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पुलवामा के शहीदों की वीरांगनाओं का गहलोत सरकार ने किया अपमान, परिजनों को पुलिस ने घसीटकर पीटा, विधवाओं ने मांगी इच्छामृत्यु, 158 स्कूलों को शहीदों के नाम पर करने में भी अनदेखी

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एक ओर पीएम मोदी सरकार ने पुलवामा हमले का पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देकर देश का सिर गौरव से ऊंचा किया, वहीं दूसरी ओर राजस्थान की कांग्रेस सरकार पुलवामा के वीर बलिदानियों की वीरागंनाओं का अपमान करने में जुटी है। गहलोत सरकार उनकी मांगों को पूरी करने में वादाखिलाफी तो कर ही रही है, शर्मनाक बात तो यह है कि शांति-पूर्वक विरोध प्रदर्शन कर रहीं कुछ शहीदों की पत्नी, मांओं और परिजनों को राजस्थान पुलिस घसीटते हुए ले गई। इस बदसलूकी के वीडियो भी वायरल हुए हैं और इसके बाद वीरगति पाने वाले अमर जवानों के परिजनों ने सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए इच्छामृत्यु की मांग कर डाली है। वीरांगनाओं ने कहा है कि यदि सरकार उनकी जायज मांगे पूरी नहीं कर सकती है। यदि उनको इच्छामृत्यु नहीं दे सकती है, तो वो उनको गोली ही मार दे। बीजेपी ने गहलोत सरकार के इस निरंकुश रवैये का कड़ा विरोध जताया है। खुद सरकार के सैनिक कल्याण मंत्री ने इसे शर्मनाक बताया है, लेकिन सरकार ने किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है।वीरांगना बोली- कई बार अनुरोध के बावजूद वादाखिलाफी कर रही है गहलोत सरकार
पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए राजस्थान के सीआरपीएफ के जवानों के परिजनों ने पुलिस द्वारा प्रताड़ित किए जाने का आरोप लगाया है। शहीदों की वीरांगनाओं और परिजनों ने राजस्थान सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा है कि इतने साल बीत जाने के बावजूद गहलोत सरकार मांगे पूरी नहीं कर रही है। काबिले जिक्र है कि 14 फरवरी 2019 के पुलवामा आतंकी हमले में बलिदान हुए सीआरपीएफ जवानों के परिजन जयपुर स्थित शहीद स्मारक पर अपनी मांगों को लेकर कुछ दिन से प्रदर्शन कर रहे हैं। इस प्रदर्शन में बलिदानी जवानों की माताएं, परिजन और पत्नी भी शामिल हैं। बलिदानी हेमराज मीणा की वीरांगना पत्नी मधुबाला के मुताबिक काफी समय पहले ही उनके गांव का नाम उनके शहीद पति के नाम पर रखने और सांगोद के स्कूल में स्मारक बनाने का वादा सरकार ने किया था। इसके लिए कई बार अनुरोध करने के बावजूद सरकार अब वादाखिलाफी कर रही है।शहीदों की वीरांगनाओं के साथ राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा धरने पर बैठे
सरकार के रवैये से आहत होकर राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा के साथ पुलवामा शहीदों की तीन वीरांगनाएं राज्यपाल को ज्ञापन देने पहुंचीं। वीरांगनाओं ने ज्ञापन देकर इच्छा मृत्यु मांगी। ज्ञापन देने के बाद वीरांगनाएं सीएम हाउस जाकर मुख्यमंत्री से मिलना चाहती थी। पुलिस ने तीनों को आगे नहीं बढ़ने दिया, बाद में उन्हें घसीटकर गाड़ी में बैठाया। इस दौरान छीना झपटी में शहीद रोहिताश लांबा की वीरांगना मंजू की तबीयत बिगड़ गई। तबीयत बिगड़ने पर वीरांगना को एसएमएस अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। दूसरी ओर सरकार की अनदेखी के खिलाफ सांसद किरोड़ी लाल मीणा विधानसभा के सामने धरने पर बैठ गए। पुलिस अधिकारी भरत लाल मीणा से उनकी बहस हो गई। इसके बाद किरोड़ी लाल मीणा को पुलिस की बस में बिठाया। जहां से मीणा शहीदों के परिजनों के साथ शहीद स्मारक पहुंचे। फिर अनिश्चितकालीन धरना शुरू हो गया है।

रोते हुए शहीद की पत्नी बोलीं- सरकार इतनी परेशान है तो पुलिस गोली मार दे
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक अन्य शहीद रोहिताश लाम्बा की पत्नी मंजू ने बताया कि उनके पति के अंतिम संस्कार के समय कांग्रेस के तमाम नेता और मंत्री आ कर बड़े-बड़े वादे किए थे। तब मंजू के देवर जितेंद्र को सरकारी नौकरी के साथ रोहिताश का एक स्मारक भी बनवाने का वादा राज्य सरकार की तरफ से किया गया था। वारांगना मंजू का आरोप है कि वो तमाम सरकारी वादे अधूरे पड़े हैं। अब हालात यह हैं कि रोहिताश के घर किसी मंत्री या नेता का आना-जाना तो दूर, कोई अधिकारी ठीक से बात भी नहीं करता। रोते हुए मंजू लम्बा ने बताया कि जब उन्होंने अपनी माँगों के लिए आवाज उठाई, तब उन्हें राजस्थान पुलिस से प्रताड़ित करवाया गया। इस दौरान मंजू लाम्बा ने कहा, “हमने सोचा था कि हम अपने बच्चों को भी देश के लिए लड़ने भेजेंगे, पर यह सब देख कर हमने अपने हाथ वापस खींच लिए हैं।” पुलिस छीना-झपटी में घायल हुई मंजू ने रोते हुए कहा कि हम मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी बात रखना चाहते थे। हमसे पुलिस ने अपराधियों जैसा व्यवहार किया। हमारी मांगें मानने की जगह बदसलूकी की जा रही है। मुख्यमंत्री से मिलने जाते हैं, पुलिस पीट रही है। यदि सरकार को हमसे इतनी ही परेशानी है तो पुलिस को हमारे सीने में गोली मार देनी चाहिए।

प्रताड़ना से बाध्य होकर परिजनों को इच्छामृत्यु मांगने को बाध्य होना पड़ा- अरुण सिंह
बीजेपी के प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने भी पांच दिन से शहीद समारक पर वीरांगनाओं के साथ धरना सांसद किरोड़ीलाल मीणा और शहीदों के परिजनों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि वीरांगनाओं की मांगें इतनी बड़ी भी नहीं है कि सरकार इन्हें पूरा नहीं कर पाए। खुद मंत्रियों ने जो घोषणाएं कीं, उन पर ही अमल करना चाहिए। ऐसा करने की बजाय सरकार वीरांगनाओं को प्रताड़ित कर रही है। हालात यह हैं कि परिजनों को इच्छामृत्यु मांगने को बाध्य होना पड़ रहा है। इन आरोपों के समर्थन में कुछ वीडियो भी वायरल हुए हैं, जिनमें राजस्थान पुलिस के जवान महिलाओं से बदसलूकी करते नजर आ रहे हैं। सरकार को ऐसे पुलिस कर्मियों के खिलाफ भी तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।

राजस्थान सरकार ने 81 शहीदों के परिजनों को अब तक नहीं दी है नौकरी
पुलवामा शहीदों की वीरांगनाओं की पीड़ा इसलिए भी सही प्रतीत होती है, क्योंकि पिछले सप्ताह ही सैनिक कल्याण राज्यमंत्री राजेंद्र गुढ़ा में प्रदेश के कलेक्टर्स और रेवेन्यू ऑफिसर पर आरोप लगाया था कि– वे शहीदों के परिजनों को कॉपरेट नहीं करते। वे उन्हें चक्कर कटवाते हैं। उन्होंने साफ कहा था कि शहीद के परिजनों को जो सुविधाएं या सरकारी नौकरी मिलनी थीं, वो अब तक पेंडिंग हैं। पड़ताल में भी यह सामने आया है कि राजस्थान के 81 शहीदों के परिजनों को सालों से नौकरी नहीं मिली है। देश की रक्षा के लिए प्राण देने वाले शहीदों के परिजन अब सरकारी सुविधाओं के लिए दर-दर की ठोकर खा रहे हैं। अनुकंपा नियुक्ति पाने के लिए रोजाना सरकारी ऑफिस के चक्कर काट रहे है। इनमें 1962 में भारत-पाक और 1965 में हुए भारत-चीन युद्ध के शहीदों के परिजन भी हैं।प्रदेश में 158 स्कूल और 25 चिकित्सा संस्थान शहीदों के नाम से नहीं हो पाए
पुलवामा शहीद ही नहीं, राजस्थान सरकार देश के लिए प्राण न्यौछावर करने वाले अन्य जांबांजों के साथ भी न्याय नहीं कर रही है। मीडिया की पड़ताल में यह भी सामने आया है कि 158 स्कूल और 25 चिकित्सा संस्थान आज भी शहीद के नाम से नहीं हो पाए । वहीं, पिछले 3 साल में शहीद हुए 11 जवानों के परिजन एक मुश्त 45 लाख की नकद सहायता और पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम से वंचित है। इतना ही नहीं शहीदों के परिजन नल-बिजली कनेक्शन और रोडवेज में पास के लिए भी भटक रहे हैं। दरअसल, सरकारी योजनाओं की मॉनिटरिंग के लिए तो सिंगल क्लिक विंडो सिस्टम है। लेकिन, शहीदों के परिजनों को सरकारी योजनाएं पाने के लिए कोई ऑनलाइन आवेदन का सिस्टम और सिंगल क्लिक विंडो का ऑप्शन नहीं है।सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ही बोले- “ये सरकार के लिए शर्म की बात है”
सैनिक कल्याण राज्य मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने भी विधानसभा में माना कि कई कलेक्टर और राजस्व विभाग के अफसर शहीदों के परिजनों का बिल्कुल सहयोग नहीं करते है। इससे एक दिन पहले ही उन्होंने जयपुर में चल रहे पुलवामा शहीदों के धरने में पहुंचकर कहा था कि ‘ ये सरकार के लिए शर्म की बात है।’ उन्होंने शहीदों के परिजनों को हो रही दिक्कतों के मसले को कैबिनेट मीटिंग में रखने की बात भी कही थी। हाल ही में सदन में पूछे गए एक सवाल के जवाब में सरकार ने बताया कि शहीदों के परिजनों को सरकारी सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए कोई ऑनलाइन सिस्टम नहीं है और न ही सरकार के पास ऐसा कोई प्लान या व्यवस्था है।

 

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