मुस्लिम तुष्टिकरण में लगी गहलोत सरकार को हिंदू पर्व-त्यौहारों की कोई फिक्र ही नहीं लगती। तभी तो करौली में पिछले साल हिंदू नववर्ष पर शोभायात्रा के दौरान सुनियोजित दंगों से लेकर अब कोटा में रामनवमी शोभायात्रा तक में पुलिस-प्रशासन की लापरवाही साफ नजर आ रही है। करौली की बाइक रैली में पुलिस लापरवाही से पथराव और फिर दंगा हुआ। अब कोटा में जहां से रामनवमी की शोभायात्रा निकल रही थी, वहां हाईटेंशन लाइन के चलते करंट फैल गया और तीन राम भक्तों की असमय मौत हो गई। प्रशासन को पता था कि शोभायात्रा के मार्ग पर कम ऊंचाई पर 11 केवी हाईटेंशन लाइन है। शोभायात्रा के दौरान अखाड़ों के करतब होते हैं। इसके बावजूद उसी मार्ग पर शोभायात्रा की अनुमति दे दी और 11 केवी के झूलते तारों को सही कराने के लिए कुछ नहीं किया, जो बाद में राम भक्तों की मौक का कारण बने।जनता के प्रति जवाबदेही खत्म, हड़ताल से हो रही मौतों के बाद भी ठोस उपाय नहीं
राजस्थान में इन दिनों ऐसा लग रहा है कि कानून-व्यवस्था, लोगों के प्रति जवाबदेही, जनता की फरियादों को नक्कारखाने में तूती की आवाज की तरह दबाया जा रहा है। ताजातरीन राइट टू हेल्थ बिल का उदाहरण सामने है। इसके विरोध में हड़ताल कर रहे डॉक्टरों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है और हड़ताल के कारण लोगों की जान जा रही है। इसके बावजूद चिकित्सा मंत्री अपनी जिद पर अड़े रहकर कह रहे हैं कि डाक्टर हड़ताल करें तो करें। हम मनचाहा बिल पास कराकर रहेंगे। मानो राजस्थान में कांग्रेस का नहीं पोपाबाई का राज चल रहा हो !! राजस्थान में तो गाहे-बगाहे इस जुमले का प्रयोग होता ही रहता है। खास तौर पर जहां अव्यवस्था हो, अराजकता हो या लगे कि कानून का राज नहीं है। मतलब जहां किसी तरह की कोई व्यवस्था नजर नहीं आए, उसको ‘पोपाबाई का राज’ कहा जाता है। इस जुमले को कमोबेश हर कोई चटखारे के साथ बोलता है।कोटा में रामनवमी का शोभायात्रा के दौरान प्रशासन की लापरवाही सामने आई
ऐसे ही पोपाबाई के राज का उदाहरण रामनवमी के मौके पर कोटा में देखने को मिला। कहने को यहां से सीएम अशोक गहलोत के सबसे करीबी यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल आते हैं, लेकिन पुलिस-प्रशासन की लापरवाही अव्वल दर्जे की है। इसी लापरवाह कार्यशैली के चलते कोटा जिले के कोटड़ा दीपसिंह गांव में रामनवमी के जुलूस के दौरान तीन युवा भक्तों की जान चली गई। जुलूस के दौरान 11 केवी की हाईटेंशन लाइन से करंट लगने से तीन राम भक्तों की मौत हो गई। प्रशासनिक अधिकारियों को पता था कि हाईटेंशन लाइन कम ऊंचाई पर है, फिर भी इस मार्ग पर शोभायात्रा की अनुमति तो दे दी गई, लेकिन लाइट को ठीक नहीं कराया, जिससे अखाड़े के युवकों के करतब के दौरान कोई हादसा न होने पाए।शोभायात्रा मार्ग पर नीची हाईटेंशन लाइन के कारण करंट फैलने से तीन की मौत
शोभायात्रा में अखाड़े के एक पट्टेबाज का हाथ लाइन नीची होने के कारण हाईटेंशन लाइन को छू गया और करंट फैल गया। इससे अचानक शोभायात्रा में अफरातफरी फैल गई। हादसे से मौके पर भगदड़ मच गई। बता दें कि अखाड़े के युवक का हाथ 11 केवी की इलेक्ट्रिक लाइन को छूने के बाद तेज धमाके साथ सात युवक करंट की चपेट में आ गए। उन्हें सुल्तानपुर हॉस्पिटल ले जाया गया। वहां, डॉक्टरों ने तीन को मृत घोषित कर दिया। अन्य चार का अस्पताल में इलाज चल रहा है। करतब दिखाने वाले सभी लोग श्री मंशापूर्ण व्यायामशाला, बड़ौद नगर से जुड़े हुए थे।
शोभायात्रा के दौरान हुए हादसे पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने जताया शोक
हाईटेंशन लाइन के तेज करंट से गंभीर घायल होने के चलते इलाज के दौरान बड़ोद निवासी महेंद्र यादव, अभिषेक नागर, ललित प्रजापति की मौत हो गई। हादसे में झुलसे हिमांशु, राधेश्याम और अमित को कोटा रेफर किया गया है एक अन्य घायल का सुल्तानपुर में इलाज चल रहा है। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने ग्राम कोटड़ा दीप सिंह में रामनवमी जुलूस के दौरान हुए हादसे पर शोक जताया है। स्पीकर बिरला ने मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि करंट लगने से हुए हादसे में युवकों की मृत्यु हृदयविदारक है। मेरी गहन संवेदनाएं शोकाकुल परिवारों के साथ हैं। घायलों के स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना करता हूं।
जोधपुर : अक्षय तृतीया पर्व पर सीएम के ‘घर’ में भड़की थी सुनियोजित हिंसा
इससे पहले भी जोधपुर से लेकर करौली तक हिंदू पर्वों के दौरान या माहौल बिगाड़ने के लिए हिंसक वारदातें प्रदेश में हुई हैं। राजस्थान में अजीब हालात इसलिए भी बने हुए हैं कि प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कहीं भी हिंसा या दंगों की बात स्वीकार नहीं करते। हिंसा के वीडियो वायरल होने के बावजूद उनके लिए यह छुट-पुट घटनाएं होती हैं। इसके चलते पुलिस प्रशासन लापरवाह और उपद्रवियों के हौसले बढ़ते हैं। पड़ताल में यह शीशे की तरह साफ हो गया है कि जोधपुर में हिंसा महज एक इतेफाक नहीं था अक्षय तृतीया के दिन ही जोधपुर में दंगे भड़क उठें। सामान्यत: घरों और दुकानों में न मिलने वाली तेजाब की बोतलें, उस दिन दर्जनों दंगाइयों के हाथों में थीं। एक गली से शुरू हुआ उपद्रव देखते-देखते ही जोधपुर के कई इलाकों में पहुंच गया। सब कुछ पहले से प्लांड था और जिस तरह से घटनाएं घटी, ये भी तय है कि ये प्लानिंग काफी समय से की जा रही थी।
ग्राउंड रिपोर्ट : पुलिस को जालोरी गेट पर बिजी कर दंगाइयों से शहर में आतंक मचाया
जोधपुर की ग्राउंड जीरो की रिपोर्ट में जो सच सामने आया वो सिर्फ हैरान करने वाला नहीं, होश उड़ाने वाला था। दंगाइयों ने पहले से प्लान कर रखा था कि पुलिस मौके पर पहुंचे तो क्या करना है। यही वजह थी कि भारी पुलिस फोर्स होने के बावजूद पुलिस को हालात को कंट्रोल करने में कई घंटे लग गए। जालोरी गेट चौराहे पर जब सैकड़ों की तादाद में लोग प्रदर्शन कर रहे थे तो पुलिस के कई बड़े अफसरों सहित 200 से ज्यादा का अमला भीड़ को कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा था। पुलिस लाठीचार्ज कर भीड़ को खदेड़ रही थी। दंगाइयों को इसी मौके का इंतजार था। पुलिस जालोरी गेट चौराहे पर बिजी थी और दंगाई शहर के भीतरी इलाकों की तरफ निकल गए। दंगाइयों ने कबूतरों का चौक, सोनारो का बास, ईदगाह मस्जिद, जालोरी गेट, शनिचरजी का थान, ईशाकिया आदि मोहल्लें में 3-4 घंटे तक जमकर आतंक मचाया।नागौर: जोधपुर की तपिश ठंडी होने से पहले ही दो गुटों ने मचाया बवाल
जोधपुर में ईद के दिन हुई हिंसा का मामले की तपिश अभी ठंडी भी नहीं पड़ी थी कि अब राज्य के नागौर से बवाल की खबर सामने आ रही है। यहां दो गुट आपस में ही भिड़ गए, बताया जा रहा है कि नागौर में ईद मनाने को लेकर कहासुनी के बाद दो पक्ष आपस में भिड़ गए । मामूली कहासुनी से शुरू हुआ विवाद इतना बढ़ा कि दोनों गुट आपस में लड़ने मरने-मारने पर उतारू हो गए। नागौर स्थित किदवई कॉलोनी में मुस्लिम समुदाय के दो पक्षों में किसी बात को लेकर विवाद छिड़ गया, और दोनों पक्ष के लोगों के बीच कहासुनी शुरू हो गई और देखते ही देखते दोनों पक्षों के लोग उग्र हो गए और एक दूसरे पर पथराव शुरू कर दिया। दोनों ओर से जमकर पत्थर चलाए गए वहीं उपद्रवियों ने कुछ बाइकें तोड़ दी इस पत्थरबाजी में आधा दर्जन लोगों के घायल होने की खबर सामने आ रही है।भीलवाड़ा: एक दर्जन से ज्यादा नकाबपोशों ने मारपीट करके बाइक जलाईं
राजस्थान में जोधपुर-नागौर के बाद भीलवाड़ा सुलग उठा था। यहां दो युवकों के साथ एक दर्जन से ज्यादा नकाबपोशों ने मारपीट करके उनकी बाइक जला दी। इसके बाद लोगों ने हमलावरों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर घायलों को अस्पताल ले जाने का विरोध किया। हालांकि, पुलिस-प्रशासन की समझाइश के बाद घायलों को जिला अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। घायलों को इलाज के लिए ले जाने के बाद भी शहर में तनाव कम नहीं हुआ। हालात को देखते हुए सांगानेर इलाके में 33 थानों के 150 से ज्यादा जवानों को तैनात किया गया है। राजस्थान में करौली, अलवर, जोधपुर, नागौर और अब भीलवाड़ा में माहौल खराब करने की कोशिश के तौर पर इस घटना को देखा जा रहा है।
जब रोम जल रहा था तो नीरो बांसुरी बजा रहा था…
रोम जल रहा था तो नीरो बांसुरी बजा रहा था…इसी तर्ज पर राजस्थान में जब मुख्यमंत्री का घर (जोधपुर) जल रहा था तो वो जन्मदिन की बधाइयां लेने, गुलदस्ते और बुके लेने में मशगूल थे। जोधपुर में हिंसा एक के बाद एक दूसरे थानों तक बढ़ती रही। दंगाई और पत्थरबाजों ने एक कदम आगे जाकर एक युवक की पीठ में चाकू तक घोंप दिया। करौली के बाद अब जोधपुर में हिंसा का ताडंव हुआ और गहलोत सरकार और उसका प्रशासन उसे रोक पाने में विफल रहा। हैरानी की बात तो यह है कि देशभर में करौली दंगों के वीडियो वायरल होने और सरकार को कठघरे में खड़ा करने के बावजूद सीएम अशोक गहलोत कह रहे हैं, “हम लोगों ने कहीं दंगा कहीं होने नहीं दिया। न करौली में, न राजगढ़, न जोधपुर में। इसलिए कोई जान-माल का नुकसान नहीं हुआ, कोई बड़ी घटना नहीं हुई।” करौली में हुए दंगों के लिए तो सीएम गहलोत ने बीजेपी अध्यक्ष नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह के दौरों को दोषी ठहरा दिया था, लेकिन अब सीएम किसे दोष देंगे?हिंसा के 12 घंटे बाद भी पुलिस उपद्रवियों को रोकने में नाकाम रही
राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत बंद आंखों से क्या देख पा रहे हैं, यह तो वही जानें, लेकिन हकीकत यह है कि जोधपुर में ईद के मौके पर जमकर बवाल के बाद तनाव बना हुआ है। प्रशासन ने जोधपुर के 10 इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया है। उपद्रव, हिंसा, पत्थरबाजी और चाकूबाजी के बाद लोगों ने सूरसागर इलाके में विधायक के घर के बाहर आगजनी की। जोधपुर में दो गुटों के बीच हुए विवाद के 12 घंटे बाद भी पुलिस उपद्रवियों को रोकने में नाकाम रही।