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बंगाल की ममता सरकार में किसानों की दुर्दशा, न बिजली की सब्सिडी मिल रही, न फसलों का उचित मूल्य, किसान आत्महत्या करने को मजबूर

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी किसान और जमीन के मुद्दे को लेकर सत्ता में आईं। लेकिन सत्ता में आते ही किसानों की उपेक्षा शुरू कर दी। आज किसानों को बिजली सब्सिडी नहीं मिल रही है और फर्टिलाइजर की ब्लैक मार्केटिंग हो रही है। इसकी वजह से किसान आत्महत्या करने को मजबूर है। बीजेपी ने ममता को उसी के अस्त्र से हमले करना शुरू कर दिया है। राज्य में किसानों की दुर्दशा के प्रति ममता सरकार की उदासीनता को लेकर बीजेपी ने मंगलवार (14 दिसंबर, 2021) को हुगली जिले के सिंगूर में सात सूत्री मांगों को लेकर तीन दिवसीय आंदोलन शुरू किया, जो आगामी 16 दिसंबर तक चलेगा।  

बीजेपी ने आंदोलन की शुरुआत उस सिंगुर से की है, जहां से ममता बनर्जी ने वाम मोर्चा सरकार के जबरन भूमि अधिग्रहण के खिलाफ हुए आंदोलन के बाद राज्य का राजनीतिक परिदृश्य बदल दिया था। माकपा के नेतृत्व वाले गठबंधन के 34 साल लंबे शासन की नींव हिला दी थी। पश्चिम बंगाल की राज्य इकाई के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार और नेता प्रतिपक्ष व बीजेपी विधायक शुभेंदू अधिकारी के नेतृत्व में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने विभिन्न मांगों को लेकर सिंगूर तक मार्च निकाला। इन मांगो में किसानों को उनके उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिलवाने, ईंधन पर मूल्य वर्धित कर (वैट) में कटौती, बिजली के बिल में कटौती, उर्वरक की कीमतें कम किए जाने सहित सात सूत्री मांगें शामिल हैं।

इस मौके पर शुभेंदू अधिकारी ने ममता बनर्जी पर हमला करते हुए कहा कि बंगाल में बिजली की सब्सिडी नहीं मिल रही है, फर्टिलाइजर की ब्लैक मार्केटिंग हो रही है, किसान आत्महत्या कर रहे हैं। ममता बनर्जी ने 2019 से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को हटा दिया, इसका बुरा असर हुआ। छोटे किसानों का 5 लाख रुपये तक का कर्ज़ माफ कर देना चाहिए। हम किसानों के मुद्दों पर सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए किसानों के साथ सिंगूर में राजमार्ग पर तीन दिवसीय आंदोलन करेंगे। अगर 72 घंटों के भीतर राज्य सरकार जवाब नहीं देती है, तो हम अपने विरोध को और तेज करेंगे।

प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि पश्चिम बंगाल में किसान मर रहे हैं, लेकिन राज्य सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है। उन्होंने कहा, ”टीएमसी नेता पिछले दस वर्षों में करोड़पति बन गए हैं, और जिन किसानों ने उन्हें सत्ता में आने में मदद की, उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया गया है। किसानों के लाभ के लिए कुछ भी नहीं किया गया है, यहां तक कि पीएम किसान सम्मान निधि को रोकने के प्रयास भी किए गए हैं। यह टीएमसी का असली चेहरा है।”

गौरतलब है कि 2006 में ममता बनर्जी ने कोलकाता से लेकर सिंगूर तक टाटा की नैनो कार परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण के खिलाफ धरना और प्रदर्शन किया था। उस आंदोलन की वजह से टाटा को बंगाल के सिंगूर से गुजरात जाना पड़ा और 2011 में 34 वर्षों के वाम शासन का अंत हो गया था। ममता के आंदोलन की वजह से वहां कारखाना नहीं लगा जिसका मलाल आज भी किसानों को है। किसान जमीन मिलने के बाद भी खुश नही हैं। क्योंकि उक्त जमीन पर ठीक से खेती भी नहीं हो पा रही है। अब सिंगूर के किसान कह रहे हैं कि बीजेपी के धरने से एक बार फिर 15 वर्ष पहले हुए आंदोलन की याद ताजी हो गई है।

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