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मोदी राज में रेलवे का हुआ कायाकल्प, रेल बजट में 30 गुना वृद्धि, हर दिन बिछाई जा रही 15 किलोमीटर ट्रैक

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारतीय रेलवे में अभूतपूर्व बदलाव देखा जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की पहल से देश में रेलवे का ना केवल अभूतपूर्व विकास हुआ है, बल्कि लोगों को रोजगार देने में भी रेलवे महती भूमिका निभा रही है। रेलवे को मजबूत करने के लिए मोदी सरकार ने आधुनिकीकरण और विस्तार के लिए कई महत्वाकांक्षी योजनाएं शुरू की हैं, जिसका असर है कि घाटे में चल रही रेलवे का आज कायाकल्प होता जा रहा है। मोदी सरकार में रेलवे के बजट में 30 गुना वृद्धि की गई है वहीं हर दिन 15 किलोमीटर ट्रैक बिछाई जा रही है। 500 से ज्यादा रेलवे स्टेशन का कायाकल्प किया जा रहा है। रेल परिचालन को फाटक से मुक्त किया जा रहा है। तीन नए रेल गलियारों के लिए 40 हजार किमी लंबे ट्रैक बिछाए जाने की योजना है। वंदे भारत, अमृत भारत और नमो भारत जैसी आधुनिक ट्रेनें चलाई जा रही हैं। इन सब की वजह से लाखों लोगों के लिए रोजगार के अवसर बने हैं। देश की पहली रेलवे यूनिवर्सिटी स्थापित की गई है। इन सब की वजह से आज रेलवे में विकसित भारत दिख रहा है, जो देश की आर्थिक स्थिति मजबूत करने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

जर्मन रेलवे के बराबर 25,434 किमी ट्रैक जोड़ा गया
अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है। भारतीय रेलवे से प्रतिदिन दो करोड़ यात्री और सालाना 800 करोड़ यात्री सफर करते हैं। रेलवे द्वारा 1,200 यात्री एक्सप्रेस ट्रेनों का संचालन किया जाता है। वित्त वर्ष 2022-23 में 151 करोड़ टन (1,512 मिलियन टन) कार्गो रेलवे ने लोड किया है। 2022-23 में रेल नेटवर्क को स्विट्जरलैंड रेलवे के बराबर 5,243 किलोमीटर जोड़ा गया है और 9 वर्षों (2014-23) में जर्मन रेलवे के बराबर 25,434 किमी जोड़ा गया है।

रेलवे बजट में 30 गुना बढ़ोतरी
साल 2004-05 के लिए रेलवे बजट 8,000 करोड़ और 2013-14 के लिए 29,055 करोड़ रखा गया था। इसके बाद इसे बढ़ाकर वर्ष 2023-24 के लिए 2.4 लाख करोड़ कर दिया गया है। रेलवे बजट में 2004-05 की तुलना में 30 गुना वृद्धि हुई है। नई रेलवे लाइन पर भी इस सरकार में काम खूब काम हुआ है। साल 2004 से 2014 के दौरान 14,985 रूट किलोमीटर रेल ट्रैक का काम किया गया। वहीं, पिछले 9 वर्षों (2014-23) में 25,871 रूट किलोमीटर ट्रैक बिछाने का काम किया गया है। यह नई रेलवे लाइनों में 75 फीसदी की वृद्धि है।

यूपीए सरकार की तुलना में मोदी सरकार में 3 गुना खर्च
यूपीए सरकार ने 2009 से 14 के दौरान अपने दूसरे कार्यकाल में रेलवे के लिए नए संसाधनों के निर्माण के लिए हर साल लगभग 45,980 करोड़ रुपये का निवेश किया। मोदी सरकार ने हर साल उस राशि के करीब तीन गुना खर्च किया है। उसका नौ वर्षों में कुल पूंजीगत व्यय 11.95 लाख करोड़ रुपये है। ये पैसे नई लाइनें, ट्रैक की क्षमता में वृद्धि और नई और तेज ट्रेनों पर खर्चे हुए हैं।

रेलवे में दिख रहा है विकसित भारत
पिछले 10 वर्षों में विकसित भारत का निर्माण विशेष रूप से रेलवे में दिख रहा है। जो सुविधाएं कभी दूर की कौड़ी हुआ करती थीं वो पिछले 10 वर्षों में अब वास्तविकता बन गई हैं। भारतीय रेलवे में मानवरहित फाटक आम बात थी जबकि रेलवे ओवरब्रिज और अंडरब्रिज ने आज निर्बाध और दुर्घटना-मुक्त आवाजाही सुनिश्चित की है। अब रेलवे स्टेशनों पर भी गरीबों और मध्यम वर्ग को हवाईअड्डों जैसी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।

विकसित भारत का आधार तैयार करेंगे नए रेल गलियारे
रेलवे के प्रस्तावित तीन नए गलियारों से विकसित भारत का आधार तैयार होगा। इसके तहत देश में कुल 40 हजार किमी लंबे ट्रैक बिछाए जाएंगे। तीनों गलियारे वर्तमान में सक्रिय दो डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से अलग होंगे और माल ढुलाई के साथ यात्रियों के लिए भी उपयोगी साबित होंगे। इससे उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड जैसे बड़ी आबादी वाले राज्यों से मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद एवं बेंगलुरु समेत वैसे शहरों में आवागमन के प्रवाह को गति-सहजता और सुरक्षा मिलेगी, जिस पर अभी ज्यादा भीड़ एवं आपाधापी होती है।

वेटिंग लिस्ट की समस्या से मिलेगी निजात
रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि तीनों रेल गलियारे के पूरे हो जाने के बाद वेटिंग लिस्ट की समस्या खत्म हो जाएगी। ट्रैक बिछाने का काम भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। पहले प्रतिदिन लगभग चार किमी ट्रैक बिछाए जाते थे, जो अब बढ़कर प्रतिदिन लगभग 15 किमी हो गया है। पिछले वर्ष 5,200 किमी नए ट्रैक जोड़े गए थे। इस बार 5,500 किमी ट्रैक पर काम चल रहा है।

हर दिन बिछाया गया 15 किमी ट्रैक
वर्ष 2022-23 में प्रतिदिन 15 किमी ट्रैक बिछाया गया और इस वर्ष 16 किमी प्रतिदिन ट्रैक बिछाने का लक्ष्य है। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2014 के बाद से रेलवे विद्युतीकरण परियोजनाओं पर खर्च की गई राशि 5 गुना (375 प्रतिशत से अधिक) बढ़ गई है। साथ ही अमृत भारत योजना के तहत अब तक विकास के लिए 1,309 स्टेशनों की पहचान की गई है।

दस वर्षों में 26 हजार किमी ट्रैक बनाए
पिछले दस वर्षों में रेलवे का प्रतिमान बदला है। अब पूरा ध्यान नई क्षमता और तकनीक प्राप्त करने के साथ-साथ सुरक्षा को प्राथमिकता देने पर पर केंद्रित किया गया है। इसी का नतीजा है कि दस वर्षों में 26 हजार किमी ट्रैक बनाए गए हैं। नए वर्जन की ट्रेनें बनाई जा रही हैं और यात्रा को सुरक्षित करने के लिए कवच प्रणाली पर तेजी से काम किया जा रहा है।

भारतीय रेलवे में 5 लाख से अधिक रिक्तियां भरी गई
पिछले पांच वर्षों में सितंबर 2023 तक भारतीय रेलवे द्वारा 2.94 लाख से अधिक रिक्तियां भरी गई। वर्ष 2004 से 2014 तक जहां 4 लाख 11 हजार 224 लोगों को रोजगार दिए गए, वहीं 2014 से 2023 तक बीते 9 सालों में 4 लाख 99 हजार लोगों को रोजगार दिया गया। 2004 से 2014 तक जहां प्रति वर्ष 41 हज़ार रोज़गार दिए गए, वहीं 2014 से 2023 तक प्रतिवर्ष 50 हज़ार से अधिक रोज़गार दिए गए।

10 साल में रेलवे ने 40 लाख रोजगार उत्‍पन्‍न किए
भारतीय रेलवे ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप में मोदी सरकार के कार्यकाल में 40 लाख रोजगार उत्‍पन्‍न किए हैं। रोजगार को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री ने 22 अक्टूबर, 2022 को रोजगार मेला का शुभारंभ किया था, जिसके तहत भारतीय रेलवे द्वारा भी लाखों लोगों को रोजगार दिया गया।

रेलवे ने करीब 10 लाख दिहाड़ी रोजगार प्रदान किए
नए ट्रैक के निर्माण से भी अप्रत्यक्ष रूप में 33 हजार मैनपावर दिन रोज़गार का सृजन भी पिछले वर्षों में हुआ है, जिससे प्रत्यक्ष रूप से करीब 5 लाख लोगों को रोज़गार मिला। भारतीय रेल द्वारा गरीब कल्‍याण रोजगार अभियान के तहत 18 सितंबर 2020 तक बिहार, झारखंड, मध्‍य प्रदेश, ओडिशा, राजस्‍थान और उत्‍तर प्रदेश जैसे छह राज्‍यों में 9 लाख 79 हजार 557 दिहाड़ी रोजगार प्रदान किए गए।

देशभर में 554 रेलवे स्टेशनों का कायाकल्प
533 रेलवे स्टेशनों को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से चुना गया है। स्टेशनों का 19,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से पुनर्विकास किया जाएगा। स्टेशनों पर यात्रियों को आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इनमें छत, प्लाजा, सुंदर भूदृश्य, इंटर मॉडल कनेक्टिविटी, बेहतर आधुनिक फेकेड, बच्चों के खेलने का क्षेत्र, कियोस्क, फूड कोर्ट आदि शामिल हैं। इन्हें पर्यावरण और दिव्यांगों के अनुकूल विकसित किया जाएगा। स्टेशन भवनों का डिजाइन स्थानीय संस्कृति, विरासत और वास्तुकला से प्रेरित होगा।

रेलवे स्टेशनों का बदल रहा स्वरूप
पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत के रेलवे स्टेशनों को अत्यधिक तौर पर विकसित किया जा रहा है और इसी के तहत अमृत भारत स्टेशन की संकल्पना बनाई गई है। इस संकल्पना के तहत देश के विभिन्न स्टेशनों को विश्व स्तरीय मानकों पर बनाया जा रहा है।

फाटक व्यवस्था को खत्म करने की दिशा में काम
मानवयुक्त समपार फाटकों को खत्म की दिशा में रेलवे तेजी से काम कर रहा है। इससे ट्रेनों की रफ्तार ही नहीं तेज होगी बल्कि रेल और सड़क यातायात अलग हो जाएंगे। ट्रेन की आवाजाही में भी बाधा नहीं होगी और शहर की ट्रैफिक व्यवस्था भी सुचारू रूप से चलती रहेगी। समपार फाटकों पर ट्रॉली, ट्राला व अन्य वाहनों की भीड़ भी ट्रेनों के आवगमन के कारण नहीं होगी। इससे दुर्घटनाओं में तो कमी आएगी ही, साथ ही ट्रेन से यात्रा के समय को कम किया जा सकेगा।

रेलवे क्रॉसिंग खत्म होने से आर्थिक गतिविधि तेज होगी
मानवयुक्त समपार फाटकों के खत्म होने से मालगाड़ी की आवाजाही को सुविधाजनक बनाकर आर्थिक गतिविधि को प्रोत्साहित किया जाएगा। रेलवे क्रॉसिंग पर प्रतीक्षा कर रहे वाहन शहर के प्रदूषण को बढ़ावा देते है। निर्माण पूरा होने पर पर्यावरण प्रदूषण के स्तर को कम किया जा सकेगा। रेलवे रोजाना औसतन 1,200 से अधिक पैसेंजर व एक्सप्रेस ट्रेनों का संचालन करता है। इससे प्रतिदिन दो करोड़ यात्री सफर करते हैं।

यात्री सुविधा का भी हो रहा है विकास
पीएम मोदी रेलवे का स्वदेशी और मजबूत नेटवर्क बनाने के साथ ही यात्री सुविधाओं को विश्व स्तरीय बनाने की कवायद में जुटे हुए हैं। भारतीय रेलवे की स्थापना की लगभग पौने 200 साल हो गए हैं और पीएम मोदी का विजन है कि भारतीय रेलवे में सुविधा विश्वस्तरीय और कई मायनों में यह विश्व में सर्वोच्च हो जाए।

वंदे भारत ट्रेन
मोदी सरकार द्वारा 2019 में शुरू की गई भारत की प्रीमियम ट्रेनों में वंदे भारत ट्रेन शामिल है, जो कि अपने तेज रफ्तार के साथ अधिक सुविधाओं के लिए भी जानी जाती है। इसके लांच होने से अब तक भारत के विभिन्न शहरों को जोड़ने के लिए अलग-अलग करीब 41 से ज्यादा रूट पर वंदे भारत को चलाया गया है। इसके साथ ही यह एक ऐसी ट्रेन बन गई है, जिसे यात्रियों में सबसे अधिक पसंद किया जाता है।

अमृत भारत एक्सप्रेस ट्रेन
देश की पहली अमृत भारत एक्सप्रेस ट्रेन का उद्घाटन 30 दिसंबर, 2023 को पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था। अमृत भारत एक्सप्रेस ट्रेनों में यात्री कम किराए में बेहतर सफर कर सकते हैं। अमृत भारत ट्रेन में पुश-पुल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हुआ है। इस टेक्नोलॉजी से गाड़ी जल्दी से स्पीड पकड़ेगी और जल्दी से रुकेगी। CCTV कैमरों से लैस ट्रेन की बोगियां, अत्याधुनिक शौचालय, बोगियों में सेंसर वाले वाटर टैप के साथ गॉर्ड और मेट्रो की तर्ज पर अनाउंसमेंट सिस्टम के इंतजाम इस नई ट्रेन में हैं। टॉयलेट के डिजाइन में भी बहुत सारे बदलाव किए गए हैं। खास तौर पर पानी का कम से कम इस्तेमाल हो इसकी व्यवस्था भी की गई है. वहीं, फिजिकली चैलेंज्ड लोगों के लिए टॉयलेट के स्पेस को बड़ा किया गया है। यह ट्रेन 130 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चलेगी।

हाई स्पीड रैपिड ट्रेन ‘नमो भारत’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 अक्टूबर 2022 को देश को पहली हाई स्पीड रैपिड ट्रेन की सौगात दी। इस ट्रेन को ‘नमो भारत’ नाम दिया गया है। यह ट्रेन दिल्ली से मेरठ के बीच 82 किलोमीटर के रूट पर चलेगी। पीएम मोदी ने फिलहाल इसके पहले चरण का उद्घाटन किया। जहां यह ट्रेन साहिबाबाद से दुहाई डिपो तक 17 किलोमीटर का सफ़र तय करेगी। आम यात्रियों के लिए यह 21 अक्टूबर से शुरू हो गई। नमो भारत ट्रेन अपने आप में ही बेहद ख़ास है। इसकी कई खासियतें इसे अलग बनाती हैं। यह ट्रेन 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से चल सकती है। इस पूरे प्रोजेक्ट को जून 2025 में पूरा होने की उम्मीद है। इस परियोजना की आधारशिला पीएम मोदी ने 8 मार्च, 2019 को रखी थी।

पीएम बनते ही मोदी का रेलवे पर जोर
पीएम मोदी ने 2014 में प्रधानमंत्री बनते ही रेलवे पर जोर दिया देना शुरू कर दिया था। रलवे बोर्ड के एक पूर्व सदस्य ने उस प्रजेंटेशन को याद करते हुए कहा, ‘उन्होंने स्टेशनों के विकास, एक रेलवे विश्वविद्यालय, साफ-सफाई, ट्रेनों की गति में वृद्धि, नई तकनीकों के अपनाने आदि पर बात की।’ उन्होंने कहा कि एक धीमी शुरुआत के बाद मोदी की रेलवे विश्वविद्यालय परियोजना जमीन पर उतर गई। वर्ष 2018 में गुजरात के वडोदरा में ‘गति शक्ति विश्वविद्यालय’ की स्थापना हो गई।

देश की पहली रेलवे यूनिवर्सिटी
रूस और चीन के बाद यह दुनिया की ऐसा तीसरा विश्वविद्यालय है, जो रेल के कामकाज से जुड़ी पढ़ाई में शामिल है। यह यूनिवर्सिटी गुजरात के वडोदरा में है, जिसका नाम राष्ट्रीय रेल और परिवहन संस्थान (एनआरटीआई) है। विश्वविद्यालय ने दो स्नातक कार्यक्रम ट्रांसपोर्टेशन टेक्नोलॉजी में बीएससी और ट्रांसपोर्टेशन मैनेजमेंट में बीबीए शुरू किया है। विश्वविद्यालय का उद्देश्य ट्रांसपोर्ट एडं सिस्टम डिजाइन, ट्रांसपोर्ट सिस्टम्स इंजीनियरिंग, ट्रांसपोर्ट पॉलिसी एडं इकोनॉमिक्स जैसे क्षेत्रों में स्नातकोत्तर पाठयक्रम शुरू करना है।

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