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राजस्थान सरकार की लापरवाही से फिर मंदिर में भगदड़, लेकिन हिंदू विरोधी गहलोत सरकार मंदिरों में नहीं कर रही समुचित व्यवस्था, खाटू श्याम में भी बदइंतजामी के हुई तीन की मौत

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राजस्थान सरकार की लापरवाह कार्यशैली से एक बार फिर श्रद्धालुओं में भगदड़ मच गई। हिंदू धार्मिक स्थलों की अनदेखी के चलते फिर एक मंदिर में हादसा हो गया। फिर तीन श्रद्धालुओं की असमय मौत हो गई और कई घायल हो गए। यह हादसा सीकर के खाटूश्याम मंदिर में सोमवार को तड़के हुआ। हादसे में बड़ी लापरवाही सामने आई है। यहां हर एकादशी को खाटू श्याम के दर्शन के लिए लाखों लोग आते हैं। इस बार तो पवित्र सावन माह की एकादशी थी। एकादशी में भारी भीड़ को कंट्रोल करने के लिए पुलिस अमला तक तैनात नहीं किया गया था। सरकार ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए खाटू SHO रिया चौधरी को सस्पेंड किया है। बता दें कि गहलोत के गृह क्षेत्र जोधपुर के मेहरानगढ़ के माता के मंदिर में भगदड़ से हादसा हुआ था, जिसमें 217 श्रद्धालुओं की मौत हुई थी। गहलोत सरकार इस दुखांतिका के लिए बनी चौपड़ा कमेटी की रिपोर्ट को भी दबा के बैठी है।

हिंदू धार्मिक स्थलों की विरोधी नीति फिर उजागर, लाखों भक्तों की सुरक्षा के इंतजाम नहीं
ऐसा नहीं है कि सावन की एकादशी में कोई पहली बार लाखों श्रद्धालु खाटू श्याम मंदिर पहुंचे हों। हर बार यहां लक्खी मेले में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ता है, लेकिन गहलोत सरकार ने मेले में आने वाले लाखों भक्तों की सुरक्षा के लिए समुचित इंतजाम करने की भी जरूरत नहीं समझी। इसका खामियाजा श्रद्धालुओं को अपनी जान गंवाकर भुगतना पड़ा। इससे एक बार फिर सरकार की हिंदू विरोधी नीति उजागर हो गई। गहलोत सरकार के ही कार्यकाल में न सिर्फ सालासर बालाजी में राम दरबार को ध्वस्त कराया गया, बल्कि कुछ माह पहले ही सैकड़ो साल पुराना मंदिर बुलडोजर की मदद के तोड़ा गया। एक ओर योगी सरकार बुलडोजर से माफिया-अपराधियों के घर तोड़ रही है, दूसरी ओर गहलोत सरकार हिंदू धार्मिक स्थलों को निशाना बना रही है।

भारी भीड़ को काबू में करने के लिए मंदिर परिसर में पुलिस तक का इंतजाम नहीं किया
सावन की एकादशी के अवसर पर सोमवार को सीकर जिले के प्रसिद्ध आस्था धाम खाटूश्यामजी में लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा श्याम के दर्शन करने खाटू श्याम जी पहुंचे। देर रात से ही लाखों श्रद्धालुओं का रैला उमड़ने का सिलसिला शुरू हो गया था, लेकिन पुलिस-प्रशासन और सरकार के जिम्मेदार प्रतिनिधियों को इनके लिए इंतजाम करने की सुध नहीं आई। आज सुबह 4:30 बजे के करीब मंदिर में भीड़ का दबाव एकदम से बढ़ गया, जिसके चलते भीड़ अनियंत्रित हो गई और भगदड़ मच गई। इस भारी भीड़ को काबू में करने के लिए मंदिर परिसर में पुलिस तक का इंतजाम नहीं किया गया था।तीन श्याम भक्त महिलाओं की भगदड़ में मौत, दो गंभीर घायल जयपुर रैफर
प्रसिद्ध खाटू श्यामजी में आज बाबा श्याम के मासिक मेले में सुबह साढ़े चार बजे मंदिर के प्रवेश द्वार पर मची भगदड़ से एकदम कोहराम मच गया। श्रद्धालु एक-दूसरे पर गिरते हुए आगे बढ़ने लगे। इस दौरान कई महिलाएं भगदड़ में नीचे गिर गईं और भीड़ उनको रौंदने हुए आगे बढ़ने लगी। भगदड़ मचने के साथ ही मंदिर परिसर के आसपास सनसनी फैल गई भगदड़ की चपेट में आई महिलाओं को एंबुलेंस की सहायता से खाटू श्याम जी सीएससी लाया गया जहां चिकित्सकों ने 3 महिलाओं को मृत घोषित कर दिया। कई श्याम भक्त घायल हुए। इस दौरान दो घायलों को जयपुर रैफर किया गया है और कुछ का उपचार के लिए स्थानीय अस्पताल में ले जाया गया।

खाटू श्यामजी के दर्शन को हर साल करोड़ों भक्त आते हैं, पर सरकार नहीं दे रही ध्यान
जानकारी के अनुसार वैसे तो खाटू श्याम जी में हर एकादशी को श्याम प्रभु का मासिक मेला लगता है। इसमें सावन की एकादशी का ज्यादा महत्व है। इसलिए श्याम बाबा के दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु खाटू श्याम जी पहुंचे हुए थे। काबिले गौर है कि खाटू श्याम के श्रद्धालुओं की संख्या लाखों में हैं और यहां के मासिक मेले में लाखों लोगों की भीड़ होती है। ऐसे में पहले भी देखा गया है कि लापरवाह इंतजामों के चलते लोग हादसों का शिकार हुए हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि मंदिर का क्षेत्रफल कम है और आने वाले श्रद्धालुओं के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं हो पाती और गहलोत सरकार का इस ओर ध्यान नहीं है। यहां हर साल करोड़ों लोग दर्शन करने आते हैं. यहां विदेश से आने वाले लोगों की संख्या भी काफी है। इस मंदिर की आधारशिला सन 1720 में रखी गई थी।

मेहरानगढ़ दुखांतिका के लिए गठित जस्टिस चौपड़ा आयोग की रिपोर्ट का अब तक इंतजार
ऐसा भी नहीं है कि राजस्थान में मंदिर में भगदड़ से पहला हादसा हुआ हो। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह क्षेत्र जोधपुर की मेहरानगढ़ दुखांतिका को अब तक लोग भूले नहीं हैं। देवी मां के मंदिर में भगदड़ से तब 217 भक्तों की जान गई थी। इस हादसे की जांच के लिए गठित जस्टिस जसराज चौपड़ा आयोग की रिपोर्ट गहलोत सरकार के अब तक सार्वजनिक नहीं की है। इस बारे में याचिकाकर्ता मानाराम की ओर से अधिवक्ता विजय मेहता ने तब हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी। जिसमें बताया गया था कि मेहरानगढ़ दुर्ग में हुए हादसे के बाद राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए चौपड़ा आयोग गठित किया था। चौपड़ा आयोग ने मई 2011 में ही अपनी जांच की रिपोर्ट सौंप दी थी। उस रिपोर्ट में क्या है और क्या एक्शन लिया गया, इसके बारे में सरकार के स्तर पर कुछ नहीं किया गया। इसका गठन कमीशन ऑफ इन्क्वायरी एक्ट 1952 की धारा 3(1) के तहत हुआ है। इसके अनुसार आयोग द्वारा अपनी रिपोर्ट सौंपे जाने के 6 महीने में उस रिपोर्ट को विधानसभा में रखा जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

 

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