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उत्तराखंड में पहाड़ तक फैल गए रोहिंग्या, हल्द्वानी दंगा की पहले ही रची गई थी साजिश!

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उत्तराखंड के नैनीताल जिले के हल्द्वानी शहर के बनभूलपुरा क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने और अवैध मदरसा तोड़े जाने की कार्रवाई के दौरान हिंसा भड़की नहीं बल्कि भड़काई गई। यहां दंगा करने के लिए पहले से ही पूरी तैयारी की गई थी। जिहादियों ने जिस तरह पुलिसकर्मियों को निशाना बनाया उसकी कलई खुल चुकी है। जिहादी भीड़ ने पूरी साजिश के साथ वारदात को अंजाम दिया। हिंसा की पूरी प्लानिंग रची गई थी। उपद्रवी प्रशासन और पुलिस की टीम को जला देना चाहते थे। हल्द्वानी में हिंसा की बड़ी तैयारी थी। कांग्रेस की सरकारों में मुस्लिम तुष्टिकरण और PFI जैसे आतंकी संगठनों ने साजिश के तहत बीते कुछ सालों में रोहिंग्या मुसलमानों को उत्तराखंड के मैदान से लेकर पहाड़ तक तेजी से फैलाया है। इससे न सिर्फ सामाजिक तानाबाना छिन्न भिन्न हो रहा है बल्कि ये देश की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए भी खतरा हैं। देवभूमि उत्तराखंड के कई शहरों में कुछ साल पहले मुस्लिम आबादी जहां हजारों में होती थी वहीं अब यह लाखों में पहुंच चुकी है। 2012 के बाद इनकी लगातार बढ़ती संख्या सुरक्षा के साथ ही सामाजिक व सांस्कृतिक रूप से भी गंभीर संकट उत्पन्न कर रही है।

पुलिस पर हमले की पहले से रची गई थी साजिश
हल्द्वानी में 8 फरवरी को हुई हिंसा पर नैनीताल की डीएम वन्दना सिंह ने कहा “ये योजना बनाई गई थी कि जिस दिन डिमोलिशन अभियान चलाया जाएगा उस दिन बलों पर हमला किया जाएगा। हमने पत्थरों वाली पहली भीड़ को तितर-बितर कर दिया और दूसरी भीड़ जो आई उसके पास पेट्रोल से भरे बोतल थे उसमें उन्होंने आग लाग के फेंकी।..तब तक हमारी टीम ने कोई बल प्रयोग नहीं किया था। भीड़ ने थाने को घेर लिया और थाने के अंदर मौजूद लोगों को बाहर नहीं आने दिया गया। उन पर पहले पथराव किया गया और फिर पेट्रोल बम से हमला किया गया। थाने के बाहर वाहनों में आग लगा दी गई।

ब्रिटेन, फ्रांस, स्वीडन, जर्मनी में मुस्लिम करते हैं दंगा
सबसे बड़ा सवाल यह है कि हल्द्वानी क्यों जला? इसका सीधा जवाब है कि जहां मुसलमान की आबादी ज्यादा होती है वहां जिहाद शुरू हो जाता है और दंगा-हिंसा का दौर शुरू हो जाता है। ब्रिटेन में मुस्लिम दंगा करते हैं, हिंदू नहीं। फ़्रांस में मुसलमान दंगा करते हैं, हिंदू नहीं। स्वीडन में मुस्लिम दंगा करते हैं, हिंदू नहीं। कनाडा में मुसलमान दंगा करते हैं, हिंदू नहीं। जर्मनी में मुसलमान दंगा करते हैं, हिंदू नहीं। लेकिन भारत में लिबरल कहते हैं कि हिंदु दंगा भड़काते हैं और गरीब मुसलमान पीड़ित होते हैं।

पुलिस पर पथराव किया गया, जीपों को जला दिया गया
हलद्वानी में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई में पुलिस पर पथराव किया गया, कट्टा (देशी पिस्तौल) और पिस्तौल से गोलीबारी की गई, पुलिस पर हमला किया गया, पुलिस जीपों को जलाया गया। इस पुलिसकर्मी की जुबानी सुनिए। यह सब कांग्रेस और कुछ क्षेत्रीय पार्टियों की तुष्टिकरण की नीति की वजह से हो रहा है। जब कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और AAP जैसी पार्टियों ने तुष्टीकरण की वेदी पर देश के कानून की बलि चढ़ा दी।

अवैध मुस्लिम बस्ती से फेंके गए पत्थर
हल्द्वानी जिस अवैध मुस्लिम बस्ती से पत्थर फेंके गए वहां हजारों की संख्या में अवैध बांग्लादेशी रोहिंग्या बसे हुए हैं। इन लोगों ने फर्जी रूप से आधार और वोटर कार्ड बनवा रखा है ! यह बताता है कि पूरी तैयारी से षड्यंत्र के तहत हमला किया गया। अब घर में घुस-घुसकर पुलिस दंगाईयों को तलाश रही है।

वे अवैध मजार को नहीं भूल रहे, हिंदू 40 हजार मंदिर भूल जाएं
मुसलमानों ने सिर्फ एक अवैध मजार और एक अवैध मदरसे के लिए हल्द्वानी को जला दिया। यही मुसलमान चाहते हैं हिंदू अपने 40,000 अतिक्रमित मंदिर को भूल जाएं। हिंदू काशी और मथुरा को भूल जाएं। हिंदू अपने शिव को उनके वजूखाने में भूल जाए। मुगल काल में मुस्लिम आक्रांताओं ने हिंदुओं की आस्था पर चोट पहुंचाई थी। 60 हजार से ज्यादा मंदिरों को तोड़ दिया गया। कई मंदिरों को तोड़कर मस्जिद बनवा दी गईं थी।

96 करोड़ हिंदुओं के लिए 20 लाख मंदिर
वैसे तो देश में मौजूद धार्मिक स्थलों का कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है। हालांकि, अलग-अलग डाटा रिसर्च कंपनियों ने कुछ आंकड़े जरूर जारी किए हैं। ट्रैवल ट्राइंगल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 96 करोड़ हिंदुओं की आबादी के बीच 20 लाख से ज्यादा मंदिर हैं। सबसे ज्यादा करीब तीन लाख मंदिर तमिलनाडु में हैं।

17 करोड़ मुस्लिमों के लिए सात लाख मस्जिद
मंदिरों की तरह मस्जिदों की संख्या को लेकर भी अब तक आधिकारिक आंकड़े जारी नहीं किए गए हैं। हालांकि, डाटा रिसर्च कंपनियों के हवाले से कई दावे जरूर किए गए हैं। फाइंडिंग डाटा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में करीब सात लाख मस्जिद हैं।

बद्रीनाथ और केदारनाथ में मस्जिद बन गई
आज उत्तराखंड की हालत यह है कि बद्रीनाथ में मस्जिद बन गई, केदारनाथ में मस्जिद बन गई। अगर यही क्रम चलता रहा तो उत्तराखंड जल्द ही कश्मीर बन जाए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं। इसके लिए सनातनी हिंदू कई वर्षों पूर्व से ही मामले की गंभीरता को लेकर सचेत कर रहे हैं। अब इस हालत को देखते हुए हिंदुओं को जागना ही होगा।

हल्द्वानी के बनभूलपुरा में 80 फीसदी आबादी मुस्लिम
नैनीताल जिले के हल्द्वानी ब्लॉक के तहत आने वाली जगह बनभूलपुरा की आबादी 50 से 60 हजार के बीच है जहां पर 80 फीसदी आबादी मुस्लिम है और बाकी हिन्दू व अन्य समुदाय के लोग रहते हैं। यहां हिन्दी, उर्दू के साथ गढ़वाली व कुमायूंनी भाषा बोला जाता है। यहां कई और तरह के भूमि अतिक्रमण से जुड़े विवाद पहले से चल रहे हैं। जैसे नजूल की भूमि पर लंबे समय से विवाद है। इसके अलावा हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के पास की बनभूलपुरा गफूर बस्ती में एक विवाद 29 एकड़ भूमि को लेकर भी है। रेलवे, राजस्व , वन, नगर निगम इसको अपनी जमीन बताता रहा है और कब्जेदार इसे खरीदी हुई अपनी जमीन बताते हैं। रेलवे की कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक मामले पर सुनवाई हुई है। हालांकि इस इलाके में फिलहाल, मदरसा व मस्जिद का मामला तूल पकड़ रहा है।

रोहिंग्या ने नेपाल के बाद पहाड़ को सुरक्षित ठिकाना बनाया
बांग्लादेश के रास्ते भारत में दाखिल हुए रोहिंग्या ने नेपाल के बाद पहाड़ को सुरक्षित ठिकाना बना लिया है। दलालों के माध्यम से ये हल्द्वानी व ऊधम सिंह नगर के रास्ते उत्तराखंड के पूरे कुमाऊं मंडल में पहुंच गए हैं। स्थानीय विशेष समुदाय में घुल-मिल धीरे-धीरे अब ये सुरक्षा के साथ ही संप्रभुता के लिए भी चुनौती बन गए हैं। इनका पहाड़ तक पहुंचने का रूट बड़े खतरे की तरफ संकेत कर रहा है। मसलन, इनके लिए बांग्लादेश से लेकर बिहार, उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड तक विशेष कारिडोर तैयार किया गया। इसमें उत्तराखंड से सटे उत्तर प्रदेश के कई जिले भी अतिसंवेदनशील श्रेणी में हैं। यहां से उन्हें आज भी बड़ी मदद मिल रही है। बांग्लादेश से होते हुए भारत में दाखिल होने के बाद रोहिंग्या का पहला पड़ाव वाराणसी होता है। यहां से कुछ गोरखपुर की तरफ निकलते हैं जो सोनौली होते हुए नेपाल तक पहुंचते हैं। बाकी लखनऊ की तरफ बढ़ते हैं। यहां से भी एक हिस्सा कानपुर का रुख करता है जो बाद में गाजियाबाद, गुरुग्राम और दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में बंट जाता है।

कांग्रेस ने भारत में बनाए सैकड़ों गाजा
भारत में ऐसे हजारों गाजा हैं जो कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की मदद से बनाए गए थे। ऐसा उन्होंने मुस्लिम तुष्टिकरण और वोट पॉलिटिक्स के लिए किया। अब यही तुष्टिकरण जी का जंजाल बनती जा रही है। रोहिंग्या बहुल ये क्षेत्र अपराध का केंद्र भी हैं। चाहे भारत हो या यूरोप, वामपंथी मीडिया आप्रवासियों का केवल एक पक्ष दिखाता है जो मानवाधिकारों से संबंधित है लेकिन दूसरा पक्ष कभी नहीं दिखाता जो अपराध से संबंधित है। जल्द ही वे मुस्लिम दंगाइयों को पीड़ित और सरकार को दोषी साबित करना शुरू कर देंगे। ऐसे में सच्चाई सामने आना चाहिए जिससे देश के लोग उचित-अनुचित से अवगत हो सकें और जिहादी सोच वालों से सावधान रह सकें।

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