Home विपक्ष विशेष राहुल गांधी के प्यार की राजनीति में नफरत का फार्मूला

राहुल गांधी के प्यार की राजनीति में नफरत का फार्मूला

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लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर भाषण देने के दौरान राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गले पड़ गए, फिर अपनी सीट पर पहुंचकर दोनों हाथों को भींचते हुए गुस्से में चिल्लाते हुए कहा कि वह प्यार और दया की राजनीति में विश्वास करते हैं। यह किस प्रकार के प्यार और करुणा के राजनीति का ऐलान राहुल गांधी ने किया जिसकी घोषणा में ही गुस्से और घृणा का भाव है। प्यार की बात करते समय नफरत और दुश्मनी का भाव होता है क्या!

राहुल गांधी अपनी राजनीतिक जमीन तलाशने के लिए झूठ से भरे नैरेटिव को बनाने में जुटे हैं। लगता है! राहुल गांधी को उनके राजनीतिक पंडितों ने समझा दिया है कि सिर्फ Narrative बनाने से ही चुनाव जीता जा सकता है। यह आंडबर उतना ही झूठा है, जितना राहुल का संसद में गले पड़ने की नौटंकी। कांग्रेस अध्यक्ष प्यार और करुणा की बात करके अपनी नफरत और तुष्टिकरण की राजनीति की रिपैकजिंग कर रहे हैं। राहुल गांधी की इस पैकेजिंग में छुपे नफरत को समझना जरूरी है।

प्रधानमंत्री मोदी से नफरत – देश की जनता 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पूर्ण बहुमत से सत्ता में ले आयी, पर राहुल गांधी और कांग्रेस को यह हार आज तक गले के नीचे नहीं उतरी है। पिछले चार साल में राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर नफरत के बाण चलाने का कोई भी मौका नहीं छोड़ा है। जैसे- जैसे कांग्रेस की राज्यों के विधानसभा चुनावों में हार की संख्या बढ़ती गई वैसे- वैसे राहुल गांधी नफरत के बाण तीखे करते गये। सोनिया गांधी ने कभी प्रधानमंत्री को मौत का सौदागर, तो राहुल गांधी ने सेना का दलाल कहा। कांग्रेस के अन्य नेता तो सोनिया और राहुल से चार कदम आगे ही निकल गये, रणदीप सुरजेवाला ने औरंगजेब कहा तो मणिशंकर अय्यर ने नीच आदमी कह डाला। कांग्रेसी नेताओं के नफरत के बाणों की एक लंबी फेहरिस्त है।

ऱाहुल गांधी का ‘सबका साथ, सबका विकास’ से नफरतराहुल गांधी समेत पूरी कांग्रेस पार्टी के यह बात गले के नीचे नहीं उतरती कि प्रधानमंत्री मोदी के पांच सालों के काम और करने के तरीके के सामने यूपीए के दस साल और कांग्रेस के चालीस साल के काम बौने हो जाएं। प्रधानमंत्री मोदी के रिकार्ड समय में सभी के लिए मकान, शौचालय, गैस के कनकेशन, बिजली की सुविधा, सड़कें और रोजगार के अवसर के काम के साथ साथ विश्व स्तर पर भारत की शान और शक्ति को बढ़ाया है, उससे प्रधानमंत्री मोदी कांग्रेस के नफरत के शिकार हो रहे हैं। इसी नफरत का परिणाम है कि राज्यों के कानून व्यवस्था की समस्या को आधार बनाकर प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ नफरत के बीज बोने का काम राहुल गांधी अपनी टीम के साथ करते हैं।

राहुल गांधी का सरदार पटेल,बाबा साहेब आदि नेताओं से नफरत -कांग्रेस ने आजादी के बाद से और राहुल -सोनिया के यूपीए सरकार के दस सालों में नेहरु-गांधी परिवार के सदस्यों को छोड़कर देश के किसी अन्य नेता को कोई सम्मान नहीं दिया, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने देश में कांग्रेस की इस परिपाटी को पलट कर रख दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने देश के तमाम नेताओं को सम्मान दिया। सरदार पटेल, बाबा साहेब, नेताजी, चंन्द्रशेखर, भगत सिंह, एपीजे कलाम, लाल बहादुर शास्त्री, आदि नेताओ की जयंतियां मनायी गयीं और उनके नाम पर स्मारक बने या बन रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी के इस कदम ने उन्हें कांग्रेस के नफरत का शिकार बना दिया।

देश की विश्व में बढ़ रही साख से नफरत -पिछले चार साल में प्रधानमंत्री मोदी ने विश्व मंच पर भारत की साख को शक्ति और ओज दिया है। इस सामर्थ्य का ही नतीजा निकला की भारत विश्व के हर आर्थिक समूह का सम्मानित सदस्य है और सामरिक गुटों में एक अहम भूमिका है। विश्व के सभी देश और नेताओं का कहना है कि भारत, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में निर्णायक और समग्र दृष्टि के साथ विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की सशक्त निर्णायक की छवि से राहुल गांधी को नफरत है, वह हमेशा प्रधानमंत्री मोदी के विदेशी नेताओं से मुलाकातों पर अनर्गल बातों के तीर चलाते रहते हैं। राहुल गांधी ने अमेरिका और सिंगापुर की अपनी विदेश यात्राओं के दौरान भारत की खराब छवि पेश करके प्रधानमंत्री मोदी से अपनी नफरत का बदला निकालते रहते हैं।

राहुल गांधी का देश की एकता से नफरत – राहुल गांधी प्यार के राजनीति की बात करते हैं लेकिन राजनीति के मैदान मे वह देश को धर्मों और जातियों में बांट कर देखते हैं। उनकी राजनीति में नकारात्मक राजनीतिक प्रतिस्पर्धा हैं जहां चुनाव जीतने के लिए मुसलमानों की टोपी पहनने और हिन्दूओ के लिए जनेऊ धारण करने का प्रचार करते हैं, उन्हें विकास की राजनीति से धर्म और जाति के परे जाकर राजनीति करने का हुनर नहीं आता है। वे नफरत और दंगो पर राजनीतिक रोटियां सेंकते हैं।, क्योंकि यह उनके लिए आसान है। राहुल गांधी की राजनीति का मकसद है कि सत्ता को जैसे तैसे अपने कब्जे में लाया जाए, भले ही इसके लिए देश और समाज की एकता को नफरत की आग से जलाना पड़े।

प्यार और करुणा के राजनीति की बात तो राहुल गांधी कर लेते हैं लेकिन उनके व्यवहार में नफरत और गुस्से का भाव रहता है। उनकी राजनीति एक ऐसे विभाजित व्यक्ति की राजनीति है जो सोचता कुछ है और करता कुछ और है। राहुल गांधी जैसे व्यक्तित्व को मनोविज्ञान में Non-integrated personality कहते है, जिसकी कथनी और करनी में अंतर होता है।

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