नए कृषि कानून वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने के लिए किसान आंदोलन कर रहे हैं। इसी बीच एमएसपी पर धान की खरीद जारी है। मोदी सरकार ने मंगलवार को कहा कि उसने चालू खरीफ विपणन सत्र के दौरान एमएसपी पर अब तक 60 हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर 318 लाख टन धान की खरीद की है। यह पिछले साल की तुलना में 19 प्रतिशत अधिक है।
पंजाब से 63.76 प्रतिशत धान की खरीद
सबसे दिलचस्प बात यह है कि किसान आंदोलन की अगुवाई पंजाब के किसान कर रहे हैं, जबकि एमएसपी के तहत सबसे अधिक खरीदारी पंजाब से हुई है। सरकार ने इस सत्र में 30 नवंबर तक 318 लाख टन धान की खरीद की है, जिसमें पंजाब ने अकेले 202.77 लाख टन का योगदान दिया है, जो कुल खरीद का 63.76 प्रतिशत है।
पंजाब में शुरुआती 13 दिनों में 9 गुना अधिक धान की खरीद
केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के मुताबिक खरीफ मौसम की खरीद इस बार पंजाब और हरियाणा में 26 सितंबर से शुरू कर दी गई थी। मंडियों में फसल जल्दी आने के कारण यह जल्दी शुरू हो गई, जबकि अन्य राज्यों में यह खरीद एक अक्टूबर से शुरू हुई। खरीद के शुरुआती 13 दिनों के भीतर पंजाब में पिछले साल की तुलना में एमएसपी पर नौ गुना अधिक 15.99 टन की खरीद की गई। पिछले साल इसी अवधि में 1.76 लाख टन की खरीद हुई थी।
पिछले साल की तुलना में 18.58 प्रतिशत अधिक खरीद
सरकार के आंकड़ों के मुताबिक यह पिछले साल की समान अवधि में 268.15 लाख टन की खरीदारी गई थी, जबकि इस साल 18.58 प्रतिशत अधिक खरीद की गई है। बयान में कहा गया कि लगभग 29.70 लाख किसानों को पहले से ही 60,038.68 करोड़ रुपये के एमएसपी मूल्य के साथ चल रहे खरीफ विपणन सत्र के खरीद कार्यों से लाभान्वित किया गया है।
सरकार का दावा एमएसपी पर जारी रहेगी खरीदारी
सरकार ने कहा कि चालू खरीफ विपणन सत्र में मौजूदा योजनाओं के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीफ फसलों की खरीद जारी रहेगी। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, उत्तराखंड, तमिलनाडु, चंडीगढ़, जम्मू और कश्मीर, केरल, गुजरात, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और महाराष्ट्र में धान की खरीद सुचारू रूप से जारी है।
अपनी मांगों पर अड़े आंदोलनकारी किसान
गौरतलब है कि पिछले करीब एक हफ्ते से दिल्ली की सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान जुटे हुए हैं। केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच बीते दिन जो बातचीत हुई, उसमें कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका। मंगलवार को दोपहर 3 बजे शुरू हुई ये बैठक करीब 7 बजे खत्म हुई। इस वजह से किसानों ने कहा है कि उनका आंदोलन तबतक जारी रहेगा, जबतक कि ये कानून वापस नहीं हो जाते हैं।
किसानों से बातचीत कर समझाने की कोशिशें जारी
केंद्र सरकार के मंत्री लगातार किसानों को समझाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन किसान अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं। किसान नेता चंदा सिंह ने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ हमारा आंदोलन जारी रहेगा। हम सरकार से कुछ तो जरूर वापस लेंगे, चाहे वो बुलेट हो या शांतिपूर्ण समाधान। अब सरकार और किसानों के बीच अगली बैठक 3 दिसंबर को होगी।