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शहीदों के अपमान को लेकर नहीं, कांग्रेस अध्यक्ष के जलियांवाला बाग न्यास की पदेन सदस्यता खत्म होने से राहुल गांधी कर रहे हैं विलाप

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कांग्रेस फेक न्यूज की फैक्ट्री है। यहां से पहले सोशल मीडिया पर झूठी खबरें फैलाई जाती हैं और उसके बाद कांग्रेस के योद्धा सियासी मैदन में उतरकर ट्विटर वॉर शुरू कर देते हैं। इसी तरह पहले सोची-समझी रणनीति के तहत जलियांवाला बाग स्मारक स्थल के पुनर्निर्माण और उसकी भव्यता को लेकर सोशल मीडिया पर सवाल उठाया गया। इसका हवाला देकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार (31 अगस्त, 2021) को आरोप लगाया कि यह शहीदों का अपमान है और यह वही कर सकता है जो शहादत का मतलब नहीं जानता। राहुल ने अपने ट्वीट में खुद को भी शहीद का बेटा बताया।

कांग्रेस नेता ने एक अन्य ट्वीट में यह भी कहा, ‘जिन्होंने आजादी की लड़ाई नहीं लड़ी, वे उन लोगों को नहीं समझ सकते, जिन्होंने आजादी की लड़ाई लड़ी।’ राहुल गांधी ने उस खबर का स्क्रीनशॉट साझा किया जिसमें कहा गया है कि इस स्मारक स्थल की भव्यता को लेकर सोशल मीडिया में लोगों ने गुस्से का इजहार किया है।

दरअसल राहुल गांधी शहीदों के अपमान को लेकर घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं। वो इसके जरिए लोगों को गुमराह कर अपनी सियासी भड़ास निकाल कर रहे हैं। सच्चाई यह है कि कांग्रेस अध्यक्ष के जलियांवाला बाग न्यास की पदेन सदस्यता खत्म होने से राहुल गांधी विधवा विलाप कर रहे हैं। मोदी सरकार ने नवंबर 2019 में जलियांवाला बाग के न्यास प्रबंधन से संबंधित जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक-2019 को संसद से पारित करवाया। इस संशोधन के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष का न्यास के पदेन सदस्य होने का अधिकार समाप्त हो गया। उसके स्थान पर लोकसभा में विपक्ष के नेता या सबसे बड़े दल के नेता को सदस्य बनाया गया। 

तत्कालीन पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने विधेयक पर हुई बहस का जवाब देते हुए कहा था कि सरकार स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान सभी शहीदों को सम्मान देने के लिए प्रतिबद्ध है। यह विधेयक इसी दिशा में एक कदम है। विपक्ष की आलोचना का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि जलियांवाला बाग न्यास की स्थापना 1921 में की गई थी और इसमें जनता ने धन दिया था। वर्ष 1951 में नए न्यास का गठन किया गया और इसमें व्यक्ति विशेष को सदस्य बनाया गया और किसी संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति को इसमें शामिल नहीं किया गया।

पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री ने पिछले सरकारों पर न्यास के प्रबंधन की उपेक्षा करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार न्यास में निर्वाचित और संवैधानिक और प्रशासनिक पदों पर आसीन व्यक्तियों को शामिल कर रही है। इसमें कोई व्यक्ति विशेष नहीं होगा और नामित व्यक्ति प्रत्येक पांच वर्ष के बाद बदल दिए जाएंगे। उन्होंने सदस्यों को आश्वासन दिया कि न्यास में शहीदों के परिजनों को भी शामिल किया जाएगा।

गौरतलब है कि पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जलियांवाला बाग के पुनर्निर्मित परिसर का उद्घाटन किया। इस बाग का केंद्रीय स्थल माने जाने वाले ज्वाला स्मारक की मरम्मत करने के साथ-साथ, परिसर का पुनर्निर्माण किया गया है, वहां स्थित तालाब को एक लिली तालाब के रूप में फिर से विकसित किया गया है और लोगों को आने-जाने में सुविधा के लिए यहां स्थित मार्गों को चौड़ा किया गया है।

इस परिसर में अनेक नई और आधुनिक सुविधाओं की व्यवस्था की गई है जिनमें लोगों की आवाजाही के लिए उपयुक्त संकेतकों से युक्त नव विकसित मार्ग, महत्वपूर्ण स्थानों को रोशन करना, और अधिक वृक्षारोपण के साथ बेहतर भूदृश्य, चट्टान युक्त निर्माण कार्य तथा पूरे बगीचे में ऑडियो नोड्स लगाना शामिल हैं। इसके अलावा मोक्ष स्थल, अमर ज्योति और ध्वज मस्तूल को समाहित करने के लिए भी काम किया गया है।

लंबे समय से बेकार पड़ी और कम उपयोग वाली इमारतों का दोबारा अनुकूल इस्‍तेमाल सुनिश्चित करते हुए चार संग्रहालय दीर्घाएं निर्मित की गई हैं। 13 अप्रैल, 1919 को घटित विभिन्‍न घटनाओं को दर्शाने के लिए एक साउंड एंड लाइट शो की व्‍यवस्‍था की गई है। इस परिसर में विकास से जुड़ी कई पहल की गई हैं। जलियांवाला बाग का नया स्मारक नई पीढ़ी को प्रेरणा देने वाला है। यह आज़ादी के लिए दी गई कुर्बानियों को याद दिलाएगा। लेकिन यह कांग्रेस और उसके सरपरस्तों को शहीदों का अपमान दिखाई दे रहा है। 

जलियांवाला बाग स्मारक स्थल के पुनर्निर्माण को लेकर चल रहे विवाद के बीच पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ट्वीट कर बदलाव के विरोधियों को करारा जवाब दिया है। इसके साथ ही उन्होंने राहुल गांधी को भी करारा तमाचा मारा है। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जलियांवाला बाग के पुनर्निर्माण और विकास पर कहा कि मुझे नहीं पता कि क्या हटा दिया गया है। लेकिन मुझे यह बहुत अच्छा लग रहा है।

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