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हिंदू धर्म को बदनाम करने की साजिश नई नहीं, अब भगवा साफा बांधे मुस्लिम युवकों का मजार पर हमला, कसाब ने भी बांध रखा था कलावा

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हिंदू धर्म को बदनाम करने की साजिश कोई नई नहीं है। मुस्लिम तुष्टिकरण में शामिल देश की सभी पार्टियां हिंदू धर्म को बदनाम के लिए उग्र हिंदू से लेकर भगवा आतंकवाद, हिंदू आतंकवाद से लेकर न जाने क्या-क्या शब्द गढ़े। इसमें भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी कांग्रेस पार्टी सबसे आगे रही है। कांग्रेस के बाद मुस्लिम तुष्टिकरण में शामिल अखिलेश की समाजवादी पार्टी, मायावती की बहुजन समाज पार्टी, ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी प्रमुख रूप से इस लिस्ट में शामिल है। इस फेहरिस्त में हालांकि देश की कुछ अन्य पार्टियां भी शामिल हैं। आप सब को यह पता ही होगा कि 2008 में हुए मुंबई के 26/11 के हमलों को कैसे हिंदू आतंकवाद के तौर पर पेश करने की कोशिश की गई थी और उस समय सत्ता में रही कांग्रेस पार्टी का घिनौना चेहरा सामने आया था। यहां तक कि मुंबई हमले में शहीद आतंकवाद निरोधक दस्ते के प्रमुख हेमंत करकरे की शहादत का भी उन्होंने मजाक उड़ाया और उन्हें हिंदू आतंकवाद का शिकार बताया गया। मुंबई हमले में शामिल पाकिस्तान आतंकवादी अजमल कसाब अगर पकड़ा नहीं जाता तो कांग्रेस अपनी चाल में कामयाब भी हो जाती, लेकिन उसके पकड़े जाने के बाद यह खुलासा हो गया कि पाकिस्तान से आए सभी आतंकवादियों को हिंदू नाम दिए गए थे और हिंदू नाम से बने आई-कार्ड उनके पास थे।

पाकिस्तान के हिंदू आतंकवाद क्यों नहीं अपनाते?

एक सवाल यहां यह भी उठता है कि पाकिस्तान में जहां हिंदू इतने भेदभाव के शिकार हैं और अक्सर उनके धार्मिक स्थलों पर हमले होते रहते हैं तो फिर वहां हिंदू आतंकवाद क्यों नहीं है। अर्थात यह सौ फीसदी सच है कि हिंदू आतंकवाद का रास्ता अख्तियार ही नहीं कर सकते। आखिर हिंदू ने दुनिया के किस कोने में आतंकवाद को अपनाया है। कहीं नही। आतंकवादी विचारधारा हिंदू के डीएनए में ही नहीं है। हिंदू जियो और जीने दो के सिद्धांत पर विश्वास करता है। हिंदू धर्म का सिद्धांत ही है वसुदेव कुटुंबकम। इसलिए हिंदू कभी भी आतंकवादी नहीं हो सकता। अगर इतिहास में इसका प्रमाण देखा जाए तो किसी भी हिंदू राजा ने किसी भी देश पर हिंदू धर्म को स्थापित करने के लिए हमला नहीं किया, ना ही किसी की संपत्ति लूटी।

अब बिजनौर में हिंदू आतंकवाद की साजिश

अब इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के बिजनौर में भगवा चोला पहनकर दो मुस्लिम युवकों ने मजार को क्षतिग्रस्त करने की कोशिश की जिससे इस कृत्य को हिंदू आतंकवाद का रूप दिया जा सके। यह सब तब किया गया जब सावन का पवित्र महीना चल रहा है और भगवान शिव के श्रद्धालु कांवड़ लेकर देश के एक हिस्से से दूसरे में जल चढ़ाने के लिए पहुंच रहे हैं। इससे इनके नापाक मंसूबे जाहिर होते हैं कि ये हिंदू धर्म को बदनाम करना चाहते थे।

बिजनौर में भगवा चोला पहन कर मजार को नुकसान पहुंचाया

उत्तर प्रदेश के बिजनौर शहर में दो सगे मुस्लिम भाइयों ने भगवा चोला पहनकर मजार पर तोड़फोड़ की है। सैकड़ो साल पुरानी तीन पीर बाबाओ की मज़ार पर दो भाइयों ने माहौल ख़राब करने और हिंदू धर्म को बदनाम करने की साजिश के मक़सद से हिंदू धार्मिक वेशभूषा पहन कर तोड़फोड़ की। बिजनौर के शेरकोट इलाके के दो सगे भाई आदिल व कमाल ने हिन्दू धर्म का लिबास पहन सैकड़ो साल पुरानी “दरगाह भूरे शाह बाबा, जलालशाह बाबा व तीसरी क़ुतुब शाह” की मज़ार को अपनी साजिश का निशाना बनाया। दोनों ने एक के बाद एक तीनों मज़ारों को तहस नहस करना शुरू कर दिया और मज़ार पर चढ़ी सभी चादरों को भी नष्ट कर दिया।

बहन ने किया भाइयों का बचाव, कहा- भाई डिप्रेशन में रहता है

आरोपियों की बहन आयशा ने बताया, “मेरे तीन भाई हैं। एक की मौत हो चुकी है। इसकी वजह से बड़े भाई कमाल डिप्रेशन में चले गए हैं। उनकी दवाएं वगैरह भी चलीं। थोड़ा ठीक हुए तो कुछ दिन पहले उन्हें कुवैत भेज दिया गया। उनकी दिमागी हालत देख कर उन्हें वहां से रिटर्न कर दिया गया। अब वह जब कल गए तो उन्होंने पहले जब मजार तोड़ी तो मेरा छोटा भाई वहां नहीं था। वह बाद में गया। अगर उनका दिमाग सही होता तो वह मजार क्यों तोड़ते? आखिर वह भी तो मुसलमान हैं। वह सिर्फ डिप्रेशन में हैं। इस वजह से उन्होंने तोड़ा। भगवा कपड़े क्यों पहने के सवाल पर आयशा ने कहा, “वह पहले भगवा कपड़े लेकर आए थे। उन्हें हम लोगों ने समझाया कि कोई हिंदू मस्लिम नहीं होता यह गलत है, लेकिन वह नहीं माने। हम लोगों को अंदाजा नहीं था कि वह ऐसा कोई कदम उठायेंगे। उन्होंने घर पर भी एक थैला जला दिया है। जिसमें भाई के जरूरी कागजात थे। मेरे भाई की वजह से मेरे पिता को डिप्रेशन भी है। मेरा छोटा भाई भी डिप्रेस रहता है। सुबह वर्दी में कुछ लोग घर की तलाशी लेने आए थे।

हिंदुत्‍व के खिलाफ योजनाबद्ध अभियान

वर्ष 2019 में प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने एक संबोधन में कहा था कि ‘मैं देशभक्त हूं, पर राष्ट्रवादी नहीं।’ उसके बाद 2021 में राहुल गांधी ने कहा कि ‘मैं हिंदू हूं, हिंदुत्‍ववादी नहीं।’ राहुल गांधी ने हिंदू वादी नहीं, बल्कि हिंदुत्‍व वादी शब्द का उपयोग किया है। राहुल गांधी से पहले सलमान खुर्शीद अपनी पुस्तक में हिंदुत्‍व की तुलना बोको हराम और इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकी संगठनों से कर चुके हैं। हिंदुत्‍व के खिलाफ योजनाबद्ध ढंग से चलाए जा रहे इस अभियान को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए।

सलमान खुर्शीद ने हिंदुत्व की तुलना आईएसआईएस से की

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने “सनराइज ओवर अयोध्या” (Sunrise Over Ayodhya: Nationhood in Our Times) नाम की किताब में हिंदुत्व को लेकर अपनी राय रखी। इसमें उन्होंने ‘हिंदुत्व की तुलना आतंकी संगठन बोको हराम और आईएसआईएस से की है। सलमान खुर्शीद ने किताब में कहा कि साधु-संत जिस सनातन धर्म और क्लासिकल हिंदुत्‍व को जानते हैं, उसे किनारे करके हिंदुत्व के ऐसे वर्जन को आगे बढ़ाया जा रहा है जो हर पैमाने पर ISIS और बोको हराम जैसे जिहादी इस्लामी संगठनों के राजनीतिक रूप जैसा है।

मुंबई हमले को हिंदू आतंकवाद का रूप देने की साजिश थी

मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर राकेश मारिया ने अपनी आत्मकथा में 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले को लेकर लिखा है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेस इंटेलिजेंस (IS) ने 26/11 हमले को हिंदू आतंकवाद का रूप देने की साजिश रची थी। आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने आईएसआई का साथ दिया था। इसके लिए आईएसआई ने अजमल कसाब समेत सभी 10 हमलावरों को फेक आई कार्ड के साथ उन्हें हिंदू बनाकर मुंबई भेजा था। मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर राकेश मारिया ने अपनी किताब ‘Let Me Say It Now’ में लिखा है कि आतंकी संगठन 26/11 हमले को हिंदू आतंकवाद का जामा पहनाना चाहते थे।

यूपीए सरकार हिन्दू आतंकवाद नैरेटिव के साथ पाकिस्तान को ही मदद पहुंचा रही थी

मारिया ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि यूपीए सरकार ने अपने राज में हिन्दू आतंकवाद नामक शब्द गढ़ा था। इस शब्द ने भारत में बड़े-बड़े सवाल खड़े किए और इस शब्द के सहारे मूल और असल मुद्दों से ध्यान भटकाने की भरपूर कोशिश भी हुई। एक नैरेटिव सेट करने की कोशिश हुई। कुछ वैसा ही जैसा कि पाकिस्तान भी भारत में सेट करना चाहता था। भारत के राजनेता चाहे-अनचाहे में पाकिस्तान के एजेंडे में उसे मदद कर रहे थे और ऐसी थ्योरी देकर उसे फायदा पहुंचा रहे थे।

कसाब ने बांध रखा था कलावा

मुंबई हमले में 10 हमलावरों में सिर्फ कसाब को ही जिंदा पकड़ा जा सका था। पुलिस को उसके पास से बेंगलुरु के रहने वाले किसी समीर दिनेश चौधरी का फर्जी आईकार्ड भी मिला था। हिंदू दिखने के लिए कसाब ने अपने दायें हाथ की कलाई में कलावा (मौली) भी बांध रखा था। पुलिस की ओर से जारी कसाब की फोटो में कलावा देखा जा सकता है। भारत में राजनीतिक पार्टियों द्वारा मुस्मिल तुष्टिकरण को देखते हुए पाकिस्तान ने मुंबई आतंकी हमले को हिंदू आतंकवाद का चोला पहनाने की साजिश रची थी। आईएसआई और आतंकवादी संगठनों ने इसका पूरा फायदा उठाने की कोशिश की और अजमल कसाब को हिन्दू बनाकर मुंबई की सड़कों पर खून बहाने के लिए उतार दिया। उसके हाथ में एक लाल धागा बांधा गया और उसे एक हिन्दू नाम दिया गया। समीर चौधरी जैसा हिन्दू नाम आईएसआई ने उसे दे दिया ताकि जब कसाब मरे तो लोगों को ये लगे कि वो एक हिन्दू आतंकवादी है। पाकिस्तान ये चाहता था कि लोगों को ये लगे कि ये हिन्दू हैं और अपने ही देश की सरकार के खिलाफ खड़े हुए हैं। इसके बाद भारत देश में ही कहा जाने लगा कि भगवा आतंकवाद के नाम पर लोगों का खून बहाया जा रहा है। इसके पीछे आरएसएस है। कुछ विदेशों से पोषित पत्रकार और समाजिक कार्यकर्ता इस थ्योरी को सच साबित करने के लिए समीर चौधरी का घर और पता ठिकाना ढूढ़ंने में लग गए थे। पाकिस्तान से आया अजमल कसाब अगर जिंदा नहीं पकड़ा गया होता तो उसे समीर चौधरी ही साबित कर दिया जाता।

कांग्रेस ने मुंबई हमले पर पाकिस्तान को क्लीन चिट दे दी

साल 2008 में 26 नवंबर को मुंबई में जो आतंकी हमला हुआ था उसकी कलई तो पहले ही खुल चुकी थी। कांग्रेस ने इस हमले को लेकर पाकिस्तान को क्लीन चिट दे दी थी। उस समय दिग्विजय सिंह ने आरएसएस पर साजिश करने का आरोप लगाया था। उस वक्त एक मुस्लिम पत्रकार अजीज बर्नी ने एक किताब लिखी थी। जिस किताब का नाम था 26/11 आरएसएस की साजिश? खास बात ये कि इस किताब का विमोचन दिग्विजय सिंह ने किया था। हिन्दू आतंकवाद कांग्रेस का पसंदीदा टू लाइनर रहा है और दिग्विजय सिंह इसके चैंपियन रहे हैं।

मुंबई हमले के दौरान कांग्रेस ने प्लांट की हिन्दू आतंकवाद की थ्योरी

मुंबई हमले में शहीद हुए एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे की कहानी सबको पता है। दिग्विजय सिंह ने उनके सहारे भी हिन्दू आतंकवाद की थ्योरी प्लांट करने की नाकाम कोशिश की थी। नाकाम इसलिए कि करकरे की पत्नी ने दिग्विजय के बयान के बाद साफ कहा कि उनके पति की शहादत का मजाक नहीं बनाया जाए। कविता करकरे ने कहा, ’’यह कहना गलत है कि मेरे पति को हिंदू संगठनों ने मारा है। वह आतंकी हमले में शहीद हुए हैं।’’ उस वक्त दिग्विजय सिंह ने कहा था कि हेमंत करकरे ने मुंबई हमले से कुछ घंटे पहले मुझे फोन कर कहा था कि उन्हें हिंदू आतंकवादियों से खतरा है, सोची समझी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा लगता है। उस दौर की कांग्रेस नीत यूपीए सरकार 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में घोटाला, आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाला तथा राष्ट्रमंडल खेल घोटाले को लेकर गर्म राजनीतिक माहौल से लोगों का ध्यान हटाने की कोशिश में हिन्दू आतंकवाद को ट्रेंड कराने और उसका राजनीतिक प्रयोग करने में जुटी थी।

भारत में कोरोना को ‘धार्मिक रंग’ देने की साजिश?

वर्ष 2020 में कोरोना महामारी के दौरान अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग यानी ‘USCIRF ने दावा किया कि अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में कोरोना वायरस के मरीजों को धार्मिक आधार पर अलग-अलग रखा जा रहा है। भारत ने इसे खारिज किया था। विदेश मंत्रालय ने कहा था कि अमेरिकी संस्था कोरोना के खिलाफ भारत की लड़ाई को धार्मिक रंग देने की कोशिश न करे। USCIRF भारत में कोविड-19 के लिए तय किए गए मेडिकल प्रोटोकॉल पर गुमराह करने वाली रिपोर्ट फैला रहा है।

नेहरू से राहुल तक मुस्लिम तुष्टिकरण को समर्पित रही है कांग्रेस

आजादी के बाद देश में जिस मुस्‍लिम तुष्टिकरण की नीति का बीज रोपा गया वह आगे चलकर वटवृक्ष बन गया। भारत दुनिया का इकलौता देश बना जहां बहुसंख्‍यकों के हितों की कीमत पर अल्‍पसंख्‍यकों को वरीयता दी गई। कांग्रेसी तुष्टिकरण का पहला नमूना आजादी के तुरंत बाद देखने को मिला जब देश के पहले राष्‍ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने गुलामी के पहले कलंक (सोमनाथ मंदिर के ध्‍वस्‍तीकरण) को मिटाने के लिए भव्‍य सोमनाथ मंदिर बनाने की पहल की। लेकिन मुस्‍लिमपरस्‍ती के चलते प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने न सिर्फ सोमनाथ मंदिर के नवीनीकरण और पुर्नर्स्‍थापना के कार्य से खुद को अलग कर लिया बल्‍कि तत्‍कालीन सौराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री को आदेश दिया कि मंदिर निर्माण में सरकार का एक भी पैसा नहीं लगना चाहिए। इतना ही नहीं, जब राष्‍ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद पुर्नर्निमित सोमनाथ मंदिर का उद्घाटन करने जाने लगे तब नेहरू ने उन्‍हें रोकने की नाकाम कोशिश भी की।

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