आपको याद होगा बंगाल चुनाव के आखिरी दौर के मतदान से पहले जब देश में कोरोना महामारी जोर पकड़ रही थी, तब 18 अप्रैल को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपनी चुनावी रैली रद्द कर दी थी। राहुल गांधी ने तब दूसरी पार्टियों से अपील की थी कि वो भी कोरोना के मद्देनजर चुनाव प्रचार से दूरी बनाएं। आपको यह भी याद होगा कि उस वक्त राहुल गांधी के इस कदम की कांग्रेसी चमचों और मीडिया में काफी तारीफ की गई थी। उन्हें एक संवेदनशील राजनेता बताया गया था, जिसे जनता की तकलीफ का ख्याल है।
In view of the Covid situation, I am suspending all my public rallies in West Bengal.
I would advise all political leaders to think deeply about the consequences of holding large public rallies under the current circumstances.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) April 18, 2021
लेकिन अब इसकी सच्चाई जान लीजिए। राहुल गांधी ने 18 अप्रैल को अपनी बंगाल चुनावी रैली रद्द कर कोई महान काम नहीं किया था। बल्कि मजबूरी में उन्होंने चुनावी रैली रद्द की थी। राहुल की मजबूरी यह थी कि उन्होंने कोरोना हो गया था। पत्रकार पल्लवी जोशी ने खुलासा किया है कि 16 अप्रैल को राहुल गांधी को वैक्सीन की पहली डोज लगनी थी, लेकिन राहुल की कोरोनी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी।
Sources – Mrs sonia gandhi has taken both vaccine doses .. @RahulGandhi was slated to take on 16th April but had COVID so deferred ..
— pallavi ghosh (@_pallavighosh) June 16, 2021
हद तो यह है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गैरजिम्मेदारी दिखाते हुए 20 अप्रैल को ट्वीट किया था कि उन्हें कोरोना की पुष्टि हुई है। यानि राहुल गांधी ने चार दिनों तक कोरोना होने के बात छिपाए रखी। 20 अप्रैल के राहुल के ट्वीट में लिखा था, “कोविड के हल्के लक्षण अनुभव करने के बाद, मैं अभी कोविड पॉजिटिव निकला हूँ। जितने भी लोग मेरे संपर्क में आए, सेफ्टी प्रोटोकॉल्स को फॉलो करें और सुरक्षित रहें।”
After experiencing mild symptoms, I’ve just tested positive for COVID.
All those who’ve been in contact with me recently, please follow all safety protocols and stay safe.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) April 20, 2021
पत्रकार पल्लवी घोष का खुलासे से यह साबित होता है कि राहुल गांधी पहले ही कोविड पॉजिटिव पाए जा चुके थे। उनके द्वारा बंगाल की चुनावी रैलियों को रद्द करने की वजह भी यही थी, न कि उन्हें लोगों की चिंता थी, जैसा कि उस समय कांग्रेस नेताओं ने चिल्ला-चिल्ला कर कहा था।