Home समाचार अमरनाथ तीर्थयात्रियों पर हमले का मास्टरमाइंड अबू इस्माइल ढेर

अमरनाथ तीर्थयात्रियों पर हमले का मास्टरमाइंड अबू इस्माइल ढेर

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आतंक की हसरत होती है कि वह दुनिया जीत ले… लेकिन आखिरकार उसका अंजाम तो मौत ही होता है। जुलाई में अमरनाथ तीर्थयात्रियों पर हमला करने के बाद शायद लश्कर ए तैयबा का आतंकी अबू इस्माइल यही सोच रहा होगा कि उसने जिहाद किया है और उसे जन्नत मिलेगी। लेकिन सुरक्षा बलों ने उसे ऐसी मौत दी की वह सीधे जहन्नुम चला गया। दरअसल पीएम मोदी की नीतियों के कारण आतंकवाद पर करारा प्रहार किया जा रहा है। इस साल ही अब तक 148 आतंकी मारे जा चुके हैं।

मारा गया अमरनाथ तीर्थयात्रियों का गुनहगार
सुरक्षा बलों ने नौगाम के अरीगाम इलाके में अबू इस्माइल को मुठभेड़ में ढेर कर दिया। मुठभेड़ में इस्माइल का एक सहयोगी भी मारा गया। पाकिस्तान का रहने वाला इस्माइल लश्कर-ए-तैयबा का टॉप कमांडर था और उसी ने अमरनाथ यात्रियों पर आतंकी हमले की पूरी साजिश रची थी। 10 जुलाई को सावन महीने के पहले सोमवार को रात में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने अमरनाथ यात्रियों की बस पर हमला किया था। इस हमले में 8 तीर्थयात्रियों की मौत हुई थी।

5 मिनट में जहन्नुम चला गया अबू इस्माइल
दरअसल अबू इस्माइल को सुरक्षा बलों ने अपनी राडार पर रखा था। गुरुवार को जब पुलिस को नौगाम में कुछ आतंकियों के छिपे होने की सूचना मिली थी जिसके बाद पूरे इलाके को खाली करा लिया गया। इसके बाद संयुक्त अभियान में दोनों आतंकी ढेर हुए। अबू इस्माइल के सहयोगी की पहचान छोटा कासिम के तौर पर हुई है। वह भी पाकिस्तान का रहने वाला था। महज 5 मिनट की एक छोटी सी मुठभेड़ में दोनों आतंकी मारे गए। उनके पास से 2 एके 47 भी मिले हैं।

कश्मीर घाटी में इस साल 148 आतंकी ढेर
इस साल सैन्य ऑपरेशनों में जिन 148 आतंकियों को ढेर किया गया है। इन आतंकियों में से 17 लश्कर-ए-तैयबा, हिज्बुल मुजाहिदीन और अल-बद्र के टॉप कमांडर थे। राज्य पुलिस, सेना और सीआरपीएफ के साझा ऑपरेशनों से बड़ी सफलता मिल रही है। अबू इस्माइल का मारा जाना सुरक्षा बलों की बड़ी उपलब्धि है। दरअसल ऐसे टॉप आतंकवादी जो एक तरह से आतंकियों को नेतृत्व देते हैं वे कश्मीर के निर्दोष बच्चों को गुमराह करते हैं और उन्हें आतंक में ढकेल देते हैं।

कुख्यात आतंकियों का खात्मा
पिछले साल बुरहान वानी के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद हाल में जो आतंकी मारे गए हैं उनमें ए++ कैटेगरी का पाकिस्तानी आतंकी अबु दुजाना लश्करे तैयबा का साउथ कश्मीर का डिवीजनल कमांडर था। सबजार अहमद बट्ट हिजबुल-मुजाहिदीन का कमांडर था। जुनैद लश्कर का कमांडर था। यासीन इट्टू उर्फ ‘गजनवी’ हिजबुल मुजाहिदीन के एक टॉप कमांडर था। इनके अलावा बशीर वानी, सद्दाम पद्दर, मोहम्मद यासीन और अल्ताफ मारे गए हैं। ये सब सुरक्षा बलों की ‘मोस्ट वांटेड’ सूची में थे।

मारे गए प्रमुख आतंकियों की सूची-

  • बुरहान मुजफ्फर वानी, हिजबुल मुजाहिदीन
  • अबु दुजाना, लश्कर ए तैयबा कमांडर
  • बशीर लश्करी, लश्कर ए तैयबा
  • सब्जार अहमद बट्ट, हिजबुल मुजाहिदीन
  • जुनैद मट्टू, लश्कर ए तैयबा
  • सजाद अहमद गिलकर, लश्क ए तैयबा
  • आशिक हुसैन बट्ट, हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर
  • अबू हाफिज, लश्कर ए तैयबा
  • तारिक पंडित, हिजबुल मुजाहिदीन
  • यासीन इट्टू ऊर्फ गजनवी, हिजबुल मुजाहिदीन
  • अबू इस्माइल, लश्कर ए तैयबा

इंटेलिजेंस इनपुट में हुआ सुधार
दरअसल कश्मीर में विदेशी आतंकवादियों और स्थानीय गिरोहों के बीच टकराव पैदा हो गया है। विदेशी और स्थानीय आतंकी गिरोहों के बीच टकराव होने के कारण सुरक्षा बलों को गोपनीय सूचनाएं मिलती हैं, जिनके आधार पर सुरक्षा बल कार्रवाई करते हैं। दुजाना और लश्करी जैसे आतंकियों के मारे जाने से यह साफ है कि स्थानीय लोगों से लश्कर और जैश से जुड़े विदेशी आतंकियों से जुड़े इंटेलिजेंस इनपुट्स ज्यादा बेहतर ढंग से मिल रहे हैं।

तीन बिंदुओं पर फोकस कर रही सरकार
सरकार कश्मीर को लेकर मुख्य तौर पर तीन बिंदुओं पर फोकस कर रही है। आतंकी सरेंडर करने से इनकार करते हैं तो उन्हें खत्म कर दिया जाए। इसके लिए सुरक्षाबल एनकाउंटर वाली जगहों पर स्थानीय लोगों के प्रदर्शनों से बेअसर रहते हैं। इसके साथ ही टेरर फंडिंग से जुड़े हुर्रियत अलगाववादियों पर एक्शन हो रहा है। इसके साथ ही स्थानीय नागरिकों के प्रति नरम रुख अपनाया जा रहा है ताकि वे लोग खुद को पीड़ित या हाशिये पर न महसूस करें।

बॉर्डर पर सेना को मिली खुली छूट
पाकिस्तान से आने वाले आतंकवाद पर रोक लगाने के लिए सेना हर कदम पर कुछ ठोस कर रही है। जुलाई महीने के दौरान घुसपैठ में मददगार नौगाम और नौशेरा में पाकिस्तानी सैन्य चौकियों को ध्वस्त कर दिया गया। पहली बार सेना ने कार्रवाई का वीडियो भी जारी किया था। जाहिर है ये भारत की सैन्य कूटनीति के बदलाव की कहानी कहती है। पिछले साल सर्जिकल स्ट्राइक का खुला ऐलान और अब पाकिस्तानी बंकरों को ध्वस्त करने का वीडियो जारी कर भारत ने स्पष्ट संदेश दे दिया कि कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान की चोरी छिपे युद्ध वाली नीति अब नहीं चलने वाली।

‘खोजो और मारो’ का अभियान
11 जुलाई को अमरनाथ तीर्थयात्रियों पर हमले के बाद अब कश्मीर में आतंकियों को जिंदा पकड़ने की बाध्यता को खत्म करते हए ‘खोजो और मारो’ की नयी नीति बनाई गई है। सरकार की इस नयी नीति से आतंक के खिलाफ केंद्र सरकार के कठोर संकल्प का पता चलता है। ‘खोजो और मारो’ अभियान के साथ ही साथ दूसरी रणनीति भी शुरू हो चुकी है, ये रणनीति है आबादी में ‘घेरो, जंगल में मारो’। सरकार का मानना है कि इस रणनीति के तहत कश्मीर घाटी में आतंकियों का सफाया कर पाने में कामयाब हो पाएगी। जाहिर पीएम मोदी की ये सख्त नीति आतंक के खात्मे के लिए एक बड़ी पहल है।

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