीय राजमार्गों के प्रतिदिन विस्तार में तीन गुना बढ़ोतरी हुई है। 2013-14 में प्रति दिन 12 किमी नेशनल हाईवे का निर्माण होता था, वहीं 2020-21 में 37 किमी होने लगा। यूपीए सरकार की तुलना में सड़क निर्माण में तीन गुना वृद्धि हुई है। इसी तरह सड़क निर्माण में भी तेजी आई है। जहां 2013-14 में 4,260 किमी प्रति वर्ष तैयार होती थी, वहीं 2020-21 में तीन गुना बढ़कर 13,327 हो गया।
उपलब्धियां अभूतपूर्व,कोई भी देश मुकाबला करने में सक्षम नहीं
राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण की वर्तमान दर साल 2014-15 में लगभग 12 किमी प्रतिदिन की तुलना तीन गुना ज्यादा है। यह उपलब्धि इसलिए खास है क्योंकि कोरोना महामारी की वजह से शुरू के कुछ महीनों में लॉकडाउन के कारण निर्माण गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुईं। सड़क परिवहन और राजमार्ग और एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि ये उपलब्धियां अभूतपूर्व हैं और दुनिया का कोई भी देश इसका मुकाबला करने में सक्षम नहीं हैं।
3 हजार किमी एक्सप्रेसवे, 4 हजार किमी ग्रीनफील्ड हाइवे
मोदी सरकार ने भारतमाला प्रॉजेक्ट के दूसरे चरण के तहत एक्सप्रेस-वे बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। दूसरे चरण में सरकार ने कुल तीन हजार किलोमीटर एक्सप्रेस-वे और चार हजार किलोमीटर ग्रीनफील्ड हाइवे बनाने का लक्ष्य तय किया है। नई योजना के तहत वाराणसी-रांची-कोलकाता, इंदौर-मुंबई, बेंगलुरु-पुणे और चेन्नै-त्रिचि के बीच एक्सप्रेस-वे बनाने का प्रस्ताव रखा गया है। इसके साथ ही ग्रीनफील्ड हाइवे योजना के तहत पटना से राउरकेला, झांसी से रायपुर, सोलापुर से बेलगाम, गोरखपुर से बरेली और वाराणसी से गोरखपुर के बीच नए राजमार्ग बनाए जाएंगे। इन सड़कों के निर्माण के लिए 2024 तक की समयसीमा निर्धारित की गई है।
चीन सीमा पर कुल 61 सड़कों का निर्माण
प्रधानमंत्री मोदी ने केंद्र की सत्ता संभालते ही जहां पड़ोसी देशों के साथ रिश्ते बेहतर करने की कोशिश की, वहीं देश की सीमाओं पर बुनियादी ढांचे के विकास पर भी जोर दिया। सीमा पर सेना की पहुंच को आसान और तीव्र बनाने के लिए मोदी सरकार ने फंड और अन्य सुविधाएं देने में काफी तेजी दिखाई, जिसका नतीजा है कि चीन सीमा से लगी 61 रणनीतिक सड़कों की कनेक्टिविटी करीब-करीब पूरी कर ली गई है। सरकारी दस्तावेज के अनुसार, अरुणाचल, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर (लद्दाख सहित), उत्तराखंड और सिक्किम में चीन सीमा पर कुल 61 सड़कों का निर्माण चल रहा था। इनमें अरुणाचल में 27, हिमाचल में 5, कश्मीर में 12, उत्तराखंड में 14 और सिक्किम की 3 सड़कें शामिल हैं। इनकी कुल लंबाई 2323.57 किलोमीटर है।
चीन के विरोध के बाद भी गलवान नदी पर बना पुल
पूर्वी लदाख की गलवान घाटी में सेना के इंजीनियरों ने 60 मीटर लंबे उस पुल का निर्माण पूरा कर लिया, जिसे चीन रोकना चाहता था। गलवान नदी पर बने इस पुल से भारत-चीन सीमा के इस संवेदनशील सेक्टर में भारत की स्थिति बहुत मजबूत हो गई है। गलवान नदी पर बने इस पुल की मदद से अब सैनिक वाहनों के साथ नदी पार कर सकते हैं। गलवान पर पुल बनने के बाद भारत के जवान 255 किलोमीटर लंबे रणनीतिक डीबीओ रोड की सुरक्षा कर सकते हैं। यह सड़क दरबुक से दौलत बेग ओल्डी में भारत के आखिरी पोस्ट तक जाती है।
भारत-पाक सीमा पर 2100 किलोमीटर लंबी सड़कें
इसके अलावा, सरकार पाकिस्तान से लगे पंजाब और राजस्थान के इलाकों में 2100 किलोमीटर लंबे मुख्य और संपर्क मार्ग का भी निर्माण जारी है। ये सड़कें भारत के लिए रणनीतिक तौर पर काफी अहम होंगी। राजस्थान में 945 किलोमीटर मुख्य और 533 किलोमीटर संपर्क मार्ग, जबकि पंजाब में 482 किलोमीटर मुख्य और 219 किलोमीटर संपर्क मार्ग बनाए जा रहे हैं।
20 हजार गांवों में बिछेगा सड़कों का जाल
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार गांवों के समग्र विकास के लिए कार्य कर रही है। मोदी सरकार का स्पष्ट मानना है कि जब गांवों का विकास होगा तभी देश का विकास होगा। किसी भी क्षेत्र के विकास में सड़क, संपर्क मार्ग, यातायात के साधन अहम भूमिका निभाते हैं। इसीलिए मोदी सरकार का जोर देश के एक-एक गांव को सड़क मार्ग से जोड़ने का है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत रिकॉर्ड स्तर पर सड़कें बनाई गई हैं।
नक्सल प्रभावित इलाकों में भी सड़क निर्माण
मोदी सरकार का मानना है कि विकास के जरिए ही हिंसा और नक्सलवाद की समस्या को खत्म किया जा सकता है। इसके लिए नक्सल प्रभावित इलाकों में सड़क निर्माण पर सरकार का खास ध्यान है। देश में कई राज्यों में नक्सल प्रभावित ऐसे इलाकों में सड़कें बनाई जा रही हैं, जहां अभी तक किसी के जाने की हिम्मत तक नहीं होती थी। नक्सल प्रभावित इलाकों में कुल 268 सड़कों के लिए 4134 किमी लंबाई की सड़कों के बनाने का लक्ष्य तय किया गया है, जिसके लिए 4142 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। ये सड़कें बिहार, झारखंड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, ओडिसा और मध्य प्रदेश के नक्सल प्रभावित इलाकों में बनाई जाएंगी।
पूर्वोत्तर की लाइफलाइन बोगीबील पुल राष्ट्र को समर्पित
प्रधानमंत्री मोदी ने 25 दिसंबर, 2018 को वाजपेयी जी के जन्मदिन पर असम में बोगीबील पुल को राष्ट्र को समर्पित किया। ब्रह्मपुत्र नदी पर बना यह देश का सबसे लंबा रेल सह सड़क पुल है। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 2002 में इसका शिलान्यास किया था। इस पुल को वैसे तो 6 साल में बनकर तैयार होना था लेकिन इसे पूरा होने में 16 साल का लंबा वक्त लग गया। यूपीए सरकार के दौरान पुल का काम एक तरह से रुका रहा और 12 साल में सिर्फ 58% काम किया पूरा किया गया। 2014 में प्रधानमंत्री मोदी की सरकार आने के बाद ब्रिज का निर्माण युद्धस्तर पर शुरू हुआ और 2018 में बनकर तैयार हो गया। बोगीबील रेल-रोड पुल असम समेत पूर्वोत्तर में विकास के नए रास्ते खोल रहा है। असम के डिब्रूगढ़ में ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तरी और दक्षिणी तटों पर बनाया गया यह पुल असम के धीमाजी जिले को डिब्रूगढ़ से जोड़ता है। पुल के निर्माण में 5920 करोड़ रुपए की लागत आई।
सबसे लंबी सड़क सुरंग और पुल राष्ट्र को समर्पित
देश की सबसे लंबी सुरंग चेनानी-नाशरी सुरंग राष्ट्र को समर्पित किया गया। असम में ब्रह्मपुत्र नदी पर बने देश के सबसे लंबे पुल को भी जनता को समर्पित किया गया। 9.15 किलोमीटर लंबे ढोला-सादिया पुल (भूपेन हजारिका पुल) ने ऊपरी असम और अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी हिस्से के बीच चौबीस घंटे की कनेक्टिविटी को सुनिश्चित किया है। इसके साथ ही भरुच में नर्मदा के ऊपर और कोटा में चंबल के ऊपर बने पुल भी जनता को समर्पित किए जा चुके हैं।
भारतमाला परियोजना फेज-1
भारतमाला परियोजना के तहत देश के पश्चिम से लेकर पूर्व तक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सड़कों का जाल बिछाने की योजना है। इसके लिए नेशनल हाईवे के 53,000 किलोमीटर के हिस्से की पहचान की गई है जिसके फेज-1 में 2017-18 से 2021-22 तक 24,800 किलोमीटर के काम को पूरा किया जाएगा। इसके दायरे में नेशनल कॉरिडोर के 5,000 किलोमीटर, इकोनॉमिक कॉरिडोर के 9,000 किलोमीटर, फीडर कॉरिडोर और इंटर-कॉरिडोर के 6,000 किलोमीटर, सीमावर्ती सड़कों के 2,000 किलोमीटर, 2,000 किलोमीटर कोस्टल और पोर्ट कनेक्टिविटी रोड और 800 किलोमीटर के ग्रीन-फील्ड एक्सप्रेसवे आते हैं। फेज-1 पर लगभग 5 लाख 35 हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा। सबसे बड़ी बात यह है कि फेज-1 के इस पूरे कार्य के दौरान रोजगार के करीब 35 करोड़ श्रमदिवसों का सृजन होगा।
सेतु भारतम से सड़क पर सुरक्षा
मार्च 2016 में लॉन्च की गई इस योजना का मकसद है सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करना। इसके तहत सभी नेशनल हाईवे को रेलवे ओवरब्रिज और अंडरपास बनाकर रेलवे क्रॉसिंग से मुक्त करना है। 1500 पुराने और जीर्णशीर्ण पुलों को नए सिरे से मजबूती के साथ ढालना है और चौड़ा करना है। 20,800 करोड़ की लागत से 208 रेलवे ओवरब्रिज और अंडरब्रिज का निर्माण किया जा रहा है।
चारधाम महामार्ग विकास परियोजना
27 दिसंबर 2016 को लॉन्च की गई इस परियोजना का मकसद है हिमालय में स्थित चारधाम तीर्थ केंद्रों की कनेक्टिविटी को बेहतर करना। इससे तीर्थयात्रियों का सफर और अधिक सुरक्षित, तेज और सुविधाजनक होगा। नेशनल हाईवे के करीब 900 किलोमीटर के हिस्से के आसपास होने वाले इस कार्य की अनुमानित लागत है करीब 12,000 करोड़ रुपये।
मोदी सरकार देश में 111 जलमार्गों के विकास में जुटी हुई है। आइए डालते हैं देश में जलमार्गों के विकास पर एक नजर-
मोदी सरकार में जलमार्गों के निर्माण में तेजी से प्रगति हुई है। जहां 2014 में अंतरदेशीय राष्ट्रीय जलमार्गों की संख्या केवल पांच थी, वहीं अब इसकी संख्या बढ़कर 111 हो गई है। मोदी सरकार का उद्देश्य भारत में अंतर्देशीय जल परिवहन को एक किफायती, पर्यावरण के अनुकूल और रेल और सड़क परिवहन के पूरक साधन के रूप में बढ़ावा देना है। राष्ट्रीय जलमार्गों के विकास से भी जलमार्गों के साथ भीतरी इलाकों के औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
मणिपुर में लोकतक जलमार्ग परियोजना के लिए 25.58 करोड़ रुपये
शिपिंग मंत्रालय ने मणिपुर में लोकतक अंतर्देशीय जलमार्ग सुधार परियोजना के विकास को मंजूरी दी। इस परियोजना पर 25.58 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। लोकतक झील दरअसल पूर्वोत्तर में ताजे पानी की सबसे बड़ी झील है, जो मणिपुर के मोइरंग में है। शिपिंग राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि पूर्वोत्तर अत्यंत आकर्षक भू-परिदृश्य वाला एक मनोरम क्षेत्र है और वहां पर्यटन के लिए अपार अवसर हैं। उन्होंने कहा कि इस परियोजना के तहत पूर्वोत्तर राज्यों में अंतर्देशीय जल परिवहन कनेक्टिविटी को विकसित किया जाएगा और इससे पर्यटन क्षेत्र को भी काफी बढ़ावा मिलेगा।
कोलकाता से काशी के बीच कंटेनर सेवा
आजादी के बाद पहली बार गंगा के जरिए हल्दिया (प.बंगाल)-प्रयागराज (यूपी) जलमार्ग शुरू हुआ। इस मार्ग पर 2000 टन के जहाजों का आवागमन संभव है। प्रधानमंत्री मोदी ने 12 नवंबर, 2018 को वाराणसी में देश के पहले मल्टी मॉडल टर्मिनल का उद्घाटन किया था। उन्होंने जलमार्ग के जरिए हल्दिया से वाराणसी आए मालवाहक जहाज का स्वागत किया। इससे परिवहन का वैकल्पिक तरीका उपलब्ध होगा जो पर्यावरण के अनुकूल होगा। इस परियोजना से देश में लॉजिस्टिक्स की लागत को कम करने में मदद मिलेगी। सरकार ने कहा है कि इससे बुनियादी ढांचा विकास मसलन मल्टी माडल और इंटर मॉडल टर्मिनल, रोल ऑन-रोल ऑफ (रो-रो) सुविधा, फेरी सेवाओं तथा नौवहन को प्रोत्साहन मिलेगा।
46 हजार रोजगार का सृजन
राष्ट्रीय जलमार्ग-1 के विकास एवं परिचालन से 46,000 प्रत्यक्ष रोजगार के अवसरों का सृजन होगा। इसके अलावा जहाज निर्माण उद्योग में 84,000 अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इस परियोजना के मार्च 2023 तक पूरा होने की उम्मीद है। यह परियोजना उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल में पड़ती है। इसके तहत आने वाले प्रमुख जिलों में वाराणसी, गाजीपुर, बलिया, बक्सर, छपरा, वैशाली, पटना, बेगूसराय, खगड़िया, मुंगेर, भागलपुर, साहिबगंज, मुर्शिदाबाद, पाकुर, हुगली और कोलकाता शामिल हैं।
परियोजना के प्रमुख घटक:
- फेयरवे विकास
- वाराणसी में मल्टीमॉडल टर्मिनल निर्माण
- साहिबगंज में मल्टीमॉडल टर्मिनल निर्माण
- हल्दिया में मल्टीमॉडल टर्मिनल निर्माण.कालूघाट में इंटरमॉडल टर्मिनल निर्माण
- गाजीपुर में इंटरमॉडल टर्मिनल निर्माण
- फरक्का में नए नेविगेशन लॉक का निर्माण
- नौवहन सहायता का प्रावधान
- टर्मिनलों पर रोल ऑन- रोल ऑफ (आरो-आरो) की पांच जोडि़यों का निर्माण
- एकीकृत जहाज मरम्मत तथा रख रखाव परिसर का निर्माण
- नदी सूचना प्रणाली (आरआईएस) तथा जहाज यातायात प्रबंधन प्रणाली (पीटीएमएस) का प्रावधान
- किनारा संरक्षण कार्य
पीपीपी मोड में कोलकाता तथा पटना टर्मिनलों का विकासः
भारतीय जल परिवहन क्षेत्र में निजी निवेश बढ़ाने के लिए एडब्ल्यूएआई ने कोलकाता टर्मिनल (जीआर जेट्टी-i, जीआर जेट्टी-ii तथा बीआईएसएन) और पटना टर्मिनल (गायघाट तथा कालूघाट) की पहचान की है ताकि सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी) मोड में उनका विकास और संचालन किया जा सके।
रो-रो टर्मिनलों का निर्माणः
इसके साथ ही राजमहल, मानिकचक, समदाघाट, मनीहारी, कहलगांव, तीनटंगा, हसनपुर, बख्तियारपुर, बक्सर तथा सरायकोटा में रो-रो टर्मिनलों का निर्माण किया जा रहा है।
6 शहरों में फेरी टर्मिनलः
वाराणसी, पटना, भागलपुर, मुंगेर, कोलकाता तथा हल्दिया में फेरी टर्मिनलों के निर्माण के लिए उचित स्थानों की पहचान के लिए दिसंबर, 2016 में थॉम्सन डिजाइन ग्रुप (टीडीजी), बोस्टन (अमेरिका) तथा मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान (एमआईटी) (अमेरिका) के संयुक्त उद्यम को ठेका दिया गया।
राष्ट्रीय राजमार्ग-1 पर नदी सूचना सेवा
आईडब्ल्यूएआई ने भारत में पहली बार राष्ट्रीय जलमार्ग-1 पर नदी सूचना सेवा प्रणाली स्थापित करने की तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण परियोजना शुरू की। नदी सूचना प्रणाली (आरआईएस) उपकरण, हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी सेवाएं है जिसका उद्देश्य अंतर-देशीय नौवहन में अधिकतम यातायात और परिवहन प्रक्रिया हैं।
भारत में कुल 14,500 किलोमीटर लंबा जलमार्ग
एक अनुमान के मुताबिक भारत में कुल 14,500 किलोमीटर लंबा जलमार्ग है। इनमें बड़े कार्गो को 5,000 किलोमीटर ले जाया जा सकता है, इसके अलावा लगभग 4,000 किलामीटर लंबी नहरों के जरिए भी माल ढुलाई हो सकती है। मोदी सरकार ने इस सुनहरे अवसर को समझते हुए ब्रह्मपुत्र नदी में 891 किलोमीटर, केरल की वेस्ट कोस्ट नहर में 205 किलोमीटर और गुजरात की तापनी नदी पर 173 किलोमीटर लंबा जलमार्ग बनाने की योजनाओं पर काम कर रही है। इनके शुरू होने से सड़कों पर बोझ, जाम, ईंधन का खर्च और प्रदूषण से भी मुक्ति मिलेगी। रोजगार के अलावा नदियों के किनारे और जलमार्गों पर पर्यटन की भी असीम संभावनाएं हैं। गंगा नदी में कई स्थानों पर रोरो सेवा शुरू की जा रही है। सी प्लेन तैयार करने की कोशिशें हो रही है।
नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन परियोजना
नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन परियोजना (एनआईपी) को 6,835 परियोजनाओं के साथ लॉन्च किया गया था। अब कुल 142.45 लाख करोड़ रुपये की लागत से एनआईपी का विस्तार लगभग 9,367 परियोजनाओं तक हो गया है। 2,444 परियोजनाओं पर काम चल रहा है। वहीं मेट्रो के विस्तार में भी प्रगति हुई है। 2014 में देश के 5 शहरों में कुल 248 किमी लंबा मेट्रो नेटवर्क था। 2022 में देश के 18 शहरों में कुल 723 किमी लंबा मेट्रो नेटवर्क है।