Home झूठ का पर्दाफाश गांवों और परिवारों के बीच अंतर नहीं जानते हैं शशि थरूर !

गांवों और परिवारों के बीच अंतर नहीं जानते हैं शशि थरूर !

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13 फरवरी, 2018 को कांग्रेस के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने एक ट्वीट पोस्ट कर दावा किया कि केंद्र सरकार अपने ही लक्ष्यों को बार-बार बदल रही है। देखिये ये ट्वीट-

 

दरअसल शशि थरूर कुछ-कुछ ऐसी बातें कर रहे हैं जैसी बातें उनकी पार्टी के लोग अक्सर किया किया करते हैं। कुछ-कुछ ऐसी भी जो आज कई मीडिया घराने भी करते हैं। वे इस बात में फर्क नहीं कर पाते हैं कि ग्रामीण विद्युतिकरण क्या है और घर-घर विद्युतिकरण क्या है?

शशि थरूर के लिए कुछ तथ्य नीचे दिये गए हैं-

ग्रामीण विद्युतिकरण का अर्थ यह है कि पावर ग्रिड से बिजली गांवों तक पहुंचा देना, न कि घर-घर बिजली पहुंचाना।

उनकी जानकारी के लिए यह भी तथ्य है कि ग्रामीण विद्युतिकरण की परिभाषा भी नरेंद्र मोदी की सरकार ने नहीं बनाई है। यह 1997 से अपरिवर्तित है जिसमें कहा गया है कि अगर ग्रिड से बिजली गांवों तक पहुंचा दी जाती है तो उसे विद्युतिकृत माना जाता है।

15 अगस्त, 2015 को प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किला से कहा था कि 1000 दिनों के भीतर सभी गांवों में बिजली पहुंचा दी जाएगी। इसका लक्ष्य एक मई, 2018 तक निर्धारित किया गया है। अगर दिनों के हिसाब से देखें तो एक मई, 2018 तक यह 990 दिन ही होते हैं।

ग्रामीण विद्युतिकरण की बात की जाए तो अप्रैल, 2015 से अब तक दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (DDUGJY) के तहत 18,452 गांवों में से 16, 341 गांवों का विद्युतिकरण किया जा चुका है।

घर-घर बिजली की बात करें तो यह ग्रामीण विद्युतिकरण से बिल्कुल अलग बात है। 22 दिसंबर, 2017 को सरकार की घोषणा के अनुसार इसका सौभाग्य योजना और हर घर विद्युतिकरण (universal household electrification) का लक्ष्य 31 मार्च, 2019 निर्धारित किया गया है, जिसपर कार्य जारी है।

दरअसल शशि थरूर इस बात में अंतर कर पाने में अक्षम साबित हुए हैं कि ग्रामीण विद्युतिकरण क्या है और हर घर बिजली योजना क्या है? अपनी अधूरी और गलत जानकारी की बदौलत वे लोगों को गुमराह भी कर रहे हैं। उन्हें एक बार फिर याद दिला दें कि ग्रामीण विद्युतिकरण का लक्ष्य एक मई, 2018 है जबकि हर घर बिजली पहुंचाने का लक्ष्य 31 मार्च, 2019 है। फिर शशि थरूर बताएं कि सरकार ने अपने लक्ष्यों को कब परिवर्तित किया है?

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