Home समाचार जम्मू-कश्मीर में ऐतिहासिक पहल, सेना, पुलिस और सीआरपीएफ के शहीद जवानों के...

जम्मू-कश्मीर में ऐतिहासिक पहल, सेना, पुलिस और सीआरपीएफ के शहीद जवानों के नाम पर होगा स्कूलों का नाम

SHARE

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद प्रदेश में तेजी से बदलाव देखने को मिल रहा है। जहां 5 अगस्त, 2019 से पहले स्कूल आतंकियों के निशाने पर थे, अब उन्हीं स्कूलों को नई पहचान देने के लिए ऐतिहासिक पहल की गई है। जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से एक आदेश जारी किया गया है। जिसमें केंद्र शासित प्रदेश के स्कूलों का नाम अब सेना, सीआरपीएफ और पुलिस के शहीद जवानों के नाम पर किया जाएगा।

जम्मू संभागीय आयुक्त के कार्यालय से जम्मू, कठुआ, डोडा, पुंछ, रामबन, सांबा, किश्तवाड़, राजौरी, उधमपुर और रियासी के उपायुक्त को पत्र जारी किया गया है। इसमें लिखा गया है कि शहीदों के नाम पर रखे जा सकने वाले सरकारी स्कूलों की सूची को अंतिम रूप देने के लिए जिला स्तर पर एक समिति गठित की जाएगी। इसमें में एसएसपी, एडीसी, डीपीओ या एसी पंचायत और सेना के प्रतिनिधियों को शामिल किया जा सकता है।

उपायुक्तों को इस सूची को 5 अगस्त तक जम्मू संभागीय आयुक्त कार्यालय को भेजने के लिए कहा गया था। सूत्रों के अनुसार, कुछ जिलों ने पहले ही स्कूलों के नाम दे दिए हैं। इन स्कूलों का नाम उन शहीदों के नाम पर रखा जाएगा, जिन्होंने राष्ट्र के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व डिप्टी सीएम कविंदर गुप्ता ने इस फैसले का स्वागत किया।

इससे पहले जुलाई 2020 में प्रदेश के रेवेन्यू डिपार्टमेंट ने 1971 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा जारी एक सर्कुलर को वापस लेकर सेना को बड़ी राहत दी थी। सरकार ने सुरक्षा बलों के जवानों को जम्मू-कश्मीर में भूमि के अर्जन/अधिग्रहण के लिए ‘नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट’ (NOC) लेने की अनिवार्यता खत्म कर दी थी। इससे भारतीय सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ व गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले अन्य सशस्त्र बलों को फायदा मिल रहा है। इससे पहले सुरक्षा बलों के जवानों को गृह मंत्रालय के पास NOC के लिए आवेदन करना होता था।

गौरतलब है कि 5 अगस्त, 2019 को आजादी के बाद की गई सबसे बड़ी पहल के तहत जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश में बांट दिया गया था। इसके बाद से लगातार जम्मू-कश्मीर में मोदी सरकार विकास के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। कुछ दिन पहले ही यहां की जमीन कानून को लेकर भी बदलाव किया गया था। इसके तहत अब कोई भी दूसरे प्रदेश का नागरिक जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीद सकता है, जबकि पहले ऐसा नहीं था। 

 

Leave a Reply