प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरगामी सोच का ही कमाल है कि वो लोकल से ग्लोबल तक और स्टार्टअप से स्पेस तक भारत को निरंतर आगे ले जा रहे हैं। उनका लक्ष्य 2047 तक विकसित भारत बनाने का है। इस संकल्प की सिद्धि के लिए वे हर सेक्टर को ऑक्सीजन देने का काम कर रहे हैं। यही वजह है स्पेस सेक्टर में ना सिर्फ चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग कराकर इतिहास रचा, बल्कि गगनयान भी सफलता की राह पर है। पीएम मोदी के विजन पर चलते हुए इसरो ने स्पेस मिशन का 2040 तक का रोडमैप बना लिया है और उस पर तेजी से काम हो रहा है। चांद के साउथ पोल पर चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग की कामयाबी का लोहा अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने भी माना है। यहां तक कि NASA के वैज्ञानिकों ने भारत से टेक्नोलॉजी मांगी है। इस बीच भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिकों की सफलता से उत्साहित भारत ने स्पेस के क्षेत्र में अगले डेढ़ दशक के लिए लक्ष्य निर्धारित किए हैं। अंतरिक्ष के गूढ़ रहस्यों को जानने के लिए भारत सहित दुनियाभर के देश लालयित हैं और इस दिशा में काम कर रहे हैं, लेकिन भारत की तेजी और सुनियोजित प्लानिंग आश्चर्यचकित कर देने वाली है।
इसरो अगले साल करेगा 6 सैटेलाइट लॉन्च; इसमें नेवी के लिए जीसैट
प्रधानमंत्री मोदी खुद इसरो के वैज्ञानिकों से उनके मिशन का फीडबैक ले रहे हैं। उनके दिशा-निर्देशन में इसरो ने अगले डेढ़ दशक का रोडमैप तैयार कर लिया है। तीन महीने में पहले गगनयान मिशन का पहला अन-क्रू मिशन लांच होगा। इसकी अंतिम तैयारियां चल रही हैं। फिर दो रोबोटिक गगनयान जाएंगे, जिसमें ह्यूमनॉइड रोबोट व्योममित्र भेजा जाएगा। 2025 के आखिर में या 2026 की शुरुआत में अंतरिक्षयात्री भेजे जाएंगे। भारत 2035 तक वहां अपना स्पेस स्टेशन बनाएगा। इस तरह से इसरो ने 2040 तक अंतरिक्ष मिशन का कैलेंडर तैयार किया है। इसके अलावा इसरो अगले साल करेगा 6 सैटेलाइट लॉन्च करेगा। इनमें इसमें नेवी के लिए जीसैट 7 आर, आर्मी के लिए जीसैट-7बी, ब्रॉडबैंड व इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी के लिए जीसैट-एन2, डिफेंस, पैरामिलैट्री, रेलवे, फिशरीज के लिए जीसैट-एनउ के अलावा गगनयान के साथ कनेक्टिविटी बनाए रखने के लिए दो सैटेलाइट शामिल हैं । 6 निगरानी उपग्रह भी लांच होंगे।
2026 में पर्यावरण व क्लाइमेट चेंज की स्टडी के लिए जी-20 सैटेलाइट
शुक्र ग्रह के अध्ययन के लिए इसरो शुक्रयान भी लांच करेगा। पर्यावरण की स्टडी के लिए जी-20 सैटेलाइट भेजेंगे। इसरो अगले साल लांच करेगा। इसमें सभी जी-20 सदस्य देशों के पेलोड शामिल होंगे। नासा के साथ संयुक्त मिशन निसार अगले कुछ महीने में लांच होने वाला है। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर में सैटेलाइट पेलोड पहुंच चुका है। लांचिंग रॉकेट के निर्माण की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। नासा के सहयोग के बाद इसरो का अगला इंटरनेशनल मिशन तृष्णा होगा, जो फ्रांसीसी एजेंसी सीएनईएस से मिलकर होने वाला है।
2026 में होगा मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन गगनयान
इसरो ने मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन गगनयान को लेकर कहा कि यह संभवतः 2026 में लॉन्च होगा। मिशन चंद्रयान-4 2028 तक लॉन्च होने की उम्मीद है। इसके अलावा भारत-अमेरिका संयुक्त निसार मिशन अगले साल लॉन्च हो सकता है। स्पेस टेक्नोलॉजी के अधिक स्वदेशीकरण की आवश्यकता पर बल देते हुए इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि भारत अगले एक दशक में वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में अपना योगदान मौजूदा 2 प्रतिशत से बढ़ाकर कम से कम 10 प्रतिशत करने का लक्ष्य लेकर चल रहा है।
2028 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की पहली इकाई का निर्माण
इसी साल सितंबर में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने चंद्रमा पर चौथे मिशन को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही 2028 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) की पहली इकाई के निर्माण के लिए भी हरी झंडी मिली है। सरकार ने 2035 तक एक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और 2040 तक चंद्रमा की सतह पर एक भारतीय के उतरने की परिकल्पना की थी। इस लक्ष्य की ओर बढ़ने के लिए मंत्रिमंडल ने बीएएस-1 के पहले मॉड्यूल के विकास को मंजूरी दी।जापान की अंतरिक्ष एजेंसी JAXA के साथ संयुक्त चंद्रमा-लैंडिंग मिशन
इसरो के अध्यक्ष के मुताबिक जापान की अंतरिक्ष एजेंसी JAXA के साथ संयुक्त चंद्रमा-लैंडिंग मिशन, जिसे मूल रूप से LUPEX या लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन नाम दिया गया था, चंद्रयान-5 मिशन होगा। उन्होंने लॉन्च के लिए अपेक्षित समय सीमा का उल्लेख नहीं किया। LUPEX मिशन को शुरुआत में पहले लॉन्च करने के बारे में मंथन किया गया था। लेकिन अब जब इसे चंद्रयान-5 के रूप में वर्णित किया गया है। ऐसे में इसकी उम्मीद 2028 के बाद ही की जा सकती है, क्योंकि इस साल चंद्रयान-4 की लॉंचिंग निर्धारित की गई है। सोमनाथ के मुताबिक LUPEX एक बहुत भारी मिशन होगा। इसमें लैंडर भारत द्वारा प्रदान किया जाएगा, जबकि रोवर जापान से आएगा। चंद्रयान-3 पर रोवर का वजन केवल 27 किलोग्राम था। लेकिन यह मिशन 350 किलोग्राम का रोवर ले जाएगा। यह एक विज्ञान-आधारित मिशन है जो हमें चंद्रमा पर मानव को उतारने के एक कदम और करीब ले जाएगा।
2035 में बनेगा भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन 2040 में चांद करेंगे फतेह
* 2026-27 में इसरो चंद्रयान-4 मिशन लांच करेगा, जिसमें चंद्रमा की सतह से सैंपल (कलेक्शन/रिटर्न) लाने की योजना है। इसके बाद चंद्रयान-5 होगा, जो लूपेक्स मिशन कहलाएगा। यह जापानी अंतरिक्ष एजेंसी जाक्सा के साथ मिलकर होगा।
* 2035 में भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की योजना है। उससे पहले 2028 में इसका मॉड्यूल-1 अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इसी दौरान स्वदेशी स्पेसक्राफ्ट डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (स्पाडैक्स) का डेमो भी होगा। यह एक ऐसा प्रयोग होगा, जिसमें अंतरिक्ष में घूमते दो स्पेसक्राफ्ट को आपस में जोड़ा जा सकेगा।
* 2037-38 में इसरो चंद्रमा की सतह पर भारतीय रोबोटिक ह्यूमनॉइड उतारेगा। शुक्र ग्रह के अध्ययन के लिए शुक्रयान भेजेंगे।
* 2040 में इसरो ने चंद्रमा की सतह पर भारतीय के कदम रखने की योजना बनाई है लेकिन उसके पहले 2031 में इसरो चंद्रमा पर ह्यूमनॉइड मिशन भेजेगा, 2034-35 में मानव को चंद्रमा की कक्षा में घुमाकर (लूनर फ्लाईबाई कराकर) वापस लाएगा।
2040 में चांद की सतह पर भारतीय के कदम रखने की योजना
गगनयान मिशन के लिए चुने गए चार अंतरिक्षयात्रियों (गगनॉट) में दो भारतीय अंतरिक्षयात्री तीन दिन के लिए पृथ्वी की कक्षा में परिक्रमा करेंगे। इसरो ने पांच साल में 3 बार दो-दो भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजने की योजना बनाई है। मिशन की सफलता के आधार पर अंतरिक्षयात्री और दिनों की संख्या में इजाफा हो सकता है। पहले गगनयान मिशन के बाद 2026-27 में गगनयान की दूसरी ह्यूमन फ्लाइट और 2028-29 में तीसरी ह्यूमन फ्लाइट के जरिए भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजने की योजना है। इसरो ने 2040 में चांद की सतह पर भारतीय के कदम रखने की योजना बनाई है। मगर, उससे पहले 2031 में इसरो चंद्रमा पर ह्यूमनॉइड मिशन भेजेगा। साल 2024-35 के बीच मानव को चंद्रमा की कक्षा में घुमाकर (लूनर फ्लाईबाई कराकर) वापस लाएगा। साल 2037- 38 में इसरो चंद्रमा की सतह पर भारतीय रोबोटिक ह्यूमनॉइड को उतारेगा।