जिस चीन को लेकर कांग्रेस के राज में हौवा खड़ा किया जाता था, आज उसी चीन की हवा निकल गई है। ड्रैगन मोदी राज में अपनी पूछ समेटने पर मजबूर है। इसकी वजह है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सख्त तेवर, सैनिक तैयारियां और कूटनीतिक घेरेबंदी। लेकिन कांग्रेस सीमा पर चीन के पीछे हटने और भारत की सफलता को पचा नहीं पा रही है। यही वजह है कि वो प्रोपेगंडा के जरिए मोदी सरकार को बदनाम करना चाहती है। लेकिन उसकी चाल भी चीन की तरह नाकाम होती जा रही है।
राहुल गांधी और उसकी टीम ने कांग्रेस परस्त लोगों और मीडिया को प्रोपेगंडा फैलाने के काम पर लगा रखा है, जो कथित और मनगढ़ंत बयान देकर राहुल गांधी को मोदी सरकार पर हमला करने और ट्विट करने में मदद करते हैं। मोदी विरोधी एजेंडा चलाने वाली न्यूज वेबसाइट ‘द वायर’ में 11 जुलाई, 2020 को बिजनेस स्टैंडर्ड में स्ट्रैटेजिक अफेयर्स एडिटर कर्नल (रिटायर्ड) अजय शुक्ला का साक्षात्कार प्रकाशित हुआ था, जिसका शीर्षक ‘Government Misleading Media on Chinese Disengagement Along LAC’ था। यह साक्षात्कार करण थापर ने लिया था, जो प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ एजेंडा चलाने के लिए जाने जाते हैं। इस साक्षात्कार को आधार बनाकर राहुल गांधी ने रविवार को ट्विट किया कि ऐसा क्या हुआ कि मोदी जी के रहते भारत माता की पवित्र ज़मीन को चीन ने छीन लिया ?
ऐसा क्या हुआ कि मोदी जी के रहते भारत माता की पवित्र ज़मीन को चीन ने छीन लिया?https://t.co/EkSAbWUUaU
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 12, 2020
इस ट्विट के बाद जब राहुल गांधी, करण थापर और रिटायर्ड कर्नल अजय शुक्ला के बीच संबंधों की पड़ताल की गई, तो उनके बीच दिलचस्प संबंध नजर आया। जहां राहुल गांधी 1962 में चीन के सामने आत्मसमर्पण करने वाले नेहरू के परपोते हैं, वहीं करण थापर 1962 युद्ध के दौरान सेना प्रमुख रहे जनरल पीएन थापर के बेटे हैं। इनके अलावा अजय शुक्ला गांधी परिवार के दरबारी और राजीव गांधी फाउंडेशन के ट्रस्टी सुमन दुबे के साला हैं।
Interesting to see Nehru’s [capitulated to China in 1962] great grandson tweet an interview of Gen PN Thapar’s [Army Chief during 1962 war] son with Suman Dubey’s [Gandhi family courtier and trustee of Rajiv Gandhi Foundation] brother-in-law [saala] on the Indo-China conflict… https://t.co/ooQZbN3ZCP
— Amit Malviya (@amitmalviya) July 12, 2020
इस गठजोड़ को देखकर आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं कि इनका भारत-चीन सीमा विवाद का विश्लेषण कितना निष्पक्ष हो सकता है। एसी कमरों में बैठे इन लोगों का विश्लेषण कथित तथ्यों के आधार पर है, जिनका सच्चाई से कोई लेना-देना नहीं है। कांग्रेस के नेता और उससे जुड़े लोग कथित तथ्यों के माध्यम से मोदी सरकार को निशाना बनाने के खेल में लगे हुए हैं। इनका न तो केंद्र सरकार पर भरोसा है और न ही सेना पर। यह गठजोड़ सियासी फायदे के लिए जहां लोगों को गुमराह कर रहा है, वहीं सेना का अपमान करने से भी बाज नहीं आ रहा है।
इससे पहले भी राहुल गांधी ने लद्दाख के कुछ स्थानीय लोगों के जरिए सरकार को बदनाम करने की कोशिश की, लेकिन जल्द ही भंडाफोड़ हो गया कि ये सभी कांग्रेस के ही नेता हैं। इसका खुलासा होते ही राहुल गांधी की बोलती बंद हो गई। आप खुद देख लीजिए ये सभी कांग्रेस के स्थानीय नेता हैं। इनमें कांग्रेस के पूर्व काउंसलर नामग्याल दुर्बुक, हिमाचल प्रदेश एनयूएसआई के प्रदेश महासचिव सचिन मिरुपा, लद्दाख में यूथ कांग्रेस के महासचिव तुंदुप नुबु और जिला यूथ कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष दोर्जी गिल्टसन शामिल हैं।
देखिए वीडियो-
70saal se bewaquf banate aarahe hai. Ense aur kya wumeed karsakte hai. Ab janta bewaquf nahi banegi enke zase me nahi aarahi dekh ke bhaukhla rahe hai aur kuch nahi.