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ऐसा रहा तो अलग-थलग पड़ जाएंगे मुस्लिम, बढ़ रहा है लोगों का गुस्सा- हत्या जिस ‘किताब’ से प्रेरित होकर, सजा भी उसी अनुसार मिले

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राजस्थान के उदयपुर में मंगलवार, 28 जून को दो मुस्लिमों ने हिंदू कन्हैयालाल का चाकुओं से गला काटकर कत्ल कर दिया। मोहम्मद रियाज और गौस मोहम्मद ने टेलर का काम करने वाले कन्हैयालाल का ना सिर्फ सिर धड़ से अलग कर दिया गया, बल्कि कत्ल के बाद वीडियो जारी कर ऐलान भी कर दिया कि नूपुर शर्मा का समर्थन करने की सजा दी गई है और पैगंबर की शान में गुस्ताखी करने वालों का यही हश्र होगा।

‘गुस्ताख-ए-नबी की एक सजा, सर तन से जुदा-तन सर से जुदा’ का नारा लगाते हुए की गई इस हत्या से देश सकते में है। देश भर के लोग स्तब्ध हैं। इसको लेकर अब मुस्लिम समुदाय के प्रति लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। मजहब के नाम पर जुमे की नमाज के बाद पत्थरबाजी, धर्मांतरण, बात-बात पर तलवार निकाल लेना, गला रेत देना और आतंकी कार्रवाई करना इससे देश-दुनिया के लोग इनसे कटने लगे हैं। लिबरल और सेकुलर इनके बचाव में आकर आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता का रट्टा लगाने लगते हैं, लेकिन अब आम लोग इससे पक चुके हैं।

हिंदू या दूसरे धर्म के बारे में ये खुल कर मजाक उड़ाते हैं, लेकिन जब इनके धर्म या पवित्र किताब के बारे में कुछ भी बोलो तो सर तन से जुदा! चाहे सोशल मीडिया, ट्विटर,फेसबुक या टीवी डिबेट कहीं भी आपने कुछ गलती से बोल भी दिया को एक ही सजा है सर तन से जुदा। इससे पहले उत्तर प्रदेश में कमलेश तिवारी और गुजरात में किशन भरवाड़ की हत्या के भी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं। हत्या या आतंकी कार्रवाई होने पर इस समुदाय के लोग कथित लिबरल-सेकुलर के साथ आकर कहेंगे कि आतंक का धर्म नहीं होता, लेकिन उन्हें बचाने के लिए तमाम मुस्लिम संगठन आगे आ जाते हैं।

इंडिया में ही नहीं दुनिया भर में इनके मजहब के नाम किए जा रहे आतंकी कार्रवाई से लोगों में गुस्सा बढ़ता जा रहा है। ISIS जेसै आतंकी संगठनों का लोगों को लाइन में बिठा कर उनका गला रेत देना हो या फ्रांस में शिक्षक सैमुअल पैटी का गला रेत देना शार्ली हेब्दो मैगजीन के दफ्तर में घुस कर नरसंहार करना। इधर देश में ही पैगंबर मोहम्मद पर नूपुर शर्मा की टिप्पणी के बाद ‘शांतिप्रिय समुदाय’ के लोगों के जिस तरीके से पूरे देश में अशान्ति फैलाई है, उसने दूसरे समुदाय के लोगों को सोचने के लिए विवश कर दिया है। नूपुर शर्मा मे वहीं कहा था जो मुस्लिम धर्मगुरू जाकिर नाइक इस शांतिप्रिय समुदाय के सामने कह चुका है और यह किताबों में भी लिखा है। इसको लेकर आम लोगों में यह संदेश जा रहा है कि अगर नूपुर शर्मा गलत तो फिर किताब या जाकिर नाइक सही कैसे?

नूपुर शर्मा के बयान के बाद कई दिनों बाद देश के कई हिस्सों में हिंसा की चिंगारी उठने लगी। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर नूपुर को मारने के लिए फतवा जारी कर दिए गए। पुतले जलाए गए और ‘सर तन से जुदा’ जैसे नारे लगाए गए। कई जगह हिंसक प्रदर्शन कर आगजनी-तोड़फोड़ की गई। जानमाल का काफी नुकसान हुआ। भारत तेरे टुकड़े होंगे वाली मानसिकता रखने वाले इसमें वे लोग भी शामिल हैं, जिन्होंने शाहीन बाग में विरोध-प्रदर्शन के नाम पर महीनों सड़क जाम रखा था। ये लोग बोलने की आजादी के नाम पर देश विरोधी नारे लगने लगाते हैं। विरोध प्रदर्शन के नाम पर देश में हिंसा फैलाते हैं। मुस्लिम नेता, मौलवी और धर्मगुरु भी अपने भाषणों से लोगों को भड़काने का काम करते हैं और जब सर तन से जुदा का काम हो जाता है तो निंदा करने लगते हैं। कन्हैयालाल मामले में भी यही हो रहा है।

हैरानी की बात तो यह है कि यह हिंसक प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है तो इन्हें भड़काने वाले कोर्ट पहुंच जाते हैं लेकिन किसी प्रदर्शनकारी को आगजनी और तोड़फोड़ करने या पत्थरबाजी करने से मना नहीं करते। मुस्लिम धर्मगुरु हो या औवेसी जैसे मुस्लिम नेता सभी सिर्फ भड़काने का काम करते हैं। कोई भी मुस्लिम कट्टरपंथियों को समझाने का काम नहीं करते। उन्हें नहीं समझाते कि जब तुम कहते हो कि ये देश किसी के बाप का नहीं है तो फिर अपने बाप की संपत्ति का नुकसान क्यों करते हो? कोई मौलाना या नेता मुस्लिम समुदाय के आम लोगों को ये बताने की कोशिश नहीं करता कि नूपुर शर्मा ने जो कहा है वो हमारे किताब में लिखा है और हमारे धर्मगुरु भी इस बारे में बात कर चुके हैं। ऐसे में इस शांतिप्रिय समुदाय के हिंसक प्रदर्शन ने दूसरे समुदाय के लोगों को यह विचार करने के लिए विवश कर दिया है कि आखिर ये कितने दिनों तक चलेगा? सोशल मीडिया पर लोग कहने लगे है कि हत्या जिस ‘किताब’ से प्रेरित होकर की है, सजा भी उसी किताब के अनुसार मिले। देखिए सोशल मीडिया पर यूजर्स किस तरह अपनी भावना जाहिर कर रहे हैं

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