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राष्ट्र सत्ता से नहीं, संस्कृति, संस्कारों और सामर्थ्य से सृजित होता है- प्रधानमंत्री मोदी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वाराणसी में शैव समुदाय से जुड़े जंगमबाड़ी मठ पहुंचे, जहां वह जगद्गुरु विश्वाराध्य गुरुकुल के जन्मशती समारोह के समापन कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने पुस्तक “सिद्धार्थ शिखामणि ग्रंथ” का 19 भाषाओं में रूपांतरण का विमोचन किया और उसके मोबाइल एप को लॉन्च किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने जंगमबाड़ी मठ में मौजूद संतों को संबोधित करते हुए कहा कि काशी का जनप्रतिनिधि हूं और काशी की धरती पर संतों का आशीर्वाद का सौभाग्य मिला। संस्कृत और संस्कृति की संगम स्थली में आप सभी के बीच आना मेरे लिए सौभाग्य का विषय है। बाबा विश्वनाथ के सानिध्य में, मां गंगा के आंचल में, संतवाणी का साक्षी बनने का अवसर कम ही मिल पाता है। 

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि तुलसीदास जी कहा करते थे- ‘संत समागम हरि कथा तुलसी दुर्लभ दोउ’। इस भूमि की यही विशेषता है। ऐसे में वीरशैव जैसी संत परंपरा को युवा पीढ़ी तक पहुंचा रहे जगद्गुरु विश्वराध्य गुरुकुल के शताब्दी वर्ष का समापन एक गौरवशाली क्षण है। उन्होंने कहा कि भारत में राष्ट्र का ये मतलब कभी नहीं रहा कि किसने कहां जीत हासिल की, किसकी कहां हार हुई ! हमारे यहां राष्ट्र सत्ता से नहीं, संस्कृति और संस्कारों से सृजित हुआ है, यहां रहने वालों के सामर्थ्य से बना है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ऐसे में वीर शैव की संत परंपरा के शताब्दी वर्ष का आयोजन सुखद है। वीर शब्द का अर्थ वीरता का नहीं बल्कि वीर शैव परंपरा में वीर को आध्यात्मिक अर्थ से परिभाषित किया गया है। मानवता का महान संदेश नाम से जुड़ा है जिससे समाज को भय, विरोध और विकारों से निकालने के लिए परंपरा का आग्रह और नेतृत्व रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जंगमबाड़ी मठ भावात्मक और मनोवैज्ञानिक रूप से वंचित साथियों के लिए प्रेरणा का माध्यम है। संस्कृत भाषा और दूसरी भारतीय भाषाओं को ज्ञान का माध्यम बनाते हुए, टेक्नॉलॉजी का समावेश आप कर रहे हैं, वो भी अद्भुत है। सरकार का भी यही प्रयास है कि संस्कृत सहित सभी भारतीय भाषाओं का विस्तार हो, युवा पीढ़ी को इसका लाभ हो।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भक्ति से मुक्ति का मार्ग दिखाने वाले इस दर्शन को भावी पीढ़ी तक पहुंचना चाहिए। एक मोबाइल एप के माध्यम से इस पवित्र ज्ञानग्रंथ का डिजिटलीकरण युवा पीढ़ी के जुड़ाव को और बल देगा, उनके जीवन की प्रेरणा बनेगा। आगे चलकर इस एप के द्वारा इसी ग्रंथ के संबंध में क्विज कंपटीशन करना चाहिए। तीन को इनाम देना चाहिए। सब आनलाइन हो सकता है।

पीएम मोदी ने कहा कि आचरण नए भारत की दिशा तय करेगा। सनातन परंपरा में धर्म कर्तव्य का पर्याय रहा है। वीरशैव ने धर्म की शिक्षा कर्तव्यों के साथ दी है। पांच आचरण का जिक्र है। मठों के जरिए जीवन का संकल्प और राष्ट्र निर्माण करना है। दूसरों की सेवा के लिए करुणा भाव से आगे बढ़ना है संकल्पों से खुद को जोड़ना है। स्वच्छता में मठों और गुरुकुलों की भूमिका रही। स्वच्छ भारत अभियान को आगे बढ़ाया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत में बने सामान को, बुनकरों और शिल्पियों को सम्मान देना है। हम सब लोकल सामान को खरीदें। लोगों कों भारत में बने सामान के उपयोग पर बल देना है। मानसिकता बदला है कि इंपोर्टेड श्रेष्ठ है। जल जीवन पर आपकी भूमिका भी अहम है। पानी के बचत और सूखा मुक्त और जलयुक्त करना है। देश में बड़े अभियानों को सरकारों के जरिए पूरा नहीं किया जा सकता। जनभागीदारी करनी होगी। गंगा के जल में सुधार इसका परिणाम है। आज गंगा के पास बसे जगहों पर दायित्वबोध – कर्तव्यबोध ने गंगा को साफ करने में योगदान दिया है। नमामि गंगे का काम प्रगति पर है। आगे भी तेज कार्य होगा। मदद मिलेगी तो सहयोग से काम होगा। कुंभ में गंगा की स्वच्छता पर संतोष व्यक्त किया था।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वीरशैव संतों ने जो संदेश दिया वह सरकारों को प्रेरणा देता है। आज देश में पुरानी समस्याओं पर फैसला आ रहा है। राम मंदिर प्रकरण फंसा था अब राम मंदिर का मार्ग साफ हो गया। राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट की घोषणा की गई है। अयोध्या में भव्य मंदिर का निर्णय होगा। संतों के आशीर्वाद से शुरू हुआ और पूरा होगा। राम मंदिर से जुड़ा फैसला लिया है। 67 एकड़ भूमि ट्रस्ट को मिलेगी। इतनी जमीन रही तो मंदिर की भव्यता बढ़ेगी। राम मंदिर और काशी विश्वनाथ धाम का कालखंड ऐतिहासिक है। इसके बाद मेरे और दो कार्यक्रम हैं। यह सभी काशी और नए भारत को मजबूत करेंगे। संकल्प लें कि नए भारत के निर्माण में खुद जिम्मेदारी लेंगे। राष्ट्र हित में बेहतर और कर्तव्य के लिए जिम्मा निभाएंगे। 

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