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नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार के फैसले को ठहराया सही, आप भी जानिए इसके फायदे

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सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2016 में 500 और 1000 रुपये के नोटबंदी पर मोदी सरकार के फैसले को सही ठहराया है। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि नोटबंदी को लेकर सरकार ने सभी नियमों का पालन किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि छह महीने तक सरकार और आरबीआई के बीच इस मसले को लेकर बातचीत हुई और इसके बाद फैसला लिया गया। बहुमत के आधार पर फैसले को देते हुए न्‍यायमूर्ति बीआर गवई ने कहा कि नोटबंदी करने का मकसद काला बाजारी रोकना और आतंकी गतिविधियों के लिए धन मुहैया कराने पर रोक लगाना था। कोर्ट ने कहा कि नोटों को बदलने के लिए 52 दिन के समय को अनुचित नहीं कहा जा सकता है। कोर्ट के इस फैसले के साथ ही नोटबंदी के खिलाफ दाखिल हुईं 58 याचिकाएं खारिज हो गईं हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने 8 नवंबर, 2016 को राष्ट्र को संबोधित करते हुए नोटबंदी का ऐलान किया था। उन्होंने 8 नवंबर को रात 12 बजे से 500 और 1000 के नोट को देश में बैन करने की घोषणा की थी। प्रधानमंत्री मोदी के इस साहसिक फैसले ने देश की तकदीर बदल दी। मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले से ना सिर्फ देश में कालेधन पर चोट पड़ी है, बल्कि लोगों को लेनदेन में सुविधा होने के साथ, इससे सरकार की कमाई भी बढ़ी है। आप भी जानिए नोटबंदी के फायदे

नोटबंदी के बाद डिजिटल पेमेंट में आई क्रांति
नोटबंदी का सबसे ज्यादा असर डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में देखने को मिला है। क्रेडिट-डेबिट कार्ड, नेट बैंकिंग, यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस सभी तरीकों डिजिटल पेमेंट में इजाफा हुआ। आज हर कोई डिजिटल पेमेंट को प्राथमिकता दे रहा है, जो UPI और ई वॉलेट की सफलता की कहानी कह रहा है। दुनिया भी भारत की डिजिटल पेमेंट में आई क्रांति देखकर हैरान है। यूपीआई ने 2022 कैलेंडर वर्ष में शानदार प्रदर्शन किया। दिसंबर में रिकॉर्ड 7.82 बिलियन यूपीआई लेनदेन किया गया जो कृरकम के हिसाब से 12.82 ट्रिलियन रुपये थी। NPCI डेटा के अनुसार नवंबर की तुलना में दिसंबर में यूपीआई लेनदेन 7.12 प्रतिशत अधिक, जबकि इसी अवधि के दौरान लेनदेन का मूल्य 7.73 प्रतिशत बढ़ा।

कालाधन पर चोट, पैन कार्ड होल्‍डर बढ़े
नोटबंदी के बाद मोदी सरकार कालाधन रोकने के लिए लगातार फैसले ले रही है। देश में पैन कार्ड धारकों की संख्या 50 करोड़ से ज्यादा है। अब पैन कार्ड को बैंक अकाउंट से लिंक करना जरूरी हो गया है। साथ ही बड़े ट्रांजैक्शन पर पैन नंबर देना भी जरूरी कर दिया गया है। पैन कार्ड को बैंक अकाउंट से लिंक करने से इस बात का पता आसानी से लगाया जा सकता है कि एक पैन कार्ड से कितने खाते जुड़े हैं। मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले का ये भी फायदा हुआ है कि देश में पैन कार्ड के होल्‍डर की संख्या बढ़ी है। सरकार की कोशिश जल्द से जल्द देश में पैन कार्ड को आधार कार्ड से जोड़ने की है। ताकि लेनदेन में और पारदर्शिता लाई जा सके। आंकड़ों के मुताबिक देश में अभी तक 43.74 करोड़ पैन कार्ड आधार कार्ड से लिंक हुए हैं।

जनधन खातों से ऐतिहासिक बदलाव, बैंकों में बढ़ा पैसा
नोटबंदी से पहले देश के गरीबों की पहुंच बैंक खातों तक नहीं थी। इस वजह से कैश ट्रांजेक्शन उनकी मजबूरी थी, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी की कोशिशों से देश में जनधन योजना के तहत खुले बैंक खातों की तादाद तेजी से बढ़ी है। देश में जन धन बैंक खातों की संख्या बढ़कर 47.78 करोड़ हो गई है, इन जनधन खातों में करीब 1.8 लाख करोड़ रुपए जमा हैं। मोदी सरकार के फैसले से अब देश की बैंकिंग सिस्टम का लाभ भी गरीबों तक तेजी से पहुंच रहा है ।

डिजिटल पेमेंट की सफलता ने नोटबंदी विरोधियों को दिया जवाब
नोटबंदी को जब लागू किया गया था तो कांग्रसे के दिग्गज नेताओं के साथ कई लोगों ने भारत में डिजिटल पेमेंट को लेकर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा था कि भारत में डिजिटल पेमेंट का आधारभूत ढांचा नहीं है। लोग तकनीकी रूप से सक्षम नहीं है। यहां तक कि गरीबी और अशिक्षा का हवाला देकर डिजिटल पेमेंट की सफलता पर आशंकाएं जतायी थीं। लेकिन आज उसी जनता ने उनके सभी आशंकाओं को गलत साबित कर दिया है और बता दिया है कि कांग्रेस और उसके नेताओं को भारत के लोगों की क्षमता पर भरोसा नहीं है। 

कोरोना काल में वरदान साबित हुई नोटबंदी
कोरोना काल में नोटबंदी देश के लिए वरदान साबित हुई। डिजिटल पेमेट की पहले से तैयारी और मोदी सरकार की इस दिशा में लगातार प्रयास ने देश को कोरोना जैसे बड़े संकट का सामना करने में सक्षम बनाया। महिलाओं को उनके खाते में 500-500 रुपये भेजने में मदद मिली। बुजुर्गों और विधवाओं को 1000-1000 रुपये का डिजिटल भुगतान हुआ। योजनाओं के लाभार्थियों को भी डिजिटल पेमेंट किया गया। यह डिजिटल पेमेंट गरीबों को करोना से लड़ने में हथियार साबित हुआ।

डिजिटल पेमेंट में आई क्रांति से अर्थव्यवस्था में तेजी
आज भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाली बन चुकी है। इसके लिए देश में डिजिटल पेमेंट क्रांति को भी एक बड़ी वजह बताया जा रहा है। IMF जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्था भी भारत की डिजिटल क्रांति की आज तारीफ कर रही है। हालांकि नोटबंदी के बाद डिजिटल भुगतान की धीमी शुरुआत हुई थी, लेकिन मोदी सरकार ने लोगों को प्रेरित करने के लिए कई प्रयास किए। सरकार का प्रयास भी सफल रहा और लोगों ने डिजिटल पेमेंट को अपनाना शुरू किया। इसका परिणाम है कि आज लोगों के लिए ये पेमेंट का पसंदीदा तरीका बन चुका है। नए-नए बदलाव और सुविधाएं इससे जुड़ने से डिजिटल पेमेंट का और विस्तार हुआ।

डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम के दायरे का लगातार विस्तार
उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने 4 नवंबर, 2022 को भारत में बढ़ते डिजिटल परिदृश्य के बारे में एक पोस्ट शेयर की थी। उन्होंने ट्विटर पर उत्तराखंड में 10,500 फीट की ऊंचाई वाले गांव में भारत की ‘आखिरी चाय की दुकान’ पर एक इंटरनेट यूजर की पोस्ट को रीट्वीट किया था। इस दुकान पर यूपीआई का उपयोग किया जा रहा है। पोस्ट को साझा करते हुए उद्योगपति ने लिखा, “जैसा कि वे कहते हैं, एक तस्वीर एक हजार शब्दों के बराबर होती है। यह भारत के डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम के लुभावने दायरे और पैमाने को दिखाती है। जय हो!”

भारत में सबसे ज्यादा डिजिटल पेमेंट के विकल्प मौजूद
आज पूरी दुनिया भारत में डिजिटल पेमेंट की तारीफ कर रही है और इसके प्लेटफॉर्म UPI यानी Unified Payment Interface को अपने-अपने देश में शुरू करना चाहती है। वहीं विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से ज्यादा विकल्प भारत में मौजूद हैं। भारत में डिजिटल पेमेंट करने के लिए यूपीआई (UPI), रुपे (RUpay), पेटीएम (Paytm), फोन-पे (Phone-Pay), गूगल पे (Google Pay) के साथ अन्य विकल्प मौजूद हैं। जबकि अमेरिका और चीन के पास इससे कम ऑप्शंस हैं।

रियल टाइम डिजिटल पेमेंट के मामले में भारत नंबर 1
नोटबंदी के फैसलों से कैश ट्रांजेक्शन पर लगाम और डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के मोदी सरकार के फैसले से दुनियाभर में भारत की धाक बढ़ी है। रियल टाइम डिजिटल पेमेंट के मामले में भारत ने अमेरिका, चीन और जापान जैसे देशों को पीछे छोड़ दिया है। पूरी दुनिया के टॉप 10 देशों में रियल टाइम पेमेंट लेन-देन के मामले में भारत पहले नंबर पर है। जबकि चीन दूसरे नंबर पर है। अमेरिका जैसा विकसित देश इस मामले में 9 वें नंबर पर है। जापान सातवें नंबर पर है। मार्केट के जानकारों का कहना है कि वर्ष 2026 तक एक ट्रिलियन से ज्यादा लोग भारत में डिजिटल पेमेंट करने लगेंगे।

 

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