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फेक न्यूज फैलाना राहुल गांधी की फितरत, कोरोना काल से लेकर अग्निवीर तक ट्रैक रिकार्ड खराब

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कांग्रेस पार्टी एक ऐसी फैक्ट्री है, जिसमें फेक न्यूज, अफवाह और साजिशों का उत्पादन होता है। कांग्रेस पार्टी गांधी परिवार की जागीर है और चूंकि राहुल गांधी गांधी परिवार के उत्तराधिकारी हैं तो स्वाभाविक है कि उनमें भी अपने पूर्ववर्तियों का गुण स्वतः आ गया। सत्ता पाने और प्रधानमंत्री बनने की लालसा पाले राहुल गांधी मोदी सरकार आने के बाद से एक से बढ़कर एक झूठ बोलते चले जा रहे हैं। इसके लिए सोशल मीडिया पर उनकी जमकर फजीहत भी होती है, लेकिन उनके चरित्र में झूठ इस कदर रच बस गया है कि वे इससे बाहर निकल ही नहीं पा रहे हैं। इसी तरह के चरित्र को लेकर एक कवि ने लिखा था-हमने चौदह साल तक कुत्ते की पूंछ को बांसुरी में बंद रखा। लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात। कहने का मतलब है कि कुत्ते की पूंछ को अगर बांसुरी में बंद रखा जाए तब भी उसमें सुधार नहीं हो सकता, वह टेढी ही रहेगी। अब चाहे नोटबंदी हो, सर्जिकल स्ट्राइक हो, सेना की शहादत हो, राफेल विमान सौदा हो, किसान आंदोलन हो, राहुल गांधी मीडिया की सुर्खियों में बने रहने के लिए फेक न्यूज का सहारा लेते रहे हैं। राहुल गांधी अगर झूठ न बोलें और देश विरोधी सनसनीखेज बातें न करें तो उन्हें किसी मीडिया में जगह नहीं मिलेगी। इसे वह बखूबी समझते हैं इसीलिए वे फेक न्यूज फैलाने की बेशर्मी पहले भी करते रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे। फर्क सिर्फ यह है कि जनता उन्हें समझ चुकी है लेकिन वे अब तक जनता को समझ नहीं पाए हैं।

जब देश कोरोना से लड़ रहा था, तब राहुल गांधी सेंट्रल विस्टा को लेकर फेक न्यूज फैला रहे थे
एक तरफ देश जुलाई 2021 में कोरोना से लड़ रहा था वहीं राहुल गांधी सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर होने वाले खर्च को लेकर फेक न्यूज फैला रहे थे। वह टीकाकरण, ऑक्सीजन की कमी और लोगों की बिगड़ी आर्थिक स्थिति को लेकर लगातार लोगों को गुमराह कर रहे थे। उन्होंने मोदी सरकार से सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर ध्यान देने की बजाय टीकाकरण, ऑक्सीजन की कमी और आर्थिक सहायता देने की अपील की थी। राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा था, ”13450 करोड़ रुपये सेंट्रल विस्टा के लिए। या 45 करोड़ भारतीयों का पूरी तरह से टीकाकरण। या एक करोड़ ऑक्सीजन सिलेंडर्स या दो करोड़ परिवारों को NYAY के तहत 6000 हज़ार रुपये। लेकिन प्रधानमंत्री का अहंकार लोगों की ज़िंदगियों से बड़ा है।” कांग्रेस और राहुल गांधी के इस फेक न्यूज से स्पष्ट हो चुका है सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को एक साजिश तहत रोकने का प्रयास किया गया।

सरकार ने आंकड़े पेश कर राहुल गांधी की झूठ की पोल खोल दी
लोकसभा में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के राज्य मंत्री कौशल किशोर ने आंकड़े पेश किए, जिसने राहुल की अफवाह की हवा निकाल दी। कौशल किशोर ने कहा कि सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास / विकास मास्टर प्लान के तहत, केवल 2 परियोजनाएं – नए संसद भवन का निर्माण और सेंट्रल विस्टा एवेन्यू का पुनर्विकास किया जा रहा है। इसके बारे में उन्होंने विवरण दिया। उन्होंने बताया था, ‘971 करोड़ रुपये के अनुमान पर नए संसद भवन का निर्माण किया जा रहा है और अक्टूबर 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। 608 करोड़ रुपये के अनुमान पर सेंट्रल विस्टा एवेन्यू का पुनर्विकास किया जा रहा है और इसे नवंबर 2021 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।’

राहुल ने 2021 में बताया मत्स्य मंत्रालय की जरूत, पीएम मोदी ने 2019 में ही बना दिया
राहुल गांधी ने फरवरी 2021 में पुडुचेरी में मछुआरों को संबोधित करते हुए उन्हें ‘समुद्र का किसान’ करार दिया और मछुआरों के लिए अलग मंत्रालय की जरूरत बताई। राहुल ने कहा- “मैं ऐसा सोचता हूं कि जब किसानों की जमीन के लिए अगर दिल्ली में एक मंत्रालय हो सकता है तो फिर क्यों नहीं समुद्र के किसानों के लिए दिल्ली में एक मंत्रालय हो सकता है? जब हमारे किसानों के मुद्दे होते हैं तो उस मंत्रालय के पास जाते हैं, जो किसानों से संबंधित होते हैं। हम कृषि मंत्री के पास जाते हैं, लेकिन मछली पालक का कोई मुद्दा होता है तो उन्हें जाने के लिए कोई मंत्रालय नहीं है। इसलिए मैं ऐसा सोचता हूं कि मछली पालकों के लिए एक महत्वपूर्ण चीज जो हमें करनी है वो है केन्द्र सरकार में एक उनको मंत्रालय देना। ताकि उनका मुद्दा उठाया जा सके और उनकी दुख दर्द का निवारण किया जा सके। वहीं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा था- राहुल जी ! आपको इतना तो पता ही होना चाहिए कि 31 मई,2019 को ही मोदी जी ने नया मंत्रालय बना दिया। और 20050 Cr रुपए की महायोजना (PMMSY) शुरू की जो आज़ादी से लेकर 2014 के केन्द्र सरकार के खर्च (3682 cr) से कई गुना ज़्यादा है।

राहुल का फेक न्यूज- बीजेपी पार्षद पार्टी को वोट देने के लिए बुजुर्ग को डरा-धमका रहा
राहुल गांधी ने फरवरी 2022 में ट्विटर पर एक वीडियो शेयर कर हिंदुत्व के मुद्दे पर बीजेपी पर निशाना साधने की कोशिश की। राहुल गांधी ने लिखा कि हिंदुत्ववादियों की राजनीति यानि गुंडागर्दी। वीडियो में दावा किया गया कि बीजेपी पार्षद पार्टी को वोट देने के लिए बुजुर्ग को डरा-धमका रहा था। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने फेक न्यूज फैलाने की कोशिश की कि बीजेपी नेता एक बुजुर्ग वोटर को डरा धमका कर वोट डालने का दबाव बना रहा है। लेकिन जल्दी ही इसका पर्दाफाश हो गया। पुलिस ने कानपुर के इस वीडियो को फेक बता दिया। इस वीडियो में दिख रहे राघवेंद्र मिश्रा और भूपेंद्र भदौरिया पड़ोसी हैं और वो दोनों आपस में हंसी-मजाक कर रहे थे कि किसी ने इस वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। वीडियो की सच्चाई सामने आते ही सोशल मीडिया पर यूजर्स राहुल गांधी को लताड़ लगाने लगे।

सेना के खंडन के बाद भी पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने किया फेक न्यूज ट्वीट
कांग्रेस के करीबी प्रोपगेंडा पक्षकार अजय शुक्ला ने चीनी सैनिकों के साथ झड़प पर एक फेक स्टोरी लिख देश में सनसनी फैलाने की कोशिश की। इस फेक स्टोरी में लद्दाख से लगती सीमा पर चीन के साथ समझौतों के टूटने और दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़प की बात ही गई थी। अजय शुक्ला की झूठी खबर पर तुरंत हरकत में आते हुए सेना ने इसका खंडन किया। सेना ने इसे गलतियों और भ्रामक जानकारी से भरा लेख बताया। सेना ने साफ कहा कि चीन के साथ समझौतों के टूटने की खबर झूठी और तथ्यहीन है। हैरानी की बात यह है कि सेना के खंडन के बाद भी राहुल गांधी ने इसे ट्वीट कर राजनीतिक लाभ के वास्ते सनसनी फैलाने की कोशिश की। लेकिन सोशल मीडिया पर यूजर्स ने उन्हें फटकार लगानी शुरू कर दी।

कोरोना टीकाकरण को लेकर फैलाया फेक न्यूज
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कोरोना टीकाकरण को लेकर एक बार फिर फेक न्यूज फैलाने की कोशिश की। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बेटे राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि देश को टीकाकरण की जरूरत है। श्रीमान लाइंग मशीन। इसके साथ ही उन्होंने एक डाटा शेयर किया जिसमें बताया गया है कि भारत में सिर्फ 1.4 प्रतिशत लोगों का टीकाकरण हुआ है। राहुल गांधी के इसे ट्वीट करते ही यूजर्स ने उन्हें लताड़ लगानी शुरू कर दी। यूजर्स ने कहा कि दुनिया में सबसे तेज टीकाकरण भारत में किया गया है। देश में 13 करोड़ से ज्यादा लोगो का टीकाकरण हो चुका है। इस हिसाब से 10 प्रतिशत से अधिक लोगों का टीकाकरण हुआ है ना कि सिर्फ 1.4 प्रतिशत लोगों का। इसलिए लाइंग मशीन तो आप हैं राहुल जी।

किसान आंदोलन पर बुजुर्ग को पीटने का फेक न्यूज फैलाया
किसान आंदोलन के भड़काने के लिए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्विटर पर एक तस्वीर साझा की। तस्वीर में एक बुजुर्ग व्यक्ति पर लाठी चार्ज किया जा रहा था। ट्वीट में राहुल ने लिखा, ‘बड़ी ही दुखद फ़ोटो है। हमारा नारा तो ‘जय जवान जय किसान’ का था लेकिन आज PM मोदी के अहंकार ने जवान को किसान के ख़िलाफ़ खड़ा कर दिया। यह बहुत ख़तरनाक है।’ कांग्रेसी सांसद राहुल गांधी ने इस तस्वीर को शेयर कर लोगों को भड़काने की कोशिश की। जबकि पुलिस ने बुजुर्ग को छुआ तक नहीं। राहुल की ये कोशिश हमेशा की तरह एक बार फिर नाकाम हो गई। उनकी पोल खुलते ही लोगों ने उन्हें क्लास लगानी शुरू कर दी।

फर्जी तस्वीर के सहारे नोटबंदी के खिलाफ फेक न्यूज फैलाया
राहुल गांधी ने एक बार फिर एक फर्जी तस्वीर शेयर कर फेक न्यूज फैलाने की कोशिश की है। नोटबंदी के दौरान की इस तस्वीर में गुरुग्राम के नंदलाल को रोते हुए दिखाया गया है। उस समय नंदलाल से रोने का कारण पूछने पर उन्होंने कहा था कि जब वह बैंक के बाहर कतार में खड़े थे तो किसी ने उन्हें धक्का दे दिया। इस क्रम में एक महिला ने उनके पैर कुचल दिए। साफ है कि जिस नंदू लाल की तस्वीर के सहारे राहुल नोटबंदी को कोस रहे हैं, वो तस्वीर न केवल फेक है, बल्कि नंदू लाल पूरी तरह से नोटबंदी पर प्रधानमंत्री मोदी के साथ खड़े हैं। उन्होंने साफ कहा कि सरकार जो भी कर रही है, वह देश की भलाई के लिए है।

कोरोना के समय स्वास्थ्यकर्मियों की बीमा योजना को लेकर फैलायी झूठी खबर
राहुल गांधी अप्रैल 2021 में भी फेक न्यूज फैलाते पकड़े गए थे। उन्होंने एक रिपोर्ट के हवाले से केंद्र सरकार पर कृतघ्न होने का आरोप लगाते हुए सोशल मीडिया पर अफवाह फैलायी कि कोरोना की दूसरी लहर के बीच केंद्र सरकार ने चुपचाप स्वास्थ्यकर्मियों को मिलने वाले बीमा वापस ले ली है और उन्हें बिना बीमा कवर के कोरोना से लड़ने के लिए छोड़ दिया है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने राहुल गांधी के झूठ का पर्दाफश किया
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राहुल गांधी और उनके इकोसिस्टम द्वारा फैलाये जा रहे झूठ का पर्दाफश किया और सोशल मीडिया पर ट्वीट कर लोगों को सच्चाई से अवगत कराया। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, मार्च 2020 में ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज’ का ऐलान किया गया था, जिसकी अवधि 24 अप्रैल,2021 तक 3 बार बढ़ाई गई। इसके जरिए स्वास्थ्यकर्मियों को एक सुरक्षा कवच प्रदान किया गया। अगर कोरोना की ड्यूटी के दौरान उनके साथ कुछ गड़बड़ होती है तो सरकार उनके परिवार का ध्यान रखेगी। PMKGP के तहत ही 50 लाख का बीमा कवर प्रावधान किया जाता है। जिन्होंने भी कोरोना की ड्यूटी के दौरान अपनी जान गंवाई, उनके परिजनों को ये रकम बीमा मुआवजा के रूप में प्रदान की गई। इंश्योरेंस कंपनी ने अब तक इसके तहत 287 क्लेम का भुगतान किया है।

कोरोना काल में नौकरी को लेकर फेक न्यूज फैलाया
राहुल गांधी ने मार्च 2021 में एक रिपोर्ट शेयर करते हुए ट्वीट किया कि आपकी नौकरी गयी और ईपीएफ अकाउंट बंद करना पड़ा। केंद्र सरकार के रोजगार मिटाओ अभियान की एक और उपलब्धि! इस ट्वीट के साथ शेयर रिपोर्ट में लिखा है कि कोरोना महामारी में लाखों वेतनभोगी कर्मचारियों की नौकरी गई। नौ महीने में 71 लाख ईपीएएफ खाते बंद। कांग्रेस सांसद के इस ट्वीट पर पलटवार करते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने लिखा था कि अब राहुल गांधी ने जो नहीं बताया वो सूचना एवं प्रसारण मंत्री होने के नाते मैं आपको बताता हूं: इन 71 लाख में से 58.97 लाख ईपीएफ खाते उन्हीं 9 महीनों में फिर से खुल गए, साथ ही साथ 59.68 लाख नए ईपीएफ खाते भी इन 9 महीनों में खुले हैं। मतलब रोजगार बढ़ा।

हाथरस मामले पर लोगों को भड़काने के लिए फैलाई झूठ
राहुल गांधी ने हाथरस मामले में लोगों को भड़काने और सनसनी फैलाने के लिए दावा किया कि पुलिस-प्रशासन ने जल्दी-जल्दी में ही पीड़िता का अंतिम-संस्कार करा परिवार को अंतिम दर्शन भी नहीं करने दिया। राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘भारत की एक बेटी का रेप-क़त्ल किया जाता है, तथ्य दबाए जाते हैं और अन्त में उसके परिवार से अंतिम संस्कार का हक़ भी छीन लिया जाता है। ये अपमानजनक और अन्यायपूर्ण है।’

हाथरस पुलिस ने कहा- परिजनों द्वारा रीति-रिवाज के साथ शव का अंतिम संस्कार किया गया
हाथरस पुलिस ने इसका खंडन करते हुए कहा कि ‘कतिपय सोशल मीडिया के माध्यम से यह असत्य खबर फैलायी जा रही है कि “थाना चन्दपा क्षेत्रान्तर्गत दुर्भाग्यपूर्ण घटित घटना में मृतिका के शव का अन्तिम संस्कार बिना परिजनों की अनुमति के पुलिस ने जबरन रात में करा दिया हैं “। हाथरस पुलिस इस असत्य एवं भ्रामक खबर का खंडन करती है। सच्चाई यह है कि पुलिस एवं प्रशासन की देखरेख में परिजनों द्वारा अपने रीति-रिवाज के साथ मृतिका के शव का अंतिम संस्कार किया गया।’

राहुल ने झूठ कहा- पटना में मेट्रो नहीं है
बिहार में एक चुनावी रैली में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने झूठ बोलते हुए कहा है कि पटना में मेट्रो नहीं है। जबकि सच्चाई ये है कि पटना में मेट्रो का काम नवंबर 2019 से ही शुरू है।

राहुल गांधी कई बार मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए झूठ का सहारा ले चुके हैं। आइए डालते हैं एक नजर-

हर वर्ष युवाओं को 2 करोड़ रोजगार देने पर झूठी खबर फैलाई
जुलाई 2018 में लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 के चुनाव प्रचार के दौरान हर वर्ष युवाओं को 2 करोड़ रोजगार देने का वादा किया था। राहुल गांधी का ये आरोप सच्चाई से कोसों दूर है। एबीपी न्यूज चैनल ने अपने एक कार्यक्रम राहुल गांधी के इस आरोप की गहनता से पड़ताल की थी। इसके अनुसार प्रधानमंत्री मोदी ने कभी भी देशवासियों से सरकार बनने पर प्रति वर्ष दो करोड़ रोजगार देने का वादा नहीं किया था। इतना ही नहीं भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में भी इसका कहीं जिक्र नहीं किया गया था। यानि दो करोड़ रोजगार देने का आरोप झूठ के सिवा और कुछ नहीं है। इस कार्यक्रम में बताया गया है कि 21 नवंबर, 2013 को एक रैली में पीएम मोदी ने कांग्रेस सरकार द्वारा हर वर्ष एक करोड़ रोजगार देने के वादे का जिक्र जरूर किया था। मतलब साफ है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने संसद में प्रधानमंत्री मोदी पर झूठा और मनगढ़ंत आरोप लगाया है।

कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर बोला झूठ
राहुल गांधी का सबसे ताजा झूठ कोरोना वैक्सीन को लेकर है। 2 जुलाई को राहुल ने ट्वीट किया कि जुलाई आ गया है, वैक्सीन नहीं आई। जबकि सच्चाई यह है कि 21 जून से मोदी सरकार द्वारा वैक्सीनेशन का काम अपने हाथ में लेने के बाद से ही देश में कोरोना टीकाकरण का काम तेज गति से चल रहा है। भारत पूरी दुनिया में वैक्सीनेशन के मामले में अग्रणी देश बन चुका है। रोजोना औसतन 50 लाख से अधिक लोगों को टीका लगाया जा रहा है और दिसंबर तक पूरी आबादी के वैक्सीनेशन का लक्ष्य पाने की कोशिश की जा रही है। लेकिन राहुल गांधी ने झूठ बोलकर जनता को गुमराह करने की कोशिश की।

चीनी हमले पर झूठ
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी चीनी हमले पर लगातार झूठ बोल रहे हैं कि चीन ने भारतीय जमीन पर कब्जा किया, जबकि सरकार के साथ सेना भी इनकार कर चुकी है। झूठ को सच साबित करने के लिए राहुल ने कई एडिटेड वीडियो भी शेयर किए लेकिन लोगों ने उसमें कई खामियां निकाल दी। सरकार की सख्त नीति के कारण चीन को एलएसी से काफी पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा।

वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट पर बोला झूठ
राहुल गांधी ने 25 जुलाई,2020 को ट्रिब्यून वेबसाइट में प्रकाशित वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट की खबर का लिंक शेयर करते हुए कहा है कि यह एक अच्छा विचार है और कुछ समय पहले मैंने इसका सुझाव दिया था। जबकि गुजरात की मुख्यमंत्री रहते आनंदीबेन पटेल ने 2016 में वन विलेज वन प्रोजेक्ट अभियान शुरू किया था। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश बीजेपी के 2017 विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र में हर जिले के स्थानीय उत्पाद को बढ़ावा देने की बात कही गयी थी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक जनपद एक उत्पाद की नीति राज्य में 2017 से ही लागू किए हुए हैं।

जीएसटी पर देश से बोला झूठ
यूपीए के दस वर्षों के शासन में कांग्रेस पार्टी जीएसटी को लेकर तमाम राज्यों के बीच आम राय नहीं बना पाई थी, क्योंकि उसका जीएसटी को लेकर कोई साफ रुख नहीं था। 2014 में जब प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार बनी तो उसने नए सिरे से जीएसटी को लेकर कवायद शुरू की और सभी राज्य सरकारों के बीच इसे लेकर सहमति बनाई। हालांकि राहुल गांधी ने कहा कि उन्होंने सहमति नहीं दी थी, लेकिन हकीकत ये है कि कांग्रेस की सभी राज्य सरकारों ने जीएसटी का समर्थन किया और संसद के दोनों ही सदनों में कांग्रेस ने जीएसटी पास करवाने के लिए पक्ष में वोटिंग भी की थी।

नोटबंदी पर देश से बोला झूठ
राहुल गांधी ने कहा कि संघ परिवार के एक विचारक ने प्रधानमंत्री मोदी को नोटबंदी का विचार दिया था। राहुल गांधी का यह बयान सरासर झूठा है। सच्चाई यह है कि देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने और कालाधन पर लगाम लगाने के लिए मोदी सरकार ने काफी गहन विचार-विमर्श के बाद नोटबंदी का ऐलान किया था। रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर आर गांधी भी कह चुके हैं कि नोटबंदी का पहला विचार फरवरी 2016 में आया था और सरकार ने विमुद्रीकरण के बारे में रिजर्व बैंक की राय मांगी थी। आरबीआई के तत्कालीन गवर्नर रघुराम राजन ने पहले तो सरकार को मौखिक रूप से इस पर राय दी। बाद में एक विस्तृत नोट बनाकर सरकार को भेजा गया जिसमें स्पष्ट तौर पर बताया गया कि नोटबंदी की खामियां और खूबियां क्या-क्या हैं। इसके बाद पूरी तैयारी के साथ 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी का ऐलान किया गया था।

रायबरेली पर देश से बोला झूठ
राहुल गांधी कहते रहे हैं कि मोदी सरकार आने के बाद से रायबरेली के साथ भेदभाव किया जाता रहा है, लेकिन सच्चाई यह है कि यूपीए के जमाने में राजीव गांधी के नाम पर रायबरेली में जो पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी स्थापित की गई थी उसे पांच वर्षों के दौरान यूपीए सरकार ने महज 1 करोड़ रुपये दिए थे। जबकि मोदी सरकार ने पहले दो वर्षों में इस यूनीवर्सिटी के लिए 360 रुपये देकर इसे एक संस्थान के रूप में विकसित किया। इतना ही नहीं रायबरेली में स्थित इंडियन टेलीकॉम इंडस्ट्रीज नाम का संस्थान बंद होने के कगार पर था और वहां अफसरों को वेतन तक नहीं मिल पा रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इस संस्थान को 500 करोड़ आवंटित कर जीवनदान दिया और 1100 करोड़ रुपये का आर्डर भी दिलाया।

महंगाई पर देश से बोला झूठ
राहुल ने पिछले वर्ष गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान ट्विटर पर लिखा “जुमलों की बेवफाई मार गई, नोटबंदी की लुटाई मार गई, GST सारी कमाई मार गई बाकी कुछ बचा तो – महंगाई मार गई… बढ़ते दामों से जीना दुश्वार, बस अमीरों की होगी भाजपा सरकार?” राहुल गांधी ने इस सवाल के साथ एक इन्फोग्राफिक्स भी पोस्ट किया है। इसमें उन्होंने गैस सिलिंडर, प्याज, दाल, टमाटर, दूध और डीजल के दामों का हवाला देकर 2014 और 2017 के दामों की तुलना में सभी चीजों के दामों में वास्तविक दामों से सौ प्रतिशत अधिक की बढ़ोतरी दिखा दी। जैसे ही राहुल गांधी ने ये ट्वीट किया, लोगों ने इस चालाकी को पकड़ लिया और फिर शुरू हो गई राहुल की खिंचाई।

महिला साक्षरता के आंकड़े पर बोला झूठ
राहुल गांधी ने गुजरात विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान पिछले वर्ष 3 दिसंबर को “22 सालों का हिसाब, गुजरात मांगे जवाब” अभियान के तहत प्रधानमंत्री मोदी से महिला सुरक्षा, पोषण और महिला साक्षरता से जुड़ा सवाल पूछा था, लेकिन इस सवाल के साथ राहुल ने जो इन्फोग्राफिक्स पोस्ट किया था उसमें गुजरात की महिला साक्षरता के उल्टे आंकड़े दिखाए थे। इन आंकड़ों में दिखाया गया था कि 2001 से 2011 के बीच गुजरात में महिला साक्षरता दर में 70.73 से गिरकर 57.8 फीसदी हो गई है।

राहुल गांधी ने जो आंकड़े दिखाए थे वे सरासर गलत थे। गुजरात में महिला साक्षरता की सच्चाई इसके उलट है। सही आंकड़ों के मुताबिक गुजरात में 2001 से 2011 के बीच महिला साक्षरता में 12.9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। यह वृद्धि 1991 से 2001 के बीच हुई 8.9 फीसदी बढ़ोतरी से काफी ज्यादा है। इतना ही नहीं इस दौरान राष्ट्रीय स्तर पर हुई साक्षरता वृद्धि से भी ये काफी ज्यादा है।

45,000 करोड़ एकड़ जमीन पर बोला झूठ
गुजरात चुनाव में प्रचार के दौरान ही राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमला बोलने के क्रम में ऐसा कुछ कह दिया था जो कि असंभव है। राहुल ने आरोप लगाया कि पीएम मोदी ने अपने उद्योगपति दोस्तों को 45,000 करोड़ एकड़ जमीन दे दी, लेकिन राहुल ने जमीन का जो आंकड़ा बोला वह असंभव है। 45,000 करोड़ एकड़ जमीन इस धरती से भी तीन गुना ज्यादा है। आपको बता दें कि पूरी धरती ही लगभग 13,000 करोड़ एकड़ की है।

Statue of Unity पर देश से बोला झूठ
राहुल गांधी ने गुजरात में पाटीदारों को कहा कि मोदी सरकार के लिए शर्मनाक है कि नर्मदा नदी पर बनने वाला Statue of Unity सरदार पटेल की प्रतिमा made in China होगी। राहुल गांधी एक बार फिर अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चक्कर में सरदार पटेल के नाम पर झूठ बोला। जबकि सच्चाई ये है कि प्रतिमा के निर्माण का कार्यभार एक भारतीय कंपनी को दिया गया है। यह पूरी तरह भारतीय तकनीक, भारतीय मटीरियल, भारतीय इंजिनियरों, भारतीय लेबर और भारतीय चीज़ों द्वारा बनाई जा रही है। यह विशुद्ध रूप से भारतीय प्रतिमा होगी जिसके निर्माण में लगने वाला 90 प्रतिशत से अधिक चीजें भारत की हैं।

लोकसभा सदस्यों की संख्या पर बोला झूठ
वर्ष 2017 के सितंबर में राहुल गांधी जब अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी में छात्रों को संबोधित कर रहे थे, तो उन्होंने लोकसभा में कुल सदस्यों की संख्या ही 546 बता डाली। जबकि सच्चाई यह है कि लोकसभा में कुल सदस्यों की संख्या 545 है, इनमें से 543 को जनता चुनती है और दो सदस्य (ऐंग्लो-इंडियन) मनोनित किए जाते हैं। आप ही बताइए जो शख्स इतने वर्षों से लोकसभा का सदस्य है, उसे लोकसभा के सदस्यों की संख्या तक नहीं पता है।

इंदिरा कैंटीन को बताया अम्मा कैंटीन
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में इंदिरा कैंटीन योजना की लॉन्चिंग में भी राहुल गांधी के ज्ञान पर सवाल उठ गए। पहली बार में उन्होंने योजना का नाम ही गलत बता दिया। जबकि यह योजना उनकी दादी यानी इंदिरा गांधी के नाम पर शुरू हो रही थी, लेकिन राहुल गांधी ने उसे तमिलनाडु में जयललिता के नाम पर चलने वाली अम्मा कैंटीन बता दिया। हालांकि, बाद में उन्हें भूल का अंदाजा हुआ और उन्होंने गलती सुधारने की कोशिश की। लेकिन जिस व्यक्ति में सामान्य ज्ञान का इतना अभाव है उससे क्या उम्मीद की जा सकती है?

महाभारत काल पर झूठ
राहुल गांधी की हरकतें बतातीं हैं कि वे झूठे प्रचार के जरिए और निराधार खबरें फैला कर सत्ता के शीर्ष पर पहुंचने को आतुर हैं। इसी क्रम में वे कई बार खुद के ‘अज्ञानी’ होने का भी सबूत दे देते हैं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के इस ट्वीट को देखिए-


दरअसल अपने ट्वीट में महाभारत काल का उदाहरण दे रहे हैं और इसे 1000 साल पहले की घटना बता रहे हैं। साफ है कि इस ट्वीट से एक बात साबित हो जाती है कि राहुल गांधी न सिर्फ झूठ फैलाते हैं बल्कि वे अज्ञानी भी हैं। कौरव-पांडव की बात करने वाले राहुल को ये भी नहीं पता है कि महाभारत काल पांच हजार वर्ष से अभी अधिक पुराना है। इस ट्वीट से ये भी पता लग जाता है कि लोग उन्हें गंभीरता से क्यों नहीं लेते हैं?

राहुल से एनसीसी का सवाल पूछने वाली कैडेट को एबीवीपी कार्यकर्ता बताया
24 मार्च, 2018 को कर्नाटक में स्टूडेंट्स से रूबरू होते हुए राहुल गांधी ने कहा था कि वह एनसीसी के बारे में कुछ नहीं जानते हैं। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए एनसीसी कैडेट संजना सिंह ने कहा, “आश्चर्य की बात है कि राहुल गांधी को एनसीसी के बारे में नहीं पता! यह कोई और चीज नहीं है, यह रक्षा की दूसरी पंक्ति है! आशा है कि राहुल गांधी इसके बारे में जाने! एक नेता के लिए यह जानना जरूरी है।” जाहिर है कि इस एनसीसी कैडेट ने सही बात कही, लेकिन कांग्रेस पार्टी का स्पोक्स पर्सन बन चुके कुछ पत्रकारों को ये बात चुभ गई। एशिया टाइम्स ऑनलाइन के साउथ एशिया एडिटर सैकत दत्ता ने इसके बारे में ट्वीट किया कि संजना सिंह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़ी हुई हैं। जबकि सच्चाई यह है कि किसी दूसरी संजना सिंह के प्रोफाइल को पोस्ट कर सैकत दत्ता ने झूठ खबर फैलाने की कोशिश की। इसी तरह कांग्रेस की सोशल मीडिया हेड ने भी इस झूठी खबर को फैलाने की कोशिश की। लेकिन अब यह साफ हो चुका है कि झूठी खबर फैलाने की मंशा से ये किया गया था जिसका पर्दाफाश हो चुका है।

उत्तर प्रदेश के शिक्षा बजट पर फेक न्यूज फैलाया
जुलाई 2017 में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने पहला बजट पेश किया था। इस बजट में शिक्षा के लिए आवंटित धन में कमी दिखाकर सोशल मीडिया पर शेयर किया किया गया, जबकि शिक्षा का बजट वास्तव में बढ़ाया गया था।

राहुल गांधी को तो प्रधानमंत्री के विरोध का कोई मौका चाहिए था, उन्होंने तुरंत सोशल मीडिया पर हमला बोल दिया

इसके बाद लोगों ने इसे शेयर करना शुरु कर दिया और कांग्रेसी पत्रकारों ने इस पर खबर भी बना डाली।

सच्चाई यह थी कि समाचार एजेंसी पीटीआई ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा पेश बजट के कुछ अंशों के आधार पर ही यह रिपोर्ट तैयार की थी। कागजों को ठीक ढंग से पढ़कर खबर बनाई गयी होती तो पता चलता कि योगी सरकार ने शिक्षा के लिए बजट में कमी नहीं बल्कि 34 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की है। अखिलेश यादव की सरकार ने 2016-17 में जहां 46,442 करोड़ रुपये शिक्षा के लिए दिये थे वही 2017-18 में योगी आदित्यनाथकी सरकार ने 62, 351 करोड़ रुपये दिए हैं। राफेल पर राहुल गांधी के 10 झूठ
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हमेशा ही राफेल डील को लेकर ऊलजलूल बातें कहीं है। 2018 की विधानसभा चुनावों और 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान मनगढ़ंत आरोप लगाना तो राहुल गांधी का रोज का काम हो गया था। पिछले वर्ष जब सुप्रीम कोर्ट ने जब राफेल डील पर अपना फैसला सुनाया था, तब राहुल गांधी को भी झूठ बोलने के लिए सख्त चेतावनी दी थी और भविष्य में ऐसा नहीं करने के लिए कहा था। सुप्रीम कोर्ट के साथ ही राफेल बनाने वाली कंपनी दसॉल्ट और फ्रांस सरकार भी इस विमान सौदे में किसी भी अनियमितिता से इनकार कर चुकी है। 

राफेल पर राहुल का झूठ नंबर 1:
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राफेल डील पर फ्रांसीसी मीडिया की रिपोर्ट ट्विस्ट करते हुए यह बताने की कोशिश की कि दसॉल्ट को भारत से डील करने के लिए अंबानी को ऑफसेट पार्टनर बनाना पड़ा। जबकि सच्चाई यह है कि सुप्रीम कोर्ट और दसॉल्ट के सीईओ कह चुके हैं कि ऑफसेट पार्टनर के चयन में भारत सरकार का कोई लेना-देना नहीं था।

राफेल पर राहुल का झूठ नंबर 2:
राहुल गांधी ने हमेशा यह भ्रम भी फैलाने की कोशिश की कि सुप्रीम कोर्ट ने डील में गंभीर अनियमितता पाई है। इस प्रकार उन्होंने लिहाजा, उन्होंने कोर्ट में विचाराधीन मामले में प्रोपेगेंडा फैलाने की कोशिश की। जबकि सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस की शह पर अपील करने वालों की याचिकाएं खारिज कर दी थीं और स्पष्ट कहा था कि इस डील में सरकार ने कुछ गलत नहीं किया।

राफेल पर राहुल का झूठ नंबर 3:
राहुल गांधी ने दावा किया था कि रक्षा मंत्रालय के एक बड़े अधिकारी को राफेल डील के विरोध में डिसेंट नोट प्रस्तुत करने के लिए मोदी सरकार ने सजा दी। राहुल का यह झूठ बेनकाब हो गया जब अधिकारी ने खुद मीडिया से बातचीत में किसी भी तरह की सजा से इनकार किया था।

राफेल पर राहुल का झूठ नंबर 4:
राहुल गांधी ने कहा कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद ने पीएम मोदी को चोर कहा और भारत सरकार ने उनसे रिलायंस को शामिल करने के लिए कहा। राहुल के इन आरोपों को ओलांद ने खारिज कर दिया था किया और इस पर फ्रांस सरकार ने आधिकारिक बयान भी जारी किया था।

राफेल पर राहुल का झूठ नंबर 5:
राहुल गांधी ने राफेल डील पर मोदी सरकार को घेरने के लिए संसद में भी झूठ बोला था। उन्होंने कहा था कि फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने उनसे स्वयं कहा कि इस डील में कोई गोपनीय धारा नहीं है। राहुल के इस झूठ के बाद फ्रांस सरकार ने उसे खारिज करते हुए बयान जारी किया था और कहा था कि समझौता पार्टियों को क्लासिफाइड जानकारी साझा करने की इजाजत नहीं देता है।

राफेल पर राहुल का झूठ नंबर 6:
राहुल गांधी ने यूपीए शासन के दौरान शुरू हुई राफेल डील का जिक्र करते हुए कई मौकों पर विमान की अलग-अलग कीमतें बताईं। संसद में उन्होंने कहा कि राफेल विमान 520 करोड़ रुपये में खरीदा जा रहा था, तो कर्नाटक में इसकी कीमत 526 करोड़ रुपये बताई। राजस्थान में राफेल का दाम 540 करोड़ बताया तो दिल्ली में एक रैली में उन्होंने इसकी कीमत 700 करोड़ रुपये बताई। इससे साफ है कि राहुल को यूपीए सरकार के दौरान होने वाली डील में विमान के सही दाम तक नहीं पता थे।

राफेल पर राहुल का झूठ नंबर 7:
राफेल पर मनगढ़ंत आरोप लगाने के दौरान ही राहुल गांधी ने यह भी कहा कि मोदी सरकार ने सैन्य अधिग्रहण के नियमों और प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया। इस डील पर सुनवाई के वक्त सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वे इस बात से सहमत हैं कि इस प्रक्रिया पर वास्तव में संदेह करने का कोई अवसर नहीं है। मतलब कोर्ट ने कहा था कि डील में पूरी पारदर्शिता और ईमानदारी बरती गई है।

राफेल पर राहुल का झूठ नंबर 8:
राहुल गांधी ने पिछले लोकसभा चुनाव में हमेशा यह करते रहे कि उनकी सरकार ने सस्ता राफेल खरीदा था, जबकि मोदी सरकार ने यह डील 1600 करोड़ रुपये में की है। जबकि वो हमेशा यह तथ्य छिपाते रहे कि मोदी सरकार की डील में जो कीमत तय की गई है वो तमाम हथियारों से लैस विमान की है।

राफेल पर राहुल का झूठ नंबर 9:
राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए झूठ बोला कि 36 विमान खरीदने का निर्णय वायुसेना को नुकसान पहुंचाने और दो दोस्त को फायदा पहुंचाने के लिए लिया गया था। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने राहुल के इस झूठ का खारिज करते हुए कहा था कि मोदी सरकार ने यह निर्णय सैन्य तैयारियों को ध्यान में रखते हुए लिया और इससे वायुसेना खुश है।

राफेल पर राहुल का झूठ नंबर 10:
राफेल मामले पर राहुल गांधी ने मृत्यु शैया पर लेटे मनोहर पर्रिकर से मिलने के बाद झूठी कहानी बनाई थी। जबकि पर्रिकर ने उनके दावे को झूठा बताकर खारिज कर दिया था।

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