प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के बीच मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए समिट-लेवल की बातचीत हुई। इस समिट में भारत-अफगानिस्तान के बीच शहतूत प्रोजेक्ट डैम पर करार किया गया। समझौते के तहत भारत काबुल की नदी पर शहतूत बांध का निर्माण करेगा जिससे वहां के लोगों को स्वच्छ पेयजल के साथ सिंचाई के लिए आसानी से पानी मिल सकेगा। इसके लिए भारत-अफगानिस्तान के विदेश मंत्रियों ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए। राष्ट्रपति गनी ने इस दौरान भारत का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा कि जो देश आतंकवाद को बढ़ाने का काम कर रहे हैं, उन्हें दुनिया में उजागर करने की जरूरत है। राष्ट्रपति ने भारत को कोरोना वैक्सीन देने के लिए भी शुक्रिया अदा किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज हम काबुल में जिस शहतूत बांध के निर्माण पर समझौता कर रहे हैं, उस की नींव सिर्फ ईंटों और मोर्टार पर नहीं बनेगी, बल्कि भारत-अफगान दोस्ती की ताकत पर टिकी होगी। काबुल शहर भारत के लोगों के दिलों-दिमाग में बसा है। कई पीढ़ियां जैसा आपने उल्लेख किया गुरु रबिन्द्रनाथ टैगोर की ‘काबुलीवाला’ कहानी पढ़ कर बड़ी हुई है। और इसलिए मुझे विशेष खुशी है कि शहतूत बांध परियोजना से काबुल शहर के नागरिकों को पेयजल सुविधा प्रदान होगी। साथ-साथ काबुल नदी बेसिन में एक सिंचाई नेटवर्क का विकास भी होगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत-अफगानिस्तान का इतिहास एक दूसरे से जुड़ा रहा है। आज हम भारत-अफगानिस्तान दोस्ती की लंबी राह में एक और मील का पत्थर रखने जा रहे हैं। भारत और अफगानिस्तान सिर्फ जियोग्राफी से ही नहीं बल्कि हमारे इतिहास और कल्चर भी आपस में जुड़े रहे हैं, एक दूसरे को प्रभावित करते रहे हैं। ये सदियों पुराने सम्पर्क हमारी भाषाओं, हमारे खान-पान, हमारे संगीत, हमारे साहित्य में झलकते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले लगभग दो दशकों से भारत अफगानिस्तान के प्रमुख विकास साझेदारों में रहा है। अफगानिस्तान में हमारी विकास परियोजनाएं इंफ्रास्ट्रक्चर, कैपिसिटी बिल्डिंग, कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, जैसे अनेक सेक्टर में फैली हैं। एक दशक पहले, पुल-ए-खुमरी से ट्रांसमिशन लाइन के निर्माण से काबुल शहर में बिजली की आपूर्ति बेहतर हुई। 218 किलोमीटर लंबे डेलारम-जरंज राजमार्ग ने अफगानिस्तान के लिए कनेक्टिविटी का एक विकल्प प्रदान किया। कुछ वर्ष पहले बने ‘मैत्री बांध’ से हेरात में बिजली और सिंचाई का सिस्टम सुदृढ़ हुआ। अफगानिस्तान की संसद का निर्माण भारत और अफगानिस्तान की जनता का लोकतंत्र के प्रति लगाव का महत्वपूर्ण प्रतीक रहा। इन सभी प्रोजेक्ट्स का एक प्रमुख पहलू यह रहा कि इन से भारत और अफगानिस्तान की दोस्ती, हमारी आपसी साझेदारी और मजबूत हुई।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं हर अफगान भाई और बहन को यह विश्वास दिलाना चाहता हूं कि भारत आपके साथ खड़ा है। आपके धैर्य, साहस और संकल्प की यात्रा के हर कदम पर, भारत आपके साथ रहेगा। कोई भी बाहरी ताकत अफगानिस्तान के विकास को या भारत-अफगानिस्तान दोस्ती को रोक नहीं सकती।
उन्होंने कहा कि एक निकट पड़ोसी और मजबूत सामरिक सहयोगी के रूप में भारत और अफगानिस्तान दोनों ही अपने क्षेत्र को आतंकवाद और उग्रवाद के भयंकर संकट से मुक्त देखना चाहते हैं। भारत एक ऐसी शांति प्रक्रिया का समर्थन करता रहा है, जो अफगानिस्तान के नेतृत्व में हो, अफगानिस्तान के स्वामित्व में हो, और अफगानिस्तान के नियंत्रण में हो।
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