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राहुल गांधी की ‘गले पड़ने’ की राजनीति, देश के साथ एक मजाक है

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New Delhi: Congress President Rahul Gandhi addresses the media during the winter session at Parliament House in New Delhi on Tuesday. PTI Photo by Manvender Vashist(PTI12_19_2017_000022B)

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को राहुल गांधी ने जिस अंदाज और जबरदस्ती के साथ गले लगाया, उसे गले लगाना नहीं बल्कि गले पड़ना कहा जाता है। क्या, राहुल गांधी के इस तथाकथित प्रेम प्रदर्शन से यह यह मान लिया जाये कि राहुल गांधी में अचानक परिवर्तन आया है और वह राजनीति में आध्यात्मिक व्यक्ति हो गये हैं? वह, कांग्रेस के लिए महात्मा गांधी के समान हो गये हैं?अलग-अलग कई मौकों पर जब हम राहुल गांधी के कदमों पर गौर करते हैं तो यह स्थापित हो जाता है कि यह दरअसल राहुल गांधी की ढोंगी राजनीति का ही एक हिस्सा है। 

राहुल गांधी का गले पड़ना
संसद में गले पड़ने के अमर्यादित व्यवहार के पीछे राहुल गांधी का सत्ता पाने का लालच छुपा हुआ है। ऐसा नहीं है, कि रातों-रात राहुल गांधी की चेतना उन्नत होकर परमचेतन के समीप पहुंच गई है और वह ईसा मसीह बन गये हैं जो अपने लोंगों को प्रेम और करुणा का संदेश देना चाहते हैं। राहुल गांधी एक राजनीतिक व्यक्ति हैं और वह राजनीति कर रहे हैं। गुजरात में चुनाव जीतने की चाहत लेकर मंदिर-मंदिर जाते रहे तो कर्नाटक में मस्जिद और मंदिर दोनों का दौरा किया। गुजरात चुनाव में तो जनेऊ को धारण कर अपने को हिन्दू घोषित करने का नाटक भी किया था। राहुल गांधी की इन्हीं नौटंकियों की कड़ी में गले पड़ना भी एक नौटंकी है। इस नौटंकी को देश की जनता पिछले कई सालों से देख रही है और उसका परिणाम राहुल गांधी को चुनावी नतीजों के तौर पर मिलता रहा है।

राहुल गांधी ने देश के गैर कांग्रेसी नायकों को गले नहीं लगाया
एक क्षण के लिए राहुल गांधी के गले पड़ने को पवित्र नीयत से किया गया व्यवहार मान लिया जाए, तो राहुल गांधी के सामने कई प्रश्न खड़े होते हैं। क्या राहुल गांधी पीवी नरसिंह राव को गले लगायेंगे? क्या वह मणिशंकर अय्यर को गले लगायेंगे? क्या वह सरदार पटेल, नेताजी सुभाषचन्द्र बोस, वीर सावरकर, गोलवलकर, हेडगेवार आदि को गले लगायेंगे जिन्हें नेहरू-गांधी परिवार ने कभी गले नहीं लगाया। राहुल गांधी का गले लगाना किसी नौटंकी से कम नहीं लगता क्योंकि उनके अपने ही नेता रहे पूर्व राष्ट्रपति को जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने दीक्षांत समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित किया तो राहुल गांधी से लेकर कांग्रेस के सभी नेताओं ने विरोध किया। राहुल गांधी का दोहरा चरित्र उन्हें झूठा और फरेबी साबित करता है।

राहुल गांधी ने देश के सैनिकों का सम्मान नहीं किया
राहुल गांधी के गले लगाने का उपक्रम तब और बचकानी हरकत लगती है जब वह देश की सेना का मजाक उड़ाते हैं और उसके शौर्य व पराक्रम पर प्रश्नचिह्न लगाते हैं। पाकिस्तान पर 29 सितंबर 2016 को भारतीय सेना द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक को राहुल गांधी और कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं ने झूठा मानते हुए, सरकार को सबूत पेश करने की चुनौती दे डाली। एक साल के बाद जब सरकार ने सबूत पेश किया तब भी सेना का सम्मान करके, गले लगाने की हिम्मत नहीं हुई। राहुल गांधी के कांग्रेस की यह कैसी गले लगाने की परंपरा है कि 26 जुलाई को होने वाले विजय करगिल दिवस को यूपीए की सरकार 2009 तक मनाना ही भूल गई। राहुल गांधी की कांग्रेस यहीं नहीं रुकी, उसने देश के वर्तमान सेनाध्यक्ष को गली का गुंडा कह कर संबोधित किया। यही है राहुल गांधी के गले लगने और गले पड़ने का अंतर।

राहुल गांधी हिन्दुओं के प्रतीक-गाय और गंगा को गले नहीं लगाते
राहुल गांधी का गले लगाना भी भेदभाव का प्रतीक है। अल्पसंख्यकों के खानपान और उनके धार्मिक प्रतीकों को तो प्रेम से गले लगाते हैं लेकिन बहुसंख्यक हिन्दुओं के प्रतीकों गाय और गंगा को गले नहीं लगाते हैं, उन्हें कोई सम्मान नहीं देते हैं। यदि हिन्दू गाय की रक्षा के लिए कोई कदम उठाते हैं तो उसे आतंकवादी कृत्य घोषित कर देश को बदनाम करने का नैरेटिव तैयार करते हैं। विदेशों में जाकर राहुल गांधी देश के बहुसंख्यकों को बदनाम करते हैं। 

राहुल गांधी ने आज तक सिख परिवारों को गले नहीं लगाया
राहुल गांधी की दादी व पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद जिस तरह से देश में सिखों का कत्लेआम हुआ और लगभग तीन हजार सिखों को कांग्रेसी नेताओं के नेतृत्व वाली उन्मादी भीड़ ने मार डाला, उनके परिवारों के बचे हुए सदस्यों को आज तक राहुल गांधी ने गले नहीं लगाया। राहुल गांधी की राजनीति में इन परिवारों को गले लगाने का कोई मतलब नहीं है। राहुल गांधी कश्मीर में उन पत्थर बाजों को गले लगाते हैं और उनके मानवधिकारों की बात करते हैं, जो देश के सैनिकों पर पत्थर बरसाते हैं क्योंकि मुसलमान उनकी राजनीति के अहम वोट बैंक हैं।

राहुल गांधी देश के विकास को गले नहीं लगाते
राहुल गांधी देश में गले लगाने की लच्छेदार बात तो करते हैं लेकिन दलितों, शोषितों और वंचितों के विकास के लिए कोई सकारात्मक योजना आज तक नहीं दे सके हैं, और जब तक कांग्रेस की सरकार थी तब तक इस वर्ग का कोई विकास भी नहीं हुआ। आज जब प्रधानमंत्री मोदी ने दलितों, शोषितों और वंचितों को विकास की धारा में लाने के लिए एक से एक नई योजनाओं को लागू करने का अभियान छेड़ रखा है तो राहुल गले पड़ने का काम करके अपने राजनीतिक वजूद को बचाने के लिए कशमकश कर रहे हैं।

राहुल गांधी देश में हिन्दुओं के सबसे बड़े दुश्मन हैं। वे सत्ता पाने के लिए हिन्दुओं को देश में ही नहीं बदनाम करते हैं, बल्कि हिन्दुओं को विदेशों में भी बदनाम करने की साजिश में लगे हैं। इसके लिए कांग्रेसी पत्रकारों के जरिए विदेशी पत्र-पत्रिकाओं में हिन्दुओं के खिलाफ चलवाने में भी लगे है।

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