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EXPOSED: टेलीप्रॉम्पटर के नाम पर प्रधानमंत्री मोदी को बदनाम करने की कांग्रेसी कोशिश फेल, आखिर कब बड़े होंगे राहुल फिरोज गांधी!

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कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बेटे और इंदिरा-फिरोज गांधी के पोते राहुल फिरोज गांधी हमेशा कुछ न कुछ ऐसी हरकत कर देते हैं कि उनकी राजनीतिक समझ पर सवाल उठने लगते हैं। राहुल फिरोज गांधी ने अपनी अज्ञानता का परिचय एक बार फिर दिया है। दरअसल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 17 जनवरी, 2022 को वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के दावोस एजेंडा समिट को संबोधित किया। कोरोना महामारी के कारण समिट का आयोजन वर्चुअल तरीके से किया गया। इस समिट में प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन का एक क्लिक शेयर करते हुए कांग्रेस और कांग्रेसी पक्षकारों के साथ राहुल गांधी प्रधानमंत्री को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। इस क्लिप में दिखाया गया है कि प्रधानमंत्री अपने भाषण के दौरान रुक जाते हैं। राहुल के साथ कांग्रेसी पक्षकारों ने ट्वीट करते हुए आरोप लगाया कि टेलीप्रॉम्पटर रुक जाने के कारण प्रधानमंत्री को रुकना पड़ा।

कांग्रेसी नेता और कांग्रेसी पक्षकार जिस क्लिक को सोशल मीडिया पर वायरल करके देश के साथ प्रधानमंत्री को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं, उस क्लिप को देखने पर साधारण इंसान भी बता सकता है कि प्रधानमंत्री मोदी टेलीप्रॉम्पटर के कारण नहीं रुके थे, बल्कि कार्यक्रम में आई तकनीकी गड़बड़ी के कारण रुकना पड़ा था। प्रधानमंत्री से संबोधन के दौरान रोककर यह पूछने के लिए कहा गया था कि सबको उनकी आवाज आ रही है या नहीं। वीडियो आप ठीक से देखेंगे तो आपको लगेगा कि बीच संबोधन में प्रधानमंत्री दूसरी तरफ देखने लगते हैं और फिर पूछते हैं कि सभी लोगों को उनकी और अनुवादक की आवाज आ रही हैं कि नहीं। इसके बाद उन्हें ऑफिशियल सेशन फिर से शुरू करने की बात कही जाती हैं और प्रधानमंत्री मोदी फिर से बौलना शुरू करते हैं। साफ है कि यह तकनीकी गड़बड़ी वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की तरफ से था। इसमें टेलीप्रॉम्पटर की खराबी को कोई बात ही नहीं थी। लेकिन कांग्रेस को इससे क्या, उसे तो दुनिया भर में भारत की जगहंसाई की कोशिश करनी थी।

आखिर कब बड़े होंगे राहुल बाबा?
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी 15 वर्षों से सक्रिय राजनीति में हैं, उनकी उम्र भी 50 की हो गई है, लेकिन लगता है कि मानसिक तौर पर वे अभी भी परिपक्व नहीं हुए हैं। इधर, पिछले कुछ वर्षों से उन्हें बदलने की कोशिश की जा रही है, ब्रांडिंग के लिए विदेशी एजेंसियों की भी मदद ली जा रही है, लेकिन कोई फर्क दिखाई नहीं पड़ रहा है। जाहिर है कि जिस नेता को जमीनी मुद्दे नहीं पता, जमीनी सच्चाई नहीं पता वो कैसे जनता की नुमाइंदगी ठीक से कर सकता है। उस पर भी तुर्रा ये कि कांग्रेस की तरफ से उन्हें प्रधानमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट किया जाता रहा है, लेकिन देश की जनता ऐसे शख्स को प्रधानमंत्री कैसे चुन सकती है, जिसका जनता के साथ जुड़ाव ही नहीं हो। एक नजर डालते हैं ऐसी घटनाओं पर जिनसे यह समझने में आसानी होगी कि राहुल बाबा कहीं पूरी जिंदगी राहुल बाबा तो नहीं रहेंगे।

कन्फ्यूज ही कन्फ्यूज है!
कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपने बयानों के लिए हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष 16 मार्च,2020 को भी आंकड़ों के जाल में उलझते नजर आए। उन्होंने लोकसभा में बैंक संकट का मामला उठाया और सरकार को घेरते हुए 50 डिफॉल्टर के नामों की जानकारी मांगी। उन्होंने लोकसभा में 50 डिफॉल्टर की जानकारी मांगी, जबकि संसद के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने 500 डिफॉल्टर्स का नाम पूछा। 

लोकसभा में फिर ‘आंख’ मारकर दिखाया छिछोरापन
हाल ही में लोकसभा में राफेल डील पर नियम 193 के तहत हुई चर्चा के दौरान राहुल गांधी ने फिर एक बार आंख मार दी। राहुल गांधी आरोपो पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने जवाब दिया था, इसी के बाद AIADMK के सांसद थंबीदुरई जब कुछ काउंटर सवाल कर रहे थे, तभी राहुल गांधी मेज पीटते हैं और उसके बाद अपने साथी सांसदों की ओर आंख मारते हैं। उनकी ये हरकत कैमरे पर कैद हो गई। जाहिर है कि इससे पहले भी वो संसद में आंख मारने जैसी हरकत कर चुके हैं।

राहुल ने की ऐसी हरकत, जिससे उनकी राजनीतिक समझ पर फिर उठे सवाल
इसके पहले संसद के मानसून सत्र में लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के वक्त राहुल गांधी ने अपना भाषण खत्म करने के बाद कुछ ऐसी हरकत कर दी, जिसका किसी को भी अंदाजा नहीं था। भाषण खत्म करने के बाद अचानक राहुल गांधी प्रधानमंत्री मोदी के पास पहुंचे और उनके गले लग गए। राहुल गांधी के ऐसा करते ही पूरे सदन में हंसी के फव्वारे छूट पड़े। सत्ता पक्ष के साथ-साथ विपक्ष के सभी सांसद भी अपनी हंसी को रोक नहीं पाए। इतना ही नहीं राहुल ने अपने भाषण के अंत में कहा कि ‘आपके लिए मैं पप्पू हो सकता हूं लेकिन, मैं नफरत नहीं करता।’ प्रधानमंत्री के गले लगने के अलावा राहुल गांधी ने सदन में पूरे वाकये के बाद आंख मार कर अपनी अपरिपक्वता का एक और उदाहरण पेश किया।

योग्यता नहीं वंशवाद के चलते बने कांग्रेस अध्यक्ष
राहुल गांधी देश की सबसे पुरानी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं, जबकि कांग्रेस पार्टी में एक से एक धुरंधर नेता हैं। आखिर क्या वजह है कि उन्हें अध्यक्ष बनाया गया, जाहिर सी बात है वंशवाद के चलते। कांग्रेस पार्टी में वंशवाद की राजनीति का बीज सबसे गहरा है, आजादी के बाद ज्यादातर नेहरू-गांधी खानदान का व्यक्ति ही अध्यक्ष रहा है।

राहुल की इमेज बदलने के लिए लंबी-चौड़ी टीम
बताया जा रहा है कि देशी-विदेशी एजेंसियों की बड़ी टीम राहुल बाबा की ब्रांडिंग में लगी हुई है। राहुल गांधी की ब्रांडिंग के लिए विदेशों में विशेष कार्यक्रम प्रायोजित किए जाते हैं, जहां राहुल गांधी अपने विचार प्रकट करते हैं, उनकी बातों को मीडिया में कवरेज दिलाया जाता है, ताकि राहुल के बारे में लोगों की सोच बदल सके। इतना ही नहीं, बताया गया है कि राहुल गांधी को कम बोलने की भी सलाह दी गई है, सोशल मिडिया और ट्विटर के जरिए अपनी बात कहने को कहा गया है, ताकि गलती की गुंजाइश बेहद कम हो।

इतनी सावधानी के बाद भी राहुल कर देते हैं गलती
राहुल गांधी की सार्वजनिक मौजूदगी और बातचीत को लेकर बेहद सावधानी बरती जाती है। ज्यादातर ट्विटर से ही संवाद करने वाले राहुल गांधी उसमें भी गलती कर देते हैं। जब कुछ पता नहीं होगा तो उनकी टीम भी कितना संभालेगी। हाल के कुछ ट्वीट पर नजर डालें तो, फिल्म अभिनेत्री श्रीदेवी की असामयिक मृत्यु पर उन्होंने ट्वीट किया और उसमें यूपीए सरकार के दौरान पद्म पुरस्कार दिए जाने का जिक्र कर दिया। लोगों ने जब ट्रोल किया तो, उन्हें ट्वीट डिलीट करना पड़ा।

लाख छिपाने के बाद भी सामने आ जाती है असलियत
जैसा कि पहले जिक्र किया है कि राहुल गांधी की इमेज चमकाने के लिए विदेशों में प्रायोजित संवाद कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। हाल ही में सिंगापुर में National University of Singapore में राहुल गांधी का ऐसा ही कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में राहुल गांधी देश की समस्याओं के बारे में अपने विचारों को प्रकट कर रहे थे, लोग तालियां बजा रहे थे। पहले से तैयार सवालों का जवाब राहुल गांधी बेहद गंभीरता से देते हुए दिखे। इस कार्यक्रम के दौरान जब लाइव सवाल पूछने का दौर आया तो राहुल गांधी की हालत पतली हो गई।

कड़े सवालों पर बगलें झांकने लगते हैं राहुल गांधी
सिंगापुर के विश्वविद्यालय में आयोजित इसी कार्यक्रम में लाइव सेशन के दौरान एक आर्थशास्त्री ने भारत की अर्थव्यवस्था में उनके परिवार के योगदान की बात करते हुए सवाल पूछा कि जब गांधी परिवार ने जितने वर्षों भारत पर राज किया, उस दौरान भारत में प्रति व्यक्ति आय बढ़ने की रफ्तार, दुनिया के औसत से कम थी। वहीं जब गांधी परिवार सत्ता में नहीं था, तब भारत की प्रति व्यक्ति आय बढ़ने की रफ़्तार, दुनिया के औसत के मुकाबले बहुत तेज़ी से बढ़ रही थी। इस सवाल से राहुल एकदम असहज हो गए, और पानी की बोतल ढूंढते हुए दिखाई दिए। राहुल ने सीधे तौर पर कोई जवाब नहीं दिया, बल्कि अर्थशास्त्री से ही सवाल करने लगे। ऐसा अक्सर होता है, राहुल गांधी हमेशा एकतरफा संवाद में विश्वास रखते हैं। इससे पहले जब 1 फरवरी 2018 को बजट के बाद पत्रकारों ने संसद के बाहर जब राहुल गांधी से प्रतिक्रिया जाननी चाही तो वो बिना कोई जवाब दिए आगे बढ़ गए। बाद में उन्होंने ट्वीट कर बजट पर अपनी राय जाहिर की।

राहुल ने मोबाइल से देखकर लिखा शोक संदेश
राहुल गांधी के बारे में दावा किया जाता है कि वो विदेश में पढ़े हैं और बहुत ही समझदार और संवेदनशील नेता है। इस दावे की पोल उस वक्त खुल गई जब नेपाल में आए भूकंप के बाद मई 2015 में राहुल गांधी नई दिल्ली स्थित नेपाली दूतावास पहुंचे और वहां शोक संदेश लिखा। राहुल ने शोक संदेश अपने मन से नहीं लिखा, बल्कि इसके लिए मोबाइल का सहारा लिया। अब बताइए जो नेता एक शोक संदेश भी अपने मन से नहीं लिख पाता हो, वो देश का नेतृत्व कैसे कर सकता है?, यह सवाल तो उठना लाजिमी है।

कभी दिखाते हैं फटा कुर्ता, कभी पहनते हैं हजारों की जैकेट
राहुल गांधी कब कौन सी हरकत कर बैठेंगे इसका कोई भी अनुमान नहीं लगा सकता है। उत्तराखंड में चुनाव की रैली के दौरान राहुल गांधी ने अपनी कुर्ते की फटी जेब दिखाते हुए कहा कि देश में आम आदमी की आर्थिक हालत खराब हो चुकी है। यही राहुल गांधी थोड़े दिन पहले जब नॉर्थ ईस्ट में थे और एक पार्टी में 70 हजार रुपये की ब्रांडेड जैकेट पहने हुए नजर आए। मतलब साफ है कि राहुल गांधी सिर्फ नौटंकी में विश्वास करते हैं।

आलू की फैक्ट्री वाला बयान भूला नहीं जा सकता
उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी ने बयान दिया था कि सत्ता में आने पर वो आलू किसानों के फायदे के लिए आलू की फैक्ट्री लगवा देंगे। अब बताइए जिस नेता को यह ही नहीं पता कि आलू जमीन में होता है, या पेड़ पर होता, या फिर कारखाने में बनता है, उससे आप देश के जमीनी मुद्दों की लड़ाई की उम्मीद कैसे कर सकते हैं।

गरीबी का भोजन से लेना-देना नहीं- राहुल
अगस्त, 2013 में राहुल ने इलाहाबाद के पंडित गोविन्द बल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान के एक कार्यक्रम में कहा था, ‘गरीबी सिर्फ एक मानसिक स्थिति है। इसका भोजन, रुपये या भौतिक चीजों से कोई लेना-देना नहीं। उन्होंने यहां तक कहा कि जब तक आदमी खुद में आत्मविश्वास नहीं लाएगा, उसकी गरीबी खत्म नहीं होगी।’

झूठ बोलने में माहिर हैं राहुल गांधी
झूठ बोलना उनकी आदत में शुमार है। राहुल को लगता है कि झूठ का सहारा लेकर वो देश की जनता के दिल में जगह बनाने में कामयाब हो जाएंगे। गुजरात चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने महंगाई और महिला साक्षरता के झूठे आंकड़े पेश किए थे। गुजरात में ही उन्होंने केंद्र सरकार पर उद्योगपतियों को 45,000 करोड़ एकड़ जमीन देने का आरोप लगा दिया था। इसी प्रकार रायबरेली के साथ केंद्र की तरफ से भेदभाव के झूठे आरोप लगाए। कई बार तो ऐसे झूठ बोलते हैं कि उनकी समझ पर तरस आती है। हाल ही में जब वह अमेरिका गए थे तो वहां एक यूनिवर्सिटी में छात्रों को संबोधित करते हुए सांसदों की संख्या ही 546 बता डाली।

 

हाल ही में नेहरू-गांधी परिवार के काफी करीबी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे कुंवर नटवर सिंह ने राहुल गांधी की राजनीतिक समझ पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि उनमें पार्टी को एकजुट रखने की सामर्थ्य नहीं हैं। आखिर क्यों-

एनसीसी के बारे में नहीं जानते
24 मार्च, 2018 को कर्नाटक के मैसूर में महारानी आर्ट्स-कॉमर्स कॉलेज की छात्राओं से रूबरू होने के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने देश की दूसरी रक्षा पंक्ति एनसीसी के बारे में कहा कि उन्हें राष्ट्रीय कैडेट कोर के बारे में नहीं पता है।

देश की सीमा के बारे में नहीं जानते
24 मार्च, 2018 को कर्नाटक के महारानी आर्ट्स-कॉलेज में ही जब राहुल गांधी ने डोकलाम विवाद को छात्राओं को समझाने की कोशिश की तो उनकी ‘अज्ञानता’ जगजाहिर हो गई। उन्होंने ऐसा समझाया कि विद्यार्थी समझ ही नहीं पाए कि वो कहना क्या चाह रहे हैं। 

डेटा लीक के बारे में नहीं जानते
26 मार्च, 2018 को कांग्रेस पार्टी ने आम लोगों की जानकारी डेटा लीक कर विदेशों में पहुंचा दिया। इस गलती के बाद पार्टी ने अपना ऐप ‘WITH INC’ प्ले स्टोर से डिलीट कर दिया, लेकिन राहुल इससे अनजान बने रहे और एक जवाब तक नहीं दिया, क्योंकि इससे डेटा लीक होती थी।

विश्वेश्वरैया का उच्चारण नहीं जानते
24 मार्च, 2018 को कर्नाटक की एक सभा में राहुल गांधी ने टीपू सुल्तान, महाराजा कृष्णराज वोडेयार और विश्व प्रसिद्ध इंजीनियर एम विश्वेश्वरैया का जिक्र किया लेकिन वे सही उच्चारण नहीं कर पाए और बार-बार विश्वसरैया कहा।

देश की एकता भी नहीं जानते
कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने मार्च, 2018 में कर्नाटक के अलग झंडे को मंजूरी दे दी, लेकिन राहुल चुप रहे। इस मुद्दे पर माडिया ने प्रतिक्रिया जाननी चाही तो वे अनजान बने रहे।

किसानों के बारे में नहीं जानते
राहुल गांधी अक्सर किसानों की बातें करते हैं, लेकिन 01 अक्टूबर, 2016 को यूपी के फिरोजाबाद में रैली में उन्होंने कहा कि उनकी सरकार बनेगी तो वे आलू की फैक्ट्री लगवाएंगे।

लोकसभा में सीटों की संख्या नहीं जानते
वर्ष 2017 में अमेरिका में India at 70: Reflections on the Path Forward टॉपिक पर बर्कले यूनिवर्सिटी में बातचीत के दौरान राहुल गांधी ने लोकसभा की सीटों की संख्या गलत बताई। लोकसभा में कुल 545 सदस्य होते हैं लेकिन राहुल ने 546 कहा। 

स्टीव जॉब्स के बारे में नहीं जानते
19 जनवरी, 2016 को राहुल गांधी मुंबई के नरसी मोंजी मैनेजमेंट कॉलेज में छात्रों को सलाह दी और कहा – उन्‍हें एक दिन इस देश का शासन चलाना है। कई संस्‍थाओं को चलाना है, उन्‍हें माइक्रोसॉफ्ट के स्‍टीव जॉब्‍स की तरह बनना होगा। गौरतलब है कि स्टीव जॉब्स एप्पल के संस्थापक थे। 

विभाजन के बारे में नहीं जानते
16 अप्रैल, 2007 को एक कार्यक्रम में राहुल गांधी ने कहा, “एक बार मेरा परिवार कुछ करने का फ़ैसला कर ले तो उससे पीछे नहीं हटता। चाहे यह भारत की आजादी हो, पाकिस्तान का बंटवारा या फिर भारत को 21वीं सदी में ले जाने की बात हो।

महाभारत का कालखंड नहीं जानते
20 मार्च, 2018 को कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल ने राहुल गांधी के नाम से एक ट्वीट किया जिसमें महाभारत को 1000 साल पहले की घटना बता दिया।  

धर्म के बारे में नहीं जानते
राहुल गांधी कई बार अपने आपको हिंदू कहते हैं और धर्म के बारे में भी बातें करते हैं। लेकिन मार्च, 2018 को उन्होंने शिवलिंग पर दुग्धाभिषेक को पानी और दूध मिलाना कह दिया।

पूजा-पाठ की मुद्रा नहीं जानते
वर्ष 2017 में राहुल गांधी काशी विश्वनाथ के दर्शन करने के लिए गए थे, लेकिन जैसे ही पुजारी के साथ बैठे, उन्होंने नमाज़ की मुद्रा बना ली|

आंतरिक सुरक्षा के बारे में नहीं जानते
24 अक्टूबर, 2013 को इंदौर में एक सभा में राहुल ने कहा कि आईएसआई मुजफ्फरनगर दंगा पीड़ित युवकों को बरगलाने की कोशिश कर रही है, जबकि खुद उनकी सरकार के गृह मंत्रालय ने ऐसी खबर होने से इनकार कर दिया।

गरीबों की पीड़ा के बारे में नहीं जानते
6 अगस्त 2013 को इलाहबाद के एक कार्यक्रम में राहुल गांधी ने गरीबी को महज एक मानसिक स्थिति बताया।

देश के युवाओं के बारे में नहीं जानते
11 अक्टूबर 2012 को चंडीगढ़ के एक विश्वविद्यालय में राहुल ने पंजाब के युवाओं के बारे में कहा कि यहां 10 में से सात युवा नशे की गिरफ्त में हैं।

भीख और काम में अंतर नहीं जानते
14 नवंबर 2011 को उत्तर प्रदेश के फूलपुर में चुनावी सभा में उन्होंने यूपी के युवाओं को महाराष्ट्र जाकर भीख मांगने वाला बता दिया।

सच और झूठ में अंतर नहीं जानते
वर्ष 2013 में भट्टा परसौल के किसानों को पीएम से मिलाने ले गए तो दावा किया कि इस गांव में राख के 74 ढेर मिले हैं, जिनमें मानव अवशेष हैं।

मार्शल और एयर मार्शल में अंतर नहीं जानते
16 सितंबर, 2017 को एयर फोर्स मार्शल अर्जन सिंह का का निधन हो गया था। राहुल गांधी ने ट्वीट पर उनको एयर मार्शल लिख दिया था। बता दें कि भारतीय एयरफोर्स में मार्शल मतलब फाइव स्टार का ऑफिसर और एयर मार्शल मतलब चार स्टार की रैंक होती है। 

भारत बड़ा या यूएस, नहीं जानते
राहुल गांधी के भाषण से पता ही नहीं चला कि वे किसे बड़ा बताना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि गुजरात यूनाइटेड किंगडम से बड़ा है और अगर यूरोप और यूएस को साथ रख दें तो भारत उससे भी बड़ा है।

इस्केप वेलोसिटी के बारे में नहीं जानते
दिल्ली के विज्ञान भवन में नौ अक्टूबर, 2013 को दलित अधिकार सम्मेलन में दलितों के उत्थान पर राहुल गाँधी ने कहा कि दलितों को ऊपर उठने के लिए धरती से कई गुना ज्यादा बृहस्पति ग्रह की ‘इस्केप वेलोसिटी’ जैसी ताकत की जरूरत है।

गाय और महिलाओं में फर्क नहीं जानते
गुजरात में 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान एक रैली के राहुल गांधी ने कहा – अगर गुजरात को किसी ने खड़ा किया है। गुजरात को अगर किसी ने दूध दिया है, तो यहां की महिलाओं ने दिया है।

दिन और रात में फर्क नहीं जानते
राहुल गांधी को जब उपाध्यक्ष बनाया गया तो उन्होंने अपने भाषण में कहा, आज सुबह जब मैं रात को सोकर उठा, यानि उन्हें पता ही नहीं चला कि वे दिन की बात कर रहे हैं या रात की।

भारत की ताकत नहीं जानते
चार अप्रैल, 2013 को दिल्ली में सीआईआई के कार्यक्रम में राहुल ने कहा कि -चीन बड़ा है, ताकतवर है। दिखता है, बड़े-बड़े ढांचे हैं और लोग हमें हाथी कहते हैं, ड्रैगन के सामने तुलना करने के लिए, लेकिन हम हाथी नहीं हैं हम मधुमक्खी का छत्ता हैं। 

भ्रष्टाचार और बलात्कार में अंतर नहीं जानते
मध्य प्रदेश के शहडोल में रैली के दौरान राहुल गांधी भीड़ से पूछते हैं कि आपको क्या लगता है, महिलाओं को क्या लगता है? इज्जत थी आपकी? भ्रष्टाचार किया…बलात्कार…सॉरी बलात्कार किया।

कांग्रेस पार्टी के कानून नहीं जानते
कांग्रेस के एक कार्यक्रम में राहुल ने कहा- कांग्रेस में एक भी नियम-कानून नहीं चलता। एक भी नियम-कानून इस पार्टी में नहीं है। हर दो मिनट में नए नियम बनाते हैं, पुराने दबा दिए जाते हैं। किसी को नहीं मालूम कि कांग्रेस पार्टी के नियम क्या हैं।

 

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