पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच संबंध बहुत ही आत्मीयता भरे रहे हैं। दोनों नेताओं को जब भी मौका मिलता एक दूसरे के प्रति प्यार दिखाना नहीं चूके। आज पूरा देश अटल जी की 95वीं जयंती मना रहा है, तो पीएम मोदी ने इस उपलक्ष्य में हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे के नीचे बनाई जा रही सुरंग का नाम ‘अटल सुरंग’ रखकर उन्हें एक और सम्मान दिया।
पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
8.8 किलोमीटर लम्बी यह सुरंग बनने से मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किलोमीटर तक कम हो जायेगी। इससे हिमाचल प्रदेश के सुदूर सीमावर्ती क्षेत्रों और लद्दाख के बीच सभी तरह के मौसम में सड़क यातायात सुगम हो जाएगा। इससे पहले ठंड के मौसम में इन क्षेत्रों का संपर्क देश के अन्य हिस्सों से छह महीने तक पूरी तरह खत्म हो जाता था। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि महत्वपूर्ण अटल सुरंग इस क्षेत्र का भाग्य बदल देगी और इससे यहां पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
सभी मौसम में आवागमन संभव
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने ट्वीट में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने रोहतांग दर्रे के तहत सुरंग का नामकरण अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर करने की बहुप्रतीक्षित मांग को पूरा किया है । यह अटल जी को एक श्रद्धांजलि है, जिन्होंने इस सुरंग के निर्माण का ऐतिहासिक फैसला किया था।
The Govt under the leadership of PM Shri @narendramodi has fulfilled a long pending demand to name the tunnel under Rohtang Pass after Atal Bihari Vajpayee ji as a tribute to the former Prime Minister who took the historic decision of constructing this strategic tunnel.
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) December 25, 2019
रक्षा मंत्री ने कहा कि सुरंग के पूरा हो जाने के बाद सभी मौसम में लाहौल स्पिति के सुदूर क्षेत्रों में आवागमन संभव हो सकेगा। राजनाथ सिंह ने कहा कि सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) सुरंग का निर्माण कर रही है और निर्माण कार्य 2020 तक पूरा हो जाएगा ।
Constructed by the BRO at a cost of Rs 4000 crores, the tunnel will be completed in 2020.
The completion of the tunnel will provide all weather connectivity to remote areas of Lahaul & Spiti Valley and also reduce the distance between Manali & Leh by 46 Km.
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) December 25, 2019
निर्माण में आईं कई चुनौतियां
एक अधिकारी ने बताया कि इसके निर्माण के दौरान सीमा सड़क संगठन को कई तरह की भौगोलिक और मौसम संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। खासतौर से सेरी नाला फॉल्ट जोन के 587 मीटर क्षेत्र में निर्माण कार्य काफी जटिल और मुश्किल भरा रहा।
अटल जी ने लिया था सुरंग बनाने का ऐतिहासिक फैसला
उल्लेखनीय है कि रोहतांग दर्रे के नीचे रणनीतिक महत्व की सुरंग बनाए जाने का ऐतिहासिक फैसला तीन जून 2000 को लिया गया था जब वाजपेयी जी देश के प्रधानमंत्री थे। सुंरग के दक्षिणी हिस्से को जोड़ने वाली सड़क की आधारशिला 26 मई 2002 को रखी गई थी।
3000 मीटर की ऊंचाई पर बनी दुनिया की सबसे लंबी सुरंग
यह सुरंग 3000 मीटर की ऊंचाई पर बनायी गयी दुनिया की सबसे लंबी सुरंग है। 15 अक्टूबर, 2017 को सुरंग के दोनों छोर तक सड़क निर्माण पूरा कर लिया गया था।