कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दल एमएसपी को लेकर किसानों को गुमराह कर रहे हैं कि नए कृषि कानूनों के तहत सरकार एमएसपी पर खरीद बंद करने जा रही है। इसलिए विपक्षी दलों से जुड़े कुछ किसान संगठन दिल्ली के बॉर्डर पर जमा होकर नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। विरोध करने वाले में सबसे अधिक किसान पंजाब से हैं। लेकिन मोदी सरकार अपने वादे के मुताबिक लगातार एमएसपी पर कृषि उपज खरीद रही है, जिसका सबसे अधिक लाभ पंजाब के किसानों को ही मिला है।

भारतीय कपास निगम (सीसीआई) पूरे देश में एमएसपी पर कपास की खरीद कर रहा है, जिसका सबसे बड़ लाभार्थी राज्य पंजाब है। सीसीआई के (क्रय) महाप्रबंधक अतुल काला के अनुसार 1 अक्टूबर से अब तक पंजाब से एमएसपी पर कपास के 5.3 लाख गट्ठर (प्रत्येक का वजन 170 किलोग्राम) खरीदे गए हैं। इस तरह अनुमानित उत्पादन 10.5 लाख गट्ठर में से 50 प्रतिशत की खरीद एमएसपी पर की गई है। कपास का उत्पादन करने वाले 11 राज्यों में से पंजाब 10वें स्थान पर है।

उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अनुसार 2 जनवरी तक 76.6 लाख कपास के गट्ठर खरीदे गए थे जिसका लाभ 14.82 लाख किसानों को मिला है। मंत्रालय ने बताया कि माहाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और कर्नाटक से खरीदे गए कपास का मूल्य 22,410 करोड़ रुपये है।

केंद्र सरकार ने चालू कपास सीजन 2020-21 (अक्टूबर-सितंबर) के लिए कपास (लंबा रेशा) का एमएसपी 5,825 रुपये प्रति क्विंटल जबकि कपास (मध्यम रेशा) का 5,515 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। सीसीआई के बयान के अनुसार 11 कपास उगाने वाले राज्यों के 140 जिलों में निगम ने एमएसपी पर खरीद के लिए 440 केंद्र खोले हैं।

उधर मोदी सरकार ने अनाज की सरकारी खरीद भी रिकॉर्ड स्तर पर की है। खाद्यान्नों की खरीद और बिक्री करने वाली सरकार की प्रमुख खरीद एजेंसी भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने 28 दिसंबर,2020 तक 462.88 लाख टन धान खरीदा था, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह खरीद 370.57 लाख टन रही थी। चालू खरीफ विपणन सत्र खरीद अभियान के दौरान एमएसपी मूल्य पर 87,391.98 करोड़ रुपये किसानों को भुगतान किया गया, जिससे लगभग 57.47 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं। खरीदे गये कुल 462.88 लाख टन धान में से अकेले पंजाब में ही 202.77 लाख टन धान की खरीद हुई, जो कि कुल खरीद का 43.80 प्रतिशत है।










