आरजेडी की इफ्तार पार्टी में पहुंचकर नीतीश कुमार ने जो सियासी बदलाव का संकेत दिया था, मुहर्रम के दिन वह अपनी मंजिल पर पहुंच गया। राजनीतिक पंडित मानते हैं कि ‘इफ्तार’ और ‘मुहर्रम’ का दिन कोई संयोगमात्र नहीं है, बल्कि यह बहुत सोच-समझकर किया गया एक फैसला था। आरजेडी और जेडीयू गठबंधन की सरकार बनते ही बिहार में मुस्लिम तुष्टिकरण का खेल शुरू हो गया। नीतीश कुमार के मुहबोले भतीजे और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने जहां हिन्दुओं को अपमानित करने के लिए उनके प्रतीक चिन्ह टीका और शिखा पर विवादित टिप्पणी की है, वहीं मुस्लिमों को खुश करने के लिए उर्दू और बांग्ला टीचरों के रिक्त पदों की सूची मांगी गई है।
सोशल मीडिया में तेजस्वी यादव का एक बयान वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंंने 2020 विधानसभा चुनाव के समय 10 लाख रोजगार देने का वादा किया था। इस वादे को लेकर अब उनसे सवाल पूछे जा रहे हैं। सवाल पूछने वालों में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह भी शामिल है। उनके एक ट्वीट के जवाब में तेजस्वी यादव ने अपने पिता लालू यादव के नक्शेकदम पर चलते हुए जातीय पहचान और हिन्दू प्रतीक ‘चोटी’ को भी निशाना बनाया।
तेजस्वी यादव ने ट्वीट किया, “श्रीमान जी, इतना बेशर्म मत बनिए। एक फुट लंबी चोटी रखने से कोई ज्ञानी नहीं बन जाता, जैसे आप रखते हैं। आप लोगों की इन चिरकुट हरकतों, Edited Videos व सड़क छाप बयानों की बदौलत ही भाजपा की यह दुर्दशा है। इन बेचारों का बिहार में कोई चेहरा ही नहीं। बाक़ी इस पूरे Video को सुन ख़ुशी मनाइए”
श्रीमान जी, इतना बेशर्म मत बनिए। एक फुट लंबी चोटी रखने से कोई ज्ञानी नहीं बन जाता, जैसे आप रखते है। आप लोगों की इन चिरकुट हरकतों, Edited Videos व सड़क छाप बयानों की बदौलत ही भाजपा की यह दुर्दशा है। इन बेचारों का बिहार में कोई चेहरा ही नहीं।
बाक़ी इस पूरे Video को सुन ख़ुशी मनाइए https://t.co/AMqEgcG2JX pic.twitter.com/AOtubm91J7
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) August 11, 2022
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बिहार की महागठबंधन सरकार पर सत्ता में आते ही तुष्टिकरण की नीति शुरू करने का आरोप लगाया है। तेजस्वी के ‘एक फुट लंबी चोटी’ वाले बयान पर पलटवार करते हुए इसे हिंदुत्व पर हमला बता दिया। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि बिहार की सेक्युलर सरकार के शीर्ष नेताओं ने हिंदू प्रतीक चिह्न टीका-शिखा पर हमले शुरू कर दिए हैं।
बिहार के सेक्युलर सरकार के शीर्ष नेताओं ने हिंदू प्रतीक चिन्ह टीका-शिखा पर हमले शुरू कर दिए हैं। pic.twitter.com/k1H2LbBQmV
— Shandilya Giriraj Singh (@girirajsinghbjp) August 12, 2022
दरअसल धर्मनिरपेक्षता और हिन्दू-मुस्लिम भाईचारा की बात करने वाले लालू यादव और नीतीश कुमार ने हमेशा हिन्दुओं की एकता को तोड़ने की कोशिश की है। आज लालू के लाल तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार बिहार में जातीय जनगणना कराकर जातियों को आपस में लड़ाना चाहते हैं। इसी तरह 90 के दशक में जंगलराज के दौरान लालू यादव ने बिहार में ‘भूरा बाल साफ करो’ का नारा दिया था। भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण और लाला (कायस्थ) को केंद्रित कर दिए गए इस नारे ने राज्य में जातीय कटुता पैदा की थी। इसकी वजह से कई भीषण जातीय नरसंहार हुए थे।
बिहार में सत्ता परिवर्तन के साथ ही जातीय संघर्ष और जंगलराज का आगाज हो चुका है। बेतिया में एक पुजारी की हत्या इसका प्रमाण है। अब तक दो पत्रकारों की हत्या हो चुकी है। यह और भी विभत्स रूप में सामने आ सकता है। इसको लेकर लोग डरे हुए है। क्योंकि वामपंथी दल भी इस सरकार में साझेदार हैं, जो वर्ग संघर्ष के लिए कुख्यात हैं। तेजस्वी यादव ने ‘चोटी’ को राजनीतिक बयानबाजी में घसीट कर अपने और वामपंथी दलों के समर्थकों को एक बड़ा संदेश दे दिया है। इससे बिहार में फिर से जातीय संघर्ष की आशंका व्यक्त की जा रही है।
वहीं सोशल मीडिया पर शिक्षा विभाग का एक पत्र वायरल हो रहा है, जिसमें सभी जिलों में खाली अल्पसंख्यक शिक्षक पदों की सूची मांगी गई है। इसके अलावा उर्दू और बांग्ला शिक्षक का कुल कितने पद स्वीकृत है और कितने पद पर शिक्षक कार्यरत है और कितने पद रिक्त है। जिला शिक्षा पदाधिकारी से 24 घण्टे के अंदर रिपोर्ट देने को कहा गया है! हालांकि यह जानकारी बिहार विधानसभा की अल्पसंख्यक कल्याण बैठक में मांगी गई। लेकिन बताया जा रहा है कि यह जानकारी डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की तरफ से मांगी गई है। इस पर गिरिराज सिंह ने ट्वीट किया, “नीतीश सरकार में संस्कृत पर कोई फैसला नहीं आया,उर्दू पर आ गया। 24 घंटे में ही तुष्टिकरण शुरू हो गया।”
नीतीश सरकार में संस्कृत पर कोई फैसला नहीं आया ,उर्दू पर आ गया।
24 घंटे में ही तुष्टिकरण शुरू हो गया । pic.twitter.com/x4fQj5vkqs— Shandilya Giriraj Singh (@girirajsinghbjp) August 11, 2022
एक ट्विटर यूजर ने शिक्षा विभाग के पत्र और उर्दू शिक्षकों की बिहाली पर तेजस्वी यादव से सवाल करते हुए ट्वीट किया, “बिहार में दस हजार उर्दू शिक्षक होंगे बहाल-तेजस्वी ऐसी शिक्षा की क्या आवश्यकता है? जिसमें पृथ्वी को चपटा,जन्नत में हूरों,शराब का झांसा अन्य धर्मों के प्रति कटुता और घृणा सिखाई जाती हो,नौकरी की लगभग न के बराबर सम्भावना,और ऐसी शिक्षा पर करोड़ों-अरबों का खर्चा!”
बिहार में दस हजार उर्दू शिक्षक होंगे बहाल-तेजस्वी
ऐसी शिक्षा की क्या आवश्यकता है? जिसमें पृथ्वी को चपटा,जन्नत में हूरों,शराब का झांसा अन्य धर्मों के प्रति कटुता और घृणा सिखाई जाती हो,नौकरी की लगभग न के बराबर सम्भावना,और ऐसी शिक्षा पर पूरे विश्व में करोड़ों-अरबों का खर्चा!
— ??Kishor K Mishra?? (@KisKumMis) August 12, 2022
एक दूसरे ट्विटर यूजर ने उर्दू शिक्षकों की बहाली को लेकर ट्वीट किया, ” राजद सरकार अपने एजेंडे पर काम करना शुरू कर दिया है! पहली बैठक में उर्दू और बंगाली(बंगलादेशी मुस्लिम जो बंगाली भाषाई है) शिक्षक के लिए 24 घण्टे के अंदर रिपोर्ट देने को कहा ! अपने वोटर का ख्याल ऐसे रखा जाता है! ध्यान रखें यादव जी लोग इसमें नही हैं ! और न ही नीतीश जी के स्वजातीय”
राजद सरकार अपने एजेंडे पर काम करना शुरू कर दिया है !पहली बैठक में उर्दू और बंगाली(बंगलादेशी मुस्लिम जो बंगाली भाषाई है) शिक्षक के लिए 24 घण्टे के अंदर रिपोर्ट देने को कहा ! अपने वोटर का ख्याल ऐसे रखा जाता है ! ध्यान रखें यादव जी लोग इसमे नही हैं ! और न ही नीतीश जी के स्वजातीय pic.twitter.com/GpQTd4KKIx
— Shailesh Bhardwaj (@Shailesh11B) August 11, 2022
मैंने जो कहा था बिहार में @NitishKumarJDU द्वारा जो स्कूलों में धार्मिकीकरण हुआ वोट बैंक साधने के लिए, बीजेपी मुखर हो गई इसलिए नीतीश बाबू छिटक गए,आज उसका प्रमाण सामने आ गया हिंदी संस्कृत और अंग्रेजी शिक्षक के प्रति लापरवाह परंतु उर्दू बंगला के लिए काफी चिंतित,किस ओर जा रहा बिहार pic.twitter.com/xByZCWM6yo
— युवा बिहारी कुमार_जी2018 (@kumarji2018) August 12, 2022