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राहुल गांधी और कांग्रेस का जार्ज सोरोस, डीप स्टेट और इस्लामिक रेडिकल फ्रंट के साथ कनेक्शन

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राहुल गांधी अपने एक हफ्ते के अमेरिका दौरे पर जिन लोगों से मिले, जिन लोगों ने उनके कार्यक्रम को कोआर्डिनेट किया और आयोजक थे उनके आतंकवादी संगठनों से कनेक्शन चिंता पैदा करने वाली है। इसी तरह अमेरिकी अरबपति डीप स्टेट एजेंट जार्ज सोरोस से नजदीकी संबंध रखने वाली सुनीता विश्वनाथ के साथ ही अन्य लोगों के साथ राहुल गांधी की बैठक भी चिंता पैदा करने वाली है। जार्ज सोरोस ने खुलेआम मोदी सरकार को हटाने के लिए फंड देने की बात कही थी। आखिर राहुल गांधी अमेरिका में देश विरोधी लोगों से क्यों मिल रहे थे? क्या भारत को कमजोर करने की जार्ज सोरोस की साजिश में वे भी शामिल हैं? इससे ऐसा लगता है कि कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी नौ साल से सत्ता से बेदखल होने की वजह से बौखला गए हैं और सत्ता के लिए किसी भी हद तक गिर सकते हैं।

राहुल गांधी के लिए बनी विशेष वेबसाइट में संपर्क सूची बदल गया
राहुल गांधी के अमेरिका दौरे से पहले एक विशेष वेबसाइट बनाई गई ताकि लोग पंजीकरण करा सकें और राहुल के साथ एनआरआई की बातचीत कार्यक्रम में भाग ले सकें। इस वेबसाइट में कुछ संपर्क सूची दी गई थी लेकिन जब लोगों ने पंजीकरण कराया तो संपर्क सूची कुछ और हो गई। जिसमें ज्यादातर मुस्लिम सुमदाय के लोग थे।

भारत विरोधी इस्लामिक देश से जुड़े संगठन थे आयोजक
ऐसा लगता है कि राहुल गांधी की अमेरिका यात्रा और कार्यक्रम पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों और इस्लामिक देश के डीप स्टेट से जुड़े संगठनों द्वारा आयोजित किए गए थे। इन संगठनों को उनके भारत विरोधी रुख के लिए जाना जाता है और उनका कश्मीर में आतंकवाद का समर्थन करने का इतिहास रहा है।

कोआर्डिनेटर तंजीम अंसारी का पाकिस्तानी इमाम जवाद अहमद से जुड़ाव
राहुल के कार्यक्रम का एक कोआर्डिनेटर तंजीम अंसारी न्यूजर्सी के मुस्लिम समुदाय (MCNJ) की आउटरीच समिति के अमीर के रूप में कार्य करता है। MCNJ का नेतृत्व पाकिस्तान में जन्मे इमाम जवाद अहमद कर रहे हैं, जो उत्तरी अमेरिका के इस्लामिक सर्कल (ICNA) के परियोजना निदेशक के रूप में भी काम करते हैं।

यह संस्था सैयद सलाहुद्दीन जैसे आतंकवादियों का करती है महिमामंडन
ICNA पाकिस्तान के जमात-ए-इस्लामी (JeI) से जुड़ा एक कट्टरपंथी इस्लामवादी संगठन है। इस संगठन का कट्टरपंथी और आतंकवादी संगठनों के साथ संबंध हैं। वे भारत से कश्मीर को अलग करने के लिए हिजबुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन जैसे आतंकवादियों का महिमामंडन करते हैं।

सिमी के संस्थापक भी रह चुका ICNA के सदस्य
एक और कोआर्डिनेटर मोहम्मद असलम, मुस्लिम सेंटर ऑफ़ ग्रेटर प्रिंसटन (MCGP) के सदस्य हैं, जो ICNA के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है। प्रतिबंधित कट्टरपंथी समूह सिमी (भारत में आतंकवादी संगठन) के संस्थापक आईसीएनए के सदस्य भी थे। जस्टिस फॉर आल, मानव संसाधन विकास, आजाद कश्मीर, भारत बचाओ, भारतीय अमेरिकी मुस्लिम परिषद ये सभी कट्टरपंथी इस्लामवादी संगठन ICNA और पाकिस्तान की जमात-ए-इस्लामी की छत्रछाया में ही काम करते हैं।

IAMC भारत विरोध के लिए कई हथकंडे अपनाती है
मिन्हाज खान जिन्होंने यह कहा था कि वे इस आयोजन के लिए कोआर्डिनेट कर रहे थे, भारतीय अमेरिकी मुस्लिम परिषद (IAMC ) के साथ संबंध रखते हैं। IAMC एक भारत विरोधी पैरवी समूह है जो मानवाधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता के बहाने भारत में सांप्रदायिक अशांति फैलाने के लिए फर्जी समाचार साझा करके भारत को लगातार निशाना बनाता है।

IAMC ने भारत के खिलाफ लॉबी करने के लिए दिए थे 55 हजार डॉलर
वर्ष 2013-14 में जब डॉ. मनमोहन सिंह सरकार सत्ता में थी, IAMC ने एक अमेरिकी लॉबिंग फर्म को नियुक्त किया और उन्हें संयुक्त राज्य अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) में भारत के खिलाफ लॉबी करने के लिए 55,000 अमेरिकी डॉलर का भुगतान किया।

केविड के नाम पर जुटाए लाखों रुपये कहां गए?
IAMC के कार्यकारी निदेशक रशीद अहमद एक अन्य जमात फ्रंट, इस्लामिक मेडिकल एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका (IMANA) से भी जुड़े हैं, जिसने भारत की प्रतिष्ठा का लाभ उठाते हुए भारत की मदद के नाम पर कोविड काल के दौरान लाखों जुटाए और सारे पैसे खा गए और गोलमाल कर दिया।

IMANA का लश्कर और हिजबुल से संबंध चिंता पैदा करने वाली
IMANA कथित तौर पर पाकिस्तानी सशस्त्र बलों और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकवादी समूहों के दोनों सेवानिवृत्त अधिकारियों के साथ संबंध बनाए रखता है। इनमें आपस में कनेक्शन चिंता पैदा करने वाली है। अब जरा सोचिए कि कोविड रिलीफ फंड कहां गया होगा?

ISNA कनाडा ने हिजबुल मुजाहिदीन को दिया था फंड
IAMC और ICNA जैसे संगठन जमात और मुस्लिम ब्रदरहुड (MB) से भी संबंध रखते हैं। IMANA के सदस्य मुस्लिम ब्रदरहुड का मोर्चा एमबी फ्रंट इस्लामिक सोसाइटी ऑफ नॉर्थ अमेरिका (ISNA) का हिस्सा रहे हैं। 2017 में ISNA कनाडा को हिजबुल मुजाहिदीन के ‘चैरिटी’ विंग के वित्तपोषण के लिए कनाडा राजस्व एजेंसी ने आरोप लगाया और मामला चलाया गया था।

सुनीता विश्वनाथ का पाकिस्तानी आतंकी समूहों से संबंध
अमेरिका दौरे पर राहुल गांधी को सुनीता विश्वनाथ के साथ बैठक में शामिल होते देखे गए। सुनीता विश्वनाथ हिंदू फॉर ह्यूमन राइट्स (एचएफएचआर) की सह-संस्थापक हैं और इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (आईएएमसी) जैसे संगठनों के साथ कई कार्यक्रमों की सह-मेजबानी करती हैं, जिनके पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों से संबंध हैं। सुनीता विश्वनाथ कोई और नहीं बल्कि खालिस्तानी, किसान विरोध के दौरान वैश्विक स्तर पर हिंदुओं का अपमान करने की कोशिश करने वाले हिंदू विरोधी सम्मेलन ‘ग्लोबल डिसमैनलिंग हिंदुत्व’ की आयोजक थीं। इस कार्यक्रम में नए कृषि कानूनों के बारे में भी एक सत्र था।

जॉर्ज सोरोस की प्रतिनिधि के रूप में काम करती हैं सुनीता विश्वनाथ
सुनीता विश्वनाथ सोरोस रिप्रोडक्टिव हेल्थ एंड राइट्स फेलोशिप की पूर्व-एसोसिएट निदेशक भी थीं। उनके अन्य संगठन वुमन फॉर अफगान वीमेन (डब्ल्यूएडब्ल्यू) को सोरोस ओपन सोसाइटी फाउंडेशन द्वारा वित्त पोषित किया जाता है। सुनीता विश्वनाथ और कुछ नहीं बल्कि जॉर्ज सोरोस की प्रतिनिधि के रूप में काम करती हैं। अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस वही व्यक्ति है जिसने विपक्षी नेताओं, थिंक टैंकों, पत्रकारों, वकीलों और कार्यकर्ताओं के एक नेटवर्क के माध्यम से भारत के आंतरिक मामलों में दखल देने के लिए फंड देने की प्रतिबद्धता जताई है। इससे समझा जा सकता है कि राहुल गांधी अडानी का नाम क्यों लेते हैं।

हिंदू फॉर ह्यूमन राइट्स के नाम पर हिंदू विरोध
हिंदू फॉर ह्यूमन राइट्स (HFHR) देखने से एक हिंदू संगठन लग सकता है, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (IAMC) और हिंदू फॉर ह्यूमन राइट्स अन्य कट्टरपंथी मोर्चों के साथ मिलकर काम करते हैं। HFHR की पॉलिसी डायरेक्टर रिया चक्रवर्ती हैं।

मनमोहन सिंह की बेटी अमृत सिंह जॉर्ज सोरोस की संस्था में
इसमें कोई संदेह नहीं है कि पूरी कांग्रेस जॉर्ज सोरोस के या तो अधीन है या उनके लिए काम कर रही है। एक उदाहरण देखें- पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बेटी अमृत सिंह जॉर्ज सोरोस की ओपन सोसाइटी जस्टिस इनिशिएटिव के लिए काम करती हैं।

देशद्रोही और कट्टरपंथी मोदी शासन को खत्म करना चाहते
राहुल गांधी की यह तस्वीर अमेरिकी दौरे के दौरान हुई मुलाकातों में से एक है। तस्वीर बता रही कि राहुल गांधी ने अमेरिका का दौरा किस एजेंडा के साथ किया। स्पष्ट है कि 2024 में देशद्रोही और कट्टरपंथियों का ये गिरोह भाजपा सरकार और मोदी शासन को खत्म करना चाहता है।

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