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अमरनाथ यात्रियों का कत्लेआम हुआ है, अब आतंकियों का मजहब क्यों नहीं दिख रहा ?

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जम्मू-कश्मीर में मारे गए अमरनाथ तीर्थयात्रियों के धर्म पर छद्म सेक्युलर, तथाकथित बुद्धिजीवी और संकुचित मीडिया चुप है। ये वो लोग हैं जो लाशों से धर्म को ढूंढ निकालने में बहुत माहिर हैं। पूरे देश में कहीं भी कोई घटना हो, अगर मरने वाला मुस्लिम है तो उसे ये लोग फौरन लिंचिंग का रूप दे देते हैं। मृतक मुस्लिम है इसकी भनक लगते ही ये लोग एक सामान्य सी आपराधिक घटना में बीफ और गोरक्षकों का छौंक लगाना शुरू कर देते हैं। लेकिन अमरनाथ यात्रियों का कत्लेआम करने वाले मुसलमान हैं, यही कारण है कि देश विरोधी भावना भड़काने वाले लोगों की आज बोलती बंद है।

हिंदू तीर्थयात्रियों पर आतंकियों (मुस्लिम) का हमला
जम्मू-कश्मीर में पवित्र अमरनाथ यात्रा करके लौट रहे 7 तीर्थयात्रियों की बेरहमी से हत्या कर दी गई। इस आतंकी हमले में लगभग 20 तीर्थयात्री गंभीर रूप से जख्मी भी हो गए। ये बात बताने की जरूरत नहीं कि अमरनाथ यात्रियों को इस लिए मारा गया क्योंकि वो हिंदू थे। सभी तीर्थयात्री पवित्र बाबा अमरनाथ का दर्शन करके लौट रहे थे। आतंकवादियों का एकमात्र मकसद हिंदू तीर्थयात्रियों का कत्लेआम करना था। उनपर गोलियों की बारिश करने वाले सारे आतंकी मुसलमान थे।

तीर्थयात्रियों और आतंकियों के धर्म पर चुप्पी क्यों?
कश्मीर की वारदात में छद्म सेक्युलरों, तथाकथित बुद्धिजीवियों और संकुचित मीडिया को अमरनाथ यात्रियों का धर्म नहीं दिखाई दे रहा। वो बहुत चलाकी से हत्यारे आतंकवादियों का धर्म भी दबा देना चाहते हैं। जबकि ये आतंकवादी वारदात अचानक नहीं हुई है। इसके पीछे एक गहरी साजिश है और पूरी सोच-समझ के साथ हिंदुओं पर घात लगाकर हमला किया गया है। ये कोई लिंचिंग का मामला नहीं है जो तात्कालिक वजहों से हो जाती है।

लिंचिंग के पीड़ितों को मुस्लिम बताने की लगती है होड़
हाल के कुछ वर्षों में देश भर में लिंचिंग की कुछ अप्रिय घटनाएं हैं। किसी स्थानीय या तात्कालिक कारणों से जब भी ऐसी कोई वारदात हुई है और संयोग से पीड़ित मुसलमान निकला है तो देशभर में खूब हंगामा मचाया गया है। देश विरोधी मानसिकता के लोग चीख-चीख कर ये बताते रहे हैं कि एक मुस्लिम को हिंदुओं ने मार डाला। आपसी दुश्मनी से हुई हत्याओं को भी यही शक्ल दे दिया जाता है अगर पीड़ित मुस्लिम और हत्यारे हिंदू निकल आते हैं।

आतंकवादी का धर्म तभी बताते हैं जब वो हिंदू निकलता है

यूपी में सोमवार लश्कर-ए-तैयबा का एक आतंकवादी पकड़ा गया। संयोग से उसका मजहब हिंदू निकला। बस संकुचित मीडिया सक्रिय हो गई। बार-बार आतंकवादी का धर्म बताया जाने लगा क्योंकि वो हिंदू था। क्या ये रवैया धर्मनिरपेक्षता के नाम पर नाटक नहीं है ?

आतंकवाद का धर्म नहीं होता- सेक्युलर राग
जब भी कोई आतंकवादी (मुस्लिम) हमला करता है, तब छद्म सेक्युलर ये कहकर उसका बचाव करते हैं कि आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता। कश्मीर की जघन्य वारदात के बाद भी उन्होंने यही राग अलापना शुरू कर दिया है। ऐसे समय में सेक्युलरों और पाकिस्तानियों एवं देशद्रोहियों की भाषा में रत्तीभर का अंतर नजर नहीं आता। सवाल है कि ये दोहरी मानसिकता क्यों?

हज यात्रियों पर ऐसा हमला क्यों नहीं होता ?अगर आतंकवाद का धर्म नहीं होता तो आजतक कभी हज यात्रियों पर हमले की घटना सामने क्यों नहीं आई। सच्चाई है कि दुनिया के अधिकतर आतंकवादी मुसलमान ही होते हैं। आतंकवादी बनने का उनका एकमात्र मकसद भी इस्लाम का प्रचार-प्रसार करना है। ऐसे में वो अपने ही धर्म के हज यात्रियों पर कभी हमला नहीं कर सकते।

इस्लामिक आतंकवाद से परेशान है दुनिया
भारत ही नहीं इस्लामिक आतंकवाद ने पूरी दुनिया को संकट में डाल रखा है। विश्व में शायद ही कोई देश बचा है जो मुस्लिम आतंकवाद से पीड़ित नहीं हैं। आलम ये है कि इस्लामिक आतंकवाद से अब कई मुस्लिम देश भी संकट में पड़ गए हैं। क्योंकि ये कट्टरपंथी मुस्लिम आतंकवादी वहां पर दकियानूसी इस्लामिक कानूनों को लागू करने का जोर डालते हैं। लेकिन जब प्रगतिवादी मुसलमान उनके विनाशी मंसूबों का विरोध करते हैं तो ये आतंकवादी उन प्रगतिशील मुसलमानों की हत्या करने से भी परहेज नहीं करते।

आतंकवादियों (मुस्लिमों) का हौंसला बढ़ा रहे हैं सेक्युलर
चिंता की बात है कि हमारे देश में छद्म सेक्युलरों के चलते अब आतंकवादियों का भी हौंसला बढ़ गया है। उन्हें लगने लगा है कि भारत के अंदर पड़े दुश्मन उनका काम और आसान कर रहे हैं। अगर सरकार या सुरक्षा बल देश विरोधी ताकतों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू करती है, तो ये सेक्युलर फ्री स्पीच या मानवाधिकार के नाम पर नौटंकी शुरू कर देते हैं।

संविधान निर्माताओं ने अपने नागरिकों को बोलने या विचार प्रकट करने का अधिकार दिया था। लेकिन स्वतंत्रता के उन दीवानों ने कभी सोचा नहीं था कि जिस देश को इतने कठिन संघर्ष से उन्होंने आजाद किया है उसमें कभी छद्म सेक्युलर जैसे कपूत भी पैदा हो जाएंगे। लेकिन अब समय आ चुका है कि ऐसे देश विरोधियों की नकेल सख्ती से कस दिया जाए। अगर इसके लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता है तो उसपर भी विचार करने से पीछे नहीं हटना चाहिए।

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