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पीएम मोदी के प्रयास ने दिलाई यूनेस्को विरासत स्थल में शामिल धोलावीरा को अंतरराष्ट्रीय पहचान, पर्यटकों की संख्या में हुई बढ़ोतरी, स्थानीय लोगों की आजीविका में हुआ सुधार

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गुजरात के कच्छ में स्थित पांच हजार साल पुराना हड़प्पा कालीन शहर धोलावीरा को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल कर लिया गया है। इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का सिर ऊंचा हुआ है। लेकिन इस ऐतिहासिक पुरास्थल को दुनिया में पहचान दिलाने और उद्धारक के रूप में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का योगदान काफी उल्लेखनीय है। प्रसिद्ध पुरातत्वविद् और 1984 से 2000 तक धोलावीरा के जीर्णोद्धार से जुड़े रहे यदुबीर सिंह रावत के मुताबिक विकास से कोसो दूर, सूखा और भूकंप से प्रभावित इस क्षेत्र को किसी विकास पुरुष के आने का इंतजार था। वो इंतजार 7 अक्टूबर, 2006 को खत्म हुआ, जब गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी धोलावीरा का निरीक्षण करने पहुंचे। उस वक्त इस पुरास्थल की स्थिति बहुत खराब थी। इसे देखकर मुख्यमंत्री को काफी तकलीफ हुई। उन्होंने उसी समय उस जगह से एक व्यापक और क्रांतिकारी प्रयास शुरू किया, जिसने धोलावीरा की दशा और दिशा को बदल दिया। यहां बड़ी संख्या में पर्यटक आने लगे, जिससे स्थानीय लोगों की आजीविका में सुधार हुआ।

तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी ने धोलावीरा और उसके आस-पासे के इलाकों में पानी, सड़क, बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं के विकास और इसमें स्थानीय लोगों की भागीदारी पर जोर दिया। उनकी व्यक्तिगत दिलचस्पी और लगातार फॉलो अप करने की वजह से धोलावीरा में तेजी से विकास हुआ। मुख्यमंत्री मोदी ने पर्यावरण की देखभाल के साथ पर्यटन को बढ़ावा दिया। इस पुरास्थल को लोकप्रिय बनाने के लिए उन्होंने संबंधित विभागों को राज्य भर में प्रचार-प्रसार का निर्देश दिया। इससे धोलावीरा तक पर्यटकों को आकर्षित करने और नई वैश्विक पहचान दिलाने में काफी मदद मिली।

 धोलावीरा के लिए भगीरथ बने नरेन्द्र मोदी 

  • कनेक्टिविटी और जलापूर्ति में सुधार के लिए धोलावीरा टास्क फोर्स का गठन किया। धोलावीरा तक पानी की पाइपलाइन पहुंचाई गई। 
  • धोलावीरा तक सड़क संपर्क को बेहतर बनाने क लिए घदुली और संथालपुर की लिंक रोड्स पर काम शुरू किया।
  • शिरानी वंध और अमरापुर के बीच ग्रेट रण में बिजली के तारों को भूमिगत करने की योजना लगू की।
  • इससे हर साल सर्दियों के मौसम में कच्छ आने वाले राजहंस और अन्य प्रवासी पक्षियों को बचाने में मदद मिली।
  • बालासर से बिजली प्राप्त करने के लिए एक विशेष ट्रांसफार्मर की व्यवस्था की गई।
  • राज्य सरकार के प्रयास से 2008 तक धोलावीरा को मोबाइल कनेक्टिविटी मिली।
  • पूर्व सैनिकों को गाइड के रूप में चयन और केवड़िया में स्थानीय लोगों को गाइड बनने के लिए ट्रेनिंग दी गई।
  • धोलावीरा के प्रचार के लिए संबंधित विभागों को राज्य के विभिन्न हिस्सों में साइनेज लगाने का निर्देश दिया।
  • मुख्यमंत्री मोदी ने धोलावीरा में संग्रहालय बनाने के लिए पुरातत्वविद् की मदद की।

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