युद्धग्रस्त यूक्रेन में चलाये जा रहे ‘ऑपरेशन गंगा’ को उस समय बड़ी कामयाबी मिली, जब सुमी शहर में लगातार हो रही बमबारी के बीच फंसे 700 भारतीय छात्रों को सकुशल निकाल लिया गया। अब सभी छात्र यूक्रेन से भारत पहुंच चुके हैं। पोलैंड से इन छात्रों को भारत लाया गया है। तीन विशेष उड़ानों में से एक उड़ान वायुसेना की थी। वायुसेना का सी-17 विमान दोपहर करीब सवा बारह बजे हिंडन वायु सेना अड्डे पर उतरा। वहीं इंडिगो की उड़ान दोपहर 12.20 बजे और एयर इंडिया की उड़ान शुक्रवार तड़के दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरी। छात्रों को अपने वतन पहुंचने के बाद उनके भावुक माता-पिता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद दे रहे हैं।
“भारत सरकार का शुक्रगुजार हूं”
कश्मीर में श्रीनगर के रहने वाले संजय पंडिता अपने बेट से मिलकर अपने आंसू नहीं रोक पाये। यूक्रेन के सुमी से लौटने पर अपने बेटे ध्रुव का स्वागत करते हुए उन्होंने रूंधे गले से कहा, “मैं कहूंगा कि यह मेरा बेटा नहीं है, यह मोदी जी का बेटा है। वो लेकर आए हैं। उम्मीद नहीं थी उन बच्चों की। हमने उम्मीद छोड़ रखी थी। हमारे लिए कोई उम्मीद नहीं बची थी। सुमी में जो हाल उन लोगों ने किए थे, उन हालातों में उनका जीना नामुमकिन हो रहा था। मैं भारत सरकार का शुक्रगुजार हूं। उन्होंने मेरा बेटा मुझे लौटाया। यह भारत के लिए जिंदाबाद….। बच्चे पानी के लिए तड़प रहे थे।”
#WATCH A tearful Sanjay Pandita from Srinagar, Kashmir welcomes his son Dhruv on his return from Sumy, #Ukraine, says, “I want to say that it’s Modiji’s son who has returned, not my son. We had no hopes given the circumstances in Sumy. I am thankful to GoI for evacuating my son.” pic.twitter.com/ygqOVk5PGm
— ANI (@ANI) March 11, 2022
सुमी से लौटे छात्र ने सुनाई आपबीती
सुमी से लौटे पीयूष ने अपनी आपबीती सुनाई। उन्होंने कहा कि युद्ध शुरू होने के बाद उन्होंने बंकर में अपनी रातें गुजारी। युद्ध के कारण वहां पर पानी, बिजली और इंटरनेट जैसी कोई सुविधा नहीं थे। इंटरनेट नहीं होने के कारण वो अपने परिवार वालों से बात तक नहीं कर पा रहे थे। इतना ही नहीं उनके पास पीने का पानी भी नहीं था। पानी न होने के कारण उन्होंने बर्फ को पिघलाया और उस पानी का प्रयोग कपड़े धोने और पीने के लिए किया। जिस तरह से भारत सरकार ने उन्हें और अन्य छात्रों को वहां से निकाला है, उसके लिए मोदी सरकार को धन्यवाद देते हैं।
पीएम मोदी के दो फोन कॉल से बना मानवीय कॉरिडोर
सुमी से भारतीय छात्रों की सुरक्षित निकासी इतनी आसान नहीं थी, जितनी दिख रही है। छात्रों की सुरक्षित घर वापसी और उनकी जान बचाने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बड़ी भूमिका निभाई। प्रधानमंत्री मोदी को जब सुमी में फंसे 694 छात्रों के बारे में जानकारी मिली तो उन्होंने सोमवार (7 मार्च, 2022) को यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की से 35 मिनट और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से करीब 50 मिनट तक बातचीत की। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने सुमी में फंसे भारतीय छात्रों की सुरक्षा को लेकर चिंता जतायी। तब दोनों नेताओं ने भारतीय छात्रों के लिए सुरक्षित मार्ग देने का भरोसा दिलाया। दोनों नेताओं ने इस मामले को लेकर अपनी-अपनी तरफ से हरी झंडी दिखाई। इसके बाद छात्रों को निकालने के लिए 8 मार्च को सुमी से पोल्टावा जाने के दो रास्तों पर मानवीय कॉरिडोर तैयार किया गया।
भारतीय दूतावास छात्रों को सुमी से पोल्टावा लाया जा रहा है.यह यूक्रेन रूस के बीच युद्ध क्षेत्र है।बचाव का मतलब है आपको दोनों का समर्थन चाहिए,जो एक दूसरे से लड़ रहे.किंतु दोनों युद्ध भुलाकर भारतीयों की मदद कर रहे.कमी निकालने वाले क्या अब भी कमियां निकालेंगे?जय हिंद #OperationGanga pic.twitter.com/nUF6ZvNf1u
— Sorabh Tiwari ?? (@SorabhTiwari13) March 9, 2022
छात्रों को 12 बसों के जरिए निकाला गया
विदेश मंत्री एस जयशंकर भी रूस, यूक्रेन और उसके पड़ोसी देशों में अपने समकक्षों के साथ लगातार संपर्क में थे। इसके अलावा भारत ने छात्रों को निकालने में मदद के लिए जिनेवा और यूक्रेन दोनों में रेड क्रॉस के साथ बातचीत की। एक अधिकारी के मुताबिक युद्धग्रस्त क्षेत्र में बसों को किराए पर लेना एक बड़ी चुनौती थी, क्योंकि यूक्रेनी ड्राइवर रूसी सीमा की तरफ जाने के लिए तैयार नहीं थे। इसके बावजूद छात्रों को 12 बसों के जरिए निकाला गया। सभी भारतीयों को पहले पोल्टावा ले जाया गया, जहां से वो ट्रेन के जरिए पश्चिमी यूक्रेन पहुंचे और फिर उन्हें भारत लाया गया। काफिले में भारत के अलावा बांग्लादेशी और नेपाली नागरिक भी शामिल थे।
#WATCH | A convoy consisting of 12 buses left from Sumy, Ukraine earlier today. All Indians there have been evacuated. Officials of the Indian Embassy & Red Cross are escorting them. Bangladeshis & Nepalis have also been facilitated. They are currently enroute to Poltava region. pic.twitter.com/0ieUCcjl0S
— ANI (@ANI) March 8, 2022
छात्र लगातार लगा रहे थे मदद की गुहार
इस तरह प्रधानमंत्री मोदी के दो फोन कॉल ने छात्रों के लिए रास्ता साफ करने में बड़ी भूमिका निभाई। सुमी में भारी बमबारी और गोलियों के बीच छात्रों ने एसओएस वीडियो भेजे थे। लेकिन भारतीय अधिकारी उनके लिए सुरक्षित मार्ग की व्यवस्था करने में असमर्थ थे। सोमवार को इन छात्रों को शिफ्ट करने का प्रयास नाकाम होने के बाद खतरा काफी बढ़ गया था। उधर छात्रों ने कहा कि उनके पास भोजन और पानी की कमी हो गई है। लगाातर मदद की गुहार लगा रहे थे। छात्र सोशल मीडिया के माध्यम से हर घंटे अपने बारे में जानकारी दे रहे थे और सहायता के लिए सरकार से अपील कर रहे थे कि इससे पहले कि स्थिति बदतर हो जाए और वे “शव में बदल जाएं”, सरकार को उन्हें बचाना चाहिए।
I’m deeply concerned about #IndianStudents in #Sumy, #Ukraine.There’s need of immediate ceasefire to create a safe corridor 4 students.#OpenHumanitarianCorridor@IndiainUkraine#UkraineRussianWar #CeasefireNOW#सुमी में फँसे छात्र-छात्रा ??
@JM_Scindia
pic.twitter.com/e5dxgoSdRb— Ashutosh Jha ‘Srijan’ CDCS (@AshutoshSrijan) March 5, 2022